NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 3 सामाजिक संस्थाओं को समझना (Understanding Social Institutions) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 3 सामाजिक संस्थाओं को समझना (Understanding Social Institutions)

TextbookNCERT
class11th
SubjectSociology
Chapter3rd
Chapter Nameसामाजिक संस्थाओं को समझना
CategoryClass 11th Sociology
Medium Hindi
NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 3 सामाजिक संस्थाओं को समझना (Understanding Social Institutions) Notes In Hindi समाजशास्त्र की बहन कौन है?, समाजशास्त्र के पिता और माता कौन है?, भारतीय समाजशास्त्र की जननी कौन है?, प्रथम महिला समाजशास्त्री किसे कहा जाता है?, भारतीय समाजशास्त्र के रूप में किसे जाना जाता है?, समाजशास्त्र एमसीक्यू के जनक कौन है?, प्रथम भारतीय समाजशास्त्री कौन थे?, समाजशास्त्र में अंबेडकर कौन है?, भारत में समाजशास्त्र का जन्म कब हुआ था?, समाजशास्त्र को इसका नाम किसने दिया?, समाजशास्त्र का जन्म कब हुआ था?

NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 3 सामाजिक संस्थाओं को समझना (Understanding Social Institutions)

सामाजिक संस्थाओं को समझना

Chapter – 3

Notes

सामाजिक संस्थाओं – सामाजिक संस्थाओं को सामाजिक मानकों, आस्थाओं, मूल्यों और समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निर्मित संबंधों की भूमिका के जटिल ताने-बाने के रूप में देखा जाता है।
महत्वपूर्ण सामाजिक संस्थाए हैं

अनौपचारिक
  • परिवार
  • विवाह
  • नातेदारी
औपचारिक
  • कानून
  • शिक्षा
संस्था उसे कहा जाता है जो स्थापित या कम से कम कानून या प्रथा द्वारा स्वीकृत नियमों के अनुसार कार्य करती है और उसके नियमित तथा निरंतर कार्यचालन को इन नियमों को काम जाने बिना समझा नहीं जा सकता। संस्थाएँ व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाती हैं, साथ ही ये व्यक्तियों को अवसर भी प्रदान करती हैं। सामाजिक संस्थाएँ सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए विद्यमान होती हैं।

मूल परिवार को औद्योगिक समाज की आवश्यकताएँ पूरी करने वाली एक सर्वोत्तम साधन संपन्न इकाई के रूप में देखा जाता है। ऐसे परिवार में घर का एक सदस्य घर से बाहर कार्य करता है और दूसरा सदस्य घर व बच्चों की देखभाल करता है।
विभिन्न समाजों में परिवार के विभिन्न स्वरूप पाए जाते हैं-
1. आवास / स्थान के आधार पर
  • पितृस्थानिक
  • मातृस्थानिक
2. अधिकार और प्रभाव के आधार पर
  • पितृसत्तात्मक
  • मातृसत्तात्मक
3. वंश के आधार पर
  • पितृवंशीय
  • मातृवंशीय
जन्म का परिवार और प्रजनन का परिवार।
एकल परिवार और संयुक्त परिवार।
परिवार के स्वरुपों में परिवर्तन
  • संयुक्त परिवारों का टूटना
  • पारिवारिक व्यवसायों में कमी
  • स्त्रियों का शिक्षित और आत्मनिर्भर होना
  • आर्थिक असुरक्षा के कारण देरी से विवाह या विवाह न करना
  • नगरों में संबंध विच्छेद व तलाक के मामलों का बढ़ना
महिला प्रधान घर / परिवार – जब पुरुष शहरी क्षेत्रों में चले जाते हैं तो महिलाओं को हल चलाना पड़ता है और खेती के कार्यो का प्रबंध करना पड़ता है। कई बार वे अपने परिवार की एकमात्र भरण-पोषण करने वाली बन जाती हैं। ऐसे परिवारों को “महिला- प्रधान घर” कहा जाता है। उदाहरण- उत्तरी आंधप्रदेश में कोलम जनजाती समुदाय।
परिवार लिंगवादी होता है – आज भी यही विश्वास है कि लड़का वृद्धावस्था में अभिभावकों की सहायता करेगा और लड़की विवाह करके दूसरे घर चली जाएगीं इस तरह लड़कियों की उपेक्षा की जाती है। कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिलता है। 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार लड़को पर 927 लड़कियाँ हैं । समृद्ध राज्यों जैसे- पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हालात बहुत खराब हैं।

परिवार प्रत्यक्ष नातेदारी संबंधों से जुड़े संबंधों से जुड़ते व्यक्तियों का एक समूह है। नातेदारी बंधन व्यक्तियों के बीच के वह सूत्र होते हैं जो या तो विवाह के माध्यम से या वंश परम्परा के माध्यम से रक्त संबंधियों को जोड़ते हैं।

