NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter - 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society) Notes In Hindi
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NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society)

TextbookNCERT
class11th
SubjectSociology
Chapter1st
Chapter Nameसमाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society)
CategoryClass 11th Sociology
Medium Hindi
Sourcelast doubt
NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society) Notes In Hindi जिसमे हम समाज, समाज की प्रमुख विशेषताएँ, व्यक्ति और समाज में समबंध, समाजों में बहुलताएँ एंव असमानताएँ, समाजशास्त्र और मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, इतिहास में संबंध, पूँजीवाद, उपनिवेशवाद आदि को पड़ने वाले है।

NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाजशास्त्र परिचय) Chapter – 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society)

समाज – समाज एक व्यापक शब्द है जिसका अर्थ सामाजिक समूह या सिर्फ समूह होता है। समाजशास्त्रीयों के अध्ययन द्वारा यहाँ समझाया गया की समाज का वास्तविक अर्थ लोगों में पाए गए आपसी संबंधों के जाल से है यानी इसका अर्थ यह है की हर मनुष्य किसी ना किसी तरह से एक दूसरे से किसी न किसी रूप में बंधे होते हैं साथ ही यह सम्बन्ध अमूर्त (Abstract) संबंध होते हैं। (अमूर्त से अभिप्राय जिसे आप सिर्फ कल्पना अर्थात सोच सकते है और यह हमारा और आपका भाव होता है इन्हें छुआ या स्पर्श नहीं किया जा सकता है।) उसी तरह जैसे English Grammar में Abstract Noun होता है और इसी ही हम सभी आमतौर पर समाज के नाम से जानते है।

समाज का निर्माण समाज में मौजूद विश्वास, संस्कृति, संगठन से होता है और इसी सामाजिक संरचना के बीच एक मानव समूह भी होता है। जो एक-दूसरे के साथ एक जाल में रहता है अर्थात वह एक दूसरे से किसी ना किसी रूप से जुड़े होते हैं सामाजिक मान्यताओं के द्वारा समाज में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति जो खुद को सामाजिक बताता है वह सभी एक दूसरे के साथ मूल्यों, व्यवहारों और संस्कृति को साझा करता है।

समाज में लोगों के बीच विभिन्न प्रकार के सबंधो के जाल होते हैं। जैसे परिवार, मित्र, सम्बन्धी, पति-पत्नी, भाई-बहन, चाचा-चाची, सम्प्रदाय और समाज के अन्य सदस्य भी इन संबंधों के अंदर मौजूद होते हैं। समाज के व्यक्तियों का एक-दूसरे के साथ संबंध और संवाद उनके सामाजिक विकास और अनुकूलता को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

समाज विभिन्न स्तरों पर विभाजित हो सकता है, जैसे परिवार, समुदाय, नगर, नागरिकता और राष्ट्रीय समाज इत्यादिओ के माध्यम से समाज एक दूसरे से बांटा जा सकता है। इन स्तरों पर लोग अपने सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान, भाषा, धर्म, आर्थिक स्तर, जाति, वर्ग आदि के आधार पर अपना समूह बनाते हैं। समाज के भीतर अनेक समस्याएं भी होती हैं। जैसे विषमता, विवेक, जातिवाद, दलित वर्ग, आर्थिक असमानता, सामाजिक न्याय, विकास, समाजिक बदलाव और समाज के सामाजिक विकास के बारे में विचार किया जाता है।
समाज की प्रमुख विशेषताएँ – समाज कई प्रकार की विशेषताओं से भरा हुआ है जिसके माध्यम से समाज में रह रहे लोगों का पहचान का आधार निर्धारित किया जाता है इसके अलावा समाज की विशेषताओं के माध्यम से ही समाज की संरचना भी किया जाता है।

यहां कुछ मुख्य समाजिक विशेषताएँ दी गई हैं-

समाज अमूर्त अर्थात कल्पनीय है।
समाज में समानता व भिन्नता है।
पारस्पारिक सहयोग एंव संघर्ष है।
आश्रित रहने का नियम है।
समाज परिवर्तनशील है।
संगठित समूह – समाज एक संगठित समूह होता है जिसमें व्यक्तियों के आपस में एक दूसरे से संबंध होते हैं। यह लोगों को एक साथ रहने और सहयोग करने में मदद करता है।
सामाजिक अनुकूलता – समाज में सामाजिक अनुकूलता का माहौल होता है, जिसमें सभी को समान माना जाता है इसी कारण से समाज में एक लोग से दूसरे लोग अच्छे तरह से जुड़ पाते है और वे एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्वक रहते हैं।
सामाजिक संस्कृति – समाज हमेशा अपनी सामाजिक संस्कृति और परंपराओं को अधिक महत्व देता आ रहा है। इसमें लोग अपनी संस्कृति के मूल्यों और अनुष्ठानों का पालन करते हैं।
सामाजिक संघर्ष – समाज में समय-समय पर सामाजिक संघर्ष भी होता है, जिस कारण से कई प्रकार की समस्या भी उत्पन्न होती है और यही उत्पन्न हुआ समस्या समाज को समाजिक सुधार और परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है।
समाजिक असमानता – समाज में लोगों के बीच समाजिक असमानता हो सकती है, जैसे कि धर्म, जाति, वर्ण, लिंग आदि के आधार पर। क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि एक समाज में रहने वाले सभी लोग एक ही समुदाय धर्म जाति और लिंग के हो।
समाज सेवा – समाज में रहने वाले लोग विभिन्न सामाजिक सेवा एवं कार्यों का समर्थन करते है जो लोगों को सहायता प्रदान करते हैं और समाज को समृद्ध बनाते हैं। क्योंकि समाज में सेवा का भाव ही एक दूसरे को आपस में जोड़ने में मदद करता है।
व्यक्ति और समाज में समबंध 

