NCERT Solutions Class 11th Hindi अंतरा Chapter – 10 सूरदास Question & Answer

NCERT Solutions Class 11th Hindi अंतरा Chapter – 10 सूरदास

TextbookNCERT
Class Class 12th
Subject Hindi
ChapterChapter – 10
Grammar Nameसूरदास
CategoryClass 11th Hindi अंतरा अभ्यास प्रश्न – उत्तर 
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 11th Hindi अंतरा Chapter – 10 सूरदास Question & Answer सूरदास के पद में किसका वर्णन है?, सूरदास ने कुल कितने पद लिखे?, सूरदास के पद का मूल भाव क्या है?, सूरदास का पहला नाम क्या था?, सूरदास के पद कहाँ से लिया गया है?, सूरदास ने कौन सी भाषा लिखी थी?, सूरदास के शिक्षक कौन है?, सूरदास की रचना कौन थी?, सूरदास कहां थे?, सूरदास जी का पूरा नाम क्या है?, सूरदास के दीक्षा गुरु का नाम क्या है?, भक्त सूरदास कौन है?, सूरदास की प्रथम रचना कौन सी है?

NCERT Solutions Class 11th Hindi अंतरा Chapter – 10 सूरदास

Chapter – 10

सूरदास

प्रश्न – उत्तर

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1. ‘खेलन में को काको गुसैयाँ’ पद में कृष्ण और सुदामा के बीच किस बात पर तकरार हुई?
उत्तर – पद में कृष्ण और सुदामा के मध्यम हार-जीत को लेकर तकरार हुई है। सुदामा खेल में जीत गए हैं और कृष्ण हार गए हैं। अपनी हार पर कृष्ण नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनकी इस बात से सुदामा और अन्य साथी भी नाराज़ हो जाते हैं।
प्रश्न 2. खेल में रूठनेवाले साथी के साथ सब क्यों नहीं खेलना चाहते?
उत्तर – खेल में रूठनेवाले साथी से सभी परेशान हो जाते हैं। खेल में सभी बराबर होते हैं। अतः जो हारता है, उसे दूसरों को बारी देनी होती है। जो अपनी बारी नहीं देता है और रूठा रहता है, उसे कोई पसंद नहीं करता है। सभी खेलना चाहते हैं। अतः ऐसे साथी से सभी दूर रहते हैं।
प्रश्न 3. खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने उन्हें डाँटते हुए क्या-क्या तर्क दिए?
उत्तर – खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने डाँटते हुए ये तर्क दिए-
(क) तुम्हारी हार हुई है और तुम नाराज़ हो रहे हो। यह गलत है।
(ख) तुम्हारी और हमारी जाति सबकी समान है। खेल में सभी समान होते हैं।
(ग) तुम हमारे पालक नहीं हो। अतः तुम्हें हमें यह अकड़ नहीं दिखानी चाहिए।
(घ) तुम यदि खेलते समय बेईमानी करोगे, तो कोई तुम्हारे साथ नहीं खेलेगा।
प्रश्न 4. कृष्ण ने नंद बाबा की दुहाई देकर दाँव क्यों दिया?
उत्तर – कृष्ण ने नंद बाबी की दुहाई देकर यह निश्चित किया कि वह अपनी बारी देंगे और सबको हारकर ही रहेंगे। नंद उनके पिता है। अतः पिता का नाम लेकर वह झूठ नहीं बोलेंगे और सब उनकी बात मान जाएँगे। इसलिए उन्होंने नंद बाबा की दुहाई दी।
प्रश्न 5. इस पद से बाल-मनोविज्ञान पर क्या प्रकाश पड़ता है?
