NCERT Solutions Class 11th Political Science (राजनीतिक सिद्धांत) Chapter – 5 अधिकार (Rights) Notes In Hindi अधिकार शब्द का अर्थ क्या है?, भारत में कितने मौलिक अधिकार हैं?, अधिकार की विशेषताएं क्या हैं?, भारत में कितने प्रकार के अधिकार हैं?, सबसे महत्वपूर्ण अधिकार कौन से हैं?, महत्वपूर्ण अधिकार कौन सा है?, अधिकार के आवश्यक तत्व कौन कौन से हैं?, मानवाधिकार क्यों महत्वपूर्ण हैं?, अधिकार और शक्ति में क्या अंतर है?, अधिकार क्या हैं और वे क्यों महत्वपूर्ण हैं?, संविधान में कितने अधिकार हैं?, संविधान का अधिकार क्या है?, संविधान में कितने मानव अधिकार है?, मौलिक अधिकार के जनक कौन है?, अनुच्छेद 12 क्या कहता है?, मौलिक अधिकार कहाँ से लिया गया है?, शिक्षा का अधिकार क्या है?
NCERT Solutions Class 11th Political Science (राजनीतिक सिद्धांत) Chapter – 5 अधिकार (Rights)
Chapter – 5
अधिकार
Notes
अधिकार का अर्थ – अधिकार किसी व्यक्ति द्वारा की गई मांग है, जिसे सार्वजनिक कल्याण को ध्यान में रखते हुए समाज स्वीकार करता है और राज्य मान्यता देता है, तो वह मांग अधिकार बन जाती है। समाज में स्वीकृति मिले बिना मांगे, अधिकार का रूप नहीं ले सकतीं।
मानव अधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा – विश्व के समस्त देशों के नागरिकों को अभी पूर्ण अधिकार नहीं मिले हैं। इसी दिशा में 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की ‘सामान्य सभा‘ ने मानावाधिकरों की सार्वभौमिक घोषणा को स्वीकार कर लागू किया गया हैं।
मानव अधिकार दिवस – 10 दिसम्बर।
अधिकार क्यों आवश्यक ?
व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा की सुरक्षा के लिए।
लोकतांत्रिक सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए।
व्यक्ति की प्रतिभा व क्षमता को विकसित करने के लिए।
व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास के लिए।
अधिकार रहित व्यक्ति, बंद पिंजड़े में पक्षी के समान है।
अधिकारों की उत्पत्ति – अधिकारों की उत्पत्ति निम्नलिखित प्रकार से होती है-
प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत
अधिकारों के प्रकार
प्राकृतिक अधिकार
नैतिक अधिकार
कानूनी अधिकार
मौलिक अधिकार
राजनैतिक अधिकार
नागरिक अधिकार
आर्थिक अधिकार
अधिकारों की दावेदारी
प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत – जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति – प्राकृतिक अधिकार (17वीं और 18वीं शताब्दी)
अधिकारों के प्रकार
प्राकृतिक अधिकार
नैतिक अधिकार
कानूनी अधिकार
प्राकृतिक अधिकार – जन्म के समय मिला अधिकार जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति।
नैतिक अधिकार – व्यक्ति की नैतिक भावनाओं से जुड़े अधिकार माता – पिता की सेवा करना, शिष्ट व्यवहार, सच्चा चरित्र, आदर का भाव।
कानूनी अधिकार – जिन्हें राज्य ने कानूनी मान्यता दी है।
मौलिक अधिकार
स्वतंत्रता
समानता
संवैधानिक उपचारों का अधिकार
शोषण के विरूद्ध अधिकार
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
राजनैतिक अधिकार
मत देने का अधिकार।
निर्वाचित होने का अधिकार।
सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार।
नागरिक अधिकार
देश में कहीं आने जाने की स्वतंत्रता।
विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
आर्थिक अधिकार
काम करने का अधिकार।
संपत्ति खरीदने का अधिकार।
अधिकारों की दावेदारी
सार्वभौम अधिकार
शिक्षा का अधिकार
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
कुछ कार्यकलाप, जिन्हें अधिकार नहीं माना जा सकता – वे कार्यकलाप जो समाज के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए – नुकसानदेह हैं। जैसे – धूम्रपान नशीली या प्रतिबंधित दवाओं का सेवन।
अधिकार और राज्य
अधिकार एकमात्र राज्य की सृष्टि।
किसी अधिकार का कोई अस्तित्व नहीं जब तक उसे राज्य मान्यता न दें।
राज्य अधिकारों को शक्तिशाली भी बनाता है और दुरूपयोग होने से भी रोकता है।
अधिकारों की रक्षा राज्यों का दायित्व।
अधिकार और शक्तिशाली कैसे हों ?