(i) मनुष्य के गतिविधि समाज से संबंधित हैं और समाज पर ही उसका अस्तित्व और विकास निर्भर करता है।
(ii) मानव शरीर को सामाजिक विशेषताओं या गुणों से व्यक्तित्व प्रदान करना समाज का ही काम है।
(iii) इस दृष्टि से व्यक्ति समाज पर अत्याधिक निर्भर है।
(iv) व्यक्तियों के बिना सामाजिक संबंधों की व्यवस्था का शुरुआत नहीं हो सकती है और न ही सामाजिक संबंधों की व्यवस्था के बिना समाज का अस्तित्व पर रहना संभव है।
मानव समाज और पशु समाज में अन्तर
मानव समाजपशु समाज
(i) बोलने, सोचने समझने की शक्ति अत्याधिक होती है।(i) बोलने, सोचने, समझने की शक्ति आवश्यकता से कम होती है।
(ii) अपनी एक संस्कृति होती है।(ii) इस समाज की संस्कृति नहीं होती है।
(iii) स्वयं को व्यक्त करने के लिए भाषा का प्रयोग करता है।(iii) स्वयं के व्यक्त करने के लिए भाषा नहीं होती है।
(iv) यह समाज भविष्य की चिन्ता करता है और उसके लिए योजनाएं बनाता है।(iv) यह समाज वर्तमान में जीता है।
समाजों में बहुलताएँ एवं असमानताएँ – एक समाज दूसरे समाज से किसी न किसी रूप में भिन्न होता है। हम एक से अधिक समाज के सदस्य बनते जा रहे हैं। दूसरे समाजों से अंतः क्रिया करते हैं, उनकी संस्कृति को ग्रहण करते हैं। इस प्रकार आज हमारी संस्कृति एक मिश्रित संस्कृति तथा हमारा समाज एक बहुलवादी (समाज एक से ज्यादा) समाज में परिवर्तित होता जा रहा है। हमारे समाज में असमानता समाजों के बीच केन्द्रीय बिंदु है।
समाजशास्त्र के प्रकार – समष्टि समाज शास्त्र – बड़े समूहों, संगठनों तथा सामाजिक व्यवस्थाओं का अध्ययन करना। व्यष्टि समाज शास्त्र – आमने–सामने की अन्तः क्रिया के संदर्भ में मनुष्यों के व्यवहार अध्ययन।
समाजशास्त्र की उत्पत्ति – समाजशास्त्र का जन्म 19 वीं शताब्दी में हुआ। समूह के क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए आवश्यक है कि समस्याओं को सुलझाया जाए। इन्हीं प्रयत्नों के परिणामस्वरूप ही समाजशास्त्र की उत्पत्ति हुई है। 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्रांस के विचारक अगस्त कॉम्ट ने समाजशास्त्र का नाम सामाजिक भौतिकी रखा और 1838 में बदलकर समाजशास्त्र रखा।

इस कारण से कॉम्ट को ”समाजशास्त्र का जनक” कहा जाता है। समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में विकसित करने में दुर्खीम, स्पेंसर तथा मैक्स वेबर आदि विद्वानों के विचारों का काफी रहा है। भारत में समाजशास्त्र के उद्भव का विकास का इतिहास प्राचीन है। भारत में समाजशास्त्र विभाग 1919 में मुम्बई विश्वविद्यालय में शुरू हुआ तथा औपचारिक अध्ययन शुरू हुआ।
भारत में समाजशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता – भारत में व्याप्त क्षेत्रवाद, भाषावाद, सम्प्रदायवाद, जातिवाद आदि समस्याओं को व्यवस्थित ढंग से सुलझाने के लिए समाजशास्त्रीय अध्ययन आवश्यक है। इसी कारण, भारत में विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु समाजशास्त्र का अध्ययन अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। दूसरे समाजों के साथ तुलनात्मक अध्ययन होता है। सामाजिक गतिशीलता के बारे में पता चलता है।
समाजशास्त्र की प्रकृति की मुख्य विशेषताएँ – समाजशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, न कि प्राकृतिक विज्ञान। समाजशास्त्र एक निरपेक्ष विज्ञान है, न कि आदर्शात्मक विज्ञान। समाजशास्त्र अपेक्षाकृत एक अमूर्त विज्ञान है, न कि मूर्त विज्ञान। समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान है, न कि विशेष विज्ञान।
बौद्धिक विचार जिनकी समाजशास्त्र की रचना में भूमिका मानी जाती है – प्राकृतिक विकास के वैज्ञानिक सिद्धांतो और प्राचीन यात्रियों द्वारा पूर्व आधुनिक सभ्यताओं की खोज से प्रभावित होकर उपनिवेशी प्रशासकों, समाजशास्त्रियों एंव सामाजिक मानवविज्ञानियों ने समाजों के बारें में इस दृष्टिकोण से विचार किया कि उनका विभिन्न प्रकारों में वर्गीकरण किया जाए ताकि सामाजिक विकास के विभिन्न चरणों को पहचाना जा सके।
सरल समाज एंव जटिल समाज – भारत स्वयं परंपरा और आधुनिकता का, गाँव और शहर का, जाति और जनजाति का, वर्ग एंव समुदाय का एक जटिल मिश्रण है। 19 वी शताब्दी में समाजों का वर्गीकरण किया गया है। आधुनिक काल से पहले के समाजों के प्रकार जैसे – शिकारी टोलियाँ एंव संग्रहकर्ता, चरवाहे एंव कृषक, कृषक एंव गैर औद्योगिक सभ्यताएँ (सरल समाज) आधुनिक समाजों के प्रकार।

जैसे – औद्योगिक समाज (जटिल समाज) डार्विन के जीव विकास के विचारों का आरंभिक समाजशास्त्रीय विचारों पर दढ प्रभाव था। ज्ञानोदय, एक यूरोपीय बौद्धिक आंदोलन जो सत्रहवीं शताब्दी के अंतिम वर्षो एंव अट्ठारहवीं शताब्दी में चला, कारण और व्यक्तिवाद पर बल देता है। सरल समाज में श्रम विभाजन नही होता जबकि जटिल समाज देखने को मिलता है।
औद्योगिक क्रांति से आए बदलाव एंव पूँजीवाद – औद्योगिक क्रांति एक नए गतिशील आर्थिक, क्रियाकलाप– पूँजीवाद पर आधारित थी। पूँजीवाद – आर्थिक उद्यम की एक व्यवस्था है जोकि बाजार विनियम पर आधारित है। यह व्यवस्था उत्पादन के साधनों और सम्पत्तियों के निजी स्वामित्य पर आधारित है औद्योगिक उत्पादन की उन्नति के पीछे यही पूँजीवादी व्यवस्था एक प्रमुख शक्ति थी।

