NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 10 रामचन्द्रचन्द्रिका
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Hindi |
Chapter | 10th |
Grammar Name | रामचन्द्रचन्द्रिका |
Category | Class 12th Hindi अंतरा |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 10 रामचन्द्रचन्द्रिका Question & Answer इस में हम पढेंगें केशव ने क्या गलती की थी?, केशव के आश्रयदाता कौन थे?, मां ने केशव को क्या समझाया?, अकबर ने अपने गार्ड को क्यों डांटा?, अकबर ने बीरबल को व्यक्तिगत रूप से क्यों रखा?, अकबर ने बीरबल से क्या लाने को कहा?, रामचंद्रिका में कांड की संख्या कितनी है?, केशव कैसे कवि थे?, केशवदास की काव्य भाषा क्या है?, बुद्धि दुनिया की सबसे बड़ी चीज है क्यों?, बीरबल ने बुद्धि का घड़ा कैसे तैयार किया था?, अकबर को कौन सी लिपि पसंद थी?
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 10 रामचन्द्रचन्द्रिका
Chapter – 10
रामचन्द्रचन्द्रिका
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता? उत्तर – देवी सरस्वती सुर, कला तथा ज्ञान की देवी हैं। इस संसार में सबके गले में वह विराजती है। इस संसार में ज्ञान का अथाह भंडार उनकी ही कृपा से उत्पन्न हुआ है। उनकी महत्ता को व्यक्त करना किसी के भी वश में नहीं है क्योंकि उनकी महत्ता को शब्दों का जामा पहनाकर उसे बांधा नहीं जा सकता है। सदियों से कई विद्वानों ने सरस्वती की महिमा को व्यक्त करना चाहता है परन्तु वे उसमें पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाए हैं। जितना भी उसे व्यक्त करने का प्रयास किया गया, उतना ही कम प्रतीत होता है। उनमें अभी इतना बल नहीं है कि वह सरस्वती की महिमा को समझ पाएँ। अतः उनकी उदारता का गुणगान मनुष्य के वश में नहीं है। |
प्रश्न 2. चारमुख, पाँचमुख और षटमुख किन्हें कहा गया है और उनका देवी सरस्वती से क्या संबंध है? उत्तर – कवि ‘चारमुख’ ब्रह्मा के लिए, ‘पाँचमुख’ शिव के लिए तथा ‘षटमुख’ कार्तिकेय के लिए कहा है। ब्रह्मा को सरस्वती का पति कहा गया है। शिव को उनका पुत्र कहा है तथा शिव पुत्र कार्तिकेय को उनका नाती कहा गया है। |
प्रश्न 3. कविता में पंचवटी के किन गुणों का उल्लेख किया गया है? उत्तर – कविता में पंचवटी के निम्नलिखित गुणों का उल्लेख किया गया है-
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प्रश्न 4. तीसरे छंद में संकेतित कथाएँ अपने शब्दों में लिखिए? (क) सिंधु तर्यो उनका बनरा – इस पंक्ति में हनुमान द्वारा समुद्र लांघ कर आने की बात कही गई है। जब सीता की तलाश में हनुमान का वानर दल समुद्र किनारे आ पहुँचा तो, सभी वानर चिंतित हो गए। किसी भी वानर में इतना सामर्थ नहीं था कि समुद्र को लाँघ सके। जांमवत जी से प्रेरणा पाकर हुनमान जी समुद्र पार करके लंका पहुँच गए। मंदोदरी ने यहाँ उसी का उल्लेख किया है। (ख) धनुरेख गई न तरी – इस पंक्ति में सीता द्वारा रावण का हरण करने की बात कही गई है। स्वर्ण हिरण को देखकर सीता ने राम से उसे पाने की इच्छा जाहिर की। सीता की इच्छा को पूरा करने हेतु राम लक्ष्मण की निगरानी में सीता को छोड़कर हिरण के पीछे चल पड़े। कुटी में सीता और लक्ष्मण को राम का दुखी स्वर सुनाई दिया। लक्ष्मण ने उस मायावी आवाज़ को पहचान लिया। परन्तु सीता द्वारा लांछन लगाए जाने पर उन्हें