NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन Notes

NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन

TextbookNCERT
Class 12th
Subject Hindi
Chapter Nameविभिन्न माध्यमों के लिए लेखन
CategoryClass 12th Hindi अभिव्यक्ति और माध्यम
Medium Hindi
SourceLast Doubt

Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन Notes, इस अध्याय में हम विभिन्न जनसंचार माध्यमों के लिए लेखन के कौन कौन से तरीके हैं?, माध्यम पर लेख कैसे लिखते हैं?, माध्यम लेखन क्या है?, माध्यम उपयोगी लेखन कितने प्रकार के होते हैं?, लेख कैसे लिखा जाता है?, निबंध में सबसे पहले क्या लिखना चाहिए?, लेख लेखन कितने प्रकार के होते हैं?, एक अच्छे लेख के गुण क्या हैं?, इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन

विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन

Notes

संचार के माध्यम – जनसमाज द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले जन संचार के अनेक माध्यम हैं जैसे – मुद्रित (प्रिंट), रेडियो, टेलीविजन एवं इंटरनेट। मुद्रित अर्थात् समाचार पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने के लिए, रेडियो सुनने के लिए, टी.वी. देखने व सुनने के लिए तथा इंटरनेट पढ़ने, सुनने व देखने के लिए प्रयुक्त होते हैं। अखबार पढ़ने के लिए है, रेडियो सुनने के लिए है और टी० वी० देखने के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। किन्तु इंटरनेट पर पढ़ने देखने और सुनने, तीनों की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
मुद्रित (प्रिंट) माध्यम – जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में मुद्रित (प्रिंट) माध्यम सबसे पुराना, माध्यम है जिसके अंतर्गत समाचार पत्र, पत्रिकाएँ आती हैं। मुद्रण का प्रारंभ चीन में हुआ। तत्पश्चात् जर्मनी के गुटेनबर्ग ने छापाखाना की खोज की। भारत में सन् 1556 में, गोवा में पहला छापाखाना खुला जिसका प्रयोग मिशनरियों ने धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए किया था। आज मुद्रण कंप्यूटर की सहायता से होता है।

मुद्रित माध्यम (प्रिंट माध्यम) की विशेषताएं

  1. लिखे हुए शब्द स्थायी होते हैं। इन लिखे हुए शब्दों को हम एक बार समझ न आने पर कई बार पढ़ सकते हैं।
  2. जटिल शब्द आने पर शब्दकोश का प्रयोग भी कर सकते हैं।
  3. किसी भी खबर को अपनी रूचि के अनुसार पहले अथवा बाद में पढ़ सकते हैं।
  4. किसी भी सामग्री को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।

मुद्रित माध्यम (प्रिंट माध्यम) की कमियां

  1. इसमें सीमित स्थान होता है।
  2. निरक्षर अर्थात् अनपढ़ लोगों के लिए प्रिंट माध्यम किसी काम का नहीं है।
  3. इस माध्यम द्वारा हम तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते।
  4. आय के विशेष स्त्रोत न होने के कारण प्रिंट माध्यम को विज्ञापन कर्त्ताओं को अहम भूमिका देनी पड़ती है।
  5. अशुद्धियाँ हों तो छपने के बाद उन्हें दूर नहीं किया जा सकता।

रेडियो की विशेषताएं

  1. रेडियो जनसंचार का श्रव्य माध्यम है जिसमें ध्वनि, शब्द और स्वर ही प्रमुख है।
  2. रेडियो समाचार की संरचना समाचार पत्रों तथा टी.वी. की तरह उल्टा पिरामिट शैली पर आधारित होती है।
  3. यह सस्ता माध्यम है।
  4. निरक्षर व पढ़े लिखे सभी इसका आनंद ले सकते हैं।
  5. इसके माध्यम से दूरदराज के कार्यक्रम भी आसानी से सुने जा सकते हैं।
रेडियो की कमियां

  1. एक रेखीय माध्यम की तरह पीछे नहीं लौट सकते।
  2. कई बार रेडियो कार्यक्रमों एवं समाचार बुलेटिनों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
  3. रेडियो में अधिक लंबे कार्यक्रम नहीं सुना सकते क्योंकि वे उबाऊ हो जाते हैं।
  4. इसमें बोलचाल की भाषा के प्रयोग से भाषा के विस्तार व विकास की संभावना नहीं रहती।
  5. इस माध्यम में श्रोताओं को बाँधकर रखना काफी कठिन है।
टेलीविज़न की विशेषताएं

  1. विश्व की घटनाओं को घर बैठे सीधे (लाइव) देख सकते हैं।
  2. यह मनोरंजन व ज्ञानवर्धन का उत्तम साधन है।
  3. टी.वी. की खबरों से जीवंतता का एहसास होता है।
  4. इसमें देखने व सुनने का आनंद एक साथ लिया जा सकता है।
  5. इसके माध्यम से साक्षर व निरक्षर दोनों तरह के लोग कार्यक्रम देख व सुन सकते हैं।

