NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज Chapter – 8 बालगोबिन भगत प्रश्न उत्तर

NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज Chapter – 8 बालगोबिन भगत

TextbookNCERT
Class Class 10th
Subject Hindi
Chapter8th
Chapter Name बालगोबिन भगत
CategoryClass 10th Hindi Question & Answer
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज Chapter – 8 बालगोबिन भगत

Chapter – 8

बालगोबिन भगत

प्रश्न उत्तर

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
उत्तर – बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे, लेकिन फिर भी उनमें साधु कहलाने वाले गन भी थे।
(i) वे कबीर के आर्दशों मानते थे, उन्हीं के गीत गाते और गुनगुनाते रहते थे। वे शरीर को नश्वर तथा आत्मा को परमात्मा मानते थे।
(ii) वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और वे सत्यवादी थे, तथा खरा व्यवहार रखते थे।
(iii) किसी से भी सीधी बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से झगड़ा करते थे।
(iv) किसी की चीज़ न छूते थे न ही बिना पूछे व्यवहार में लाते थे। वे किसी दूसरे की चीज़ नहीं लेते थे।
(v) उनके खेत में जो कुछ उगता उसे सबसे पहले एक कबीरपंथी मठ में ले जाते और उसमें ‘जो हिस्सा
‘प्रसाद’ के रूप में वापस मिलता, वे उसी से गुज़ारा करते।
(vi) उनमें लालच विल्कुल भी नहीं था, इस प्रकार उन्होंने अपना सब कुछ ईश्वर को समर्पित कर दिया था। 
प्रश्न 2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर –
भगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी, क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसकी मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्धावस्था में हैं। वे नेम-धर्म का पालन करने वाले इंसान हैं, जो अपने स्वास्थ्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। इसलिए भगत की देख-रेख और अपना धर्म निभाने के लिए भगत की पुत्रबधु उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी।
प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर –
बेटे की मृत्यु पर भगत ने पुत्र के शरीर को एक चटाई पर लिटा दिया, उसे सफेद चादर से ढक दिया तथा कबीर के भक्ति गीत गाकर वे अपनी भावनाएँ व्यक्त करने लगे। उनके अनुसार उसकी आत्मा परमात्मा के पास ऐसे चली गई मानो कोई विरहनि अपने प्रेमी से जा मिली हो। उन दोनों के मिलन से बड़ा आनंद और कुछ नहीं हो सकता। इस प्रकार भगत ने शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता का भाव व्यक्त किया।
प्रश्न 4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर –
बालगोबिन भगत का व्यक्तित्व – भगतजी गृहस्थ होते हुए भी सीधे-सादे सरल व्यक्ति थे। उनका अचार-व्यवहार इतना पवित्र और आदर्शपूर्ण था कि वे गृहस्थ होते हुए भी वास्तव में मन से संन्यासी थे। अपने किसी काम के लिए दूसरों को दुःख नहीं देना चाहते थे। विना इजाज़त के किसी की वस्तु को हाथ नहीं लगाते थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और खरा व्यवहार रखते थे। कबीर के आदर्शों का पालन करते थे। वे अलौकिक गायक थे, कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर मानों सजीव हो उठते थे। आत्मा परमात्मा पर उनका अटल विश्वास था। भगतजी के वैराग्य तथा निःस्वार्थ व्यक्तित्व का परिचय इस बात से भी मिलता है कि अपने बेटे के श्राद्ध की अवधि पूरी होते ही अपने पुत्रवधू को उसके पिता के घर भेज दिया तथा उसक दूसरा विवाह करने का भी आदेश दिया।

