NCERT Solutions Class 10th Science New Syllabus Chapter – 10 मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार (The Human Eye and The Colorful World)
Text Book | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Science |
Chapter | 10th |
Chapter Name | मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार (The Human Eye and The Colorful World) |
Category | Class 10th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Science New Syllabus Chapter – 10 मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार (The Human Eye and The Colorful World) Question & Answer in Hindi हम इस अध्याय में मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार क्या है?, मानव नेत्र लेंस का रंग कैसा होता है?, मानव नेत्र कक्षा 10 क्या है?, मानव नेत्र रंग किस सिद्धांत का पालन करता है?, इंसान की आंख रंगीन दुनिया क्यों है?, मानव नेत्र का रंगीन भाग को क्या कहते हैं?, मानव नेत्र के कितने भाग होते हैं?, मानव नेत्र का क्या नाम है?, मानव आंख कौन से रंग देख सकती है?, मानव आंख को सबसे अधिक दिखाई देने वाला रंग कौन सा है?, मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार PDF, मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार Notes, मानव नेत्र नोट्स Class 10 PDF, मानव नेत्र तथा, रंगबिरंगा संसार प्रश्न उत्तर, Class 10th मानव नेत्र नोट्स, मानव नेत्र प्रश्न उत्तर PDF, मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार in English, मानव नेत्र का सचित्र वर्णन आदि क बड़े में पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 10th Science New Syllabus Chapter – 10 मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार (The Human Eye and The Colorful World)
Chapter – 10
मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार
प्रश्न उत्तर
Page No. 181
प्रश्न 1. नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है समंजन कहलाती है। समंजन क्षमता के कारण ही नेत्र भिन्न-भिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना पर बना पाता है।
प्रश्न 2. निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर – यह निकट दृष्टि दोष है, जिसे दूर करने के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस लेना चाहिए।
प्रश्न 3. मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर – मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु अनंत पर तथा निकट बिंदु नेत्र से 25 cm की दूरी पर होता है, जिसे सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम (या अल्पतम) दूरी भी कहते हैं।
प्रश्न 4. अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर – वह विद्यार्थी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है तथा इसे अवतल लेंस के प्रयोग से संशोधित कर सकते हैं।
अभ्यास
प्रश्न 1. मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकत है। ऐसा हो पाने का कारण है-
(a) जरा दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट दृष्टि
(d) दीर्घ – दृष्टि
उत्तर – (b) समंजन
प्रश्न 2. मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं वह है–
(a) कॉर्निया
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर – (d) दृष्टिपटल
प्रश्न 3. सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग–
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर – (c) 25 cm
प्रश्न 4. अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है-
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर – (c) पक्ष्माभी द्वारा
प्रश्न 5. किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए – 5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है।संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी –
(i) दूर की दृष्टि के लिए (ii) निकट की दृष्टि के लिए
उत्तर – लेंस शक्ति P और लेंस की फोकस दूरी में निम्न सम्बन्ध होता है-
P = 1/F,
F = 1/P
(i) दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता
P = – 5.5 D
F = 1/P
= – 1/5.5 × 100
f = – 18.2 cm
(ii) निकट दृष्टि को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता
P = + 1.5 D
F = 1/P
= 1/1.5
= 10/15
= 2/3 m
= 200/3 cm
f = 66.7 cm
प्रश्न 6. किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर – इस लेंस की प्रकृति अपसारी अर्थात अवतल लेंस की होगी। लेंस की क्षमता, P = – 1/दूर बिंदु
= – 1/80/100
P = – 1.25 D
प्रश्न 7. चित्र बनाकर दर्शाइए की दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए की सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है।
उत्तर – हम जानते हैं कि दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख लेता है, लेकिन नजदीक की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है, इसके निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस प्रयुक्त करते हैं ताकि पास से आने वाली प्रकाश किरणें रेटिना पर फोकसित हो जाए। यह उत्तल लेंस 25 cm पर रखी वस्तु N’ का आभासी प्रतिबिंब N बना देता है। अब पीड़ित आँख N बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणों को रेटिना पर फोकसित कर देती है।
दीर्घ-दृष्टि दोष युक्त नेत्र
दीर्घ-दृष्टि दोष का संशोधन
u = – 25 cm, v = – 1, m = – 100 cm
= 1/v – 1/u = 1/f (लेंस सूत्र द्वारा)
1/-100 – 1/-25 cm = 1f
1f = – 1/100 + 1/25
= -1 + 4/100
= 3/100 cm
f = 100/3 = (1/3) m
अतः संशोधित लेंस की क्षमता
P = 1/f = 1/1/3 = + 3 D ….. (उत्तल लेंस)
प्रश्न 8. सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते क्यों?
उत्तर – मानव की सुस्पष्ट देखने की न्यूनतम दुरी 25 cm है। 25 cm से कम दूरी पर रखी हुई वस्तु से टकराकर प्रतिबिंब हुए प्रकाश की किरणों का दृष्टिपटल पर वस्तु सुस्पष्ट नहीं दिखाई देगी। क्योंकि मानव नेत्र की क्षमता 25 cm से बढाई नहीं जा सकता है। नेत्र की सिलियरी पेशियों उतनी नहीं खींच पाती जितनी कि 25 cm से निकट रखी वस्तु को स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक है। यही कारण है की सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते।
प्रश्न 9. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब – दूरी का क्या होता है?
उत्तर – जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब कि दूरी नहीं बढ़ती, क्योंकि नेत्र में समंजन क्षमता के कारण भिन्न-भिन्न स्थानों पर रखी वस्तुओं के प्रतिबिंब रेटिना पर बनते हैं। इसी कारण वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो भी नेत्र में प्रतिबिंब कि दूरी नहीं बढ़ती।
प्रश्न 10. तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर – दूर स्थित तारा हमें प्रकाश के बिन्दु के समान प्रतीत होता है। चूंकि तारों से आने वाली प्रकाश किरणों का पथ थोड़ा – थोड़ा परिवर्तित होता रहता है, अतः तारे की आभासी स्थिति विचलित होती रहती है तथा आँखों में प्रवेश करने वाले तारों के प्रकाश की मात्रा झिलमिलाती रहती है। जिसके कारण कोई तारा कभी चमकीला प्रतीत होता है तो कभी धुंधला, अर्थात तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते है।
प्रश्न 11. व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते ?
उत्तर – ग्रहों से पृथ्वी की दुरी काफी कम है। ग्रह प्रकाश के भंडार होते है। जो प्रकाश किरणें ग्रहों से आती है, उनमें अपवर्तन नहीं होता है। निकटता व प्रकाश का भंडार होने के साथ- साथ उनकी स्थिति में परिवर्तन नहीं होता अतः वे टिमटिमाते हुए प्रतीत नहीं होते हैं।
प्रश्न 12. सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर – सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है क्योंकि सूर्योदय के समय, वायुमंडल से होकर सूर्य के प्रकाश को अधिक दूरी तय करनी पड़ती है और इसे अधिक कणों से होकर गुजरना पड़ता है, जो मुख्यतः नीले रंग को प्रकीर्णित कर देते हैं।अतः जो बचा हुआ प्रकाश हमारी आंखों तक आता है मुख्यत लाल रंग होता है। इसीलिए सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ लाल प्रतीत होता है।
प्रश्न 13. किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर – अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है क्योंकि आकाश में कोई वायुमंडल नहीं होता जिससे वहां किसी भी रंग का प्रकीर्णन नहीं हो पाता है।
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