NCERT Solutions Class 10th Hindi (स्पर्श) New Syllabus Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस प्रश्न उत्तर

NCERT Solutions Class 10th Hindi (स्पर्श) New Syllabus Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस

TextbookNCERT
Class 10th
Subject Hindi
Chapter4th
Chapter Name पर्वत प्रदेश में पावस
CategoryClass 10th Hindi (स्पर्श)
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 10th Hindi (स्पर्श) New Syllabus Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस प्रश्न उत्तर पावस ऋतु में पर्वत प्रदेश में क्यों परिवर्तित हो जाता है?, पावस ऋतु थी पर्वत प्रदेश पर्वत पर कौन सी ऋतु का वर्णन हुआ है?, पर्वत प्रदेश में पावस कविता में झरने पर्वत का गौरव गान कैसे करते हैं?, पर्वत प्रदेश में पावस कविता में पेड़ हमें क्या प्रेरणा दे रहे हैं?, पर्वत प्रदेश में पावस कविता का प्रतिपाद्य क्या है?, पर्वत प्रदेश में पावस कविता की दो भाषागत विशेषताएँ कौन सी हैं?, पावस ऋतु का क्या मतलब होता है?, पावस ऋतु में प्रकृति में कौन कौन से परिवर्तन आते हैं पर्वत प्रदेश में पावस कविता के आधार पर लिखिए?, पर्वत प्रदेश में पावस कविता में इंद्रजाल किसे कहा गया है और क्यों?, सुमित्रानंदन पंत ने पर्वत प्रदेश में पावस कविता में तालाब की तुलना किससे की है और क्यों?, पावस ऋतु में क्या क्या परिवर्तन होते हैं?, पावस ऋतु में पर्वत प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य की क्या विशेषता है?, कविता में पर्वत का क्या अर्थ है?, पर्वत कविता में क्या दर्शाता है?, कविता में पर्वत का वर्णन कैसे किया गया है?, पर्वत की आँखों जैसे कौन हैं?, पर्वत प्रदेश में पावस Question Answer, पर्वत प्रदेश में पावस Summary, पर्वत प्रदेश में पावस MCQ, पर्वत प्रदेश में पावस PDF, पर्वत प्रदेश में पावस Extra Questions, पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश, पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में वर्णित प्रकृति के दृश्यों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए, पर्वत प्रदेश में पावस कविता के कवि हैं आदि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 10th Hindi (स्पर्श) New Syllabus Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस

Chapter – 4

पर्वत प्रदेश में पावस

प्रश्न उत्तर

प्रश्न-अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश में प्रकृति प्रतिपल नया वेश ग्रहण करती दिखाई देती है। इस ऋतु में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं –

1. बादलों की ओट में छिपे पर्वत मानों पंख लगाकर कहीं उड़ गए हों तथा तालाबों में से उठता हुआ कोहरा धुएँ की भाँति प्रतीत होता है।
2. पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते हैं ।
3. पर्वत पर असंख्य फूल खिल जाते हैं।
4. ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर एकटक देखते हैं।
5. बादलों के छा जाने से पर्वत अदृश्य हो जाता है।
6. ताल से उठते हुए धुएँ को देखकर लगता है, मानो आग लग गई हो।
7. आकाश में तेजी से इधर-उधर घूमते हुए बादल, अत्यंत आकर्षक लगते हैं।

2. ‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?
उत्तर –
‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ है – करधनी के आकार के समान । मेखला कटि भाग में पहनी जाती है। पर्वत भी मेखलाकार की तरह गोल लग रहे थे जैसे उसने पूरी पृथ्वी को अपने घेरे में ले लिया हो । कवि ने इस शब्द का प्रयोग पर्वत की विशेषता दिखाने और प्रकृति के सौंदर्य को बढ़ाने के लिए किया है।

3. ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?
उत्तर –
कवि ने इस पद का प्रयोग सजीव चित्रण करने के लिए किया है । ‘सहस्र हग-सुमन’ का अर्थ है – हजारों पुष्प रूपी आँखें। कवि ने इसका प्रयोग पर्वत पर खिले फूलों के लिए किया है। वर्षाकाल में पर्वतीय भाग में हजारों की संख्या में पुष्प खिले रहते हैं। कवि ने इन पुष्पों में पर्वत की आँखों की कल्पना की है। ऐसा लगता है मानों पर्वत अपने सुंदर नेत्रों से प्रकृति की छटा को निहार रहा है।

4. कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?
उत्तर –
कवि ने तालाब की तुलना दर्पण से की है क्योंकि तालाब का जल अत्यंत स्वच्छ व निर्मल है। वह प्रतिबिंब दिखाने में सक्षम है। दोनों ही पारदर्शी होते हैं औरदोनों में ही व्यक्ति अपना प्रतिबिंब देख सकता है। तालाब के जल में पर्वत और उस पर लगे हुए फूलों का प्रतिबिंब स्वच्छ दिखाई दे रहा था। काव्य सौंदर्य को बढ़ाने के लिए, अपने भावों की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए कवि ने ऐसा रूपक बाँधा है।

5. पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?
उत्तर –
पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर अपनी उच्चाकांक्षाओं के कारण देख रहे थे। वे बिल्कुल मौन रहकर स्थिर रहकर भी संदेश देते प्रतीत होते हैं कि उद्धेश्य को पाने के लिए अपनी दृष्टि स्थिर करनी चाहिए और बिना किसी संदेह के चुपचाप, मौन रहकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहिए। आकांक्षाओं को पाने के लिए शांत मन तथा एकाग्रता आवश्यक है।

6. शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धंस गए?
उत्तर –
कवि के अनुसार वर्षा इतनी तेज़ और मूसलाधारथी कि ऐसा लगता था मानो आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। चारों ओर कोहरा छा जाता है, पर्वत, झरने आदि सब अदृश्य हो जाते हैं। ऐसा लगता है मानो तालाब में आग लग गई हो। चारों तरफ धुआँ-सा उठता प्रतीत होता है। वर्षा के ऐसे भयंकर रूप को देखकर उच्च – आकांक्षाओं से युक्त विशाल शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धंसेहुए प्रतीत होते हैं।

7. झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?
उत्तर –
झरने पर्वतों की उच्चता और महानता के गौरव का गान कर रहे हैं। कवि ने बहते हुए झरनों की तुलना मोतियों की लड़ियों से की है।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

1. है टूट पड़ा भू पर अंबर!
उत्तर –
इसका भाव है कि जब आकाश में चारों तरफ़ असंख्य बादल छा जाते हैं, तो वातावरण धुंधमय हो जाता है और केवल झरनों की झर-झर ही सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।

2. -यों जलद-यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
उत्तर –
पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में पल-पल प्रकृति के रूप में परिवर्तन आ जाता है। कभी गहरा बादल, कभी तेज़ वर्षा व तालाबों से उठता धुआँ। ऐसे वातावरण को देखकर लगता है मानो वर्षा का देवता इंद्र बादल रूपी यान पर बैठकर जादू का खेल दिखा रहा हो। आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देखकर ऐसा लगता था जैसे बड़े-बड़े पहाड़ अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए उड़ रहे हों। बादलों का उड़ना, चारों ओर धुआँ होना और मूसलाधार वर्षा का होना ये सब जादू के खेल के समान दिखाई दे रहे थे।

3. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।
उत्तर –
इस अंश का भाव है कि पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के समय में क्षण-क्षण होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों तथा अलौकिक दृश्यों को देख कर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे इंद्र देवता ही अपना इंद्रजाल जलद रूपी यान में घूम-घूमकर फैला रहा है, अर्थात् बादलों का पर्वतों से टकराना और उन्हीं बादलों में पर्वतों व पेड़ों का पलभर में छिप जाना, ऊँचे-ऊँचे पेड़ों का आकाश की ओर निरंतर ताकंना, बादलों के मध्य पर्वत जब दिखाई नहीं पड़ते तो लगता है, मानों वे पंख लगाकर उड़ गए हों आदि, इंद्र का ही फैलाया हुआ मायाजाल लगता है।

कविता का सौंदर्य

प्रश्न 1. इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किस प्रकार किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
कवि सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के कुशल चितेरे हैं। वे प्रकृति पर मानवीय क्रियाओं को आरोपित करने में सिद्धहस्त हैं। ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने प्रकृति, पहाड़, झरने, वहाँ उगे वृक्ष, शाल के पेड़-बादल आदि पर मानवीय क्रियाओं का आरोप किया है, इसलिए कविता में जगह-जगह मानवीकरण अलंकार दिखाई देता है। कविता में आए मानवीकरण अलंकार हैं-

पर्वत द्वारा तालाब रूपी स्वच्छ दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखकर आत्ममुग्ध होना।
पर्वत से गिरते झरनों द्वारा पर्वत का गुणगान किया जाना।
पेड़ों द्वारा ध्यान लगाकर आकाश की ओर देखना।
पहाड़ का अचानक उड़ जाना।
आकाश का धरती पर टूट पड़ना।
प्रश्न 2. आपकी दृष्टि में इस कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर करता है-
(क) अनेक शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर।
(ग) कविता की संगीतात्मकता पर।
उत्तर-
मेरी दृष्टि में कविता का सौंदर्य शब्दों की आवृत्ति, काव्य की चित्रमयी भाषा और कविता की संगीतात्मकता तीनों पर ही निर्भर करता है। यद्यपि इनमें से किसी एक के कारण भी सौंदर्य वृद्धि होती है पर इन तीनों के मिले-जुले प्रभाव के कारण कविता का सौंदर्य और निखर आता है; जैसे-