विवश होकर जाने के लिए तैयार होना पड़ा। वह सीता को लक्ष्मण रेखा के अंदर सुरक्षित करके राम की सहायता के लिए चले गए। रावण ने सीता को अकेली पाकर ऋषि रूप में उसका हरण करना चाहा परन्तु लक्ष्मण की खींची रेखा की प्रबल शक्ति के कारण वह उसे पार नहीं कर पाया। रावण एक शक्तिशाली राक्षस था। उसने सभी देवताओं को अपने घर में कैद किया हुआ था। परन्तु वह उस रेखा को पार न कर सका। आखिर सीता को धर्म तथा परंपराओं का हवाला देकर रेखा को पार करने के लिए विवश किया। जैसे ही सीता ने उसे पार किया रावण ने उसका बलपूर्वक हरण कर लिया। (ग) बाँधोई बाँधत सो न बन्यो – जब हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया तो उन्होंने बहुत उत्पात मचाया। उनको बलशाली राक्षस तक नहीं बाँध पाए। रावण का पुत्र अक्षत इसी समय हनुमान के हाथों मारा गया। (घ) उन बारिधि बाँधिकै बाट करी – इस पंक्ति में पत्थरों को बाँधकर लंका आने की बात की गयी है। सीता का पता लग जाने पर राम-लक्ष्मण और सग्रीव सभी वानर सेना सहित समुद्र किनारे आ गए। सुमद्र से जब लंका तक जाने का मार्ग माँगा गया, तो समुद्र इसमें अपनी असमर्थता जताई। तब समुद्र द्वारा बताए गए उपाय से नल तथा नील ने समुद्र के ऊपर सौ योजन लंबा सेतू का निर्माण किया। रावण ने सोचा था कि कोई भी उसकी लंका तक नहीं पहुँच पाएगा। परन्तु राम तथा उनकी सेना ने इस असंभव कार्य को संभव कर दिखाया। मंदोदरी इसी बात का उल्लेख करती है। (ङ) तेलनि तूलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराइ-जरी – प्रस्तुत पंक्तियों में उस समय का वर्णन किया गया है, जब अशोक वाटिका में सीता से मिलने के बाद हनुमान जी ने वहाँ कोहराम मचा दिया था। हनुमान जी को पकड़कर सज़ा के तौर पर उनकी पूंछ में रावण ने आग लगवा दी। हनुमान ने उसी जलती पूंछ के सहारे पूरी लंका को स्वाहा कर दिया और रावण कुछ न कर सका। कहा जाता है, सोने से बनी लंका का सारा सोना अग्नि की तपन के कारण सागर में जा मिला। इस तरह मंदोदरी रावण का सत्य से परिचय करना चाहती है। परन्तु हतबुद्धि रावण उसकी बात को समझने से इनंकार कर देता है। |
प्रश्न 5. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। (ख) प्रस्तुत पंक्तियों में पंचवटी स्थान की सुंदरता का वर्णन किया गया है। कवि ने लोक सीमा से परे जाकर इसकी सुंदरता का वर्णन किया है। उसने पंचवटी की शोभा की तुलना शिव के समान की है। ब्रज का बहुत ही सुंदर प्रयोग किया है। भाषा में गेयता का गुण विद्यमान है। ‘टी’ शब्द का प्रयोग काव्यांश में बहुत सुंदर चमत्कार उत्पन्न कर रहा है। ‘मुक्ति नटी’ रूपक अलंकार का बड़ा अच्छा उदाहरण है। ‘जटी’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है परन्तु दोनों बार इसके अलग अर्थ भिन्न हैं। अतः यह यमक का उदाहरण है। (ग) प्रस्तुत पंक्तियों में मंदोदरी रावण को आइना दिखाते हुए व्यंग्य कसती है। उसके अनुसार जिस राम के अनुचर बंदर ने विशाल सागर को पार कर दिया और जिसके भाई की खींची लक्ष्मण रेखा तुम पार नहीं कर सकते हो, वह सही मैं कितने शक्तिशाली होंगे। ब्रज का बहुत सुंदर ढंग से प्रयोग किया गया है। व्यंजना शब्द का कवि ने सटीक प्रयोग किया है। गेयता का गुण विद्यमान है। (घ) प्रस्तुत पंक्तियों में मंदोदरी ने हनुमान की शक्ति से परिचय कराया है। ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग है। गेयता का गुण विद्यमान है। ‘त’ तथा ‘ज’ शब्दों के द्वारा काव्यांश में बहुत सुंदर चमत्कार उत्पन्न किया गया है। यह अनुप्रास अलंकार का सुंदर उदाहरण है। ‘जरी’ ‘जरी’ यमक अलंकार का उदाहरण है। |
