NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 20 दूसरा देवदास
Textbook | NCERT |
Class | Class 12th |
Subject | Hindi |
Chapter | 20 |
Grammar Name | दूसरा देवदास |
Category | Class 12th Hindi अंतरा |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 20 दूसरा देवदास Question & Answer संभव को दूसरा देवदास क्यों कहा गया है? दूसरा देवदास कहानी का मुख्य विषय क्या है? दूसरा देवदास के लेखक कौन है? देवदास की भाषा क्या थी?देवदास की असली कहानी क्या है? देवदास की मौत के बाद पारो का क्या हुआ? दूसरा देवदास कहानी का मुख्य विषय क्या है?
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 20 दूसरा देवदास
Chapter – 20
दूसरा देवदास
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. पाठ के आधार पर हर की पौड़ी पर होने वाली गंगाजी की आरती का भावपूर्ण वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर – हर की पौड़ी पर होने वाली गंगा जी की आरती का दृश्य अद्भुत होता है। आरती से पहले स्नान होता है। शाम को एकदम सहस्र दीप जल उठते हैं। पंडित जी हाथ में अंगोछा लपेट कर पंचमंजिली नीलनीलांजलि पकड़ते हैं और आरती शुरू हो जाती है। पहले पुजारियों के भर्राए गले से समवेत स्वर उठता है जय गंगे माता..। घंटे घड़ियाल बजते हैं। पुजारी नीलांजलि को गंगाजल के स्पर्श से हाथ में लिपटे अंगोछे को अद्भुत तरीके से गीला कर लेते हैं। पानी पर सहस्र बाती वाले दीपकों की प्रतिछवियाँ झिलमिला रही है। पूरे वातावरण में अगरु-चंदन की खुशबू है |
प्रश्न 2.‘गंगापुत्र के लिए गंगा मैया ही जीविका और जीवन है’- इस कथन के आधार पर गंगा पुत्रों के जीवन-परिवेश की चर्चा कीजिए। उत्तर – लेखिका ने गंगापुत्र उन गोताखोरों को कहा है जो चढ़ावे में रखे पैसे को मुँह में दबा लेते हैं। ये दोने से पैसे उठाकर अपना गुजारा करते हैं। कभी-कभी उसे खतरे से खेलना पड़ता है। गंगा नदी में वह बीस चक्कर मुँह भर-भर रेज़गारी बटोरता है। उसकी बीवी तथा बहन कुशाघाट पर रेज़गारी बेचकर नोट कमाती हैं। वे एक रुपये के पच्चासी पैसे देती हैं, कभी-कभी वे अस्सी पैसे भी दे देती हैं। |
प्रश्न 3. पुजारी ने लड़की के ‘हम’ को युगल अर्थ में लेकर क्या आशीर्वाद दिया और पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन क्यों आया? उत्तर – आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन क्यों आया? पुजारी ने लड़की के ‘हम’ को युगल अर्थ में लेकर आशीर्वाद दिया-सुखी रहो, फूलो फलो, जब भी आओ साथ ही आना, गंगा मैया मनोरथ पूरे करे। पुजारी के इस आशीर्वाद से लड़के और लड़की दोनों अकबका गए क्योंकि वे विवाहित नहीं थे। वे एक-दूसरे को जानते भी न थे। पुजारी ने उन्हें गलती से एक समझ लिया था। |
प्रश्न 4. उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी? इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए। उत्तर – हर की पौड़ी पर लड़की के साथ छोटी-सी मुलाकात ने संभव को विचलित कर दिया। वह उससे प्रेम करने लगा। वह उससे मिलने के लिए बेचैन था। उसके मन में यह आशंका भी उठने लगी थी कि कहीं पुजारी के आशीर्वाद के कारण वह कल न आए। वह हर समय उसके बारे में ही सोचता रहता था। |