बालगोविन भगत की वेशभूषा – मँझोले कद के गोरेचिट्टे आदमी थे। उम्र साठ से ऊपर की होगी। बाल पक गए थे। लंबी दाढी या जटाजूट तो नहीं रखते थे, किंतु उनका चेहरा हमेशा सफ़ेद बालों से जगमग रहता था। कपड़े बिलकुल कम पहनते थे। कमर में एक लंगोटी मात्र और सिर पर कबीरपंथियों की तसी कनफटी टोपी। जब जाड़ा आता, एक काली कमली ऊपर से ओढ़े रहते। मस्तक पर हमेशा चमकता हुआ रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से औरतों के टीके की तरह शुरू होता और गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते थे।
प्रश्न 5. बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर –
बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण इसलिए बन गई थी क्योंकि वे जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का अत्यंत गहराई से पालन करते हुए उसे अपने आचरण में उतारते थे। वृद्ध होते हुए भी उनकी स्फूर्ति में कोई कमी नहीं थी। सर्दी के मौसम में, भरे बादलों वाले भादों की आधी रात में वे भोर में सबसे पहले उठकर गाँव से दो मील दूर बहती गंगा में स्नान करने जाते थे, खेत में अकेले खेती करते हुए कबीर के गीतों में तल्लीन रहते थे और विपरीत परिस्थिति के बाद भी उनकी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आया। एक वृद्ध की अपने कार्य के प्रति सजगता और लगाव देखकर लोग दंग हो जाते है।
प्रश्न 6. पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर –
बालगोविन भगत के गीतों में एक विशेष प्रकार का आकर्षण था। कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे। खेतों में जब वे गाना गाते तो स्त्रियों के होंठ विना गुनगुनाए नहीं रह पाते थे। गर्मियों की शाम में उनके गीत वातावरण में शीतलता भर देते थे। उनके गीतों में जादुई प्रभाव था, संध्या समय जब वे अपनी मंडली समेत गाने बैठते तो उनके द्वारा गाए पदों को उनकी मंडली दोहराया करती थी, भगत के स्वर के आरोह के साथ श्रोताओं का मन भी ऊपर उठता चला जाता और लोग अपने तन मन की सुध-बुध खोकर संगीत की स्वर लहरी में तल्लीन हो जाते थे।
प्रश्न 7. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर –
बालगोविन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, ये बातें निम्न उदाहरणो द्वारा पता चलती है।

(i) बालगोविन भगत के पुत्र की मृत्यु हो गई थी किंतु उन्होंने सामाजिक परंपराओं के अनुरूप अपने पुत्र का क्रिया कर्म नहीं किया।

(ii) बेटे की मृत्यु के समय सामान्य लोगों की तरह शोक करने की बजाए भगत ने उसकी शैय्या के समक्ष गीत गाकर उत्सव मनाया।

(iii) बेटे के क्रिया-कर्म में भी उन्होंने सामाजिक रीति रिवाजों की परवाह न करते हुए अपनी पुत्रवधू से ही दाह संस्कार संपन्न कराया।

(iv) समाज में विधवा विवाह का प्रचलन न होने के बावजूद उन्होंने अपनी पुत्रवधू के भाई को बुलाकर उसकी दूसरी शादी करने को कहा।

