NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 8 संस्कृतियों का टकराव (Confrontation of Cultures) Question & Answer In Hindi

NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 8 संस्कृतियों का टकराव (Confrontation of Cultures)

Text BookNCERT
Class  11th
Subject History
ChapterChapter – 8
Chapter Nameसंस्कृतियों का टकराव
CategoryClass 11th History
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 8 संस्कृतियों का टकराव (Confrontation of Cultures)

?Chapter – 8?

संस्कृतियों का टकराव

?प्रश्न उत्तर?

अभ्यास प्रश्न 

प्र० 1. एज़टेक और मेसोपोटामियाई लोगों की सभ्यता की तुलना कीजिए।

?‍♂️उत्तर – एजटेक और मेसोपोटामियाई लोगों की सभ्यताओं की तुलना करने पर निम्नलिखित बिंदु उभरकर सामने आते हैं

  • एज़टेक सभ्यता मध्य अमेरिकी सभ्यता थी क्योंकि इसका विकास मध्य अमेरिका में ही हुआ था। जबकि मेसोपोटामियाई सभ्यता का विकास वर्तमान इराक गणराज्य के भू-भाग पर हुआ था।
  • एजटेक सभ्यता में चित्रात्मक लिपि का प्रचलन था। अत: उनका इतिहास भी चित्रात्मक ढंग से ही लिखा जाता था। दूसरी तरफ मेसोपोटामिया सभ्यता की लिपि को क्यूनिफॉर्म अर्थात् कलाकार लिपि के नाम से जाना जाता था। लातिनी शब्दों में, ‘क्यूनियस’ और ‘फोर्मा’ को मिलाकर ‘क्यूनीफार्म’ शब्द बना है। ‘क्यूनियस’ का अर्थ है-‘खुटी’ और ‘फोर्म’ का अर्थ है-‘आकार’ इस प्रकार से इस आशुलिपि का विकास चित्रों से हुआ। इस सभ्यता में लिपिक के कार्य को महत्त्वपूर्ण और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। एक सुसंगठित लेखन कला की वजह से ही मेसोपोटामिया में उच्चकोटि के साहित्य का विकास संभव हुआ।
  • एजटेक सभ्यता का विकास बारहवीं और पंद्रहवीं शताब्दी के मध्य हुआ। अतः यह सभ्यता ऐतिहासिक युग में विकसित होने वाली सभ्यता थी। हालाँकि मेसोपोटामिया सभ्यता का विकास कांस्यकाल में हुआ। अतः यह कांस्यकालीन सभ्यता थी।
  • एजटेक निवासी कृत्रिम टापू निर्मित करने में दक्ष थे। उन्होंने सरकंडे की विशाल चटाइयाँ बुनने के पश्चात उन्हें मिट्टी, पत्तों आदि से ढंककर मैक्सिको झील में कृत्रिम टापुओं का निर्माण किया। ऐसे टापुओं को ‘चिनाम्पा’ के नाम से जाना जाता था। इन्हीं उपजाऊ द्वीपों के मध्य नहरें बनाई गईं। उन पर टेनोक्टिटलान शहर बसाया गया। इस प्रकार के शहरों का उदाहरण मेसोपोटामिया सभ्यता में नहीं मिलता। वस्तुतः मेसोपोटामियाई नहरों का विकास मंदिरों के आसपास हुआ था।
  • एज़टेक सभ्यता के अंतर्गत श्रेणीबद्ध समाज की संरचना थी। अभिजात वर्ग की समाज में अहम भूमिका थी। अभिजात वर्ग में पुरोहित, उच्च कुलों में उत्पन्न लोग, और वे लोग भी सम्मिलित थे जिन्हें बाद में प्रतिष्ठा प्रदान की गई थी। प्रश्तौनी अभिजात संख्या की दृष्टि से बहुत कम थे, जो सरकार, सेना तथा धार्मिक में ऊँचे-ऊँचे पदों पर आसीन थे। ये अपने वर्ग में से किसी एक को नेता के रूप चुनाव करते थे। चुना हुआ व्यक्ति आजीवन शासक के पद पर बना रहता था। समाज में पुरोहितों, योद्धाओं और अभिजात वर्ग के लोगों को अत्यधिक सम्मान की नज़र से देखा जाता था।
    हालाँकि मसोपोटामियाई समाज भी श्रेणीबद्ध समाज था। इसमें भी उच्च एवं संभ्रांत वर्ग के लोगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। पूँजी के अधिकांश भाग पर इसी वर्ग का कब्ज़ा था।
  • दोनों सभ्यताओं में शिक्षा को विशेष महत्त्व दिया जाता था। अतः अधिक-से-अधिक बच्चों को विद्यालय भेजने | की कोशिश की जाती थी। एजटेक सभ्यता में अभिजात वर्ग के बच्चों को जिस स्कूल में भेजा जाता था उसे ‘कालमेकाक’ कहा जाता था। इन स्कूलों में विशेष रूप से धर्माधिकार या सैन्य-अधिकारी बनने का प्रशिक्षण दिया जाता था। शेष बच्चे जिन स्कूलों में पढ़ते थे, उन्हें ‘तोपोकल्ली’ कहा जाता था। मेसोपोटामिया सभ्यता में बच्चों का शिक्षण देने का मुख्य उद्देश्य मंदिरों, व्यापारियों एवं राज्य को क्लर्क उपलब्ध करना था।