प्रश्न 5. मंसा देवी जाने के लिए केबिल कार में बैठे हुए संभव के मन में जो कल्पनाएँ उठ रही थीं, उनका वर्णन कीजिए। संभव को अफ़सोस हुआ कि वह चढ़ावा खरीदकर नहीं लाया। इस वक्त जहाँ से केबिल कार गुज़र रही थी,नीचे कतारबद्ध फूल खिले हुए थे। लगता था रंग-बिरंगी वादियों से कोई हिंडोला उड़ा जा रहा है। एक बार चारों ओर के विहंगम दृश्य में मन रम गया तो न मोटे-मोटे फ़ौलाद के खंभे नज़र आए और न भारी केबिल वाली रोपवे। पूरा हरिद्वार सामने खुला था। जगह-जगह मंदिरो के बुर्ज, गंगा मैया की धवल धार और सड़कों के खूबसूरत घुमाव नीचे सड़क के रास्ते चढ़ते, हाँफते लोग। लिमका की दुकानें और नाम अनाम पेड़। |
प्रश्न 6. ”पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है….. उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।” कथन के आधार पर कहानी के संकेत पूर्ण आशय पर टिप्पणी लिखिए। उत्तर – संभव ने जब उस लड़की का नाम ‘पारो’ सुना तो उसने विनोदपूर्ण भाव से स्वयं को ‘संभव देवदास’ कहावह अपनी व लड़की की तुलना शरदचंद्र के प्रसिद्ध उपन्यास ‘देवदास’ के नायक तथा नायिका से कर रहा था। वह देवी के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा था क्योंकि उसकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण हो गई। थी। |
प्रश्न 7. ‘मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है।’ कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन दीजिए। उत्तर – लड़की भी संभव से प्रेम करने लगी थी। उसे उम्मीद नहीं थी कि मनसादेवी में माँगी गई मुराद इतनी जल्दी पूरी हो जाएगी। वह संभव से मिलने के बाद प्रसन्न थी। वह हैरान भी थी कि उसकी इच्छा इतनी जल्दी पूरी हो जाएगी। |
प्रश्न 8. निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिएः (ख) संभव ने एक व्यक्ति को सूर्य नमस्कार करते देखा। वह इतना विभोर तथा प्रसन्न था। ऐसा लगता था मानो उसने सारा अहंकार त्याग दिया है। उसके मन में कोई कुंठा बच्ची नहीं है। वह शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप आत्माराम व निर्मलानंद है। वह सिर्फ ईश्वरीय भक्ति में डूबा हुआ है। (ग) इस पंक्ति में संभव ने मनसा देवी का वर्णन किया है। वह बताता है कि मंदिर के अंदर प्रांगण में चामुंडा के रूप में मनसा देवी स्थापित थी। यहाँ केवल भक्ति नहीं होती थी। यहाँ भी पूजा को चीजें बिकती थीं। |
प्रश्न 9.‘दूसरा देवदास’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। उत्तर – संभव को दूसरा देवदास कहा गया है। एक देवदास शरदचंद्र के उपन्यास में था जो पारो को पाने के लिए अपने को नष्ट कर डालता है। उसके मन में निश्छल तथा पवित्र प्रेम था। इसी तरह संभव भी पारो से प्रेम करने लगा था। दोनो अजनबी थे, परंतु फिर भी दोनों एक-दूसरे को चाहते थे। यह शीर्षक पूर्णतः उपयुक्त है। |
प्रश्न 10. ‘हे ईश्वर! उसने कब सोचा था कि मनोकामना का मौन उद्गार इतनी शीघ्र शुभ परिणाम दिखाएगा-आशय स्पष्ट कीजिए।’ उत्तर – संभव ने मनसा देवी में धागा बाँधकर लड़की से मिलने की मनोकामना माँगी थी। उसकी यह इच्छा तुरल ही पूरी हो गई। वह इस बात पर बड़ा हैरान था कि मनसा देवी से वापस लौटते समय ही उसकी इच्छित लड़की उसे दिखाई दी। |
भाषा शिल्प
प्रश्न 1. इस पाठ का शिल्प आख्याता (नैरेटर-लेखक) की ओर से लिखते हुए बना है- पाठ से कुछ उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए। उत्तर – पाठ से उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं- (क) गंगा सभा के स्वयंसेवक खाकी वरदी में मुस्तैदी से घूम रहे हैं। (ख) यकायक सहस्र दीप जल उठते हैं पंडित अपने आसन से उठ खड़े होते हैं। (ग) दूसरे यह दृश्य देखने पर मालूम होता है कि वे अपना संबोधन गंगाजी के गर्भ तक पहुँचा रहे हैं। (घ) संभव हँसा। उसके एक सार खूबसूरत दाँत साँवले चेहरे पर फब उठे। |
