NCERT Solutions Class 12th अर्थशास्त्र (Economics) (Part – 1) Chapter – 2 मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking)
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | अर्थशास्त्र (Economics) |
Chapter | 2nd |
Chapter Name | मुद्रा एवं बैंकिंग (Money and Banking) |
Category | Class 12th Economics |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th अर्थशास्त्र (Economics) (Part – 1) Chapter – 2 मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking) Notes In Hindi – हम इस अध्याय में मुद्रा और बैंकिंग, मुद्रा की पूर्ति, केंद्रीय बैंक, मांग जमाएं, बैंको का बैंक रिवर्स रेपो, वैधानिक तरलता अनुपात, केंद्रीय बैंक के कार्य (भारतीय रिजर्व बैंक का उदाहरण), बैंक दर, खुले बाजार की क्रियाएँ आदि इसके बारे में विस्तार पढ़ेंगे
NCERT Solutions Class 12th अर्थशास्त्र (Economics) (Part – 1) Chapter – 2 मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking)
Chapter – 2
मुद्रा और बैंकिंग
Notes
मुद्रा – मुद्रा वह वस्तु है जो आम तौर पर विनिमय के माध्यम मूल्य की माप मूल्य का संचय और स्थागित भुगतान के मानक के रूप में स्वीकार किया जाता है। RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) की आधिकारिक परिभाषा के अनुसार “मुद्रा को उन तरल वित्तीय परिसंपत्तियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो समग्र आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव डाल सकती है।” |
मुद्रा की पूर्ति – किसी समय बिंदु पर अर्थव्यवस्था में उपलब्ध कुल मुद्रा की मात्रा ही मुद्रा की पूर्ति कहलाती है। मुद्रा की पूर्ति को मुद्रा स्टॉक के रूप में भी जाना जाता है। यह अर्थव्यवस्था का स्टॉक चर है ” मुद्रा की आपूर्ति” को मापने के कई तरीके हैं, परन्तु मानक रूप में इसके अंतर्गत सामान्यतः, प्रचलन में करेंसी और मांग जमाओं को सम्मिलित जाता है। मुद्रा पूर्ति = C + DD जहाँ ‘C’ प्रचलन में करेंसी या जनता के पास करेंसी और ‘DD’ मांग जमाओं को दर्शाता है। दोनों को RBI द्वार नियंत्रित और विनियमित किया जाता है। |
प्रचलन में करेंसी – प्रचलन में करेंसी के अंतर्गत उन सभी सिक्को नोटों (सरकारी नोट और बैंक नोट, दोनों) हुंडी, बिल आदि को सम्मिलित किया जाता है, जो अर्थव्यवस्था में प्रचलन में बने रहते हैं। |
मांग जमाएं – ये ऐसी धनराशियां है, जो वाणिज्यिक बैंकों के चेक द्वारा निकाले जा सकने वाले खातों में जमा होती हैं। इन्हें मांग जमाएं इसलिए कहा जाता है क्योंकि बैंकिंग संस्था को चेक देने या डेबिट कार्ड (ATM) का उपभोग करने पर जमाकर्ता को उसकी मांग के अनुरूप धनराशि उसे देना पड़ता है। इन्हे चेक योग्य जमाएं भी कहते हैं। |
मुद्रा निर्माण (साख सृजन) – मुद्रा निर्माण, वाणिज्यिक बैंकों की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है। मुद्रा निर्माण की प्रक्रिया के द्वारा वाणिज्यिक बैंक इतनी अधिक मात्रा में साख सृजन करने में सफल हो जाते हैं, जो कि प्रारम्भिक जमाओं से कई गुणा अधिक है। |
केंद्रीय बैंक – केन्द्रीय बैंक वह सर्वोच्च वित्तीय संस्था है जो राष्ट्र की मौद्रिक प्रणाली और नीति की देखरेख तथा मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए उत्तरदायी है। भारतीय रिजर्व बैंक RBI भारत का केद्रीय बैंक है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 में हुई थी। 1 जनवरी 1949 को RBI का राष्ट्रीयकरण किया गया था। केद्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य |