टेलीविज़न की कमियां

  1. इसमें समय की सीमा होती है। यह भी एक रेखीय माध्यम है।
  2. टी.वी. कार्यक्रमों में दर्शकों को बाँधे रखना कठिन कार्य है।
  3. इसमें दृश्य श्रव्य (विजुअल व शब्द वाइट्स) में संतुलन बनाना बहुत कठिन है।
  4. इसमें सैक्स, हिंसा व रोमांस को प्रोत्साहन मिलता है और भाषा के विस्तार की भी संभावना कम रहती है।
  5. टी. वी. माधयम में लाभ को ध्यान में रखकर तैयार किए गए कार्यक्रम विशेष दर्शक वर्ग के लिए होते हैं। अतः ये टाइप्ड हो जाते हैं।

टी.वी. खबरों के प्रमुख चरण – प्रिंट अथवा रेडियो की भांति टी.वी. चैनल समाचार देने का मूल आधार सूचना देना है। टी.वी. में ये सूचनाएँ इन चरणों से होकर गुजरती हैं-

1. फ्लैश (ब्रेकिंग न्यूज) 2. ड्राई एंकर, 3. फोन इन 4. एंकर विजुअल, 5. एंकर- बाइट, 6. लाइव, 7. एंकर पैकेज।

विशेषताएँ – देखने व सुनने की सुविधा, जीवंतता तुरन्त घटी घटनाओं की जानकारी, प्रभावशाली, समाचारों का लगातार प्रसारण।

कमियाँ – भाषा शैली के स्तर पर अत्यंत सावधानी, बाइट का ध्यान रखना आवश्यक है, कार्यक्रम का सीधा प्रसारण कभी-कभी सामाजिक उत्तेजना को जन्म दे सकता है, अपरिपक्व बुद्धि पर सीधा प्रभाव।

रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा

  1. भाषा के स्तर व गरिमा को बनाए रखते हुए सरल भाषा का प्रयोग करें
  2. वाक्य छोटे-छोटे तथा सरल हों,
  3. वाक्यों में तारतम्यता हो।
  4. जटिल शब्दों, सामासिक शब्दों एवं मुहावरों के अनावश्यक प्रयोग से बचें।
  5. जटिल और उच्चारण में कठिन शब्द, अंक आदि नहीं लिखने चाहिए जिन्हें पढ़ने में जबान लड़खड़ा जाए।

इंटरनेट की विशेषताएं

  1. दृश्य व प्रिंट दोनों माध्यमों का लाभ मिलता है। 
  2. इंटरनेट के द्वारा बटन दबाते ही सूचनाओं का विशाल भंडार प्राप्त होता है।
  3. यह संवादों के आदान-प्रदान व चैटिंग का सस्ता स्त्रोत है।
  4. खबरें बड़ी तीव्र गति से पहुँचाई जाती है।
  5. इंटरनेट के द्वारा खबरों का संप्रेषण पुष्टि, सत्यापन व बैकग्राउंड तुरंत होता है।

इंटरनेट की कमियां

  1. इसमें समय सीमा न होने के कारण लोग दूसरे कार्यों से कटते जा रहे हैं।
  2. गरीबों तथा अनपढ़ों के लिए इंटरनेट किसी काम का नहीं। इसे चलाने के लिए धन व कौशल की आवश्यकता होती है।
  3. नयी पीढ़ी में स्वयं को हर समय अपडेट रखने की लत लगने के बुरे परिणाम सामने आ रहे हैं।
  4. यह अश्लीलता, दुष्प्रचार और गंदगी फैलाने का माध्यम है।
  5. इंटरनेट को केवल एक औजार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

उल्टा पिरामिड शैली – उल्टा पिरामिट शैली में समाचार पत्र के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य को सर्वप्रथम लिखा जाता है। उसके बाद घटते हुए महत्व क्रम में दूसरे तथ्यों या सूचनाओं को बताया जाता है अर्थात् कहानी की तरह क्लाइमैक्स (climax) अंत में नहीं बल्कि खबर के आरंभ में आ जाता है। इस शैली के अंतर्गत समाचारों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- इंट्रो, बॉडी, समापन।

1. इंट्रो – समाचार का मुख्य भाग
2. बॉडी – घटते क्रम में खबर का विस्तृत ब्यौरा।
3. समापन – अधिक महत्वपूर्ण न होने पर अथवा स्पेस न होने पर इसे काटकर छोटा भी किया जा सकता है।

उल्टा पिरामिड शैली लेखन के कुछ उदहारण

1. कॉफी हाउस में गोली चलने से हड़कंप

1. इन्ट्रो – कनॉट प्लेस इलाके में स्थित एक कॉफी हाउस में गुरुवार दोपहर अचानक गोली चलने से हड़कंप मच गया। हालांकि, घटना में कोई हताहत नही हुआ। पुलिस मौके पर पहुंच गई और जांच आरंभ की तो यह पता चला कि गलती से पिस्टल गिर जाने से दुर्घटनावश गोली चली थी।

