NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा Question & Answer

NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा

TextbookNCERT
Class Class 12th
Subject Hindi
Chapter 14
Grammar Nameकच्चा चिट्ठा
CategoryClass 12th  Hindi अंतरा 
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा

Chapter – 14

कच्चा चिट्ठा

प्रश्न – उत्तर

अभ्यास प्रश्न – उत्तर

प्रश्न 1. पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
उत्तर – पसोवा जैन धर्म का एक बड़ा तीर्थस्थल है। यहाँ पुराने समय से हर वर्ष जैनियों का विशाल मेला लगता है। इस मेले में दूर-दूर से हजारों जैन यात्री आते हैं। यहाँ के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पर एक छोटी-सी पहाड़ी थी जिसकी गुफा में बुद्ध देव व्यायाम करते थे। उस पहाड़ी पर विषधर सर्प भी रहता था। एक किवदंती भी है कि यहीं पर सम्राट अशोक ने एक स्तूप का निर्माण करवाया था जिसमें बुद्ध के थोड़े-से केश और नखखंड रखे गए थे। लेखक इन्हीं अवशेषों को ढूँढ़ने गया था।
प्रश्न 2. ”मैं कहीं जाता हूँ तो ‘छूँछे’ हाथ नही लौटता” से क्या तात्पर्य है? लेखक कौशांबी लौटते हुए अपने साथ क्या-क्या लाया?
उत्तर – लेखक की इस पंक्ति का आशय है कि वह कहीं भी जाता है तो ऐतिहासिक महत्त्व की कोई-न-कोई वस्तु अवश्य लाता है। कौशांबी से लौटते समय वह कुछ बढ़िया मृण्मूर्तियाँ, सिक्के, मनके तथा चतुर्मुख शिव की मूर्ति लाया। गाँव वाले इस मूर्ति की अराधना करते थे। इसलिए उसे यह मूर्ति वापस देनी पड़ी। दूसरी बार वह कौशांबी गया तो एक गाँव में बोधिसत्व की लाल पत्थर की आठ फुट ऊँची मूर्ति मिल गई। उसके सिर नहीं था। वहाँ से वह मूर्ति ले आया।
प्रश्न 3. ”चांद्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी को अपना कर्तव्य पालन करना ही पड़ता है।”- लेखक ने यह वाक्य किस संदर्भ में कहा और क्यों?
उत्तर – लेखक कौशांबी लौट रहा था तो रास्ते में एक गाँव के निकट पत्थरों के ढेर के बीच पेड़ के नीचे एक चतुर्मुख शिव की मूर्ति देखी। वह पेड़ के सहारे रखी थी और लेखक का मन ललचा रहा था। वह गाँव की संपत्ति थी, परंतु पुरातत्वविद होने के कारण वह इस मूर्ति को उठाने से स्वयं को नहीं रोक सका। उसने उसे चुपचाप इक्के पर रख लिया। इस मूर्ति के संदर्भ में लेखक ने यह बात कही क्योंकि वह पुरातात्विक वस्तुओं के लिए स्वयं को बिल्ली मानता है।
प्रश्न 4. ”अपना सोना खोटा तो परखवैया का कौन दोस?” से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तर – लेखक गाँव से शिव की चतुर्मुखी मूर्ति को चुपचाप उठा लाया था। उस समय तक उस इलाके में यह बात फैल गई थी कि कोई भी पुरातात्विक वस्तु वहाँ से गायब होती है तो अधिकतर लेखक ही उन्हें लेकर जाता है। उनका यह संदेह 95 फीसदी तक ठीक होता था। मूर्ति उठाने पर गाँव वालों को उस पर संदेह हो गया। यह उक्ति लेखक ने अपने लिए प्रयुक्त की है कि जब अपने सोने में ही दोष हो तो जाँच करने वाले को क्या दोष देना।
प्रश्न 5. गाँववालों ने उपवास क्यों रखा और उसे कब तोड़ा? दोनों प्रसंगों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक गाँव से चतुर्मुख शिव की मूर्ति आराध्य उठा लाया था। गाँव वाले उसकी पूजा करते थे। मूर्ति गायब हो जाने पर वे दुखी थे। उन्होंने अपने आराधय की प्राप्ति के लिए उपवास रखा। उन्होंने पानी तक पीना  छोड़ दिया था। वे भगवान की प्राप्ति तक पानी न पीने का उपवास रखे हुए थे। लेखक ने उन्हें वह मूर्ति वापस की मिठाई तथा जल मंगाकर लोगों का उपवास तुड़वाया। फिर उस मूर्ति को मोटर पर अड्डे तक पहुँचाया।
प्रश्न 6. लेखक बुढ़िया से बोधिसत्व की आठ फुट लंबी सुंदर मूर्ति प्राप्त करने में कैसे सफल हुआ?
उत्तर – लेखक दूसरे साल फिर कौशांबी गया। वहाँ उसे एक खेत की मेड़ पर बोधिसत्व की आठ फुट लंबी एक सुंदर मूर्ति दिखाई दी। यह लाल पत्थर की थी। उसने उसे उठवाया तो वहाँ एक बुढ़िया पहुंच गई और हर्जाना मांगा। मूर्ति निकालते समय खेत का काम रुक गया। लेखक ने उसे दो रुपये दिए तथा नुकसान पूरा करने की बात कही। बुढ़िया ने पैसे मिलते ही मूर्ति ले जाने की अनुमति दे दी। इस प्रकार मात्र दो रुपये में वह यह मूर्ति पाने में सफल हुआ।
प्रश्न 7. ”ईमान! ऐसी कोई चीज़ मेरे पास हुई नहीं तो उसके डिगने का कोई सवाल नहीं उठता। यदि होता तो इतना बड़ा संग्रह बिना पैसा-कौड़ी के हो ही नहीं सकता।” – के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर – लेखक का मानना है कि कोई भी बड़ा काम ईमानदारी से पूरा नहीं किया जा सकता। लेखक यदि ईमानदारी से काम करता तो वह इतना बड़ा संग्रह नहीं कर पाता। वह अपनी वाक्कला, चतुराई तथा कम पैसों में बेहद कीमती चीजें ले आया और पुरातात्विक चीज़ों का संग्रहालय तैयार किया। आज के युग में बिना छल किए काम सिद्ध नहीं होते।

