NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 2 सरोज स्मृति Question & Answer

NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 2 सरोज स्मृति

TextbookNCERT
Class 12th
Subject Hindi
Chapter2nd
Grammar Nameसरोज स्मृति
CategoryClass 12th Hindi अंतरा
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 2 सरोज स्मृति Question & Answer इस में हम पढ़ेंगे बादल कहां जाते हैं?, बादल किससे बनता है?, बादल किससे बनता है?, बादल का रंग क्या है?, बिजली कैसे कड़कती है?, वर्षा कैसे बनती है?, बादल की आवाज को क्या कहते हैं?, बिजली कहाँ से बनती है?, बिजली कितने वोल्ट की होती है?, बारिश के 4 चक्र कौन से हैं?, भारत में वर्षा वन कहाँ पाए जाते हैं?, वर्षा कहाँ होती है?, बिजली क्यों आती है?

NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 2 सरोज स्मृति

Chapter – 2

सरोज स्मृति

प्रश्न – उत्तर

प्रश्न 1. सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर – कवि के अनुसार उनकी पुत्री सरोज विवाह के समय कामदेव की पत्नी रति जैसी सुंदरी लग रही है। जब वह मंद-मंद करके हँसती है, तो लगता है मानो दामिनी (बिजली) उसके होठों के मध्य फँस गई है। विवाह की प्रसन्नता के कारण उसकी आँखों में चमक विद्यमान है। रूप और गुणों में वह अपनी माँ की प्रतिछाया प्रतित हो रही है। उसका सौंदर्य उसके अंग-प्रत्यंग में उच्छ्वास (गहरी छोड़ी गई साँस) के समान विकसित होकर फैल गया है। एक नई-नवेली दुल्हन की आँखें में व्याप्त लज्जा और संकोच उसकी आँखों को चमक से भर देता है तथा वे झुक जाती है। उनकी पुत्री की आँखें भी वैसी ही झुकी हुई तथा चमक से भरी हुई हैं। धीरे-धीरे वह चमक आँखों से उतरकर होठों पर फैल रही है। यह चमक उनकी पुत्री के होठों में स्वाभाविक कंपन पैदा कर रहा है।
प्रश्न 2. कवि को अपनी स्वर्गीया पत्नी की याद क्यों आई?
उत्तर – कवि द्वारा अपनी पुत्री को विवाह के शुभ अवसर पर नव-वधू के रूप में देखकर अपनी स्वर्गीय पत्नी का स्मरण हो आया। दुल्हन के कपड़ों में उनकी पुत्री बहुत सुंदर प्रतीत हो रही है। उसके अंदर अपनी माँ की झलक दिखाई देती है। अपनी पत्नी के साथ मिलकर गायी गई कविताएँ उन्हें अपनी पुत्री सरोज के रूप में साकार होती दिखती है। वह सरोज को देखकर भाव-विभोर हो जाता है और उसे लगता है मानो उसकी पत्नी सरोज का रूप धारण कर सामने खड़ी हो। पुत्री को विवाह के समय शिक्षा देते समय भी कवि को अपनी पत्नी का स्मरण हो आता है। माँ विवाह के समय पुत्री को उसके सुखी गृहस्थ जीवन के लिए शिक्षा देती है परन्तु पत्नी की अनुपस्थिति में कवि को यह कार्य करना पड़ता है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में पत्नी का अभाव उसे उसकी याद दिला देता है।
प्रश्न 3. ‘आकाश बदल कर बना मही’ में ‘आकाश’ और ‘मही’ शब्द किनकी ओर संकेत करते हैं?
उत्तर – ये शब्द कवि की श्रृंगार से पूर्ण कल्पनाओं तथा उसकी पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं। कवि के अनुसार वह अपनी कविताओं में श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ किया करता था। जब उसने नव-वधु के रूप में अपनी पुत्री को देखा, तो उसे लगा जैसे उसकी पुत्री के सौंदर्य में वह कल्पनाएँ साकार हो गई हैं और धरती पर उतर आयी हैं। अत: आकाश को वह श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ तथा मही के रूप में अपनी पुत्री सरोज की ओर संकेत करता है।
प्रश्न 4. सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर – सरोज का विवाह अन्य विवाहों की तरह चमक-दमक, शोर-शराबे से रहित था। सरोज का विवाह बहुत सादे तरीके से हुआ था। इस विवाह में समस्त रिश्तेदारों, मित्रों तथा पड़ोसियों को नहीं बुलाया गया था बल्कि यह परिवार के कुछ लोगों के मध्य ही संपन्न हुआ था। इसमें संगीत तथा मेहंदी जैसी रस्मों का अभाव था। किसी ने विवाह के गीत नहीं गाए न ही लोगों का ताँता लगा था। बस चारों तरफ़ शांति विराजमान थी। यह विवाह इसी शांति के मध्य हुआ था। माँ के अभाव में कवि ने ही माँ की ज़िम्मेदारी को निभाया तथा उसे कुल संबंधी नसीहतें दीं।
प्रश्न 5. शकुंतला के प्रसंग के माध्यम से कवि क्या संकेत करना चाहता है?
उत्तर – शकुंतला कालि दास की एक पात्र है। जिसने कवि कालिदास की कृति अभिज्ञान शाकुंतलम को लोगों के हृदयों में सदा के लिए अमर कर दिया। शकुंतला ऋषि विश्वामित्र तथा अप्सरा मेनका की पुत्री है। मेनका शकुंतला को जन्म देकर तुरंत स्वर्ग को चली गई। जंगल में अकेली नवजात शिशु को देखकर कण्व ऋषि को दया आ गई और वे इसे अपने साथ ले आए। उन्होंने शकुंतला का लालन-पालन किया तथा पिता तथा माता की समस्त भूमिका निभाई। पुत्री की विदाई में कण्व ने भाव-विभोर होकर विलाप किया। शकुंतला की भांति ही सरोज की माता उसके बाल्यकाल में ही चल बसी। उसका लालन-पालन उसके ननिहाल में किया गया। वह बच्ची माता-पिता के प्रेम से वंचित रही। कण्व ऋषि के समान सूर्यकांत निराला जी ने सरोज के सयाने होने पर उसका विवाह कर दिया। सरोज की विदाई में निराला जी ने बहुत विलाप किया तथा मातृत्व के समस्त कर्तव्य निभाए। अत: निराला जी शकुंतला के माध्यम से अपनी पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं।
प्रश्न 6. ‘वह लता वहीं की, जहाँ कली तू खिली’ पंक्ति के द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है?
उत्तर – कवि निराला जी इस पंक्ति के माध्यम से सरोज के लालन-पालन के प्रसंग को उद्घटित करते हैं। उनकी पत्नी मनोहारी जी के निधन के बाद उनकी पुत्री का लालन-पालन उनके नाना-नानी के द्वारा किया गया था। पहले मनोहारी लता रूप में वहाँ विकसित हुई अर्थात मनोहारी जी का जन्म वहाँ हुआ और अपने माता-पिता की देख-रेख में बड़ी हुई। लता जब बड़ी हुई, तब तुम उस लता में कली के समान खिली अर्थात मनोहारी जी की संतान के रूप में सरोज ने जन्म लिया। परन्तु माँ की अकस्मात मृत्यु के बाद नाना-नानी की देख-रेख में युवावस्था को प्राप्त होकर एक युवती बनी। नाना-नानी के पास ही तुम्हारा समस्त बाल्यकाल बीता तथा वहीं तुमने युवावस्था में प्रवेश किया था।
प्रश्न 7. कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण किस प्रकार किया?
उत्तर – कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण अद्भुत तरीके से किया। उसने कहा कि यदि मेरा धर्म बना रहे तो मेरे कर्मों पर चाहे कितनी ही बिजलियाँ गिरती रहें, मैं सिर झुकाकर सब सहन कर लूँगा। उसे अपने कार्यों की प्रशंसा चाहे न मिले। उसने अपने सभी सद्कर्मों को अपनी स्वर्गीया पुत्री को अर्पित कर उसका तर्पण किया था।

