NCERT Solutions Class 10th Hindi New Syllabus (स्पर्श) Chapter – 1 साखी प्रश्न उत्तर

NCERT Solutions Class 10th Hindi New Syllabus (स्पर्श) Chapter – 1 साखी

TextbookNCERT
Class 10th
Subject Hindi
Chapter1st
Chapter Name साखी
CategoryClass 10th  Hindi (स्पर्श) New Syllabus
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 10th Hindi New Syllabus (स्पर्श) Chapter – 1 साखी प्रश्न उत्तर साखी से आप क्या समझते?, कबीरदास जी क्यों दुःखी हैं?, कबीर दास साखी व्याख्या?, साखी किसकी रचना है?, कबीर का असली नाम क्या है?, कबीर ने किसकी पूजा की?, कबीर की साखी की भाषा क्या है?, दोहा और साखी में क्या अंतर है?, कबीर ने पहली साखी में किस का विरोध किया है?, क्या कबीर पंथी हिंदू है?, कबीर किस भगवान को मानते थे?, कबीर दास जी किसके अवतार थे?, कबीर की साखी में कितने अंग है?, साखी वस्तुतः कौन सा छंद है?, साखी में कौन सा छंद प्रयुक्त हुआ है?, कबीरदास किस राम की पूजा करते थे?, कबीर के आराध्य देवता कौन थे?, चारों वेदों में कबीर होने का प्रमाण?, कबीर ने किस भाषा में लिखा था?, कबीर ने मनुष्य की तुलना किससे की है?, कबीर पंथ के नियम क्या है? इत्यादि के बारे में पड़ेंगे|

NCERT Solutions Class 10th Hindi New Syllabus (स्पर्श) Chapter – 1 साखी

Chapter – 1

साखी

प्रश्न उत्तर

प्रश्न-अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?
उत्तर- मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्राप्त होती है, क्योंकि मीठी वाणी बोलने से मन का अहंकार समाप्त हो जाता है। यह हमारे तन को तो शीतलता प्रदान करती ही है तथा सुननेवालों को भी सुख की तथा प्रसन्नता की अनुभूति कराती है इसलिए सदा दूसरों को सुख पहुँचाने वाली व अपने को भी शीतलता प्रदान करने वाली मीठी वाणी बोलनी चाहिए।

