NCERT Solutions Class 10th science New Syllabus Chapter – 11 विद्युत (Electricity) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 10th science New Syllabus Chapter – 11 विद्युत (Electricity) 

Text BookNCERT
Class  10th
Subject  Science
Chapter12th
Chapter Nameविद्युत
CategoryClass 10th Science 
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 10th science New Syllabus Chapter – 11 विद्युत (Electricity) Notes in Hindi जिसमे हम SI मात्रक कितने होते हैं? 3 बल का SI मात्रक क्या है?, बाल का सी मात्रक क्या है?, जूल किसका मात्रक होता है?, ज्योति तीव्रता का मात्रक क्या होता है? SI की इकाई क्या है?, मूल राशि कितनी होती है?, प्रकाश का मात्रक क्या होता है?, Force कितने प्रकार के होते हैं? आदि के बारे में पढ़ेंगे

NCERT Solutions Class 10th science New Syllabus Chapter – 11 विद्युत (Electricity) 

Chapter – 12

विद्युत 

Notes

आवेश – आवेश परमाणु का एक मूल कण होता है। यह धनात्मक भी हो सकता है और ऋणात्मक भी।

● समान आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
● असमान आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

कूलॉम (c) आवेश का SI मात्रक है।
1 कूलॉम आवेश = 6 X 1018 इलेक्ट्रानों पर उपस्थित आवेश
1 इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19C (ऋणात्मक आवेश)

(Q = ne)

Q = कुल आवेश
n= इलेक्ट्रॉनों की संख्या
e = एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश

विद्युत धारा I – आवेश के प्रवाहित होने की दर को विद्युत धारा कहते हैं।

विद्युत धारा = आवेश / समय
I = Q / t

धारा का SI मात्रक = ऐम्पियर (A)
1A= 1C / 1S = 1कूलाम/ 1 सेकंड

1mA = 1 मिलि ऐम्पियर = 10-3 A
1μA = 1 माइक्रो ऐम्पियर = 10-6 A

विद्युत धारा को ऐमीटर द्वारा मापा जाता है।

● ऐमीटर का प्रतिरोध कम होता है तथा हमेशा श्रेणी क्रम में जुड़ता है।

● विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन के प्रवाहित होने की दिशा के विपरीत मानी जाती है। क्योंकि जिस समय विद्युत की परिघटना का सर्वप्रथम प्रेक्षण किया था इलेक्ट्रानों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी अतः विद्युत धारा को धनावेशों का प्रवाह माना गया।

विभवांतर (V) – एकांक आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किया गया कार्य।
V = W / Q SI मात्रक = वोल्ट (V)

1 वोल्ट – जब 1 कूलॉम आवेश को लाने के लिए 1 जूल का कार्य होता है तो विभवांतर
1 वोल्ट कहलाता है।
1V =1JC-1

वोल्ट मीटर – विभवांतर को मापने की युक्ति को वोल्टमीटर कहते है। इसका प्रतिरोध ज्यादा होता है तथा हमेशा पार्श्वक्रम में जुड़ता है।
वोल्ट मीटर का प्रतीक – V

सेल – यह एक सरल युक्ति है जो विभवांतर को बनाए रखती है।

● विद्युत धारा हमेशा उच्च विभवांतर से निम्न विभवांतर की तरफ प्रवाहित होती है।

● विद्युत परिपथ में सामान्यतः उपयोग होने वाले कुछ अवयवों के प्रतीक

क्र. सं.अवयवप्रतीक
1.विद्युत सेलविद्युत सेल
2.बैटरी अथवा सेलों का संयोजनबैटरी अथवा सेलों का संयोजन
3.(खुली) प्लग कुंजी अथवा स्विच(खुली) प्लग कुंजी अथवा स्विच
4.(बंद) प्लग कुंजी अथवा स्विच(बंद) प्लग कुंजी अथवा स्विच
5.तार संधितार संधि
6.(बिना संधि के) तार क्रॉसिंग(बिना संधि के) तार क्रॉसिंग
7.विद्युत बल्बविद्युत बल्ब
8.प्रतिरोधकप्रतिरोधक
9.परिवर्ती प्रतिरोधक अथवा धारा नियंत्रकपरिवर्ती प्रतिरोधक अथवा धारा नियंत्रक
10.ऐमीटरऐमीटर
11.वोल्टमीटरवोल्टमीटर