संविधान लिखित हो।
स्वतंत्र न्यायपालिका अधिकारों की संरक्षक।
संघात्मक सरकार और शक्तियों का विभाजन।
स्वतंत्र प्रेस।
जनता की जागरूकता।
राज्य का नागरिकों के आंतरिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं।
यदि राज्य अधिकारों को सुरक्षित करता है तो उसे यह अधिकार भी प्राप्त होता है कि वह अधिकारों के दुरूपयोग को रोके इसलिए संविधान के अनुच्छेद 19 (2) में मौलिक कर्तव्यों का भी वर्णन किया गया है।
अधिकार और कर्त्तव्य – अधिकार और कर्त्तव्य सिक्के के दो पहलुओं की तरह है। एक पहलू अधिकार है तो दूसरा पहलू कर्त्तव्य। समाज में हमें जो अधिकार मिलते हैं उनके बदले में हमें कुछ ऋण चुकाने पड़ते है। ये ऋण ही हमारे कर्तव्य हैं।
कर्तव्य (जिम्मेदारी) – कर्तव्य अंग्रेजी के duty शब्द से डेब्ट बना है जिसका अर्थ है ऋण राज्य नागरिको को अधिकार के रूप में अनेक देता है ये अधिकार नागरिक पर एक प्रकार से ऋण है इसको चुकाने के लिए नागरिक कर्तव्यों का पालन करते है मनुष्य के अधिकारों को दूसरे मनुष्य के द्वारा मान्यता देना कर्तव्य है।
कर्तव्य के प्रकार – कर्तव्य 2 प्रकार के होते हैं-
नैतिक कर्तव्य
कानूनी कर्तव्य
नैतिक कर्तव्य
अपने परिवेश को स्वच्छ रखने का कर्त्तव्य।
बच्चों को उचित शिक्षा।
माता – पिता व बुजुर्गों की सेवा करना।
सामाजिक नियमों का पालन करना।
परिवार की आवश्यकताओं को पूर्ण करना।
कानूनी कर्तव्य
संविधान का सम्मान करना।
राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रीय गान का सम्मान करना।
कानून व व्यवस्था बनाए रखना।
नियमित रूप से कर देना।
राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा।
देश की एकता तथा अखंडता व सुरक्षा बनाए रखना।
देश की रक्षा करना।
प्राकृतिक संसाधनों का समझदारी पूर्ण उपयोग।
ओजोन परत की हिफाजत करना।
कर्त्तव्यों व अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू – अधिकार व कर्त्तव्य का नजदीकी संबंध अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूर्ण नहीं कर सकते जब तक व्यक्ति समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य नहीं निभाता। कर्त्तव्य एक दायित्व है जो दूसरों को अपने अधिकारों को इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता देता है।
कुछ नए मानवाधिकार – देश में नए खतरों और चुनौतियां के उभरने के लिए नए मानवाधिकारों की सूची-
स्वच्छ वायु, सुरक्षित पेयजल तथा टिकाऊ विकास का अधिकार।
सूचना के अधिकार का दावा।
महिला सुरक्षा का अधिकार।
समाज के कमजोर लोगों के लिए शौचालयों की व्यवस्था।
बच्चों को खाद्य, संरक्षण शिक्षा का अधिकार।
शालीन जीवन यापन के लिए आवश्यक स्थितियाँ।
मानवाधिकारों की कीमत
मनुष्य की सतत् जागरूकता।
किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता गिरफ्तारी के लिए उचित कारण जरूरी है।
अपराधी से अपराध की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए उत्पीड़न उचित नहीं।
नागरिक के लिए यह आवश्यक है कि यह सतर्क रहें, अपनी आँखे खुली रखें, अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा जागरूक रहें।
दावे
दावे वास्तव में व्यक्ति कि मांगे होती है जो मांगे नैतिक या समाजिक पक्ष में उचित हो जिनको समाज स्वीकार करता हो।
व्यक्ति कि प्रत्येक मांगे दावे नहीं हो सकती।
केवल उस मांग को अधिकार का दर्जा दिया जाता है मांग राज्य द्वारा स्वीकार एव लागू कि जाति है।
अधिकार व दावे में अंतर
सभी दांवे अधिकार नहीं होते परंतु सभी अधिकार दावे होते हैं।
अधिकार दावें है जो राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं, सभी दावों को राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त होते है।
दावे – राज्य के संविधान द्वारा गांरटी नहीं। मौलिक अधिकारों के राज्य के संविधान द्वारा।