प्रश्न 2. पाठ में आए पूजा-अर्चना के शब्दों तथा इनसे संबंधित वाक्यों को छाँटकर लिखिए। उत्तर – (क) दीया-बाती- दीया-बाती का समय या कह लो आरती की बेला। (ख) आरती- आरती शुरू होने वाली थी। (ग) नीलांजलि- पीतल की नीलांजलि में सहस्र बत्तियाँ घी में भिगोकर रखी हुई हैं। (घ) मूर्तियों- गंगा जी की मूर्ति के साथ-साथ चामुंडा, बालकृष्ण, राधाकृष्ण, हनुमान, सीताराम की मूर्तियों की श्रृंगारपूर्ण स्थापना है। (ङ) स्नान- आरती से पहले स्नान! (च) चंदन और सिंदूर- हर के पास चंदन और सिंदूर की कटोरी है। |
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1. गंगा नदी पर एक निबंध लिखिए। उत्तर – ‘गंगा’ भारत की सर्वाधिक महिमामयी नदी है। इसे देवनदी, मंदाकिनी, भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा, देवनदी, इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री है। यह हिमालय के उत्तरी भाग गंगोत्री से निकलकर नारायण पर्वत के पार्श्व से ऋषिकेश, हरिद्वार, कानपुर, प्रयाग, विध्यांचल, वाराणसी, पाटिलीपुत्र, मंदरगिरी, भागलपुर, बंगाल से गुजरती हुई गंगासागर में समाहित हो जाती है। गंगा का हमारे देश के लिए बहुत अधिक महत्त्व है। गंगा नदी भारत के चार राज्यों में से होकर गुजरती है। ये हैं- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल। भारत के इस मध्यम भाग को ‘गंगा का मैदान’ कहा जाता है। यह प्रदेश अत्यंत उपजाऊ, संपन्न तथा हरा-भरा है, जिसका श्रेय गंगा को ही है। इन राज्यों में कृषि-उपज से संबंधित तथा कृषि पर आधारित अनेक उद्योग-धंधे भी फैले हुए हैं, जिनसे लाखों लोगों की जीविका तो चलती ही है, राष्ट्रीय आय में वृद्धि भी होती है। पेयजल भी गंगा और उसकी नहरों के माध्यम से प्राप्त होता है। यदि गंगा न होती तो हमारे देश का एक महत्त्वपूर्ण भाग बंजर तथा रेगिस्तान होता। इसीलिए गंगा उत्तर भारत की सबसे पवित्र व महत्त्वपूर्ण नदी है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न अंग है। भारत के प्राचीन ग्रंथों; जैसे- वेद, पुराण, महाभारत इत्यादि में गंगा की पवित्रता का वर्णन है। भारत के अनेक तीर्थ गंगा के किनारे पर ही स्थित हैं। |
काव्य खंड
- Chapter – 1 जयशंकर प्रसाद
- Chapter – 2 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- Chapter – 3 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
- Chapter – 4 केदारनाथ सिंह
- Chapter – 5 विष्णु खरे
- Chapter – 6 रघुवीर सहाय
- Chapter – 7 तुलसीदास
- Chapter – 8 बारहमासा
- Chapter – 9 पद
- Chapter – 10 रामचंद्रचंद्रिका
- Chapter – 11 कवित्त / सवैया
गद्य खंड
- Chapter – 12 प्रेमघन की छाया – स्मृति
- Chapter – 13 सुमिरिनी के मनके
- Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा
- Chapter – 15 संवदिया
- Chapter – 16 गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
- Chapter – 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
- Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं
- Chapter – 19 यथास्मै रोचते विश्वम्
- Chapter – 20 दूसरा देवदास
- Chapter – 21 कुटज
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