प्र० 2. ऐसे कौन-से कारण थे जिनसे 15वीं शताब्दी में यूरोपीय नौचालन को सहायता मिली?
?‍♂️उत्तर – 15वीं शताब्दी में शुरू की गई यूरोपीय समुद्री यात्राओं ने एक महासागर को दूसरे महासागर से जोड़ने के लिए समुद्री मार्ग खोल दिए। सन् 1380 में ही दिशासूचक यंत्र का निर्माण हो चुका था। इस दिशासूचक यंत्र के माध्यम से यूरोपवासियों ने नए-नए क्षेत्रों की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त यात्रा के साहित्य और विश्व-वृत्तांत वे भूगोल पर लिखी पुस्तकों ने पंद्रहवी शताब्दी में अमरीका महाद्वीप के बारे में यूरोपवासियों के दिलों में रुचि उत्पन्न कर दी। स्पेन और पुर्तगाल के शासक इन नए क्षेत्रों की खोजों के लिए धन देने को तैयार थे और ऐसा करने के लिए उनके आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक उद्देश्य भी थे। इस प्रकार 15वीं शताब्दी में यूरोपीय नौ-संचालन को सहायता देने वाले कारण निम्नलिखित थे

  • यूरोप महाद्वीप के बहुत से लोग जैसे पुर्तगाल एवं स्पेन के निवासी एवं उनके शासक दूसरे देशों से सोना और चाँदी प्राप्त करके विश्व के सबसे अमीर लोग बनना चाहते थे। इसका कारण था कि प्लेग और युद्धों के | कारण जनसंख्या में अत्यधिक कमी आई और व्यापार में मंदी आ गई थी। |
  • संसार के कुछ देशों के वासी अपनी ख्याति एवं प्रसिद्धि दुनिया के लोगों के सामने रखना चाहते थे और ऐसा | करने के लिए वे अनेक समुद्री यात्राओं पर निकल पड़े।
  • यूरोप के ईसाई अधिक-से-अधिक लोगों को अपने धर्म में परिवर्तित करने के लिए दूर-दूर के देशों की यात्राएँ करने को तैयार थे। धर्मयुद्धों के परिणामस्वरूप एशिया के साथ व्यापार में वृद्धि हुई। ऐसा समझा जाता था कि व्यापार के समानांतर यूरोपीय लोगों का इन देशों में राजनीतिक नियंत्रण स्थापित हो जाएगा तथा वे इन गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में अपनी बस्तियाँ स्थापित कर लेंगे।