प्रश्न 6. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए। (ख) प्रस्तुत पंक्तियों में पंचवटी के सौंदर्य तथा पवित्रता का वर्णन देखने को मिलता है। कवि के अनुसार पंचवटी के दर्शन मात्र से ही घोर पापों के बंधनों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इसके अंदर ज्ञान के भंडार भरे पड़े हैं, यहाँ जाकर इसका आभास हो जाता है। पंचवटी पापों को मिटाने तथा पुण्यों को बढ़ाने में सक्षम है। |
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1. केशवदास की ‘रामचंद्रचंद्रिका’ से यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरणों का संकलन कीजिए। • तेलनि तूलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराइ-जरी। • चहुँ ओरनि नाचति मुक्तिनटी गुन धूरजटी जटी पंचबटी। |
प्रश्न 2. पाठ में आए छंदों का गायन कर कक्षा में सुनाइए। उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करे। |
प्रश्न 3. केशवदास ‘कठिन काव्य के प्रेत हैं’ इस विषय पर वाद-विवाद कीजिए। उत्तर – केशवदास संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। वह यदि आचार्य थे, तो वहीं एक साहित्यकार तथा कवि भी थे। उनकी रचनाओं में इसका समन्वय सर्वत्र दिखाता है। संस्कृत के विद्वान होने के कारण उनकी रचनाओं में संस्कृत शब्दों का प्रयोग बहुत अधिक हुआ है। इससे उनका संस्कृत प्रेम अभिलक्षित होता है। उन्होंने ब्रज में अपनी रचनाएँ लिखी हैं। ब्रज में तत्सम शब्दों के प्रयोग के साथ-साथ उसकी विभक्तियों का भी उन्होंने मुक्त रूप से प्रयोग किया है। उनकी ब्रजभाषा शुद्ध तथा साहित्यिक थी। अलंकारों से उन्हें इतना प्रेम था कि उनकी रचनाओं में चमत्कार तो उत्पन्न हो जाता था परन्तु भाव दब जाता था। इन सभी गुणों के कारण उनके काव्य की शब्द रचना कठिन थी। उनके काव्य साधारण जन से दूर होने लगे और केशवदास कठिन काव्य के प्रेत कहलाए। |
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 10 रामचन्द्रचन्द्रिका
NCERT Solutions Class 12th हिंदी All Chapters अंतरा
काव्य खंड
- Chapter – 1 जयशंकर प्रसाद
- Chapter – 2 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- Chapter – 3 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
- Chapter – 4 केदारनाथ सिंह
- Chapter – 5 विष्णु खरे
- Chapter – 6 रघुवीर सहाय
- Chapter – 7 तुलसीदास
- Chapter – 8 बारहमासा
- Chapter – 9 पद
- Chapter – 10 रामचंद्रचंद्रिका
- Chapter – 11 कवित्त / सवैया
गद्य खंड
- Chapter – 12 प्रेमघन की छाया – स्मृति
- Chapter – 13 सुमिरिनी के मनके
- Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा
- Chapter – 15 संवदिया
- Chapter – 16 गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
- Chapter – 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
- Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं
- Chapter – 19 यथास्मै रोचते विश्वम्
- Chapter – 20 दूसरा देवदास
- Chapter – 21 कुटज
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