रक्त के माध्यम से बने नातेदारों को समरक्त नातेदार / रक्तमूलक नातेदार और विवाह के माध्यम से बने नातेदारों को वैवाहिक नातेदार/विवाहमूलक नातेदार कहते हैं।
विवाह संस्था – विवाह को दो वयस्क (स्त्री / पुरूष) व्यक्तियों के बीच लैगिक संबंधों की सामाजिक स्वीकृति और अनुमोदन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
विवाह के विभिन्न स्वरूप
  • एक विवाह – यह विवाह एक व्यक्ति को एक समय में एक ही साथी रखने तक अनुमति देता है
  • बहुविवाह – यह विवाह एक व्यक्ति को एक समय में एक से अधिक साथी रखने तक अनुमति देता है
  • बहु-पत्नी विवाह – एक पति की अनेक पत्नियाँ
  • बहु-पति विवाह – एक पत्नी के अनेक पति
  • अंतर्विवाह – इस विवाह में व्यक्ति उसी सांस्कृतिक समूह में विवाह करता है जिसका वह पहले से ही सदस्य है। उदाहरण – जाति।
  • बहिर्विवाह – इस विवाह में व्यक्ति अपने समूह से बाहर विवाह करता है। उदाहरण – गोत्र, जाति और नस्ल।
कार्य और आर्थिक जीवन – कार्य को शारीरिक और मानसिक परिश्रमों के द्वारा किए जाने वाले ऐसे सवैतनिक या अवैतनिक कार्यो के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जिनका उद्देश्य मानव की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करना है।
आधुनिक समाजों की अर्थव्यवस्था की अनेक महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं
  • अत्याधिक जटिल श्रम विभाजन
  • कार्य के स्थान में परिवर्तन
  • औद्योगिक प्रौद्योगिकी में विकास
  • पूँजीपति उद्योगपतियों के कारखाने
  • विशिष्ट कार्य के अनुसार वेतन
  • प्रबंधक द्वारा कार्यो का निरीक्षण
  • श्रमिक की उत्पादकता बढ़ाना और अनुशासन बनाए रखना
  • परस्पर अर्थव्यवस्था का असीमित विस्तार
कार्य रूपांतरण
  • औद्योगिक प्रक्रियाएँ सरल संक्रियाओं में विभाजित।
  • थोक उत्पादन के लिए थोक बाजारों की आवश्यकता।
  • उत्पादन की प्रक्रिया में नव परिवर्तन, स्वचालित उत्पादन की कड़ियों का निर्माण।
  • उदार उत्पादन और कार्य विकेंद्रीकरण।
राजनीति संस्थाओं का सरोकार समाज के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं ।
  • शक्ति – शक्ति व्यक्तियों या समूहों द्वारा दूसरों के विरोध करने के बावजूद अपनी इच्छा पूरी करने की योग्यता है।
  • सत्ता – शक्ति का उपयोग सत्ता के माध्यम से किया जाता है। सत्ता शक्ति का वह रूप है जिसे वैध होने के रूप में स्वीकार किया जाता है।
  • राज्यविहीन समाज ऐसा समाज जिसमें सरकार की औपचारिक संस्थाओं का अभाव हो।
  • राज्य की संकल्पना राज्य वहाँ विद्यमान होता है जहाँ सरकार का एक राजनीतिक तंत्र एक निश्चित क्षेत्र पर शासन करता है।
प्रभुसत्ता – प्रभुसत्ता का अभिप्राय एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र पर एक राज्य के अविवादित शासन से है।
नागरिकता के अधिकार
  • नागरिक अधिकार – भाषण और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार।
  • राजनीतिक अधिकार – चुनाव में शामिल होने का अधिकार।
  • सामाजिक अधिकार – स्वास्थ्य लाभ, समाज कल्याण, बेरोजगारी भत्ता और न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के अधिकारी।
धर्म – इमाइल दुर्खीम के अनुसार धर्म पवित्र वस्तुओं से संबंधित अनेक विश्वासों अनेक विश्वासों और व्यवहारों की एक ऐसी संगठित व्यवस्था है जो व्यक्तियों को एक नैतिक समुदाय की भावना में बाँधती है जो उसी प्रकार विश्वासों और व्यवहारों को अभिव्यक्त करते हैं।
सभी धर्मों की समान विशेषताएँ हैं

