NCERT Solutions Class 10th Science New Syllabus Chapter – 8 आनुवंशिकता (Heredity)
Text Book | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Science |
Chapter | 8th |
Chapter Name | आनुवंशिकता (Heredity) |
Category | Class 10th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Science New Syllabus Chapter – 8 आनुवंशिकता (Heredity) Notes in Hindi हम इस अध्याय में आनुवंशिकता (Heredity), आनुवंशिकता के प्रकार, अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction), लैंगिक जनन (Sexual Reproduction), वंशागत लक्षण (Inherited Traits), जनन के दौरान विभिन्नताओं का संचयन, मेंडल का योगदान, मेंडल द्वारा मटर के पौधे का चयन, एकल संकरण, अवलोकन, मेंडेल के आनुवांशिक के नियम, मानव में लिंग निर्धारण, जनन के दौरान विभिन्नताओं का संचयन, आपने क्या सीखा आदि के बारे में पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 10th Science New Syllabus Chapter – 8 आनुवंशिकता (Heredity)
Chapter – 8
आनुवंशिकता
Notes
जनन के दौरान विभिन्नताओं का संचय
जनन द्वारा परिलक्षित होती हैं चाहे जन्तु
1. अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
2. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)
1. अलैंगिक जनन
• विभिन्नताएँ कम होंगी।
• डी. एन. ए प्रतिकृति के समय न्यून त्रुटियों के कारण उत्पन्न होती हैं।
2. लैंगिक जनन
• विविधता अपेक्षाकृत अधिक होगी।
• क्रास संकरण के द्वारा, गुणसूत्र क्रोमोसोम के विसंयोजन द्वारा, म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) के द्वारा।
आनुवांशिक – माता और पिता एवं अन्य पूर्वजों के गुण सन्तानों में आता है, उसे अनुवांशिकता (Heredity) कहते है।
वंशागत लक्षण – हम जानते हैं कि शिशु में मानव के सभी आधारभूत लक्षण होते हैं। फिर भी यह पूर्णरूप से अपने जनकों जैसा दिखाई नहीं पड़ता तथा मानव समष्टि में यह विभिन्नता स्पष्ट दिखाई देती है।
ग्रेगर जॉन मेंडल (1822-1884) – मेंडल की प्रारंभिक शिक्षा एक गिरजाघर में हुई थी तथा वह विज्ञान एवं गणित के अध्ययन के लिए वियना विश्वविद्यालय गए। अध्यापन हेतु सर्टिफिकेट की परीक्षा में असफल होना उनकी वैज्ञानिक खोज की प्रवृत्ति को दबा नहीं सका। वह अपनी मोनेस्ट्री में वापस गए तथा मटर पर प्रयोग करना प्रारंभ किया। उनसे पहले भी बहुत से वैज्ञानिकों ने मटर एवं अन्य जीवों के वंशागत गुणों का अध्ययन किया था, परंतु मेंडल ने अपने विज्ञान एवं गणितीय ज्ञान को समिश्रित किया। वह पहले वैज्ञानिक थे, जिन्होंने प्रत्येक पीढ़ी के एक-एक पौधे द्वारा प्रदर्शित लक्षणों का रिकॉर्ड रखा तथा गणना की। इससे उन्हें वंशागत नियमों के प्रतिपादन में सहायता मिली।
मेंडल द्वारा मटर के पौधे का चयन – मेंडल ने मटर के पौधे का चयन निम्नलिखित गुणों के कारण किया–
(i) मटर के पौधों में विपर्यासी विकल्पी लक्षण स्थूल रूप से दिखाई देते हैं।
(ii) इनका जीवन काल छोटा होता है।
(iii) सामान्यतः स्वपरागण होता है परन्तु कृत्रिम तरीके से परपरागण भी कराया जा सकता है।
(iv) एक ही पीढ़ी में अनेक बीज बनाता है।
1. एकल संकरण (Monohybrid Cross) – मटर के दो पौधों के एक जोड़ी विकल्पी लक्षणों के मध्य क्रास संकरण को एकल संकर क्रास कहा जाता है। उदाहरण – लंबे पौधे तथा बौने पौधे के मध्य संकरण।
