NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 6 वसंत आया
Textbook | NCERT |
Class | Class 12th |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter – 6 |
Grammar Name | वसंत आया |
Category | Class 12th Hindi अंतरा |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 6 वसंत आया Question & Answer इस में हम पढेंगें वसंत ऋतु में पक्षी क्या करते हैं?, बसंत ऋतु का अर्थ क्या है?, वसंत को क्या खास बनाता है?, वसंत ऋतु में कौन सा जानवर निकलता है?, बसंत का इतिहास क्या है?, वसंत का नाम कैसे पड़ा?, बसंत ऋतु का दूसरा नाम क्या है?, बसंत ऋतु के कितने महीने होते हैं?, वसंत ऋतु किसका प्रतीक है?, बसंत का नाम क्या है?, आया बसंत किसकी रचना है?, रूप बसंत के पिता जी का क्या नाम था?, वसंत कितने होते हैं?, वसंत का आगमन कहाँ हुआ है?
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 6 वसंत आया
Chapter – 6
वसंत आया
प्रश्न – उत्तर
अभ्यास प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. वसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली? उत्तर – कवि फुटपाथ पर चलते हुए प्रकृति में आए परिवर्तनों को देखता है, तब उसे ज्ञात होता है कि वसंत आ गया है। उसे चिड़िया के कूक, पेड़ों से गिरे पीले पत्ते तथा गुनगुनी ताज़ा हवा वसंत के आगमन की सूचना देते हैं। प्रकृति में हुए यह परिवर्तन उसे वसंत के आने का आभास कराते हैं तथा घर पर जाकर कैलेंडर इस बात की पूर्ण रूप से पुष्टि कर देता है। |
प्रश्न 2. ‘कोई छः बजे सुबह…….फिरकी सी आई, चली गई’- पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए। उत्तर – वसंत के आने से पहले वायु में अधिक ठंडक विद्यमान होती है, इसमें मनुष्य सिहर उठता है। परन्तु वसंत के आगमन के साथ यह हवा गुनगुनी हो जाती है मानो कोई युवती गर्म पानी से स्नान करके आयी हो। यह हवा फिरकी की भांति गोल-गोल घुमती है और अचानक रूक जाती है। इसमें सिहरन पैदा करने वाली ठंडक विद्यमान नहीं होती है। वसंत की हवा में ठंडक समाप्त हो जाती है और गरमाहट हृदय को आनंदित कर देती है। |
प्रश्न 3. ‘वसंत पचंमी’ के अमुक दिन होने का प्रमाण कवि ने क्या बताया और क्यों? उत्तर – ‘वसंत पचंमी’ के अमुक दिन कार्यालय में अवकाश होता है, जो इस बात का प्रमाण है कि वसंत आ गया है। कार्यालय में अवकाश होना किसी त्योहार के होने की ओर संकेत देता है। कवि को वसंत पंचमी के अवकाश का पता तब चला जब उसने कैलेंडर में देखा तथा कार्यालय में अवकाश हुआ। कवि के अनुसार शहरी जीवन में मनुष्य प्रकृति में हुए बदलावों को देख नहीं पाता। शहरों में ऊँची-ऊँची इमारतों के जंगल खड़े हो गए हैं। चारों तरफ सीमेंट से बने घर हैं। यहाँ पर हरियाली और प्रकृति की सुंदरता मात्र सपना बनकर रह गई। अतः मनुष्य ऋतुओं को कैलेंडरों के माध्यम से पाता है जोकि एक दुखद बात है। |
प्रश्न 4. ‘और कविताएँ पढ़ते रहने से….आम बौर आवेंगे’ – में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में कवि द्वारा व्यंग्य किया गया है। उसके अनुसार सीमेंट के बने जंगलों में रहने वाले मनुष्य को प्रकृति की सुंदरता और उसमें होने वाले परिवर्तन के विषय में कोई जानकारी नहीं होती है। ऋतु के आगमन और उसकी समाप्ति का तो उसे पता ही क्या चलेगा। वह मात्र कविताओं के माध्यम से ऋतुओं में हो रहे परिवर्तन और उनके सौंदर्य के विषय में जान पाता है। प्राचीनकाल के कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से सभी ऋतुओं का सुंदर वर्णन किया है। वसंत ऋतु तो रसिक तथा सभी प्रकार के कवियों की मनभावन ऋतु रही है। इस ऋतु में पलाश के जंगल खिल उठते हैं, आमों के वृक्ष बौरों से भर जाते हैं। यह अनुपम दृश्य देखकर रसिकों के हृदय प्रेम से प्लवित होने लगते हैं। परन्तु विडंबना देखिए कि आज यह सब कविताओं के माध्यम से पता चलता है। अपनी आँखों से इन्हें देखने का सौभाग्य हमें प्राप्त नहीं है। बस इसकी सुंदरता का रसपान हम पढ़कर लेने का प्रयास करते हैं, जोकि मानव के लिए शोचनीय बात है। |
प्रश्न 5. अलंकार बताइए- (ख) कोई छह बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहाई हो- प्रस्तुत पंक्ति में मानवीकरण अलंकार है। (ग) खिली हुई हवा आई, फिरकी-सी आई, चली गई- प्रस्तुत पंक्ति में हवा की तुलना फिरकी से की गयी है। अत: यहाँ उपमा अलंकार है। इसी के साथ इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार भी है क्योंकि ‘ह’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुई है। (घ) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल- प्रस्तुत पंक्ति में ‘द’ वर्ण की दो से अधिक बार आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है तथा ‘दहर’ शब्द की उसी रूप में पुन: आवृत्ति के कारण पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। |