1. प्रतीको का समुच्चय, श्रद्धा या सम्मान की भावनाएँ
2. अनुष्ठान या समारोह
3. विश्वासकर्ताओं का एक समुदाय
4. धर्म के साथ संबद्ध अनुष्ठान प्रकार के होते हैं।
5. सामाजिक शक्तियाँ हमेशा और अनिवार्यतः धार्मिक संस्थाओं को प्रभावित करती हैं। धार्मिक अनुष्ठान प्रायः व्यक्तियों द्वारा अपने दैनिक जीवन में किए जाते है। धर्म एक पवित्र क्षेत्र है। जो बात सबमें समान है वह है श्रद्धा की भावना, पवित्र स्थानों या स्थितियों की पहचान और उनके प्रति सम्मान की भावना।
शिक्षा – शिक्षा सपूंर्ण जीवन चलने वाली प्रक्रिया है जिसमे सीखने की औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार की संस्थाएँ शामिल हैं-
  • शिक्षा स्तरीकरण के मुख्य अभिकर्ता के रूप में कार्य करती है।
  • सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर विभिन्न प्रकार के विद्यालयों में जाते हैं।
  • विद्यालयी शिक्षा, संभ्रांत और सामान्य के बीच विद्यमान भेद को और अधिक गहरा करती है।
  • विशेषाधिकार प्राप्त विद्यालयों में जाने वाले बच्चों में आत्मविश्वास आ जाता है जबकि इससे वंचित बच्चे इसके विपरीत भाव का अनुभव कर सकते हैं।
  • ऐसे और अनेक बच्चे है जो विद्यालय नहीं जा सकते या विद्यालय जाना बीच में ही छोड़ देते हैं।
  • लिंग और जातिगत भेदभाव किस तरह शिक्षा के अवसरों का अतिक्रमण करते हैं।
  • फसल के समय विद्यालय में अनुसूचित जाति एवं जनजाति से बच्चे नहीं आते हैं क्योंकि उनके माता-पिता बाहर काम करते हैं तो उन पर घर की जिम्मेदारी आ जाती है। इन समुदायों की लड़कियाँ कभी-कभार ही विद्यालय आती हैं क्योंकि वे विभिन्न प्रकार के घरेलू और आमदनी वाले कार्य करती हैं।
शिक्षा के प्रकार
  • औपचारिक शिक्षा – स्कूल, कालेज, शिक्षण संस्थान।
  • अनौपचारिक शिक्षा – घर, पड़ोस, पार्क, समाज।
  • नागरिक – उस सदस्यता से जुडे अधिकार और कर्तव्यों दोनों के साथ एक राजनैतिक समुदाय का एक सदस्य।
श्रम विभाजन
  • सभी समाजों में श्रम विभाजन का कुछ प्राथमिकता रूप है।
  • इसमें कार्यों की विशेषज्ञता शामिल है।
  • विभिन्न व्यवसायों को एक उत्पादन प्रणाली के भीतर संयुक्त किया जाता है।
  • औद्योगिकीकरण के विकास के साथ, श्रम का विभाजन किसी भी प्रकार के उत्पादन प्रणाली की तुलना में अधिक जटिल हो जाता है।
  • आधुनिक दुनिया में श्रम विभाजन का रूप अंतर्राष्ट्रीय है।
  • लिंग को समाज के बुनियादी सिद्धांत के रूप में देखा जाता है।
  • व्यवहार के बारे में सामाजिक अपेक्षाएं प्रत्येक लिंग के सदस्यों के लिए उचित मानी जाती है।
  • अनुभवजन्य जाचः सामाजिक अध्ययन के किसी दिए गए क्षेत्र में वास्तविक जांच की गई।
अंतः विवाह / अन्तर्विवाह – जब विवाह एक विशिष्ट जाति, वर्ग या आदिवासी समूह के भीतर होता है।
बाह्यविवाह – जब विवाह संबंध, संबंधों के एक निश्चित समूह के बाहर होता है।
विचारधाराः
  • साझा विचार या मान्यताएँ जो प्रमुख समूहों के हितों को न्यायसंगत साबित करने के लिए काम करते है ।
  • विचारधारा उन सभी समाजों में पाई जाती है। जिनमें समूहों के बीच व्यवस्थित और अंतनिर्हित असमानताएं होती हैं।
  • विचारधारा की अवधारणा शक्ति के साथ निकटता से जुड़ती है, क्योंकि वैचारिक प्रणाली समूह की भिन्न शक्ति को वैध बनाने के लिए काम करती है।
वैधता – एक विश्वास जिसमे एक विशेष राजनीतिक आदेश सिर्फ सत्ता से वैधता प्राप्त है।
एकलविवाह – जब एक समय में एक स्त्री / पुरुष का एक ही पति अथवा एक पत्नी होती है।
बहुविवाह – एक समय में एक स्त्री अथवा पुरूष के एक से अधिक पति / पत्नी पाए जाते हैं।
बहुपति विवाह – जब एक से अधिक व्यक्ति एक महिला से विवाहित हैं।
बहुपत्नी विवाह – जब एक व्यक्ति से एक से अधिक महिला विवाहित होती हैं।
सेवा क्षेत्र – व्यापार उद्योग जैसे विनिर्मित सामानों की बजाय सेवाओं के उत्पादन से संबंधित उद्योग।
राज्य समाज – एक समाज जिसमें सरकार का औपचारिक तंत्र है।