उद्यमी निश्चित और व्यवस्थित मुनाफे की आशा से प्रेरित थे। बाजारों ने उत्पादनकारी जीवन में प्रमुख साधन की भूमिका अदा की। और माल, सेवाएँ एंव श्रम वस्तुएँ बन गई जिनका निर्धारण तार्किक गणनाओं के द्वारा होता था। इंग्लैंड औद्योगिक क्रांति का केंद्र था। औद्योगीकरण द्वारा आया परिवर्तन असरकारी था। औद्योगिकीकरण से पहले, अंग्रेजों का मुख्य पेशा खेती करना एंव कपड़ा बनाना था। अधिकांश लोग गाँवों में रहते थे जोकि कृषक, भू-स्वामी, लोहार एंव चमड़ा श्रमिक, जुलाहे, कुम्हार, चरवाह थे। समाज छोटा था। यह स्तरीकृत था।

लोगों की स्थिति से उनका वर्ग परिभाषित था। औद्योगीकरण के साथ-साथ शहरी केंद्रों का विकास एंव विस्तार हुआ। इसकी निशानी थी, फैक्ट्रियों का धुआँ और कालिख, नई औद्योगिक श्रमिक वर्ग की भीड़भाड़ वाली बस्तियाँ, गंदगी और सफाई का नितांत अभाव। अंग्रेजी कारखानों के मशीनों द्वारा तैयार माल के आगमन से भारी तादाद में भारतीय दस्तकार बरबाद हो गए क्योंकि अत्याधिक विकसित कारखानों में उनकी खपत नहीं हो सकती थी। इन बर्बाद दस्तकारों ने मुख्यतः जीवन निर्वाह के लिए खेती को अपना लिया।
समाजशास्त्र की अन्य सामाजिक विज्ञानों के मध्य स्थिति एक दृष्टि में

1. सभी सामाजिक विज्ञान समाजशास्त्र से किसी रूप से संबंधित हैं और दूसरी और भिन्न भी हैं।
2. इनके आपसी सहयोग के द्वारा ही विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन सुचारू रूप से संभव है।
3. सभी सामाजिक विज्ञानों का क्षेत्र अलग-अलग है, और इन सभी का केंद्र बिंदु सामाजिक प्राणी मानव है।
4. समाजशास्त्र एक सहयोगी व्यवस्था का निर्माण करता है और सभी विज्ञानों को एक सामान्य पटल पर ले आता है।
5. इस प्रकार सामाजिक जीवन की जटिलताओं का अध्ययन व विश्लेषण सरलता से संभव है।
समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में संबंध 
समाजशास्त्रमनोविज्ञान
(i) समाजशास्त्र मानव व्यवहार सीखने से संबधित हैं।(i) मनोविज्ञान मानव मस्तिष्क के अध्ययन से संबंधित है।
(ii) समाजशास्त्र एक बड़े समूह या समाज के साथ सौदा करता है।(ii) मनोविज्ञान व्यक्तियों या छोटे समूहों से संबंधित है।
(iii) समाजशास्त्र एक अवलोकन प्रक्रिया के रूप में किया जा सकता है।(iii) मनोविज्ञान को एक प्रयोगात्मक प्रक्रिया के रूप में जाना जा सकता है।
(iv) समाजशास्त्र लोगों के संपर्क से संबधित है।(iv) मनोविज्ञान मानव भावनाओं से संबंधित है।
(v) समाजशास्त्र मानता है कि एक व्यक्ति का कार्य उसके आस – पास या समूह से प्रभावित होता है।(v) मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में यह माना जाता है, कि व्यक्ति सभी गतिविधियों के लिए अकेले जिम्मेदार है।
समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में संबंध
समाजशास्त्रअर्थशास्त्र
(i) समाजशास्त्र एक सामान्यीकृत विज्ञान है।(i) अर्थशास्त्र एक विशेष विज्ञान है।
(ii) समाजशास्त्र का दृष्टिकोण व्यापक है। (ii) अर्थशास्त्र का दृष्टिकोण आर्थिक है। 
(iii) समाजशास्त्र के अध्यन की प्रकृति समूहवादी है।(iii) अर्थशास्त्र के अध्ययन की प्रकृति व्यक्तिवादी है।
(iv) समाजशास्त्र में, सामाजिक चर मापने बहुत मुश्किल है।(iv) अर्थशास्त्र में आर्थिक चर को सटीक रुप से मापा जा सकता है एवं इसे मात्रा में अंकित किया जा सकता है।
समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में संबंध
समाजशास्त्रराजनीति विज्ञान
(i) समाजशास्त्र समाज का विज्ञान है।(i) राजनीतिक विज्ञान राज्य और सरकार का विज्ञान है।
(ii) समाजशास्त्र दोनों संगठित और असंगठित समाजों का अध्ययन करते है।(ii) राजनीतिक विज्ञान केवल राजनीतिक रूप से संगठित समाजों का अध्ययन करता है।
(iii) समाजशास्त्रों का व्यापक दायरा है।(iii) राजनीतिक विज्ञान एक संकीर्ण क्षेत्र वाला विज्ञान है।
(iv) अध्ययन समाजशास्त्र मूल रूप से व्यक्ति का एक सामाजिक पशु के रूप अध्ययन में करता है।(iv) राजनीतिक विज्ञान एक राजनीतिक पशु के रूप में मनुष्य का अध्ययन करता है।
(v) सामजश्त्र का दृष्टिकोण सामजशात्रीय है यह वैज्ञानिक विधियों का अनुसरण करता है।(v) राजनीतिक विज्ञान का दृष्टिकोण राजनैतिक है। 
समाजशास्त्र और इतिहास में संबंध
समाजशास्त्रइतिहास
(i) समाजशास्त्र वर्तमान सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में रूचि रखता है।(i) इतिहास पिछले घटनाओं में रूचि रखता है।
(ii) समाजशास्त्र विश्लेषणात्मक और व्याख्यात्मक विज्ञान है।(ii) इतिहास एक वर्णनात्मक विज्ञान है।
(iii) समाजशास्त्र सामान्य विज्ञान है।(iii) इतिहास एक विशिष्ट विज्ञान है।
(iv) समाजशास्त्र प्रश्नावली, सर्वेक्षण, साक्षात्कार विधियों आदि का उपयोग करता है।(iv) इतिहास में उल्लिखित घटनाओं के लिए परीक्षण और पुनः परीक्षण संभव नहीं है।
(v) समाजशास्त्र द्वारा सामान्यीकृत तथ्यों के लिए परीक्षण और पुनः परीक्षण संभव है।(v) इतिहास अज्ञात के बारे में जानने के लिए कालक्रम, सिक्के इत्यादि का उपयोग करता है।
(vi) समाजशास्त्र का एक विस्तृत दायरा है।(vi) इतिहास का दायरा संकुचित है।
(vii) समाजशास्त्र एक युवा विज्ञान है।(vii) इतिहास सबसे पुराना विज्ञान है।
पूँजीवाद – बाजार विनिमय के आधार पर आर्थिक उद्यम की एक प्रणाली। पूंजी ” किसी भी परिसंपत्ति को संदर्भित करती है, जिसमें पैसा, संपत्ति, मशीन और शामिल है, जिसका उपयोग बिक्री के लिए वस्तुओं का उत्पादन करने या लाभ प्राप्त करने की आशा के साथ बाजार में निवेश करने के लिए किया जा सकता है। यह संपत्ति के निजी स्वामित्व और उत्पादन के साधनों पर निर्भर है।
द्वंद्वात्मक – सामाजिक बलों का विरोध करने या अस्तित्व की कार्रवाई, उदाहरण के लिए सामाजिक बोध और व्यक्तिगत इच्छा।
आनुभाविक जांच – सामाजिक अध्ययन के किसी दिए गए क्षेत्र में एक वास्तविक जांच की गई।
तथ्यात्मक पूछताछ – तथ्यात्मक या वर्णनात्मक पूछताछ। इसका उद्देश्य मूल्यों मूद्दों को समझने और हल करने के लिए आवश्यक तथ्यों को प्राप्त करना है।
सामाजिक प्रतिबंध – समूह और समाज जिनके हम एक हिस्सा है जब वे हमारे व्यवहार पर एक अनुकूलित प्रभाव डालते है।
मूल्य – मानव व्यक्ति या समूहों के विचार जो वांछनीय, उचित अच्छे या बूरे के बारे में है।
नस्ल – साझा सांस्कृतिक प्रथाओं, दृष्टिकोणों और भेदों को संदर्भित करता है जो लोगों के दूसरे से अलग करते है।
जातीयता – एक साझा सांस्कृतिक विरासत है। विभिन्न जातीय समूहों को अलग करने वाली विशेषताएं वंश, इतिहास की भावना, भाषा, धर्म और पोशाक के रूप हैं।
समाजशास्त्र – सामाजिक संबंधों का व्यवस्थित व क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करने वाला विज्ञान ही समाजशास्त्र है।
उपनिवेशवाद – यह किसी अन्य देश पूर्ण या आंशिक राजनैतिक नियन्त्रण प्राप्त करने, इसे बसने वालों के कब्जा करने और आर्थिक रूप से इसका शोषण करने ककी नीति या अभ्यास को संदर्भित करता है।
कारखाना उत्पादन – एक कारखाना उत्पादन या विनिर्माण संयंत्र एक और औद्योगिक स्थल है, जिसमें आम तौर पर भवनों और मशीनरी या अधिक जटिल होते है, जिनमें कई इमारतों होते है, जहाँ श्रमिक सामान का निर्माण अधिक करते है या मशीनों को एक उत्पाद से दूसरे में संसाधित करते हैं।

