NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 8 संस्कृतियों का टकराव (Confrontation of Cultures)
Text Book | NCERT |
Class | 11th |
Subject | History |
Chapter | Chapter – 8 |
Chapter Name | बसंस्कृतियों का टकराव |
Category | Class 11th History Notes In Hindi |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 8 संस्कृतियों का टकराव (Confrontation of Cultures)
?Chapter – 8?
✍संस्कृतियों का टकराव✍
?Notes?
औद्योगिक क्रांति – ब्रिटेन में , 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थ व्यवस्था का जो रूपांतरण हुआ उसे प्रथम औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है ।
औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग – औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग यूरोपीय विद्वानों जैसे फ्रांस में जर्जिस मिशले ( Georges Michelet ) और जर्मनी में फ्राइड्रिक एंजेल्स ( Friedrich Engels ) द्वारा किया गया ।
औद्योगिक क्रांति के परिणाम
नई मशीनों और तकनीकों का विकास हुआ ।
हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों की तुलना में भारी पैमाने पर माल के उत्पादन को संभव बनाया ।
भाप इंजन के अविष्कार से ब्रिटेन के उद्योग में एक नयी क्रांति आ गयी और जहाजों और रेलगाड़ियों द्वारा परिवहन की गति अधिक तेज हो गई ।
औद्योगीकरण की वजह से लोग समृद्ध होने लगे और उनके जीवनशैली में काफी परिवर्तन आया ।
एस्ट्रोलैब – एस्ट्रोलैब का आविष्कार किया गया था जिसने नाविकों को सामान्य दृष्टि से परे देखने में मदद की और उन्हें समुद्री खतरे से बचने में भी मदद की । टॉलेमी के भौगोलिक आविष्कार ने अक्षांशीय और अनुदैर्ध्य विस्तार के आधार पर स्थानों का पता लगाने में मदद की ।
तुपिनांबा – दक्षिणी अमरीका के पूर्वी तट पर ब्राजील नामक पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गाँवों में रहने वाले लोग ।
मध्य अमरिका के कुछ सुगठित राज्य –
एजटेक सभ्यता –
- मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में निवास ग्रामीण आधार ।
- श्रेणीबद्ध समाज ।
- कालमेकाक :- कुलीन वर्ग के स्कूल ।
- तपोकल्ली :- अन्य ।
- चिनाम्पा :- सरकंडे की चटाइयों से बने कृत्रिम टापू ।
माया सभ्यता –उन्नतशील खेती के तरीके आधार :- मक्के की खेती ।
सांस्कृतिक विकास : वास्तुकला खगोल , गणित , चित्रात्मक लिपि ।
इंका सभ्यता –आधार :- कृषि मुख्य फसल मक्का , आलू ।
केन्द्रीकृत साम्राज्य पिरामिडनुमा ढांचा , भाषा : – क्वेचुआ , दक्ष भवन निर्माता
एज़्टेक सभय्ता –
एज़्टेक 12 वीं शताब्दी में उत्तर से मैक्सिको की केंद्रीय घाटी में चले गए थे । एज़्टेक समाज पदानुक्रमित था । नोबेलिटी में पुजारी और अन्य उच्च सामाजिक समूह शामिल थे ।
एज़्टेक ने लेक रीड मैक्सिको में चिनमपस ( कृत्रिम द्वीप ) बनाए , जिसमें विशाल ईख – मटके बुनाई और मिट्टी और पौधों के साथ कवर किए गए थे । उन्होंने मकई , सेम , स्क्वै श , कद्दू , मैनियोक रूट और आलू की खेती की । भूमि पर व्यक्तियों का नहीं बल्कि कुलों का स्वामित्व था ।
किसानों ने कुलीनता के स्वामित्व वाली भूमि में काम किया । एज़्टेक ने सुनिश्चित किया कि सभी बच्चे स्कूल जाएं ।
एज़्टेक ने एक बहुत विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी , जो 2 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला था ।
एज़्टेक शासकों ने सर्वोच्च शक्तियों का आनंद लिया । एज़्टेक महिलाओं को समाज में विशेष दर्जा दिया गया था ।
चिनाम्पा
चिनाम्पा – सरकंडे की बहुत बड़ी चटाईयाँ बुनकर और उन्हें मिट्टी तथ पत्तों से ट्रॅककर मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाये गए ।
इंका सभ्यता –
बारहवीं शताब्दी में , पहले इंका , मैनको कैपैक ने कुज्को में अपनी राजधानी स्थापित की ।
इंका समाज कई वर्गों में विभाजित था । ऊपरी दो वर्गों ने विशेष सुविधाओं का आनंद लिया , जबकि दास न्यूनतम स्तर पर खड़ा था और बुरी तरह से व्यवहार किया गया था ।
