NCERT Solutions Class 12th अर्थशास्त्र (Economics) (Part – 2) Chapter – 4 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and Economy) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 12th अर्थशास्त्र (Economics) (Part – 2) Chapter – 4 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and Economy)

TextbookNCERT
Class12th
Subjectअर्थशास्त्र (Economics)
Chapter4th
Chapter Nameसरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and Economy)
CategoryClass 12th Economics
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th अर्थशास्त्र (Economics) (Part – 2) Chapter – 4 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and Economy) Notes In Hindi जिसमें हम बजट के मुख्य उद्देश्य, बजट, प्राथमिक घाटा, राजस्व घाटे के प्रभाव, पूँजीगत प्राप्तियाँ, बजट प्राप्तियाँ, प्राथमिक घाटे के प्रभाव, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 12th अर्थशास्त्र (Economics) (Part – 2) Chapter – 4 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and Economy)

Chapter – 4

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

Notes

बजट – यह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित व्ययों एवं अनुमानित प्राप्तियों का वार्षिक वित्तिय विवरण है।
बजट के मुख्य उद्देश्य

(i) संसाधनों का पुन – आवंटन

(ii) आय व संपत्ति का पुनः वितरण
(iii) आर्थिक स्थिरता
(iv) सार्वजनिक उद्यमों का प्रबन्ध

बजट के घटक

(a) राजस्व बजट
(b) पूँजीगत बजट

राजस्व बजट सरकार के राजस्व प्राप्तियों तथा व्यय का विवरण है।

बजट को दो भागों में बाँटा जाता है।

1. बजट प्राप्तियाँ – इससे तात्पर्य एक वित्तीय वर्ष की अवधि में सरकार की सभी स्रोतों से अनुमानित मौद्रिक प्राप्तियों से है। बजट प्राप्तियों को निम्न दो उप-वर्गों में बाँटा जा सकता है- राजस्व प्राप्तियाँ तथा पूँजीगत प्राप्तियाँ।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

प्रत्यक्ष कर – प्रत्यक्ष कर वह कर है जो उसी व्यक्ति द्वारा दिया जाता है जिस पर वह कानूनी रूप है में लगाया जाता है। इस कर का भार अन्य व्यक्तियों पर नहीं टाला जा सकता। उदाहरण: आय कर, सम्पत्ति कर।

अप्रत्यक्ष कर – अप्रत्यक्ष कर वे कर है जो लगाए तो किसी एक व्यक्ति पर जाते है किंतु इनका आंशिक या पूर्ण रूप से भुगतान किसी अन्य व्यक्ति को करना पड़ता है। इस कर का भार अन्य व्यक्तियों पर टाला जा सकता है। उदाहरण बिक्री कर मूल्य वृद्धि कर (VAT), GST

राजस्व प्राप्तियाँ
1. ये सरकार की परिसम्पत्तियों को कम नहीं करती हैं।
2. ये सरकार के दायित्वों में वृद्धि नहीं करती है।
3. ये आवर्ती प्रकृति की होती है।

पूँजीगत प्राप्तियाँ
(i) से सरकार की परिसम्पत्तियों को कम देती है।
(ii) से सरमार के दायित्यों में वृद्धि करती है।
(iii) ये आवर्ती प्रकृति की नहीं होती

2. बजट व्यय –  इससे तात्पर्य एक वित्तीय वर्ष की अवधि में सरकार द्वारा विभिन्न मदों के ऊपर की जाने वाली आनुमानित व्यय से है। बजट व्यय को निम्न दो मुख्य उप वर्गों मे बाँटा जाता है, राजस्व व्यय तथा पूँजीगत व्यय।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

राजस्व व्यय
(i) ये सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि नहीं करते हैं।
(ii) ये सरकार दायित्वों में कोई कमी नहीं करते हैं। जैसे ब्याज का भुगतान, आर्थिक सहायता, कानून व्यवस्था बनाये रखने पर व्यय आदि।
(iii) ये आवर्ती प्रकृति के होते हैं।

पूँजीगत व्यय
(i) ये सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि करते हैं।
(ii) ये सरकार दायित्वों में कमी करते हैं। जैसे विद्यालय भवनों का निर्माण, पुराने ऋण का भुगतान, वित्तीय परिसम्पत्तियों का क्रय इत्यादि।
(iii) ये आवर्ती प्रकृति के नहीं होते।

राजस्व घाटा – जब सरकार के कुल राजस्व व्यय उसकी कुल राजस्व प्राप्तियों से अधिक हो।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ

राजस्व घाटे के प्रभाव 
(i) यह सरकार की भावी देनदारियों में वृद्धि करता है।
(ii) यह सरकार के अनावश्यक व्ययों की जानकारी देता है।
(iii) यह ऋणों के बोझ को बढ़ाता है।

राजकोषीय घाटा – कुल व्यय की उधार रहित कुल प्राप्तियों पर अधिकता।
राजकोषीय घाटा – कुल व्यय – उधार के बिना कुल बजट प्राप्तियाँ

राजकोषीय घाटे के प्रभाव
(i) यह मुद्रा स्फीति को बढ़ाता है।
(ii) देश ऋण – जाल में फंस जाता है।
(iii) यह देश के भावी विकास तथा प्रगति को कम करता है।

प्राथमिक घाटा – राजकोषीय घाटे में से ब्याज अदायगियों को घटाने से प्राथमिक घाटे का पता चलता है।

प्राथमिक घाटा – राजकोषीय घाटा – ब्याज अदायगियाँ

प्राथमिक घाटे के प्रभाव
1. इससे पता चलता है कि भूतपूर्व नीतियों का भावी पीढ़ी पर क्या भार पड़ेगा।
2. शून्य या प्राथमिक घाटे से अभिप्राय है कि सरकार पुराने ऋणों का ब्याज चुकाने के लिए उधार लेने को मजबूर है।
3. यह ब्याज अदायगियों रहित राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार की उधार जरूरतों को दर्शाता है।