अभ्यास के लिए प्रश्न उत्तर

सही विकल्प चुने

प्रश्न 1. “sociological imagination” के बारे में बात करने वाले पहले विद्वान कौन थे?

(क) सी. डब्ल्यू.मिल्स
(ख) मैक्स वेबर
(ग) ए. एम. शाह
(घ) एम. एन. श्रीनिवास

उत्तर – (क) सी. डब्ल्यू.मिल्स
प्रश्न 2. सामाजिक परिवर्तन – धार्मिक, आध्यात्मिक (तात्विक) और वैज्ञानिक (प्रत्यक्षात्मक) के चरणों द्वारा दिया गया है-

(क) कार्ल मार्क्स
(ख) एमिल दुर्खीम
(ग) आगस्ट कॉम्टे
(घ) हर्बर्ट स्पेंसर

उत्तर – (ग) आगस्ट कॉम्टे
प्रश्न 3. कार्य / व्यवहार के सामाजिक मान्यता प्राप्त तरीके समाज के ……. हैं। नीचे दिए गए विकल्पों में से रिक्त स्थान भरें

(क) अवज्ञा
(ग) विचलन
(ख) प्रतिबंध
(घ) कानून

उत्तर – (घ) कानून
प्रश्न 4. निम्नलिखित में कौन-कौन सी समाज की विशेषताएँ हैं?

(क) सहयोग व संघर्ष
(ख) पारस्परिक जागरुकता
(ग) आत्मनिर्भरता
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5. किस समाज में प्रत्यक्ष और अनौपचारिक संबंधों की प्रधानता होती है?

(क) पुरातन समाज
(ग) सरल समाज
(ख) आधुनिक समाज 
(घ) जटिल समाज

उत्तर – (ग) सरल समाज

रिक्त स्थान पूर्ण करें:

प्रश्न 1. ‘समाजशास्त्र’ शब्द अगस्ट कॉम्टे द्वारा ……… वर्ष ई० में गढ़ा गया था।
उत्तर – 1838
प्रश्न 2. ……… बाजार विनिमय पर आधारित एक आर्थिक प्रणाली है।
उत्तर – पूंजीवाद
प्रश्न 3. ………. और …………… प्रबुद्धता आंदोलन के दौरान परिभाषित सिद्धांत बन गए।
उत्तर – कारण और व्यक्तिवाद
प्रश्न 4. ………… और …………… के बीच का संबंध समाजशास्त्रीय कल्पना के माध्यम से पता चलता है।
उत्तर – व्यक्तिवाद मुद्दे और जनहित के मुद्दे
प्रश्न 5. …………… के अनुसार समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल है।
उत्तर – मैकाइवर एवं पेज