इस प्रकार बाहरी दुनिया के लोगों को ईसाई बनाने की संभावना ने भी यूरोप के धर्मपरायण ईसाइयों को यूरोपीय नौसंचालन कार्यों की ओर उन्मुख किया।

प्र० 3. किन कारणों से स्पेन और पुर्तगाल ने पंद्रहवीं शताब्दी में सबसे पहले अटलांटिक महासागर के पार जाने का साहस किया?
?‍♂️उत्तर – स्पेन और पुर्तगाल ने ही पंद्रहवी शताब्दी में सबसे पहले अटलांटिक महासागर के पार जाने का साहस किया। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  • स्पेन और पुर्तगाल की भौगोलिक स्थिति ने उन्हें अटलांटिक पारगमन की प्रेरणा दी। इन देशों का अटलांटिक | महासागर पर स्थित होना उनके लिए अटलांटिक पारगमन का प्रथम महत्त्वपूर्ण कारण था।
  • एक स्वतंत्र राज्य बनने के बाद पुर्तगाल ने मछुवाही एवं नौकायन के क्षेत्र में विशेष प्रवीणता प्राप्त कर ली। पुर्तगाली मछुआरे एवं नाविक अत्यधिक साहसी थे और उनकी सामुद्रिक यात्राओं में विशेष अभिरुचि भी थी।
  • पुर्तगाली शासक प्रिन्स हेनरी वस्तुतः ‘नाविक हेनरी’ के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने नाविकों को जलमार्गों द्वारा नए-नए स्थानों की खोज के लिए प्रोत्साहित किया। उसने पश्चिमी अफ्रीकी देशों की यात्रा की तथा 1415 ई० में सिरश पर हमला किया। तत्पश्चात् पुर्तगालियों ने अनेक अभियान आयोजित करके अफ्रीका के बोजाडोर अंतरीप में अपना व्यापार केंद्र स्थापित किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने नाविकों के प्रशिक्षण के लिए एक प्रशिक्षण स्कूल की भी स्थापना की। परिणामतः 1487 ई० में पुर्तगाली नाविक कोविल्हम ने भारत के मालाबार तट पर पहुँचने में सफलता प्राप्त की।
  • इसी प्रकार स्पेनवासियों ने नाविक कोलंबस को भारत की खोज के लिए धन से यथासंभव सहायता की। नि:संदेह कोलबंस ने अटलांटिक सागर से होकर भारत पहुँचने का प्रयास किया, परंतु संयोगवश वह अमरीका की खोज करने में समर्थ हो गया।
  • 15वीं शताब्दी के अंत तक स्पेन ने यूरोप की सर्वाधिक महान सामुद्रिक शक्ति होने का गौरव प्राप्त कर लिया था। अंतः सोने-चाँदी के रूप में अपार धन-संपत्ति प्राप्त करने के उद्देश्य से उसमें बढ़-चढ़कर अटलांटिक पारगमन यात्राओं में भाग लिया।
  • पोप के आशीर्वाद ने भी स्पेन और पुर्तगाल को अटलांटिक पारगमन यात्राओं की प्रेरणा दी। इसका कारण यह था कि इस दौरान जर्मनी और इंग्लैंड जैसे देश प्रोटेस्टेंट धर्म को अपनाकर पोप के विरोधी बन चुके थे। अतः पोप का आशीर्वाद स्पेन और पुर्तगाल के साथ था।

