NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 1 लेखन कला और शहरी जीवन (Writing Arts and Urban Life)
Text Book | NCERT |
Class | 11th |
Subject | History |
Chapter | 1st |
Chapter Name | लेखन कला और शहरी जीवन (Writing Arts and Urban Life) |
Category | Class 11th History Notes In Hindi |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 1 लेखन कला और शहरी जीवन (Writing Arts and Urban Life) Notes In Hindi जिसमे हम मेसोपोटामिया कला कितनी पुरानी है?, मेसोपोटामिया वास्तुकला का निर्माण किसने किया था?, मेसोपोटामिया किस चीज ने प्रसिद्ध किया?, मेसोपोटामिया की शुरुआत कैसे हुई?, मेसोपोटामिया चीन से भी पुराना है?, मेसोपोटामिया भाषा कितनी पुरानी है?, मेसोपोटामिया पर सबसे पहले किसने शासन किया था?, प्राचीन मेसोपोटामिया का मुख्य धर्म क्या था?, मेसोपोटामिया में दो नदियां कौन सी हैं?, 5000 साल पुरानी कौन सी सभ्यता है?, क्या चीन जापान से पुराना है?, सबसे लंबी सभ्यता कौन सी है?, मेसोपोटामिया भारत से पुराना है?, मेसोपोटामिया संस्कृत से भी पुराना है? आदि के बारे में पढेंगें। |
NCERT Solutions Class 11th History Chapter – 1 लेखन कला और शहरी जीवन (Writing Arts and Urban Life)
Chapter – 1
लेखन कला और शहरी जीवन
Notes
मेसोपोटामिया का अर्थ – यह शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों ‘मेसोस‘ यानि मध्य ‘पोटैमोस‘ यानि नदी से मिलकर बना है। मैसोपोटामिया दजला व फरात नदियों के बीच की उपजाऊ धरती को इंगित करता है।
मेसोपोटामिया – दजला और फरात नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है। शहरी जीवन की शुरुआत इसी सभ्यता में होती है। शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई। मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिद्ध है।
मेसोपोटामिया की ऐतिहासिक जानकारी के प्रमुख स्त्रोत – इमारतें, मूर्तियाँ, कब्रें, आभूषण, औजार, मुद्राएँ, मिट्टी की पट्टिकाएं तथा लिखित दस्तावेज हैं
मेसोपोटामिया की भाषा – इस सभ्यता में सबसे पहले ‘सुमेरियन‘ भाषा उसके बाद ‘अक्कदी‘ भाषा और बाद में ‘अरामाइक‘ भाषा बोली जाती थी। 1400 ई. पू. से धीरे – धीरे अरामाइक भाषा का प्रवेश हुआ, यह हिब्रू भाषा से मिलती – जुलती थी और 1000 ई. पू. के बाद यह व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी और आज भी इराक के कुछ भागों में बोली जाती है।
मेसोपोटामिया की भौगोलिक स्थित
• यह क्षेत्र आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है।
• इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर और अक्कद कहा जाता था। बाद में इस भाग को बेबीलोनिया कहा जाने लगा।
• इसके उत्तरी भाग को असीरियाईयों के कब्जा होने के बाद असीरिया कहा जाने लगा।
• इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई. पू. में प्रारम्भ हो गया था। उरूक, उर और मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे।
• यहाँ स्टेपी घास के मैदान हैं अतः पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अच्छा साधन है। अतः यहाँ कृषि, पशुपालन एवं व्यापार आजीविका के विभिन्न साधन हैं।
• यहाँ के लोग औजार बनाने के लिए कॉसे का इस्तेमाल करते थे। यहाँ के उरुक नगर में एक स्त्री का शीर्ष मिला है जो सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया है – वार्का शीर्ष।
• श्रम विभाजन एवं सामाजिक संगठन शहरी जीवन एवं अर्थव्यवस्था की विशेषता थे।
• यहाँ खाद्य – संसाधन तो समृद्ध थे परन्तु खनिज – संसाधनों का अभाव था, जिन्हें तुर्की, ईरान अथवा खाड़ी पार देशों से मंगाया जाता था।