अवलोकन
(1) प्रथम संतति F1 पीढ़ी में सभी पौधे लंबे थे।
(2) F2 पीढ़ी में 3/4 लंबे पौधे वे 1/4 बौने पौधे थे।
(3) फीनोटाइप F2 – 3 : 1 (3 लंबे पौधे : 1 बौना पौधा) जीनोटाइप F2 – 1 : 2 : 1 TT, Tt, tt का संयोजन 1 : 2 : 1 अनुपात में प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
1. TT व Tt दोनों लंबे पौधे हैं, यद्यपि tt बौना पौधा है।
2. T की एक प्रति पौधों को लंबा बनाने के लिए पर्याप्त है। जबकि बौनेपन के लिए 1 की दोनों प्रतियाँ tt होनी चाहिए।
3. T जैसे लक्षण प्रभावी लक्षण कहलाते हैं, t जैसे लक्षण अप्रभावी लक्षण कहलाते हैं।
मेंडल के आनुवांशिक के नियम – मेंडल ने मटर पर किए संकरण प्रयोगों के निष्कर्षो के आधार पर कुछ सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जिन्हें मेंडेल कें आनुवंशिकता के नियम कहा जाता है।
यह नियम निम्न प्रकार से हैं-
1. प्रभावित का नियम
2. पृथक्करण का नियम ! विसंयोजन का नियम
3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम
लक्षण अपने आपको किस प्रकार व्यक्त करते हैं।
कोशिका के डी.एन.ए
↓
जीन (डी.एन.ए की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई)
↓
सूचना स्रोत
↓
प्रोटीन संश्लेषण
प्रोटीन विभिन्न लक्षणों की अभिव्यक्ति को नियंत्रित करती है। (इंजाइम व हॉर्मोन)
• जीन T (प्रभावी लक्षण) → इंजाइम का दक्षता से कार्य करना → पर्याप्त मात्रा में हॉर्मोन बनाना → लंबे पौधे
• जीन t (अप्रभावी लक्षण) → इंजाइम का कम दक्षता से कार्य करना → अपर्याप्त मात्रा में हॉर्मोन बनाना → बौने पौधे
लिंग निर्धारण
लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी कारक
↓
कुछ प्राणियों में लिंग निर्धारण अंडे के ऊष्मायन ताप पर निर्भर करता है। उदाहरण – घोंघा | कुछ प्राणियों जैसे कि मानव में लिंग निर्धारण लिंग सूत्र पर निर्भर करता है। XX (मादा) तथा XY (नर) |
मानव में लिंग निर्धारण
आधे बच्चे लड़के एवं आधे लड़की हो सकते हैं। सभी बच्चे चाहे वह लड़का हो अथवा लड़की अपनी माता से X गुणसूत्र प्राप्त करते हैं। अतः बच्चों का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिस बच्चे को अपने पिता से X गुणसूत्र वंशानुगत हुआ है वह लड़की एवं जिसे पिता से Y गुणसूत्र वंशागत होता है, वह लड़का होता है।
आपने क्या सीखा
• जनन के समय उत्पन्न विभिन्नताएँ वंशानुगत हो सकती हैं।
• इन विभिन्नताओं के कारण जीव की उत्तरजीविता में वृद्धि हो सकती है।
• लैंगिक जनन वाले जीवों में एक अभिलक्षण (Trait) के जीन के दो प्रतिरूप (Copies) होते हैं। इन प्रतिरूपों के एकसमान न होने की स्थिति में जो अभिलक्षण व्यक्त होता है उसे प्रभावी लक्षण तथा अन्य को अप्रभावी लक्षण कहते हैं।
• विभिन्न लक्षण किसी जीव में स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं। संतति में नए संयोग उत्पन्न होते हैं।
• विभिन्न स्पीशीज में लिंग निर्धारण के कारक भिन्न होते हैं। मानव में संतान का लिंग इस बात पर निर्भर करता है कि पिता से मिलने वाले गुणसूत्र ‘X’ (लड़कियों के लिए) अथवा ‘Y’ (लड़कों के लिए) किस प्रकार के हैं।
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