ओम का नियम – किसी विद्युत परिपथ में धातु के तार के दो सिरों के बीच विभवांतर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है परन्तु तार का तापमान समान रहना चाहिए।
V x R
V = IR
R एक नियतांक है जिसे तार का प्रतिरोध कहते हैं।

प्रतिरोध – यह चालक का वह गुण है जिसके कारण वह प्रवाहित होने वाली धारा का विरोध करता है।

SI मात्रक – ओम (Ω) है।

1ओम = 1वोल्ट / 1एम्पियर

● जब परिपथ में से 1 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही हो तथा विभवांतर एक वोल्ट का हो तो प्रतिरोध 1 ओम कहलाता है।

धारा नियंत्रक – परिपथ में प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए जिस युक्ति का उपयोग किया जाता है उसे धारा नियंत्रक कहते हैं।

वे कारक जिन पर एक चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है 

 (i) चालक की लम्बाई के समानुपाती होता है।
(ii) अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
(iii) तापमान के समानुपाती होता है।
(iv) पदार्थ की प्रकृति पर भी निर्भर करता है।

● विद्युत प्रतिरोधकता – 1 मीटर भुजा वाले घन के विपरीत फलकों में से धारा गुजरने पर जो प्रतिरोध उत्पन्न होता है वह प्रतिरोधता कहलाता है।

SI मात्रक Ωm (ओम मीटर) 

प्रतिरोधकता चालक की लम्बाई व अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के साथ नहीं बदलती परन्तु तापमान के साथ परिवर्तित होती है।
धातुओं व मिश्रधातुओं का प्रतिरोधकता परिसर – 10-8 – 10-6 Ωm
मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धातुओं से अपेक्षाकृतः अधिक होती है।
मिश्र धातुओं का उच्च तापमान पर शीघ्र ही उपचयन ( दहन ) नहीं होता अतः इनका उपयोग तापन युक्तियों में होता है।
तांबा व ऐलुमिनियम का उपयोग विद्युत संरचरण के लिए किया जाता है क्योंकि उनकी प्रतिरोधकता कम होती है।

प्रतिरोधकों का श्रेणी क्रम संयोजन – जब दो या तीन प्रतिरोधकों को एक सिरे से दूसरा सिरा मिलाकर जोड़ा जाता है तो संयोजन श्रेणीक्रम संयोजन कहलाता है।

श्रेणीक्रम में कुल प्रभावित प्रतिरोध :
Rs = R1 + R2 + R3
प्रत्येक प्रतिरोधक में से एक समान धारा प्रवाहित होती है।
तथा कुल विभवांतर = व्यष्टिगत प्रतिरोधकों के विभवांतर का योग।

V = V1 + V2 + V3
V₁ = IR1  V₂ = IR2 V3 = IR
V1 + V+ V3 = IR1 + IR2 + IR3
V = I(R1 + R2 + R2) (V1 + V2 + V3 =V)
IR = I(R1 + R2 + R3)
R = R+ R+ R2

अतः एकल तुल्य प्रतिरोध सबसे बड़े व्यक्तिगत प्रतिरोध से बड़ा है।

पार्श्वक्रम में संयोजित प्रतिरोधक – पार्श्वक्रम में प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर विभवांतर उपयोग किए गए विभवांतर के बराबर होता है। तथा कुल धारा प्रत्येक व्यष्टिगत प्रतिरोधक में से गुजरने वाली धाराओं के योग के बराबर होती है।

I = I1 + I2 + I3

V/R = V/R1 + V/R2 + V/R3

1/R = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3

एकल तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम प्रथक।
प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।

श्रेणीक्रम संयोजन की तुलना में पार्श्वक्रम संयोजन के लाभ :

(1) श्रेणीक्रम संयोजन में जब एक अवयव खराब हो जात है तो परिपथटूट जाता है तथा कोई भी अवयव काम नहीं करता।
(2) अलग-अलग अवयवों में अलग-अलग धाराकी जरूरत होती है, यहगुण श्रेणीक्रम में उपयुक्त नहीं होता है क्योंकि श्रेणीक्रम में धारा एक जैसी रहती है।
(3) पार्श्वक्रम संयोजन में प्रतिरोध कम होता है।