2. बॉडी – जानकारी के अनुसार, कनॉट प्लेस के एन ब्लॉक में स्टार बक्स के नाम से एक कॉफी हाउस है। यहां गुरुवार दोपहर टैगोर पार्क मॉडल टाउन निवासी 61 वर्षीय अनिल कुमार बैठे थे। उन्होंने अपने साथ एक लाइसेंसी रिवाल्वर 32 एमके फील्ड गन रखी थी। गुरुवार को वह अपने दो दोस्तों के साथ इस कॉफी होम में मीटिंग कि लिए आए था। करीब दो घंटे से सभी वहां बैठे हुए थे। इस दौरान वह जैसे ही खड़े हुए कि उनकी पैंट की जेब से पिस्टल गिर गई और गोली चल गई। गनीमत यह रही कि इस घटना में कोई जख्मी नहीं हुआ। मामले की जांच नहीं हुई। मामले की जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने कहा घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे तो लगे हुए हैं, लेकिन आरोपी के खड़े होने की वजह से घटना की तस्वीरें कैमरे में कैद नही हो सकी।

3. समापन – पुलिस ने मौके से पिस्टल, पांच राउंड गोली और एक चली हुई गोली का खाली कारतूस बरामद किया है। जांच आगे बढ़ी तो यह खुलासा हुआ कि यह लाइसेंसी पिस्टल है, जो अनिल कुमार के नाम पर जारी की गई है। लेकिन, इस लाइसेंस की वैद्यता बीते साल 26 अक्तूबर को ही खत्म हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। जांच में जुटी पुलिस अब उससे पूछताछ कर पूरे घटनाक्रम को समझने का प्रयास कर रही है।

2. यौन उत्पीड़न से निपटने को शिक्षा विभाग तैयार

1. इन्ट्रो – दिल्ली के शिक्षा विभाग ने कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर हाईटेक तकनीक अपनाया है। विभाग ने सरकारी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल तैयार किया है। इसके जरिये महिलाएं शिकायत दर्ज कर सकेंगी।

2. बॉडी – शिक्षा निदेशालय ने सर्कुलर में कहा है कि कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न कानून 2013 के तहत स्कूलों में हर स्तर पर आंतरिक शिकायत समिति गठित की जा चुकी है। निदेशालय ने कहा कि अब विभाग की ओर से शिकायतों के लिए आईसीसी का ऑनलाइन मॉड्यूल तैयार किया गया है। निदेशालय ने इसकी शुरूआत कर दी है।

3. समापन – अब Edudel.Nic.In पर जाकर शिकायतकर्ता कंपलेंट अंगेस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस के पोर्टल पर जाकर शिकायत कर सकेंगे।

समाचार लेखन की बुनियादी बातें – साफ सुथरी टाइप्ड कॉपी, ट्रिपल स्पेस में टाइप करते हुए दोनों ओर हाशिया छोड़ें, एक पंक्ति में 12-13 शब्दों से अधिक न हों, पंक्ति के अंत में विभाजित शब्द का प्रयोग न करें। समाचार कॉपी में जटिल शब्द एवं संक्षिप्ताक्षर का प्रयोग न करें। लंबे अंकों को तथा दिनांक को शब्दों में लिखें। निम्नलिखित क्रमांक, अधोहस्ताक्षरित किंतु, लेकिन, उपर्युक्त, पूर्वोक्त जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वर्तनी पर विशेष ध्यान दें। समाचार लेखन की भाषा को प्रभावी बनाने के लिए आम बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग करें।

नए और मुख्य जानकारियां 

इस समय विश्व स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का तीसरा दौर चल रहा है जबकि भारत में दूसरा दौर। भारत के लिए प्रथम दौर 1993 से प्रारंभ माना जाता है और दूसरा दौर 2003 से प्रारंभ हुआ है।

भारत में सच्चे अर्थों में यदि कोई वेब पत्रकारिता कर रहा है तो वह ‘रीडिफ डॉटकॉम’,‘इंडिया इंफोलाइन’ तथा ‘सीफी’ जैसी कुछ साइटें हैं। रीडिफ को भारत की पहली साइट कहा जा सकता है। वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता करने का श्रेय ‘तहलका डॉटकॉम’ को जाता है।

हिन्दी वेब जगत में आज अनेक साहित्यिक पत्रिकाएँ चल रही हैं। कुल मिलाकर हिन्दी की वेब पत्रकारिता अभी अपने शैशवकाल में ही हैं। सबसे बड़ी समस्या हिन्दी के फौंट की है। अभी भी हमारे पास हिन्दी का कोई की-बोर्ड (Key Board) नहीं है। जब तक हिन्दी के की-बोर्ड का मानकीकरण नहीं हो जाता तब तक इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता।

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