केंद्रीय बैंक के कार्य (भारतीय रिजर्व बैंक का उदाहरण) करेंसी के नोट निर्गमन करने वाला बैंक – भारतीय रिजर्व बैंक के देश में करेंसी या नोट छापने जारी करने तथा इनके प्रचलन में लाने का एकाधिकार है। एक रुपये के नोट (जो कि वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।) को छोड़कर विभिन्न मूल्यवर्ग के मुद्रा नोट जारी करने का एकमात्र अधिकार है। भारतीय रिजर्व बैंक ने करेंसी नोट जारी करने या छापने के लिए न्यूनतम कोष प्रणाली को अपनाया है। 1957 के बाद से यह कुल 200 करोड़ रुपये के स्वर्ण भंडार और विदेशी मुद्रा भांडार को बनाए रखते हुए आवश्यकतानुसार मुद्रा करेंसी जारी कर सकता है। जिनमें से कम से कम रु. 115 करोड़ का स्वर्ण तथा शेष रुपये 85 करोड़ के विदेशी मुद्र /विदेशी मुद्रा भंडार और विदेशी प्रतिभूतियों के रूप में होना अनिवार्य है । सरकार का बैंक या बैंक – भारतीय रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य भारत सरकार और राज्यों के बैंकर, एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करना है। यह राज्य और केंद्र सरकार के सभी बैंकिंग कार्य करता है और यह आर्थिक और मौद्रिक नीति से संबंधित मामलों पर सरकार को उपयोगी सलाह देता है। यह सरकार के सार्वजनिक ऋण का प्रबंधन भी करता है । बैंको का बैंक – भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों के लिए भी वही कार्य करता है जैसा कि अन्य बैंक अपने ग्राहकों के लिए करते हैं। RBI देश के सभी वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है और उनकी जमाये स्वीकार करता है। |
साख नियंत्रण के उपकरण रेपो दर – वह ब्याज दर जिस पर केन्द्रीय बैंक वैधानिक तरलता अनुपात की प्रतिभूतियों के अतिरिक्त शेष प्रतिभूति पर पुनर्क्रय प्रस्ताव के बदले व्यायसायिक बैंकों को अल्पकाल के लिए ऋण प्रदान करता है, रेपो दर कहलाता है। रिवर्स रेपो दर – वह दर जिस पर व्यावसायिक बैंक केन्द्रीय बैंक के पास अपना अतिरिक्त फंड जमा करके केन्द्रीय बैंक से सरकारी प्रतिभूति के पुनर्विक्रय प्रस्ताव के तहत प्रतिभूति क्रय करते है। वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) – SLR से अभिप्राय वाणिज्यिक बैंकों की तरल परिसंपत्तियों से है उन्हें अपनी कुल जमाओं के न्यूनतम प्रतिशत के रूप में अपने पास रखने की आवश्यकता होती हैं। नकद आरक्षित अनुपात (CRR) – प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को अपने पास कुल जमा राशियों का एक न्यूनतम अनुपात केन्द्रीय बैंक के पास कानूनन जमा करना होता है। इसे नकद आरक्षित अनुपात कहत है। खुले बाजार की क्रियाएँ: (Open Market Operations) – देश के केंद्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) द्वारा खुले बाजार में प्रतिभूतियों (Securities) के खरीदने अथवा बेचने से संबंधित क्रिया को खुले बाजार की क्रिया कहते हैं। जब रिजर्व बैंक (केन्द्रीय बैंक) बाजार में प्रतिभूतियों को बेचना प्रारंभ करता है तो वाणिज्य बैंकों के नकदी कोषों में कमी आ जाती है, इसके परिणामस्वरूप बैंकों की साख निर्माण क्षमता घट जाती है। इस प्रकार, प्रतिभूतियों की बिक्री साख की उपलब्धता को कम कर देती है। बैंक दर (Bank Rate) – जिम दर पर देश का केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को दीर्घ कालीन ऋण देता है। |
NCERT Solution Class 12th समष्टि अर्थशास्त्र (भाग – 1) Notes In Hindi