विद्युत धारा का तापीय प्रभाव :

यदि एक विद्युत् परिपथ विशुद्ध रूप से प्रतिरोधक है तो स्रोत की ऊर्जा पूर्ण रूप से ऊष्मा के रूप में क्षयित होती है, इसे विद्युत् धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं।

ऊष्मा = शक्ति x समय

H = P x t
H = VIt
H = I2Rt

P = VI
V = IR
H = ऊष्मा ऊर्जा

अतः उत्पन्न ऊर्जा (ऊष्मा) = I2Rt

जूल का विद्युत धारा का तापन नियम

 इस नियम के अनुसार 

(1) किसी प्रतिरोध में तत्पन्न उष्मा विद्युत धारा के वर्ग के समानुपाती होती है ।
(2) प्रतिरोध के समानुपाती होती है।
(3) विद्युत धारा के प्रवाहित होने वाले समय के समानुपाती होती है।

● तापन प्रभाव हीटर, प्रेस आदि में वाँछनीय होता है परन्तु कम्प्यूटर, मोबाइल आदि में अवाँछनीय होता है।
● विद्युत बल्ब में अधिकांश शक्ति ऊष्मा के रूप प्रकट होती है तथा कुछ भाग प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होता है।
● विद्युत बल्ब का तंतु टंगस्टन का बना होता है क्योंकि-

(1) यह उच्च तापमान पर उपचयित नहीं होता है।
(2) इसका गलनांक उच्च (3380° C ) है।
(3) बल्बों में रासानिक दृष्टि से अक्रिय नाइट्रोजन तथा आर्गन गैस भरी जाती है जिससे तंतु की आयु में वृद्धि हो जाती है।

विद्युत शक्ति – ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर को शक्ति कहते हैं।

प्रतीक = P ( P = VI )

P = I2R = V2/R

शक्ति का SI मात्रक = वाट है।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 ऐम्पियर
ऊर्जा का व्यावहारिक मात्रक = किलोवाट घंटा
=Kwh

1 kwh = 3.6 × 106J
1 kwh = विद्युत ऊर्जा की एक यूनिट

NCERT Solution Class 10th Science All Chapter Notes in Hindi
Chapter – 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
Chapter – 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण
Chapter – 3 धातु एवं अधातु
Chapter – 4 कार्बन एवं उसके यौगिक
Chapter – 5 जैव प्रक्रम
Chapter – 6 नियंत्रण एवं समन्वय
Chapter – 7 जीव जनन कैसे करते हैं
Chapter – 8 अनुवांशिकता
Chapter – 9 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
Chapter – 10 मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार
Chapter – 11 विद्युत
Chapter – 12 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव
Chapter – 13 हमारा पर्यावरण
NCERT Solution Class 10th Science All Chapter Question And Answer in Hindi
Chapter – 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
Chapter – 2 अम्ल, क्षार एवं लवण
Chapter – 3 धातु एवं अधातु
Chapter – 4 कार्बन एवं उसके यौगिक
Chapter – 5 जैव-प्रक्रम
Chapter – 6 नियंत्रण एवं समन्वय
Chapter – 7 जीव जनन कैसे करते है
Chapter – 8 अनुवांशिकता
Chapter – 9 प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन
Chapter – 10 मानव-नेत्र एवं रंगबिरंगी दुनियाँ
Chapter – 11 विद्युत
Chapter – 12 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
Chapter – 13 हमारा पर्यावरण
NCERT Solution Class 10th Science All Chapter MCQ in Hindi
Chapter – 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
Chapter – 2 अम्ल, क्षार एवं लवण
Chapter – 3 धातु एवं अधातु
Chapter – 4 कार्बन और इसके यौगिक
Chapter – 5 जैव-प्रक्रम
Chapter – 6 नियंत्रण एवं समन्वय
Chapter – 7 जीव जनन कैसे करते है
Chapter – 8 अनुवांशिकता
Chapter – 9 प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन
Chapter – 10 मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार
Chapter – 11 विद्युत
Chapter – 12 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
Chapter – 13 हमारा पर्यावरण

You Can Join Our Social Account

YoutubeClick here
FacebookClick here
InstagramClick here
TwitterClick here
LinkedinClick here
TelegramClick here
WebsiteClick here