कथन ठीक करें

प्रश्न 1. समाजशास्त्र राज्य का अध्ययन है जबकि राजनीति विज्ञान एक विशेष विज्ञान है।
उत्तर – समाजशास्त्र समाज का अध्ययन है जबकि राजनीति विज्ञान एक विशेष विज्ञान है।
प्रश्न 2. सोशल एंथ्रोपोलॉजी आधुनिक समाज का अध्ययन है जहां समाजशास्त्र आदिम समाजों का अध्ययन है।
उत्तर – सोशल एंथ्रोपोलॉजी आदिम समाज का अध्ययन है वही समाज शास्त्र आधुनिक समाज का अध्ययन है।
प्रश्न 3. “सामान्य समझ” ज्ञान का आधार तर्कसंगत सोच नही है।
उत्तर – कथन सही है।
प्रश्न 4. औद्योगिक क्रांति की मुख्य विशेषता पर्यावरण प्रदूषण नही थी।
उत्तर – औद्योगिक क्रान्ति की एक विशेषता पर्यावरण प्रदूषण था।
प्रश्न 5. ‘पश्चिमी अनुशासन के रूप में समाजशास्त्र का उदय अफ्रीका में हुआ था।
उत्तर – पश्चिमी अनुशासन के रूप में समाजशास्त्र का उदय यूरोप में हुआ था।

सही/गलत

प्रश्न 1. अगस्ट काटे समाजशास्त्र के जनक कहे जाते है।
उत्तर – सही
प्रश्न 2. पशु समाज की अपनी एक संस्कृति होती है।
उत्तर – गलत
प्रश्न 3. नए समाजो के उभरने का एक ओर संकेतक था घड़ी के अनुसार समय का महत्व।
उत्तर – सही
प्रश्न 4. इंग्लैंड औद्योगिक क्रान्ति का केन्द्र था।
उत्तर – सही
प्रश्न 5. अंग्रेजी कारखानों के मशीनों द्वारा तैयार माल के आगमन से भारी तादाद में भारतीय दस्तकार बरबाद हो गये।
उत्तर – सही

2 अंक वाले प्रश्न

प्रश्न 1. समाज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – एक ऐसा स्थान जहां पर मनुष्य द्वारा अपने दैनिक जीवन के सभी कार्यों को किया जाता है समाज कहलाता है। मनुष्य द्वारा किए गए कार्य उदाहरण के लिए अपने समाज की सुरक्षा अपने परिवार का निर्वाह आदि शामिल होता है।
प्रश्न 2. समाजशास्त्र का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर – समाजशास्त्र के जनक के रूप में अगस्त काम्टे को प्रमुख माना जाता है अगस्त काम्टे का पूरा नाम इज़िदोर मारी ऑगस्त फ़्रांस्वा हाविए कॉम्त था अगस्त काम्टे का जन्म 1798 ईस्वी में हुआ था।
प्रश्न 3. समाजशास्त्र का क्या अर्थ है?
उत्तर – समाजशास्त्र समाज में रह रहे लोगों के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी होता है अर्थात हम यह भी आ सकते हैं कि समाज में रहने वाले मनुष्य और समाज के बीच के संबंध को जानने के लिए समाजशास्त्र का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 4. भारतीय समाज की असमानताओं की चर्चा कीजिए?
उत्तर – भारतीय समाज में आपको कई प्रकार की और समानताएं देखने को मिलती है जैसे कि अक्सर हम कुछ ऐसे इलाकों में देखते हैं जहां पर बड़े और छोटे का काफी ज्यादा भेदभाव होता है ऊंच-नीच अमीर गरीब विद्यार्थियों के बारे में लोगों के बात करने के ढंग को ही हम भारतीय सच की और समानता ओं के नजरिए से देखते हैं इसके अलावा अलग अलग भाषा अलग अलग संस्कृति अलग अलग खान पान भी भारतीय समाज के और समानता ओं को दर्शाता है।
प्रश्न 5. पूँजीवाद का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पूंजीवाद एक ऐसी पद्धति है या फिर एक ऐसा तरीका है जिस में किए गए कार्य का मालिक सिर्फ और सिर्फ व्यक्ति खुद होता है अर्थात हम यह भी कह सकते हैं कि इसमें पूजी व्यक्तिगत हाथों में होती है सरकार की सहभागिता इसमें नाम मात्र की होती है।
प्रश्न 6. अनुभाविक अन्वेषण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – अनुभाविक अन्वेषण का अर्थ यह होता है कि जिस प्रकार या जिस शोध में शोधकर्ता प्रत्यक्ष रूप से उसे देखते और समझते हैं इसके बाद अपने किए गए शोध को अनुभव करते हैं तो इस प्रकार एकत्र किए गए जानकारी को अनुभाविक अन्वेषण कहते हैं।
प्रश्न 7. नगरीकरण के दो प्रभाव बताइए।
उत्तर – नगरीकरण से सबसे ज्यादा प्रभाव गांव में रहने वालों लोगों के ऊपर पड़ा है क्योंकि धीरे-धीरे अब गांव में रहने वाले लोग भी शहर की तरफ रवाना होते हुए नजर आ रहे हैं जिससे गांव में खेती करने वाले लोगों की कमी जा रही है। नगरीकरण होने से पेड़ पौधे और भूमि का बहुत ज्यादा दुरुपयोग होता हुआ दिखाई दे रहा है जगह-जगह शहरों को बसाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ काटे जा रहे हैं।
प्रश्न 8. समष्टि और व्यष्टि समाजशास्त्र में अंतर बताइए।
उत्तर –
समष्टि समाजशास्त्रव्यष्टि समाजशास्त्र
बड़े समूह संगठनों तथा सामाजिक व्यवस्थाओं का अध्ययन करना ही समष्टि समाजशास्त्र चलाता हैआमने सामने की अंतिम क्रिया के संदर्भ में मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन ही व्यष्टि समाजशास्त्र कहलाता है
प्रश्न 9. पूंजीवाद क्या है?
उत्तर – पूंजीवाद एक ऐसी व्यवस्था है जिसके माध्यम से श्रमिकों का अधिक से अधिक शोषण किया जाता है। कम्युनिस्ट लोग यह मानते हैं कि यह सबसे गलत शासन प्रणाली है इसमें गरीब तबके के लोग और ज्यादा गरीब होते हुए चले जाते हैं इस शासन प्रणाली से केवल पूंजीपति व्यक्ति ही अपने आपको धनवान बनाता जाता है।
प्रश्न 10. सामाजिक प्रतिबंध परिभाषित करें।
उत्तर – सामाजिक प्रतिबंध का मतलब समाज में रहने वाले लोगों के ऊपर अंकुश लगाने से होता है एक समाज में कई अलग-अलग जाति धर्म समुदाय के लोग रहते हैं इनके आपस में एकता की भावना विकसित करने के लिए ही सामाजिक नियम कानूनों को लगाया जाता है।
प्रश्न 11. मूल्य क्या है?
उत्तर – मूल्य मानदण्ड हैं जो कि किसी समाज में उपलब्ध साधनों एवं लक्ष्यों के चयन में सहायता करते हैं तथा मानव व्यवहार का निर्धारण करते है।
प्रश्न 12. अनुभवजन्य जांच क्या है?
उत्तर – जैमी टैनर के अनुसार अनुभवजन्य साक्ष्य में प्रत्यक्ष अवलोकन या प्रयोग के माध्यम से एकत्र किए गए माप या जानकारी शामिल होती हैं। यह वैज्ञानिक पद्धति का एक केंद्रीय हिस्सा है।