प्र० 4. कौन-सी नयी खाद्य वस्तुएँ दक्षिणी अमरीका से बाकी दुनिया में बेची जाती थीं?
?‍♂️उत्तर – अमरीका की खोज के कई अहम् दीर्घकालीन एवं तात्कालिक परिणाम हुए। अनिश्चितता से पल-पल दो-चार होती सामूहिक यात्राएँ आगामी समय में न केवल यूरोप, अफ्रीका एवं अमरीका को अपितु पूरे विश्व को क्रांतिकारी रूप । से प्रभावित कीं। अमरीका की खोज के परिणामस्वरूप हासिल होने वाले सोने-चाँदी के असीम भंडार ने अद्यौगिकीकरण और अतंर्राष्ट्रीय व्यापार को काफी प्रोत्साहित किया। फ्रांस, हॉलैंड, बेल्जियम तथा इंग्लैंड जैसे देशों में संयुक्त पूँजी कंपनियों की स्थापना की। साथ-साथ व्यापक स्तर पर संयुक्त व्यापारिक अभियानों का आयोजन किया। यहाँ तक कि इन्होंने उपनिवेशवाद की भी स्थापना की और दक्षिणी अमरीका में उत्पन्न होने वाली खाद्य वस्तुओं; जैसे-तम्बाकू, आलू, गन्ना, ककाओ आदि से यूरोपवासियों को परिचित कराया। विशेष रूप से यूरोपवासियों को का परिचय आलू तथा लाल मिर्च से हुआ और सभी वस्तुएँ अमरीका दुनिया में भेजी जाने लगीं।

संक्षेप में निबंध लिखिए

प्र०5. गुलाम के रूप में पकड़कर ब्राजील ले जाए गए एक सत्रहवर्षीय अफ्रीकी लड़के की यात्रा का वर्णन करें?
?‍♂️उत्तर – पुर्तगालियों का ब्राजील पर कब्जा महज एक इत्तफ़ाक था। पेड्रो अल्वारिस कैब्राल एक दिलेर नाविक था। उसने 1500 ई० में एक विशाल जहाजी बेड़े के साथ भारत की ओर प्रस्थान किया। लेकिन पश्चिमी अफ्रीका का एक बड़ा चक्कर लगाकर वह ब्राजील के समुद्रतट पर जा पहुँचा। यद्यपि पुर्तगालियों को ब्राजील से सोना मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी तथापि वे वहाँ की इमारती लकड़ी के द्वारा पर्याप्त धन कमा संकते थे।
नि:संदेह ब्राजील की इमारती लकड़ी की यूरोप में अत्यधिक माँग थी। इसके व्यापार को लेकर पुर्तगाली और फ्रांसीसी व्यापारी बार-बार संघर्ष में उलझते रहते थे। लेकिन अंत में विजय पुर्तगालियों को मिली। इसी क्रम में पुर्तगाल के राजा ने 1534 ई० में ब्राजील के तट को 14 आनुवंशिक कप्तानियों में विभक्त कर दिया और उनके स्वामित्व के अधिकार को वहाँ स्थायी रूप से रहने के इच्छुक पुर्तगालियों को सौंप दिया। इसके साथ ही, उन्हें स्थानीय लोगों को गुलाम बनाने का अधिकार भी प्रदान कर दिया। ऐसा अनुमान है कि 1550-1580 शक्तियों ने ब्राजील में करीब 36 लाख से भी अधिक अफ्रीकी गुलामों का आयात किया।

ऐसे ही गुलामों में एक सत्रहवर्षीय लड़का भी सम्मिलित था। उसके हाथ बाँधकर उसे अन्य गुलामों के साथ पशुओं के समान जहाज पर लाद दिया गया। उन सबको कड़ी निगरानी के बीच पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन लाया गया। लिस्बन के एक बड़े बाजार में सभी गुलामों को बेचने के लिए खड़ा कर दिया गया। उस सत्रहवर्षीय गुलाम लड़के की भी बोली लगाई गई। यह सत्य है कि सभी लोग उस जवान लड़के को खरीदना चाहते थे। इसका कारण यह था कि वह स्वस्थ, और हट्टा-कट्टा था तथा अन्य की अपेक्षा अधिक काम कर सकता था। अंत में सबसे ऊँची बोली लगाकर एक व्यक्ति ने उसे लादकर ब्राजील भेज दिया।