• यहाँ व्यापार के लिए परिवहन व्यवस्था अच्छी थी जलमार्ग द्वारा। फरात नदी व्यापार के लिए विश्व मार्ग के रुप में प्रसिद्ध थी।
• शहरी अर्थव्यवस्था में हिसाब – किताब, लेन – देन, रखने के लिए, यहाँ लेखन कला का विकास हुआ।
मेसोपोटामिया की कृषि और जलवायु
• दज़ला और फरात नाम की नदियाँ उत्तरी पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाउ बारीक मिटटी लाती रही हैं। जब इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया जाता है तब यह उपजाऊ मिटटी वहाँ जमा हो जाती है।
• यहाँ का रेगिस्तानी भाग जो दक्षिण में स्थित है यहाँ भी कृषि की जाती है और फरात नदी जब इन रेगिस्तानों में पहुंचती है तो छोटे – छोटे कई धाराओं में बंटकर नहरों जैसे सिंचाई का कार्य करती है। यहाँ गेंहूँ, जौ, मटर और मसूर की खेती की जाती है।
• दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे ज़्यादा उपज देने वाली हुआ करती थी। हालांकि वहाँ फसल उपजाने के लिए आवश्यक वर्षा की कुछ कमी रहती थी।
• स्टेपी क्षेत्र का प्रमुख कार्य पशुपालन था। यहाँ खेती के अलावा भेड़ बकरियाँ स्टेपी घास के मैदानों, पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालों पर पाली जाती थीं।
मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगर
• इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई. पू. में प्रारम्भ हो गया था। उरूक, उर और मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे।
• यहाँ उर नगर में नगर – नियोजन पद्धति का अभाव था, गलियां टेढ़ी – मेढ़ी एवं संकरी थी। जल – निकास प्रणाली अच्छी नहीं थी। उर वासी घर बनाते समय शकुन – अपशकुन पर विचार करते थे।
• 2000 ई . पू . के बाद फरात नदी की उर्ध्वधारा पर मारी नगर शाही राजधानी के रूप में फला – फूला। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था। इसके कारण यह बहुत समृद्ध तथा खुशहाल था। यहाँ जिमरीलियम का राजमहल मिला है तथा एक मंदिर भी मिला है।
लेखन कला – मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पाई गईं हैं वे लगभग 3200 ई. पू. की हैं, इन पर सरकण्डे की तीखी नोंक से कीलाकार लिपि द्वारा लिखा जाता था। इन पट्टिकाओं को धूप में सुखा लिया जाता था।
लेखन प्रणाली की विशेषताएँ
- ध्वनि के लिए कीलाक्षर या किलाकार चिन्ह का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता है।
- अलग अलग ध्वनियों के लिए अलग अलग चिन्ह होते थे जिसके कारण लिपिक को सैकड़ों चिन्ह सीखने पड़ते थे।
- सुखने से पहले इन्हें गीली पट्टी पर लिखना होता था।
- लिखने के लिए कुशल व्यक्ति की आवश्यकता होती थी।
- इसमें भाषा – विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य रूप देना होता था।
कीलाकार (क्यूनीफार्म) – यह लातिनी शब्द ‘क्यूनियस‘ जिसका अर्थ छूटी और फोर्मा जिसका अर्थ ‘आकार‘ है, से मिलकर बना है।
काल – गणना
• काल – गणना और गणित की विद्वतापूर्ण परम्परा दुनिया को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन है।
• इस सभ्यता के लोग गुणा – भाग ,वर्गमूल, चक्रवृद्धि ब्याज आदि से परिचित थे।
• काल गणना के लिए यहाँ के लोगों ने एक वर्ष का 12 महीनों में, 1 महीने का 4 हफ्तों में, 1 दिन का 24 घंटों में तथा 1 घंटे का 60 मिनट में विभाजन किया था।
मेसोपोटामिया के शहरों के प्रकार
- वे जो मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए शहर
- वे जो व्यापार के केन्द्रों के रूप में विकसित हुए शहर
- शाही शहर
शहरीकरण / नगरों की बसावट – शहर और नगर बड़ी संख्या में लोगों के रहने के ही स्थान नहीं होते थे। जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियाँ विकसित होने लगती है तब किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है। इसके फलस्वरूप कस्बे बसने लगते हैं।