(क) अनेक शब्दों की आवृत्ति पर।
पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश।
मद में नस-नस उत्तेजित कर
गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
शब्दों की आवृत्ति से भावों की अभिव्यक्ति में गंभीरता और प्रभाविकता आ गई है।

(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
मेखलाकार पर्वत अपार
अवलोक रहा है बार-बार
है टूट पड़ा भू पर अंबर!
फँस गए धरा में सभय ताल!
झरते हैं झाग भरे निर्झर।
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर।
शब्दों की चित्रमयी भाषा से चाक्षुक बिंब या दृश्य बिंब साकार हो उठता है। इससे सारा दृश्य हमारी आँखों के सामन घूम जाता है।

(ग) कविता की संगीतात्मकता पर
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल में निज महाकार,
मोती की लड़ियों-से सुंदर
झरते हैं झाग भरे निर्झर!
रव-शेष रह गए हैं निर्झर !
है टूट पड़ा भू पर अंबर !
कविता में तुकांतयुक्त पदावली और संगीतात्मकता होने से गेयता का गुण आ जाता है।
प्रश्न 3. कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर –
कविता से लिए गए चित्रात्मक शैली के प्रयोग वाले स्थल-
पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश
मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार
जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण-सा फैला है विशाल!
मोती की लड़ियों-से सुंदर
झरते हैं झाग भरे निर्झर !
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
उड़ गया, अचानक लो, भूधर
है टूट पड़ा भू पर अंबर!
धंस गए धरा में सभय शाल!
उठ रहा धुआँ, जल गया ताल!
-यों जलद-यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलती इंद्रजाल।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1. इस कविता में वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों की बात कही गई है। आप अपने यहाँ वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर –
वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन-वर्षा को जीवनदायिनी ऋतु कहा जाता है। इस ऋतु का इंतज़ार ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से किया जाता है। वर्षा आते ही प्रकृति और जीव-जंतुओं को नवजीवन के साथ हर्षोल्लास भी स्वतः ही मिल जाता है। इस ऋतु में हम अपने आसपास अनेक प्राकृतिक परिवर्तन देखते हैं; जैसे-

ग्रीष्म ऋतु में तवे सी जलने वाली धरती शीतल हो जाती है।
धरती पर सूखती दूब और मुरझाए से पेड़-पौधे हरे हो जाते हैं।
पेड़-पौधे नहाए-धोए तरोताज़ा-सा प्रतीत होते हैं।
प्रकृति हरी-भरी हो जाती हैं तथा फ़सलें लहलहा उठती हैं।
दादुर, मोर, पपीहा तथा अन्य जीव-जंतु अपना उल्लास प्रकट कर प्रकृति को मुखरित बना देते हैं।
मनुष्य तथा बच्चों के कंठ स्वतः फूट पड़ते हैं जिससे प्राकृतिक चहल-पहल एवं सजीवता बढ़ती है।
आसमान में बादल छाने, सूरज की तपन कम होने तथा ठंडी हवाएँ चलने से वातावरण सुहावना बन जाता है।
नालियाँ, नाले, खेत, तालाब आदि जल से पूरित हो जाते हैं।
अधिक वर्षा से कुछ स्थानों पर बाढ़-सी स्थिति बन जाती है।
रातें काली और डरावनी हो जाती हैं।
NCERT Solutions Class 10th Hindi स्पर्श New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 साखी
Chapter – 2 पद
Chapter – 3 मनुष्यता
Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस
Chapter – 5 तोप
Chapter – 6 कर चले हम फ़िदा
Chapter – 7 आत्मत्राण
Chapter – 8 बड़े भाई साहब
Chapter – 9 डायरी का एक पन्ना
Chapter – 10 तताँरा-वामीरो कथा
Chapter – 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter – 12 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
Chapter – 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ
Chapter – 14 कारतूस
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 पद
Chapter – 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
Chapter – 3 आत्मकथ्य
Chapter – 4 उत्साह और अट नहीं रही
Chapter – 5 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
Chapter – 6 संगतकार
Chapter – 7 नेताजी का चश्मा
Chapter – 8 बालगोबिन भगत
Chapter – 9 लखनवी अंदाज़
Chapter – 10 एक कहानी यह भी
Chapter – 11 नौबतखाने में इबादत
Chapter – 12 संस्कृति
NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 माता का आँचल
Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि
Chapter – 3 मैं क्यों लिखता हूँ?

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