उत्तर – इस पद से बाल-मनोविज्ञान पर प्रकाश पड़ता है कि बच्चे बहुत समझदार होते हैं। वे हर बात का सूक्ष्म अध्ययन करते हैं। सही और गलत की उन्हें पहचान होती है। वह ऊँच-नीच, बड़ा-छोटा, अच्छा-बुरा सब समझते है। उदाहरण के लिए नाराज़ कृष्ण को समझाने के लिए वे बताते हैं कि कृष्ण अपनी जाति, धन, पिता के नाम का अनुचित लाभ नहीं उठा सकते हैं। वे भी इस मामले में कृष्ण के समान हैं। इसके अतिरिक्त वे जानते हैं कि कौन उनके साथ खेलने योग्य है और कौन नहीं। वे कृष्ण की हरकतों के लिए उन्हें चेतावनी देते हैं कि यदि वह अपना स्वभाव नहीं बदलेंगे, तो वे उनके साथ नहीं खेलेंगे। इस तरह पता चलता है कि बच्चे हर बात का बारीकी से अध्ययन करते हैं। नाराज़ होते हैं तो फिर एक हो जाते हैं।
प्रश्न 6. ‘गिरिधर नार नवावति? से सखी का क्या आशय है?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में गोपियाँ कृष्ण पर व्यंग्य कसती हैं। वे कहती हैं कि कृष्ण प्रेम के वशीभूत होकर एक साधारण बाँसुरी को बजाते समय अपनी गर्दन झुका देते हैं। भाव यह है कि कृष्ण बाँसुरी बजाते समय गर्दन को हल्का झुका लेते हैं। गोपियाँ चूंकि बाँसुरी से सौत के समान डाह रखती हैं। अतः वे बाँसुरी को औरत के रूप में देखते हुए उन पर व्यंग्य कसती हैं। वे नहीं चाहती कि कृष्ण बाँसुरी को इस प्रकार अपने होटों से लगाए। बाँसुरी को कृष्ण का सामिप्य मिल रहा है, गोपियों को यह भाता नहीं है।
प्रश्न 7. कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से क्यों की गई है?
उत्तर – कृष्ण के अधरों की तुलना निम्नलिखित कारणों से की गई हैं।-
(क) कृष्ण के अधर सेज के समान कोमल हैं।
(ख) जिस प्रकार सेज सोने के काम आती है, वैसे ही कृष्ण बाँसुरी को बजाने के लिए अपने अधर रूपी सेज में रखते हैं। ऐसा लगता है मानो बाँसुरी सो रही है।इन दोनों से कारणों से अधरों की तुलना सेज से करना उचित जान पड़ा है।
प्रश्न 8. पठित पदों के आधार पर सूरदास के काव्य की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – सूरदास के काव्यों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(क) वात्सल्य रस में सर्वश्रेष्ठ हैं। बाल-लीलाओं का सुंदर चित्रण है।
(ख) बाल मनोविज्ञान में बेज़ोड़ हैं। बालकों के स्वभाव का सजीव चित्रण है।
(ग) स्त्रियों की मनोदशा को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।
(घ) श्रृंगार रस का वर्णन अद्भुत है।
(ङ) पदों में उत्प्रेक्षा, उपमा तथा अनुप्रास अलंकार का सुंदर चित्रण है।
(च) ब्रजभाषा का साहित्य रूप बहुत सुंदर बन पड़ा है।
(छ) पदों में गेयता का गुण विद्यमान है।
प्रश्न 9. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) जाति-पाँति …………………. तुम्हारै गैयाँ।
(ख) सुनि री …………… नवावति।
उत्तर – (क) प्रसंग – प्रस्तुत पंक्ति सूरदास द्वारा लिखित ग्रंथ सूरसागर से ली गई हैं। इस पंक्ति में कृष्ण द्वारा बारी न दिए जाने पर ग्वाले कृष्ण को नाना प्रकार से समझाते हुए अपनी बारी देने के लिए विवश करते हैं।