शहरी अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य उत्पादन के अलावा व्यापार, उत्पादन और तरह – तरह की सेवाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। नगर के लोग आत्मनिर्भर नहीं रहते और उन्हें नगर या गाँव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता है। उनमें आपस में लेनदेन होता रहता है। इस प्रकार हम देखते है कि शहरी क्रियाकलाप से गाँव लोग भी जुड़े रहते हैं।
शहरी जीवन का विशेषताएं
- शहरी जीवन में श्रम – विभाजन होता है।
- विभिन्न कार्य से जुड़े लोग आपस में लेनदेन के माध्यम से जुड़े रहते हैं।
- शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन, धातु, विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी आदि जरूरी चीजें भिन्न – भिन्न जगहों से आती हैं।
मेसोपोटामिया के शहरों में माल की आवाजाही
• मेसोपोटामिया के खाद्य – संसाधन चाहे कितने भी समृद्ध रहे हों, उसके यहाँ खनिज – संसाधनों का अभाव था। दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार, मोहरें मुद्राएँ और आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की कमी थी।
• इराकी खजूर और पोपलार के पेड़ों की लकड़ी, गाडियाँ, गाडियों के पहिए या नावें बनाने के लिए कोई खास अच्छी नहीं थी।
• औजार, पात्र, या गहने बनाने के लिए कोई धातु वहाँ उपलब्ध नहीं थी।
• मेसोपोटामियाई लोग संभवतः लकड़ी, ताँबा, राँगा, चाँदी, सोना, सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी – पार के देशों से मंगाते थे जिसके लिए वे अपना कपड़ा और कृषि – जन्य उत्पाद काफी मात्रा में उन्हें निर्यात करते थे।
परिवहन – परिवहन का सबसे आसान और सस्ता साधन जलमार्ग था। मेसोपोटामियाई शहरों के लिए जलमार्ग सबसे प्रमुख साधन होने का कारण था।
मेसोपोटामिया के मंदिर
• मेसोपोटामिया के कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों की तरह थे अंतर केवल मंदिर की बाहरी दीवारों के कारण था जो कुछ खास अंतराल के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी होती थीं। ‘उर‘ (चंद्र) एवं इन्नाना (प्रेम एवं युद्ध की देवी) यहाँ के प्रमुख देवी देवता थे।
• ये कच्ची ईंटों का बना हुआ होता था।
• इन मंदिरों में विभिन्न प्रकार के देवी – देवताओं के निवास स्थान थे, जैसे उर जो चंद्र देवता था और इन्नाना जो प्रेम व युद्ध की देवी थी।
• ये मंदिर ईंटों से बनाए जाते थे और समय के साथ बड़े होते गए। क्योंकि उनके खुले आँगनों के चारों ओर कई कमरे बने होते थे।
• कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों से अलग किस्म के नहीं होते थे – क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही होता था।
• मंदिरों की बाहरी दीवारें कुछ खास अंतरालों के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं यही मंदिरों की विशेषता थी।
मेसोपोटामिया के शासक
• समय का यह विभाजन सिकंदर के उत्तराधिकारियों द्वारा अपनाया गया और वहाँ से यह रोम तथा इस्लाम की दुनिया में तथा बाद में मध्ययुगीन यूरोप में पहुँचा।
• गिल्गेमिश – उरूक नगर का शासक था ,महान योद्धा था, जिसने दूर – दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था।
• असीरियाई शासक असुर बनिपाल ने बेबिलोनिया से कई मिट्टी की पट्टिकायें मंगवाकर निनवै में एक पुस्तकालय स्थापित किया था।
• नैबोपोलास्सर ने 625 ई. पू. में बेबिलोनिया को असीरियाई आधिपत्य से मुक्त कराया था।
• 331 ई. पू. में सिकंदर से पराजित होने तक बेबीलोन दुनिया का एक प्रमुख नगर बना रहा। नैबोनिडस स्वतंत्र बेबीलोन का अंतिम शासक था।
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