प्रश्न 8. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए-
(क) नत नयनों से लोक उतर
(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार
(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला
(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा माथ
उत्तर – (क) कवि के अनुसार उसकी पुत्री विवाह के समय बहुत प्रसन्न है। नववधू बनी उसकी पुत्री की आँखें लज्जा तथा संकोच के कारण चमक रही है। कुछ समय पश्चात यह चमक आँखों से उतर कर उसके अधरों तक जा पहुँच जाती है।

(ख) इसका अर्थ है; ऐसा श्रृंगार जो बिना आकार के हो। कवि के अनुसार इस प्रकार का श्रृंगार ही रचनाओं में अपना प्रभाव छोड़ पाता है। कवि ने अपने द्वारा लिखी श्रृंगार रचनाओं में जिस सौंदर्य को अभिव्यक्त किया था, वह उन्हें नववधू बनी पुत्री के सौंदर्य में साकार होता दिखाई दिया।

(ग) इस पंक्ति में कवि को अपनी पुत्री को देखकर अभिज्ञान शकुंतलम् रचना की नायिका शकुंतला का ध्यान आ जाता है। उनकी पुत्री सरोज का माता विहिन होना, पिता द्वारा लालन-पालन करना तथा विवाह में माता के स्थान पर पिता द्वारा माता के कर्तव्यों का निर्वाह करना शकुंतला से मिलता है। परन्तु उसका व्यवहार और शिक्षा में सरोज शकुंतला से बहुत अधिक अलग थी। अत: वह कहता है यह पाठ अलग है परन्तु कहीं पर यह मिलता है और कहीं अन्य विषयों पर यह बिलकुल अलग हो जाता है।

(घ) प्रस्तुत पंक्ति में कवि अपने पिता धर्म को निभाने के लिए दृढ़ निश्चयी है। वह अपने पिता धर्म का पालन सदा माथा झुकाए करना चाहता है।

NCERT Solutions Class 12th हिंदी All Chapters अंतरा Chapter – 2 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

NCERT Solutions Class 12th हिंदी All Chapters अंतरा

काव्य खंड

गद्य खंड

You Can Join Our Social Account

YoutubeClick here
FacebookClick here
InstagramClick here
TwitterClick here
LinkedinClick here
TelegramClick here
WebsiteClick here