4 अंक वाले प्रश्न

प्रश्न 1. समाज की प्रमुख विशेषताएँ।
उत्तर – समाज की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित है- समाज अमूर्त अर्थात कल्पनीय है। समाज में समानता व भिन्नता है। पारस्पारिक सहयोग एंव संघर्ष है। आश्रित रहने का नियम है। समाज परिवर्तनशील है।
प्रश्न 2. भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति के संबंध में आप क्या जानते हैं?
उत्तर – भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी से शुरू हुई थी 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्रांस के विचारक कौन से ने समाजशास्त्र का नाम सामाजिक भौतिकी रखा था लेकिन 1838 में इसे वापस बदलकर समाजशास्त्र कर दिया गया इन्हीं सब कारणों से समाजशास्त्र के जनक के रूप में अगस्त काम्टे का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है।
प्रश्न 3. समाजशास्त्र और इतिहास में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर – समाजशास्त्र वर्तमान सामाजिक घटना के अध्ययन के रूप में रुचि रखता है वहीं दूसरी तरफ हम इतिहास की बात करें तो इतिहास पिछली घटनाओं की रखता है अर्थात हमारे अतीत के बारे में बताते हैं। समाजशास्त्र को हम विश्लेषणात्मक और व्याख्यात्मक विज्ञान के नाम से जानते हैं वहीं दूसरी तरफ इतिहास एक ऐसा विषय है जिससे हम वर्णन करके अर्थात वर्णनात्मक विज्ञान के नाम से जानते हैं।
प्रश्न 4. औद्योगीकरण से समाज में आए बदलावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर – औद्योगिक क्रांति एक नए गतिशील आर्थिक क्रियाकलाप पर आधारित था औद्योगिक क्रांति के बाद कई प्रकार के बाजारों में कई प्रकार के परिवर्तन को देखा गया है हालांकि औद्योगिकरण के बाद जो सबसे बड़ा बदलाव हुआ वह यह था कि औद्योगिकरण के बाद सत्ता और शासन पूंजीपति लोगों के हाथ में चला गया बाजारों में उत्पन्न कारी जीवन के प्रमुख साधन की भूमिका अदा की और माल सेवाएं एवं श्रम वस्तु बन गई जिसका निर्धारण तार्किक गणों के द्वारा किया जाता था।
प्रश्न 5. उपनिवेशवाद के दौरान भारतीय दस्तकारों की दशा दयनीय क्यों थी?
उत्तर – उपनिवेशवाद के बाद जो सबसे बड़ी परेशानी का सामना हुआ वह भारतीय दस्त कारों के साथ हुआ क्योंकि जैसे अंग्रेजी कारखानों में मशीन द्वारा तैयार माल के आगमन से भारी तादाद में यहां पर चीजें बिक्री होने के लिए आ गई जिससे भारतीय दस्तकार बिल्कुल बर्बाद हो गए जिस प्रकार के कारखाने लगाए जा रहे थे वह काफी विकसित थे और दस्त कार उनके साथ प्रतियोगिता का सामना नहीं कर पा रहे थे जिस कारण से ज्यादातर दस्त कारों को अपने रोजगार को छोड़कर खेती-बाड़ी में जुड़ना पड़ा।
प्रश्न 6. समाजशास्त्र का अध्ययन क्यों आवश्यक है?
उत्तर – भारत में अलग-अलग प्रकार के भाषा धर्म और संस्कृति के मानने वाले लोग रहते हैं ऐसे में इन सभी के बीच में संतुलन बनाए रखने के लिए समाजशास्त्र बहुत ही उपयोगी माना जाता है क्योंकि भारत में क्षेत्रवाद भाषावाद संप्रदायवाद जातिवाद आदि समस्याएं अक्सर देखने को मिलती है ऐसे में समाजशास्त्र ही एकमात्र ऐसा साधन है जो समाज में सभी को साथ लेकर और शांति से लेकर चलने में मददगार होता है।
प्रश्न 7. सरल समाज और जटिल समाज में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
सरल समाजजटिल समाज
आधुनिक काल से पहले के समाज को सरल समाज का जाते हैंआधुनिक काल के बाद के समाज को जटिल समाज का जाते हैं
समाज के अंदर पाए जाने वाले संस्कृति या काफी सरल तरीके से कार्य करती हैंजटिल समाज की संस्कृति आपस में उल्टी होती है और इसे समझ पाना काफी मुश्किल होता है
सरल समाज के अंदर श्रम विभाजन नहीं होता हैजटिल समाज के अंदर श्रम विभाजन होता है
सरल समाज के उदाहरण के रूप में हम चरवाहे कृषि औद्योगिक सभ्यताएं इत्यादियों को ले सकते हैंजतिन समाज में हम केवल औद्योगिक समाज को ही संलग्न करते हैं
प्रश्न 8. “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है यह कथन विख्यात समाजशास्त्री अरस्तु का है अरस्तु ने बताया था कि मनुष्य को रहने के लिए एक समाज की आवश्यकता होती है क्योंकि मनुष्य का जीवन समाजिक होता है मनुष्य को सोचने समझने की शक्ति होती है वह अपने वर्तमान भविष्य के बारे में बेहतर तरीके से सोच सकता है एक मनुष्य को अपने विकास करने के लिए कई अन्य मनुष्यों की सहायता होती है और कई सारे मनुष्य मिलकर एक समाज का निर्माण करते हैं इसीलिए अरस्तू ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।
प्रश्न 9. समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
समाजशास्त्रअर्थशास्त्र
(i) समाजशास्त्र एक सामान्यीकृत विज्ञान है।(i) अर्थशास्त्र एक विशेष विज्ञान है।
(ii) समाजशास्त्र का दृष्टिकोण व्यापक है। (ii) अर्थशास्त्र का दृष्टिकोण आर्थिक है। 
(iii) समाजशास्त्र के अध्यन की प्रकृति समूहवादी है।(iii) अर्थशास्त्र के अध्ययन की प्रकृति व्यक्तिवादी है।
(iv) समाजशास्त्र में, सामाजिक चर मापने बहुत मुश्किल है।(iv) अर्थशास्त्र में आर्थिक चर को सटीक रुप से मापा जा सकता है एवं इसे मात्रा में अंकित किया जा सकता है।
प्रश्न 10. कैसे राजनीतिक विज्ञान से समाजशास्त्र अलग है स्पष्ट करे?
उत्तर – समाजशास्त्र समाज का विज्ञान है वही राजनीतिक विज्ञान राज्य और सरकार का विज्ञान माना जाता है। समाजशास्त्र के अंदर दोनों प्रकार के अर्थात संगठित और असंगठित समाज का अध्ययन किया जाता है लेकिन राजनीतिक विज्ञान केवल राजनीतिक रूप से संगठित समाजों का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र का दृष्टिकोण समाजशास्त्रीय है यह वैज्ञानिक विधियों के अतिरिक्त अपनी विधियों का भी अनुसरण करता है लेकिन राजनीतिक विज्ञान का दृष्टिकोण केवल और केवल राजनीतिक है।
प्रश्न 11. समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
समाजशास्त्रमनोविज्ञान
(i) समाजशास्त्र मानव व्यवहार सीखने से संबधित हैं।(i) मनोविज्ञान मानव मस्तिष्क के अध्ययन से संबंधित है।
(ii) समाजशास्त्र एक बड़े समूह या समाज के साथ सौदा करता है।(ii) मनोविज्ञान व्यक्तियों या छोटे समूहों से संबंधित है।
(iii) समाजशास्त्र एक अवलोकन प्रक्रिया के रूप में किया जा सकता है।(iii) मनोविज्ञान को एक प्रयोगात्मक प्रक्रिया के रूप में जाना जा सकता है।
(iv) समाजशास्त्र लोगों के संपर्क से संबधित है।(iv) मनोविज्ञान मानव भावनाओं से संबंधित है।
(v) समाजशास्त्र मानता है कि एक व्यक्ति का कार्य उसके आस – पास या समूह से प्रभावित होता है।(v) मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में यह माना जाता है, कि व्यक्ति सभी गतिविधियों के लिए अकेले जिम्मेदार है।