1 अंक वाले प्रश्न

1. उस परिवार की संरचना को पहचानें जहाँ पुरूष अधिकार और प्रभुत्व का प्रयोग करते हैं।

(क) पितृसत्ता
(ख) मातृ – सत्ता
(ग) बहुविवाह
(घ) पितृवंशीय

उत्तर – (क) पितृसत्ता
2. दो व्यक्यिों के बीच सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्वीकृत यौन सम्बंध के रूप में जाना जाता है:

(क) परिवार
(ख) शादी
(ग) नातेदारी
(घ) प्रसव

उत्तर – (ख) शादी
3. पुस्तक ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ किसने लिखा है?

(क) कार्ल मार्क्स
(ख) एंथनी गिडेंस
(ग) मैक्स वेबर
(घ) एमाइल दुर्खीम

उत्तर – (ग) मैक्स वैबर
4. शक्ति का वैध स्वरूप क्या है:

(क) सत्ता
(ख) राजनीतिक दल
(ग) लोक हितकारी दल
(घ) संप्रभुता

उत्तर – (क) सत्ता

खाली स्थान भरें :

1. ……. एक आदमी को एक निश्चित समय में केवल एक पति/पत्नी की अनुमति देता है।
उत्तर – एकल विवाह
2. अभिजात वर्ग और जनता के बीच मौजूदा विभाजन को …….. प्रणाली द्वारा तेज किया जाता है।
उत्तर – शिक्षा
3. विशेषाधिकार प्राप्त विद्यालयों में जाने वाले बच्चों में ……. आ जाता है।
उत्तर – आत्मविश्वास
4. समाजशास्त्री …………… टिप्पणी करते हैं कि स्वतंत्र भारत के बाद संयुक्त परिवार में लगातार वृद्धि हुई है।
उत्तर – ए. एम. शाह
5. ……… के नियम में एक व्यक्ति को सांस्कृतिक रूप से परिभाषित समूह के भीतर शादी करने की आवश्यकता है।
उत्तर – अंत विवाह

कथन को ठीक करें:

1. प्रकार्यवादियों के लिए, व्यक्तियों को एक समाज में समान रूप से नहीं रखा जाता है।
उत्तर – प्रकार्यवादियों के लिये व्यक्ति को एक समाज में समान रूप से रखा जाता है।
2. अंतर्विवाह, एक विवाह प्रथा जो विशिष्ट जाति, वर्ग या जनजातीय समूहों के अंतर्गत प्रचलित नही है।
उत्तर – अंत विवाह, एक विवाह प्रथा जो विशिष्ट जाति, वर्ग या जनजातीय समूहों के अर्न्तगत प्रचलित है।
3. बहुविवाह व्यक्ति को एक समय में एक पति या पत्नी को प्रतिबंधित करता है।
उत्तर – बहुविवाह में व्यक्ति को एक समय एक स्त्री अथवा पुरूष के एक से अधिक पति/पत्नी पाए जाते हैं।
4. शक्ति और प्राधिकरण अंतर – संबंधित अवधारणाएं नहीं हैं।
उत्तर – शक्ति और सत्ता परस्पर संबंधित अवधारणाएँ हैं।
5. बेटियों को परिवार के करीब रहने के लिए सुनिश्चित करने के लिए ग्राम बहिर्विवाह का अभ्यास किया जाता है।
उत्तर – बेटियों को परिवार से दूर रखने के लिए ग्राम बहिर्विवाह का अभ्यास किया जाता है।

सही/गलत :

1. बहुविवाह में व्यक्ति एक समय में एक जीवनसाथी से विवाह के लिए प्रतिबंधित होता है। (सही/गलत)
उत्तर – गलत
2. राज्यविहीन समाज में अनौपचारिक संस्थाओं का अभाव होता है। (सही/गलत)
उत्तर – गलत
3. विश्वासकर्ताओं का एक समुदाय धर्म की विशेषता नहीं है। (सही/गलत)
उत्तर – गलत
4. शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। (सही/गलत)
उत्तर – सही
5. प्रार्थना करना, जप करना, अनुष्ठान कृत्यों में शामिल है। (सही/गलत)
उत्तर – सही

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