प्रश्न 8. दो रुपए में प्राप्त बोधिसत्व की मूर्ति पर दस हज़ार रुपए क्यों न्यौछावर किए जा रहे थे?
उत्तर – लेखक ने बोधिसत्व की बिना सिर की मूर्ति मात्र दो रुपये में हासिल की थी। यह मथुरा के लाल पत्थर की बनी हुई थी। उस मूर्ति के लिए फ्रांसीसी डीलर दस हज़ार देने के लिए तत्पर था। इसका कारण यह था कि बोधिसत्व की यह मूर्ति अब तक प्राप्त मूर्तियों में संसार की सबसे पुरानी मूर्ति थी। यह कुषाण सम्राट कनिष्क ने अपने शासन के दूसरे वर्ष में स्थापित की थी। इस बात का लेख उस मूर्ति के पदस्थल पर लिखा गया था। इसी कारण यह दुर्लभ वस्तु थी।

प्रश्न 9. भद्रमथ शिलालेख की क्षतिपूर्ति कैसे हुई? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भद्रमथ शिलालेख को लेखक ने वापस किया। लेखक हाजियापुर गाँव में गुलजार मियाँ के घर पहुँचा। गुलजार के मकान के बिलकुल सामने एक मजबूत कुआँ था। चबूतरे के ऊपर चार पक्के खंभे थे जिनमें एक से दूसरे तक अठपहल पत्थर की बँडेर पानी भरने के लिए गड़ी हुई थी। लेखक ने देखा कि उस बंडेर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ब्राह्मी लिपि में लिखा एक लेख था। लेखक की इच्छा को देखकर गुलजार ने उस बँड़ेर को निकलवाया। इस प्रकार भद्रमथ शिलालेख को क्षतिपूर्ति इस बँडेर से हो गई।
प्रश्न 10. लेखक अपने संग्रहालय के निर्माण में किन-किन के प्रति अपना आभार प्रकट करता है और किसे अपने संग्रहालय का अभिभावक बनाकर निश्चित होता है?
उत्तर – लेखक अपने संग्रहालय के निर्माण में नगरपालिका के तत्कालीन चेयरमैन रायबहादुर कामता प्रसाद कक्कड़, हिस हाइनेस श्री महेंद्रसिंह देव, नागौद नरेश, उनके दीवान दीवानलाल मार्गवेंद्र सिंह तथा अर्दली जगदेव के प्रति आभार प्रकट करता है। लेखक ने डॉ.सतीशचंद्र काला को संग्रहालय का अभिभावक नियुक्त किया और फिर संन्यास ले लिया।

भाषा शिल्प

प्रश्न 1. निम्नलिखित का अर्थ स्पष्ट कीजिए
(क) इक्के को ठीक कर लिया
(ख) कील काँटे से दुरस्त था।
(ग) मेरे मस्तक पर हस्बमामूल चंदन था।
(घ) सरखाब का पर
उत्तर –
(क) इक्के (रिक्शा) को अपने साथ ले जाने के लिए उससे पैसे की बात कर ली।
(ख) मार्ग में बहुत तरह की परेशानी आती है। लेकिन पहले वाली परेशानी से अब की परेशानी अधिक सही थी।
(ग) मेरे सिर पर चंदन का तिलक वैसे का वैसा था।
(घ) स्वयं को अति विशिष्ट मानना।
प्रश्न 2. लोकोक्तियों का संदर्भ सहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(क) चोर की दाढ़ी में तिनका
(ख) ना जाने केहि भेष में नारायण मिल जाएँ
(ग) चोर के घर छिछोर पैठा
(घ) यह म्याऊँ का ठौर था
उत्तर – लोकोक्तियों का संदर्भ सहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(क) रजत पुलिस को देखकर घबरा गया, किसी ने सही कहा है कि चोर की दाढ़ी में ही तिनका होता है। अर्थात जिसने गलत किया होता है वह अपनी जुर्म भावना से ही घबरा जाता है।
(ख) हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए ना जाने केहि भेष में नारायण मिल जाएँ। अर्थात सबका सम्मान करना चाहिए क्योंकि हम नहीं जानते वह कब भगवान के समान हमारी रक्षा कर जाए।
(ग) नत्थू का सामान किसी ने उड़ा लिया किसने चोर के घर छिछोर पैठा किया है। अर्थात चोर के घर चोरी करने की हिम्मत करना।
(घ) रतन का घर ऐसा था, जैसे म्याऊँ का ठौर हो। अर्थात बिल्ली के छिपने का स्थान।

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