ब्राजील में, उस गुलाम लड़के को कठोर से कठोर काम में लगाया जाता था। कभी वृक्षों को काटने को, कभी उसे जहाज में लकड़ी लादने के काम में लगा दिया जाता था तो कभी उससे खेती का काम करवाया जाता था। नि:संदेह उससे पशुओं के समान काम लिया जाता था और वह पशुओं जैसा जीवन व्यतीत करने के लिए विवश था। उसे न तो आत्मसम्मानपूर्वक जीने का अधिकार था और न ही आराम से जीवन व्यतीत करने का। यहाँ तक कि वह अपने नारकीय जीवन से छुतकारा भी पाना चाहता था, लेकिन वह भागने में असमर्थ था। वह जानता था कि उसके एक साथी को भागने का प्रयास करने पर अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा था। हालाँकि वह बुद्धिमान था। केवल भाग्य उसके साथ नहीं था। अंत में उसने अपनी परिस्थितियों से समझौता कर लिया और आजीवन अपने स्वामी का एक निष्ठावान सेवक बने रहने का फैसला लिया।

प्र० 6. दक्षिणी अमरीका की खोज ने यूरोपीय उपनिवेशवाद के विकास को निम्नलिखित प्रकार से जन्म दिया
?‍♂️उत्तर – 

  • दक्षिणी अमरीका की खोज से पुर्तगाल और स्पेन को भारी मात्रा में सोने-चाँदी की प्राप्ति हुई। इसे देखकर फ्रांस, इंग्लैंड, हॉलैंड और इटली जैसे देश आश्चर्यचकित रह गए। फलतः ये देश भी अमरीकी महाद्वीपों में अपनी-अपनी बस्तियाँ बनाने के लिए प्रयास करने लगे। इस प्रकार उपनिवेशवाद और वहाँ का प्राकृतिक दोहन करने के दौर में विश्व के अनेक देश सम्मिलित हो गए।
  • इस क्रम में स्पेन ने मध्य और दक्षिणी अमरीका के अनेक हिस्सों पर तथा फ्लोरिडा एवं आधुनिक संयुक्त राज्य अमरीका के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्सों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। पुर्तगाल ने ब्राजील पर अधिकार कर लिया। इंग्लैंड ने अटलांटिक सागर की तटवर्ती तेरह बस्तियों, कैरीबियन सागर के कुछ टापुओं तथा मध्य अमरीका में ब्रिटिश होडुरास पर अपना प्रभुत्व कायम कर लिया। हॉलैंड ने उत्तरी अमरीका की हडसन घाटी तथा कैरीबियन के कुछ द्वीपों सहित गुयाना पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। उपनिवेशवाद की दौड़ में स्वीडन भी पीछे नहीं था। उसने भी उत्तरी अमरीका की प्रसिद्ध घाटी दिलावरे नदी की घाटी पर अपना अधिकार जमा लिया।
  • अमरीका की खोज यूरोपीय देशों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से काफी सकारात्मक रही। इन देशों में सोने-चाँदी की बाढ़-सी आ गई। फलतः अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण को काफी बढ़ावा मिला। 1560 ई० से लगभग 40 वर्षों तक सैकड़ों जहाज निरंतर दक्षिणी अमरीका की खानों से चाँदी स्पेन लाते रहे। औद्योगिकीकरण के विस्तार से यूरोपीय कारखानों द्वारा भारी मात्रा में उत्पाद तैयार किया जाने लगा। जिसे बेचने के लिए नए-नए बाजारों की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। इससे भी उपनिवेशवाद को काफी प्रोत्साहन मिला। परिणामस्वरूप विश्व के सभी समृद्ध देश उपनिवेशवाद की दौड़ में शामिल हो गए। बहुत जल्द ही अफ्रीका और एशिया के अनेक देश विभिन्न यूरोपीय शक्तियों के उपनिवेश बन गए।