6 अंको वाले प्रश्न

प्रश्न 1. समाजशास्त्र सभी सामाजिक विज्ञानों के मध्य सबका है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – समाजशास्त्र समाज में रहने वाले समूह और व्यक्तियों के जीवन से संबंधित ज्ञान होता है या फिर आप यह भी कह सकते हैं कि समाजशास्त्र मानव व्यवहार का अध्ययन है। जिसमें समाज के अंदर रह रहे समूह और लोगों के जीवन से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों का गहन अध्ययन किया जाता है समाजशास्त्र सामाजिक व्यवहार, समाज, सामाजिक संबंधों के पैटर्न, सामाजिक संपर्क और संस्कृति को संदर्भित करता है जो रोजमर्रा की जिंदगी को घेरे हुए है।

उदाहरण के लिए मैं आप सभी को बता देना चाहता हूं कि एक समाज में अलग-अलग धर्म संप्रदाय संस्कृति के लोग रहते हैं इनके रोजमर्रा के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसे में इनके इन परेशानियों और इन परेशानियों के समाधान भी सभी प्रकार की जानकारियों को हम समाजशास्त्र के नाम से जानते हैं समाजशास्त्र को हम सामाजिक विज्ञान भी कह सकते है जो सामाजिक व्यवस्था और सामाजिक परिवर्तन के बारे में ज्ञान के एक निकाय को विकसित करने के लिए अनुभवजन्य जांच और महत्वपूर्ण विश्लेषण के विभिन्न तरीकों का उपयोग करता है। जिसके माध्यम से समाज में रह रहे सभी लोगों के जीवन को और उचित बेहतर बनाने का कार्य किया जाता है।
प्रश्न 2. भारतीय समाज जिसमें विभिन्नता में एकता के दर्शन होते हैं। इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भारत विविधताओं का देश है। क्योंकि भारत देश में अलग-अलग जाति धर्म समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं जिसमें यह अलग अलग संस्कृति का पालन करते हैं कुछ लोगों का अलग अध्ययन भी होता है कुछ लोगों का अलग अलग भाषा है फिर भी सभी एक साथ मिलकर रहते हैं इसलिए भारत को विविधताओं वाला देश कहा जाता है भारतीय समाज में अनेक जातियाँ, उपजातियाँ, धर्म व प्रान्त के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं, किन्तु इन सब के बावजूद भारतीय समाज के समक्ष अनेक विविधताओं की चुनौतियाँ हैं।

(1) भौगोलिक विधिता – भारत को भौगोलिक दृष्टि से पाँच भागों में विभाजित किया गया है- उत्तर का पर्वतीय प्रदेश। गंगा – सिंधु का मैदान। दक्षिण का पठार। समुद्र तटीय मैदान। थार का मरुस्थल।

(2) प्रजातीय विविधता – बी. एस. गुहा ने भारत में छः प्रजातियों का वर्णन किया है। ये प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं- नीग्रिटो। मंगोलायड। प्रोटो ऑस्टेलायड। भूमध्यसागरीय। इंडो आर्य।

(3) धार्मिक विविधता – भारत में अनेक धर्म को मानने वाले सदस्य निवास करते हैं। विभिन्न धर्मों के होने के बावजूद, वे सभी एक ही सूत्र में बंधे हुए हैं। इसी से भारतीय समाज में राष्ट्रीयता की भावना का प्रचार होता है।