प्रश्न 6. किन पंक्तियों से ज्ञात होता है कि आज मनुष्य प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य की अनुभूति से वंचित है? उत्तर – नीचे दी गई पंक्तियों से ज्ञात होता है कि आज मनुष्य प्रकृति की अनुभूति से वंचित है।- कल मैंने जाना कि वसंत आया। और यह कैलेंडर से मालूम था अमुक दिन अमुक बार मदनमहीने की होवेगी पंचमी दफ़्तर में छुट्टी थी- यह था प्रमाण और कविताएँ पढ़ते रहने से यह पता था कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल आम बौर आवेंगे |
प्रश्न 7. ‘प्रकृति मनुष्य की सहचरी है’ इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए आज के संदर्भ में इस कथन की वास्तविकता पर प्रकाश डालिए। उत्तर – यह बात सत्य है कि ‘प्रकृति मनुष्य की सहचरी है’। जबसे मनुष्य का अस्तित्व इस पृथ्वी पर उत्पन्न हुआ है प्रकृति ने सहचरी की भांति उसका साथ निभाया है। उसने मनुष्य की हर सुख-सुविधा का ख्याल रखा है और उसके अस्तित्व को पृथ्वी पर पनपने के लिए सभी साधन दिए हैं। प्रकृति के सानिध्य में रहकर ही मनुष्य सभ्य बना है तथा ज्ञान प्राप्त किया है। आज वह चाँद तक जा पहुँचा है। अत्याधुनिक साधन उसके पास उपलब्ध हैं। उसके पास जो छोटी से लेकर बड़ी वस्तु है, वे प्रकृति की देन हैं। मनुष्य का अपना कुछ भी नहीं है। उसने जो पाया है, वह इसी प्रकृति रूपी सहचरी से पाया है। आरंभ में पूरी पृथ्वी पर प्रकृति का साम्राज्य था। परन्तु जबसे मनुष्य ने पृथ्वी पर अपने पैर पसारने आरंभ किए, उसने इसके साम्राज्य पर कब्ज़ा ही कर लिया है। आज चारों तरफ उसने अपने आसपास सीमेंट के ऐसे जंगल खड़े कर दिए हैं कि जिसके कारण उसकी सहचरी सिमटकर रह गई है। उसने प्रकृति से सदैव लिया ही है। उसने लगातार सदियों से उसका दोहन ही किया है। उसने अपनी सहचरी के धैर्य और प्रेम को धोखा ही दिया है। आज प्रकृति ने भी अपने सहचरी रूप को छोड़कर विकराल रूप धारण कर लिया है। मनुष्य ने उसकी सीमाओं का इतना अतिक्रमण कर लिया है कि वह स्वयं अपने असितत्व को बनाए रखने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। |
प्रश्न 8. ‘वसंत आया’ कविता में कवि की चिंता क्या है? उसका प्रतिपाद्य लिखिए? उत्तर – आज के मनुष्य का प्रकृति से संबंध टूट गया है। उसने प्रगति और विकास के नाम पर प्रकृति को इतना नुकसान पहुँचाया है कि अब प्रकृति का सानिध्य सपनों की बात लगती है। महानगरों में तो प्रकृति के दर्शन ही नहीं होते हैं। चारों ओर इमारतों का साम्राज्य है। ऋतुओं का सौंदर्य तथा उसमें हो रहे बदलावों से मनुष्य परिचित ही नहीं है। कवि के लिए यही चिंता का विषय है। प्रकृति जो कभी उसकी सहचरी थी, आज वह उससे कोसों दूर चला गया है। मनुष्य के पास अत्यानुधिक सुख-सुविधाओं युक्त साधन हैं परन्तु प्रकृति के सौंदर्य को देखने और उसे महसूस करने की संवेदना ही शेष नहीं बची है। उसे कार्यालय में मिले अवकाश से पता चलता है कि आमुक त्योहार किस ऋतु के कारण है। अपने आसपास हो रहे परिवर्तन उसे अवगत तो कराते हैं परन्तु वह मनुष्य के हृदय को आनंदित नहीं कर पाते हैं। मनुष्य और प्रकृति का प्रेमिल संबंध आधुनिकता की भेंट चढ़ चुका है। आने वाला भविष्य इससे भी भयानक हो सकता है। |
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 6 रघुवीर सहाय
NCERT Solutions Class 12th हिंदी All Chapters अंतरा
काव्य खंड
- Chapter – 1 जयशंकर प्रसाद
- Chapter – 2 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- Chapter – 3 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
- Chapter – 4 केदारनाथ सिंह
- Chapter – 5 विष्णु खरे
- Chapter – 6 रघुवीर सहाय
- Chapter – 7 तुलसीदास
- Chapter – 8 बारहमासा
- Chapter – 9 पद
- Chapter – 10 रामचंद्रचंद्रिका
- Chapter – 11 कवित्त / सवैया
गद्य खंड
- Chapter – 12 प्रेमघन की छाया – स्मृति
- Chapter – 13 सुमिरिनी के मनके
- Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा
- Chapter – 15 संवदिया
- Chapter – 16 गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
- Chapter – 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
- Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं
- Chapter – 19 यथास्मै रोचते विश्वम्
- Chapter – 20 दूसरा देवदास
- Chapter – 21 कुटज
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