इंका समाज में महिलाओं को सम्मान दिया जाता था ।
इंका समाज ने शिक्षा पर विशेष जोर दिया ।
इंका समाज में पुरुषों को सैन्य और पुरोहित प्रशिक्षण दिया गया था । इंका लोगों को एक ईमानदार और पवित्र जीवन शैली जीने के लिए प्रेरित किया गया था ।
माया सभ्यता –
माया सभ्यता एक महत्वपूर्ण मैक्सिकन सभ्यता थी जो 1500 ईसा पूर्व में अस्तित्व में आई थी ।
माया सभ्यता 300 से 900 CF के बीच की अवधि के दौरान अपने चरम पर पहुंची , ।
माया सभ्यता के महत्वपूर्ण केंद्र मैक्सिको , होंडुरास , अल – सल्वाडोर और ग्वाटेमाला थे ।
खोज यात्राओं के परिणाम –
अमरीका महाद्वीप की खोज हुई जिसके कारण विश्वव्यापी व्यापार को प्रोत्साहन मिला ।
भारत जाने के एक नवीन मार्ग की खोज हुई । यूरोप के अनेक देशों इंग्लैंड , फ्रांस , स्पेन , पुर्तगाल आदि में उपनिवेश बनाने और साम्राज्य स्थापित करने की प्रतिस्पर्धा हुई ।
अमरीका में यूरोपीय सभ्यता फैलने लगी तथा इसाई धर्म के प्रचार में वृद्धि ।
उपनिवेशीकरण और दास व्यापार –
अमरीका के मूलनिवासियों को गुलाम बनाकर खानो , बगानों और कारखानों में काम लिया जाने लगा ।
इसके साथ – 2 वहाँ उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ । नई – नई आर्थिक गतिविधियों जोरों से शुरू हो गई ।
जंगलों की सफाई करके प्राप्त भूमि पर पशुपालन किया जाने लगा । सभी कामों के लिए सस्ते श्रम की मांग ।
कैब्राल और ब्राजील –
कैब्राल ने तुफानी समुद्रों से बचने के लिए पश्चिमी अफ्रीका का एक बड़ा चक्कर लगाया वह उस प्रदेश के समुद्र तट पर पहुँच गया , जिसे वर्तमान में ब्राजील कहा जाता है । इस प्रकार कैब्राल संयोगवश ब्राजील पहुँचा ।
ब्राजील में एक प्राकृतिक संसाधन टिम्बर , इमारती लकड़ी का भरपूर पुर्तगालवासियों ने फायदा उठाया ।
ब्राजील के निवासी लोहे के चाकू छुरियों और आरियों के बदले में पेड़ों को काटकर उनके लट्ठे बनाकर जहाजों तक ले जाने के लिए तैयार हो गये ।
ब्राजील वासियों की प्रतिक्रिया –
मूल निवासियों ने फ्रांसीसी पादरी से कहा कि जिस भूमि ने तुम्हें पालपोस कर बड़ा किया क्या वह तुम्हारे बच्चों को पेट भरने के लिए पर्याप्त नहीं है ?
चीनी मिल मालिकों ने काम करने से इंकार करने पर उन्हें गुलाम बनाना शुरू किया ।
अमरीका में स्पेन के साम्राज्य की स्थापना –
स्पेनी साम्राज्य का विस्तार बारूद और घोड़ो के प्रयोग पर आधारित सैन्य शक्ति की बदौलत हुआ ।
प्रारम्भ में ‘ खोज ‘ के बाद छोटी बस्तियाँ बसानी पड़ती थी । जिसमें रहने वाले स्पेनी लोग स्थानीय मजदूरो पर निगरानी रखते थे ।
स्थानीय प्रधानों को सोने के नये – नये स्रोत खोजने के लिए भर्ती । सैनिक दमन और बेगार का तांडव ।
महामारी विशेषत –
चेचक ने अरावाक लोगों पर कहर ढाह दिया क्योंकि उनमें प्रतिरोध क्षमता नहीं थी ।
स्थानीय लोगों द्वारा मानना कि बीमारी का कारण स्पेनियों द्वारा चलाई जाने वाली अदृश्य गोलियाँ थीं ।
स्पेनवासियों ने इस क्षेत्र के दो बड़े साम्राज्यों को जीतकर अपने कब्जे में कर लिया ।
यह काम हरमन कोर्टेस और फ्रांसिस्को पिजारों का था । उनके अभियानों का खर्चा , स्पेन के जमींदारों नगर परिषदों के अधिकारियों और अभिजातों ने उठाया ।
पुर्तगालि शासक प्रिन्स हेनरी वस्तत –
‘ नाविक हेनरी ‘ के नाम से प्रसिद्ध थे । उन्होंने नाविकों को जलमार्गों द्वारा नए नए स्थानों की खोज के लिए प्रोत्साहित किया । उसने पश्चिमी अफ्रीकी देशों की यात्रा की तथा 1415 ई० में सिरश पर हमला किया । तत्पश्चात् पुर्तगालियों ने अनेक अभियान आयोजित करके अफ्रीका के बोजाडोर अंतरीप में अपना व्यापार केंद्र स्थापित किया । इसके अतिरिक्त उन्होंने नाविकों के प्रशिक्षण के लिए एक प्रशिक्षण स्कूल की भी स्थापना की ।
परिणामतः 1487 ई० में पुर्तगाली नाविक कोविल्हम ने भारत के मालाबार तट पर पहुँचने में सफलता प्राप्त की ।
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