(4) भाषा सम्बन्धी विविधता – भारत एक बहुभाषी देश है। यहाँ 1652 भाषा व बोलियाँ बोली जाती हैं। भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। भारत में सभी भाषाओं को तीन भाषाई परिवार में विभाजित किया गया है–

इंडो आर्यन भाषा परिवार – हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, उड़िया, बोडो व डोगरी आदि।
द्रविड़ भाषा परिवार – तेलुगू, कन्नड, मलयालम व तमिल आदि।
आस्ट्रिक भाषा परिवार – संथाली, मुंडारी, खासी, भूमिज व कोरवा आदि।

(5) जलवायु सम्बन्धी विविधता – भारत में जलवायु सम्बन्धी विविधता भी काफी अधिक पाई जाती है। इस विविधता के कारण व्यक्तियों के रंग, रूप व आकार में भी अंतर देखने को मिलता है तथा फसलों व वनस्पतियों में भी अंतर पाया जाता है। लोगों के रहन – सहन, खान – पान व वेशभूषा पर भी जलवायु का प्रभाव देखने को मिलता है।

(6) जनांकिकीय विविधता – जनसंख्या घनत्त्व, लिंगानुपात, जन्म व मृत्यु – दर आदि के आधार पर राज्यों में अंतर देखने को मिलता है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में भी इन आधारों पर विविधता को देखा जा सकता है।

(7) सांस्कृतिक विविधता – खान – पान, रहन – सहन, वेश – भूषा एवं त्यौहार आदि आधारों पर भारतीय समाज में सांस्कृतिक विविधता स्पष्ट होती है। समाज में, परिवार, धर्म, विवाह, उपवास व सहयोग आदि में विविधता होने के बावजूद सभी सदस्य एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं।

(8) जातीय एवं जनजातीय विविधता – भारत में जातीय आधार पर एक संस्तरण पाया जाता है। यहाँ अनेक जातियाँ व जनजातियाँ निवास करती हैं। प्रत्येक जाति व जनजाति के अपने रिवाज, रहन – सहन के तरीके व अनेक विधियाँ होती हैं। जिनका सम्पादन वे समाज में रहते हुए करते हैं।
प्रश्न 3. समाज के बहुलवादी परिप्रेक्ष्य की चर्चा कीजिए।
उत्तर – बहुलवाद का उपयोग अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रूप से किया जाता है क्योंकि इसके मतलब पूछने के लिए कई बार समाज शास्त्रियों ने अलग-अलग विचारधाराओं को प्रदर्शित किया है आमतौर पर यह विचारों की विविधता मानी जाती है क्योंकि अलग-अलग विचारों को एक साथ यदि देखा जाए तो उसे हम विचारों की विविधता के नाम से जानते हैं।

स्रोत आधारित प्रश्न

प्रश्न 1. स्रोत को पढ़ें तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दे।
उत्तर – कारखाने को एक आर्थिक कठोर नियंक्षण के रूप मे देखा गया जो अभी तक बैरको और जेलो तक था। कुछ के अनुसार जैसे मार्म्स, कारखाना दमनकारी था। फिर भी काफी हद तक स्वतंत्रता को गुजाइश थी। (अ) श्रम विभाजन से क्या अभिप्राय है।
(ब) कारखाना दमनकारी था ये किसके द्वारा कहा गया इसके पक्ष में तर्क दीजिए।
प्रश्न 2. स्रोत को पढ़ें तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें।
उत्तर – भारत स्वयं परम्परा और आधुनिकता का गाँव और शहर का, जाति और जनजाति का, वर्ग एव समुदाय का एक जटिल मिश्रण है। गाँव राजधानी दिल्ली के बीचो-बीच निवास करते है। काल सेन्टर देश के विभिन्न कस्बो से यूरोपीय और अमेरिकी ग्राहको को सेवा करते है। (अ) सरल समाज एव जटिल समाज में अन्तर बताइए।
(ब) काल सेन्टर किसे कहते है।
प्रश्न 3. समाजशास्त्र के जनक किसे मानते है?
उत्तर – समाजशास्त्र के जनक आगस्त कॉम्टे को मानते है।
प्रश्न 4. समाजशास्त्र क्या है?
उत्तर – सामाजिक सम्बन्धो का व्यवस्थिक व क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करने वाला विज्ञान ही समाजशास्त्र है।
प्रश्न 5. समाजशास्त्र का प्रथम नाम क्या था?
उत्तर – समाजशास्त्र का प्रथम या ये कहलो पुराना नाम सामाजिक भौतिक था।
प्रश्न 6. समाज का क्या महत्व है?
उत्तर – समाज अहम भूमिका निभाता है, जिसमे मानव शरीर को सामाजिक विशेषताओं और गुणों से व्यक्तित्व प्रदान करवाना ही समज का काम है।
प्रश्न 7. समाजशास्त्र की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर – सामजशास्त्र की उत्पत्ति 19 वी. शताब्दी में हुआ।
प्रश्न 8. समाजशास्त्र के दो प्रकार कौन से है
उत्तर – सामजशास्त्र के दो प्रकार है-
(i) समष्टि और (ii) दूसरा व्यष्टि
प्रश्न 9. पूंजीवाद किस से सम्बंधित है?
उत्तर – पूंजीवाद आर्थिक उद्यम की एक व्यवस्था है जो की बाजार विनिमय से सम्बंधित है।
प्रश्न 10. भारत के प्रथम समाजशास्त्री कौन है?
उत्तर – गोविंद सदाशिव घुर्ये जो की प्राचीन भारत के प्रमुख सामजशास्त्री में से एक थे इन्होंने 1919 में बन कर तैयार मुंबई विश्व विद्यालय में समाजशास्त्र की स्थापना में अपनी अहम भूमिका निभाई।
प्रश्न 11. समाज किसे कहते है?
उत्तर – समाज हमारे आस-पास रह रहे लोगों के समूह को कहते है जो आपस में सामाजिक सम्बन्धो के जाल से बंधा हुआ है।
प्रश्न 12. सामाजिक प्रतिबंध परिभाषित करें।
उत्तर – समूह और समज जिनका हम एक हिस्सा है जब वे हमारे व्यव्हार पर एक अनुकूल प्रभाव डालते है।

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