व्याख्या – ‘कृष्ण’ गोपियों से हारने पर नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनके मित्र उन्हें उदाहरण देकर समझाते हैं। वे कहते हैं कि तुम जाति-पाति में हमसे बड़े नहीं हो, तुम हमारा पालन-पोषण भी नहीं करते हो। अर्थात तुम हमारे समान ही हो। इसके अतिरिक्त यदि तुम्हारे पास हमसे अधिक गाएँ हैं और तुम इस अधिकार से हम पर अपनी चला रहे हो, तो यह उचित नहीं कहा जाएगा। अर्थात खेल में सभी समान होते हैं। जाति, धन आदि के कारण किसी को खेल में विशेष अधिकार नहीं मिलता है। खेलभावना को इन सब बातों से अलग रखकर खेलना चाहिए।
(ख) प्रसंग – प्रस्तुत पंक्ति सूरदास द्वारा लिखित ग्रंथ सूरसागर से ली गई हैं। इस पंक्ति में गोपियों की जलन का पता चलता है। वह कृष्ण द्वारा बजाई जाने वाली बाँसुरी से सौत की सी डाह रखती हैं।
व्याख्या – एक गोपी अन्य गोपी से कहती है कि हे सखी! सुन यह बाँसुरी कृष्ण को विभिन्न प्रकार से परेशान करती है। कृष्ण को एक पैर पर खड़ा करके अपना अधिकार व्यक्त करती है। कृष्ण तो बहुत ही कोमल हैं। वह उन्हें इस प्रकार अपनी आज्ञा का पालन करवाती है कि कृष्ण की कमर भी टेढ़ी हो जाती है। यह बाँसुरी ऐसे कृष्ण को अपना कृतज्ञ बना देती है, जो स्वयं चतुर हैं। इसने गोर्वधन पर्वत उठाने वाले कृष्ण तक को अपने सम्मुख झुक जाने पर विवश कर दिया है। भाव यह है कि गोपियाँ कृष्ण की बाँसुरी से जलती हैं।
अतःबाँसुरी बजाते वक्त कृष्ण की प्रत्येक शारीरिक मुद्रा पर गोपियाँ कटाक्ष करती हैं। बाँसुरी बचाते समय कृष्ण एक पैर पर खड़े होते हैं। जब बाँसुरी बजाते हैं, तो थोड़े टेढ़े खड़े होते हैं, जिससे उनकी कमर भी टेढ़ी हो जाती है। उसे बजाते समय वे आगे की ओर थोड़े से झुक जाते हैं। ये सारी मुद्राओं को देखकर गोपियों को ऐसा लगता है कि कृष्ण हमारी कुछ नहीं सुनते हैं। जब बाँसुरी बजाने की बारी आती है, तो कृष्ण इसके कारण हमें भूल जाते हैं।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1. खेल में हारकर भी हार न माननेवाले साथी के साथ आप क्या करेंगे? अपने अनुभव कक्षा में सुनाइए।
उत्तर – खेल में हारकर भी हार न मानने वाले साथी को हम झूठा और चालाक कहेंगे। मेरा एक मित्र था। हम सब साथी मिलकर खेलते थे। वह तब तक आराम से खेलता था, जब तक उसकी खेलने की बारी होती थी। जैसे ही हमारी खेलने की बारी आती थी या वह हारने लगता था, वह बहाना बनाकर भाग जाता था। ऐसे उसने कई बार किया। हम हर बार यही सोचकर उसे फिर अपने साथ खेलने को कहते कि अब वह इस प्रकार से नहीं करेगा। वह नहीं सुधरा। आखिरकार हम सबने तय किया कि उसे सबक सिखाना पड़ेगा। अतः हम लोग सभी ऐसा करते। जब तक हमारी बारी आती हम खेलते रहते, जैसे ही उसकी बारी आती हम खेलने से मना कर देते। आखिर उसे समझ में आया कि वह जो करता था गलत करता था। फिर वह सुधर गया।
प्रश्न 2. पुस्तक में संकलित ‘मुरली तऊ गुपालहिं भावति’ पद में गोपियों का मुरली के प्रति ईर्ष्या-भाव व्यक्त हुआ है। गोपियाँ और किस-किस के प्रति ईर्ष्या-भाव रखती थीं, कुछ नाम गिनाइए।
उत्तर – गोपियाँ राधा के प्रति ईर्ष्या भाव रखती थीं, कृष्ण की पत्नियों के प्रति ईर्ष्या भाव रखती थीं तथा कुब्जा के प्रति भी ईर्ष्या भाव रखती थीं।

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