प्रश्न 2. दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दीपक में एक प्रकाशपुंज होता है जिसके प्रभाव के कारण अंधकार नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार मन में ज्ञान रूपी दीपक का प्रकाश फैलते ही मन में छाया भ्रम, संदेह और भयरूपी अंधकार समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 3. ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर- ईश्वर कण-कण में व्याप्त है और कण-कण ही ईश्वर है। ईश्वर की चेतना से ही यह संसार दिखाई देता है। चारों ओर ईश्वरीय चेतना के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है, लेकिन यह सब कुछ हम इन भौतिक आँखों से नहीं देख सकते। जब तक ईश्वर की कृपा से हमें दिव्य चक्षु (आँखें) नहीं मिलते, तब तक. हम कण-कण में ईश्वर के वास को नहीं देख सकते हैं और न ही अनुभव कर सकते हैं।
प्रश्न 4. संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संसार में वह व्यक्ति सुखी है जो प्रभु प्राप्ति के लिए प्रयास से दूर रहकर सांसारिक विषयों में डूबकर आनंदपूर्वक सोता है। इसके विपरीत वह व्यक्ति जो प्रभु को पाने के लिए तड़प रहा है, उनके वियोग से दुखी है, वही जाग रहा है। यहाँ ‘सोना’ का प्रयोग प्रभु प्राप्ति के प्रयासों से विमुख होने और ‘जागना’ प्रभु प्राप्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों को प्रतीक है। इसका प्रयोग मानव जीवन में सांसारिक विषय-वासनाओं से दूर रहने तथा सचेत करने के लिए किया गया है।
प्रश्न 5. अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?
उत्तर- अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने निंदक को अपने निकट रखने का सुझाव दिया है, क्योंकि वही हमारा सबसे बड़ा हितैषी है अन्यथा झूठी प्रशंसा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाले तो अनेक मिल जाते हैं। निंदक बुराइयों को दूरकर सद्गुणों को अपनाने में सहायक सिद्ध होता है। निंदक की आलोचना को सुनकर आत्मनिरीक्षण कर शुद्ध व निर्मल आचरण करने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 6. ‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़े सु पंडित होइ’–इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर- ‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़े सु पंडित होइ’ पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि संसार में पीव अर्थात् ब्रह्म ही सत्य है। उसे पढ़े या जाने बिना कोई भी पंडित (ज्ञानी) नहीं बन सकता है।
प्रश्न 7. कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कबीर की साखियों की भाषा की विशेषता है कि यह जन भाषा है। उन्होंने जनचेतना और जनभावनाओं को अपनी सधुक्कड़ी भाषा द्वारा साखियों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया है। इसलिए डॉ० हजारी प्रसाद विवेदी ने इनकी भाषा को भावानुरूपिणी माना है। अपनी चमत्कारिक भाषा के कारण आज भी इनके दोहे लोगों की जुबान पर हैं।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिएप्रश्न
प्रश्न 1. बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
उत्तर- इस पंक्ति का भाव है कि विरह (जुदाई, पृथकता, अलगाव) एक सर्प के समान है, जो शरीर में बसता है और शरीर का क्षय करता है। इस विरह रूपी सर्प पर किसी भी मंत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि यह विरह ईश्वर को न पाने के कारण सताता है। जब अपने प्रिय ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है, तो वह विरह रूपी सर्प शांत हो जाता है, समाप्त हो जाता है अर्थात् ईश्वर की प्राप्ति ही इसका स्थायी समाधान है।
प्रश्न 2. कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँहि।
उत्तर- इस पंक्ति का भाव है कि भगवान हमारे शरीर के अंदर ही वास करते हैं। जैसे हिरण की नाभि में कस्तूरी होती है, परवह उसकी खुशबू से प्रभावित होकर उसे चारों ओर ढूँढ़ता फिरता है। ठीक उसी प्रकार से मनुष्य ईश्वर को विभिन्न स्थलों पर तथा अनेक धार्मिक क्रियाओं द्वारा प्राप्त करने का प्रयास करता है, किंतु ईश्वर तीर्थों, जंगलों आदि में भटकने से नहीं मिलते। वे तो अपने अंतःकरण में झाँकने से ही मिलते हैं।
प्रश्न 3. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
उत्तर- इसका भाव है कि जब तक मनुष्य के भीतर ‘अहम्’ (अहंकार) की भावना अथवा अंधकार विद्यमान रहता है, तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। ‘अहम्’ के मिटते ही ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है, क्योंकि ‘अहम्’ और ‘ईश्वर’ दोनों एक स्थान पर नहीं रह सकते। ईश्वर को पाने के लिए उसके प्रति पूर्ण समर्पण आवश्यक है।
प्रश्न 4. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोई।
उत्तर- इसका अर्थ है कि पोथियाँ एवं वेद पढ़-पढ़कर संसार थक गया, लेकिन आज तक कोई भी पंडित नहीं बन सका; अर्थात् ईश्वर के प्रेम के बिना, उसकी कृपा के बिना कोई भी पंडित नहीं बन सकता तत्वज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकता।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1. पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप उदाहरण के अनुसार लिखिए-
उदाहरण- जिवै – जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।
उत्तर-

 

शब्दप्रचलित रूप
औरनऔरों को, और
साबणसाबुन
माँहिमें (अंदर)
मुवामर गया, मरा
देख्यादेखा
पीवपिया, प्रिय
भुवंगमभुजंग
जालौंजलाऊँ
नेड़ानिकट
आँगणिआँगन में
तासउस
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Chapter – 1 साखी
Chapter – 2 पद
Chapter – 3 मनुष्यता
Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस
Chapter – 5 तोप
Chapter – 6 कर चले हम फ़िदा
Chapter – 7 आत्मत्राण
Chapter – 8 बड़े भाई साहब
Chapter – 9 डायरी का एक पन्ना
Chapter – 10 तताँरा-वामीरो कथा
Chapter – 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter – 12 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
Chapter – 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ
Chapter – 14 कारतूस
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 पद
Chapter – 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
Chapter – 3 आत्मकथ्य
Chapter – 4 उत्साह और अट नहीं रही
Chapter – 5 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
Chapter – 6 संगतकार
Chapter – 7 नेताजी का चश्मा
Chapter – 8 बालगोबिन भगत
Chapter – 9 लखनवी अंदाज़
Chapter – 10 एक कहानी यह भी
Chapter – 11 नौबतखाने में इबादत
Chapter – 12 संस्कृति
NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 माता का आँचल
Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि
Chapter – 3 मैं क्यों लिखता हूँ?

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