(v) अन्य साधुओं की तरह भिक्षा माँगकर खाने के विरोधी थे।
प्रश्न 8. धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर –
आषाढ़ की रिमझिम फुहारों के बीच खेतों में धान की रोपाई चल रही थी। बादलों से घिरे आसमान में, ठंडी हवाओं के चलने के साथ-साथ वालगोविन भगत के कंठ से निकला मधुर संगीत वहाँ खेतों में काम कर रहे लोगों के मन में मधुर झंकार उत्पन्न कर देता था। स्वर के आरोह के साथ एक-एक शब्द जैसे स्वर्ग की ओर भेजा जा रहा हो। उनकी मधुर वाणी को सुनते ही लोग झूमने लगते थे, स्त्रियाँ स्वयं को रोक नहीं पाती थी तथा अपने आप उनके होंठ काँपकर गुनगुनाते लगते थे। हलवाहों के पैर गीत की ताल के साथ उठने लगते थे। रोपाई करने वाले लोगों की उँगलियाँ गीत की स्वरलहरी के अनुरूप एक विशेष क्रम से चलने लगती थी, बालगोविन भगत के गाने से संपूर्ण सृष्टि मिठास में खो जाती थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 9. पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?
उत्तर –
बालगोबिन ‘भगत का पहनावा और आचरण कबीर पंथियों जैसा था। वे कबीर को साहब मानते थे और उनसे असीम श्रद्धा और विश्वास रखते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुई है-
(i) उनका पहनावा कबीर पंथियों जैसा था।
(ii) उनके गले में तुलसी की माला और मस्तक पर रामानंदी टीका होता है।
(iii) वे अपने खेत की सारी उपज कबीरपंथी मठ पर ले जाकर चढ़ावे के रूप में अर्पित कर देते थे और जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता उसी से घर चलाते।
(iv) वे कबीर के समान खरा-खरा व्यवहार करते और दूसरे की वस्तु अस्पृश्य समझते।
(v) उन्होंने कबीर के पदों का गायन करते हुए द्रिन बिताया।
(vi) उन्होंने आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर मृत्यु को दोनों के मिलन का शुभ अवसर बताया। उन्होंने कबीर की भाँति जीवन को नश्वर बताया।
प्रश्न 10. आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर –
मेरी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के अनेक कारण रहे होंगे:-
(i) कबीर भी घर-परिवार के साथ रहते हुए साधुओं जैसा जीवन बिताते थे।
(ii) कबीर वायाडंबरों से दूर रहकर सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाले थे। यह भगत को पसंद आया होगा।
(iii) कबीरदास का ‘सादा जीवन उच्च विचार’ भगत को पसंद आया होगा।
(iv) भगत को कबीर का खरा-खरा व्यवहार करना बहुत पसंद आया होगा।
प्रश्न 11. गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?
उत्तर –
भारत गाँवों का देश है। यहाँ की 80 प्रतिशत जनसंख्या के जीवन निर्वाह का साधन कृषि है। भारतीय कृषि मानसून पर आधारित है। मानसून की शुरुआत वर्षा के पहले महीने आषाढ़ से शुरू होती है। आषाढ़ आते ही गाँववासी बादलों की राह देखते हैं। बादलों के बरसते ही वे अपने कृषि कार्यों की शुरूआत कर देते हैं। खेतों की जुताई-बुबाई, धान की रोपाई जैसे कार्य शुरू कर दिए जाते हैं। इसी महीने में गरमी की तपन से राहत मिलती है। यह महीना ग्रामीण बच्चों के लिए बड़ा ही आनंददायी होता है। पानी भरे खेतों की कीचड़ में खेलना उन्हें बहुत रुचिकर लगता है। इस समय गाँव के सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश का उल्लास देखते ही बनता है।
प्रश्न 12. ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।” क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति साधु’ है?
उत्तर –
साधु प्रायः गेरुए वस्त्रों में या रामनामी वस्त्र लपेटे नज़र आते हैं। उनके बढ़े दाढ़ी और जटाजूट उनके साधु होने के साधन से दिखते हैं पर यह आवश्यक नहीं कि गेरुआ वस्त्र पहनने वाला हर व्यक्ति साधु ही हो। इस कलयुग में ढोंगियों ने भी यही वस्त्र अपना लिया है, इसलिए पहनावे के आधार पर किसी को साधु नहीं माना जा सकता है। वास्तव में साधु की पहचान उसके पहनावे के आधार पर न करके उसके विचार और व्यवहार पर करना चाहिए। आडंबरहीन जीवन, सद्व्यवहार, सत्यवादिता, परोपकार की भावना पहनावे की सादगी एवं विचारों की उच्चता देखकर किसी भी व्यक्ति को साधु की श्रेणी में रखा जा सकता है।
प्रश्न 13. मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?
उत्तर –
यह नि:संदेह सत्य है कि मोह और प्रेम में अंतर होता है, इसे भगत के जीवन की इन दो घटनाओं के आधार पर सत्य सिद्ध किया जा सकता है,

(i) लोग अपने प्रियजनों की मृत्यु पर रोते-धोते हैं यह उनका मोह है परंतु भगत अपने बेटे से प्रेम करते हैं। वे जीते जी उसे प्रेम का अधिक हकदार मानते रहे और उसकी मृत्यु पर आत्मा-परमात्मा का मिलन माना।

(ii) भगत अपने बुढ़ापे में अकेला होने पर भी बहू को उसके भाई के साथ भेज देते हैं। अपने बुढ़ापे से मोह नहीं दिखाते हैं, परंतु बहू से प्रेम करते हुए उसके भाई से उसका पुनर्विवाह करने का आदेश देते हैं।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1. लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु क्यों मानता है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
बालगोबिन भगत घर-परिवार वाले आदमी थे। उनके परिवार में उनका बेटा और पतोहू थे। उनके पास खेतीबारी और साफ़ सुथरा मकान था। इसके बाद भी बालगोबिन भगत साधुओं की तरह रहते और साधु की सारी परिभाषाओं पर खरा उतरते थे, इसलिए लेखक ने भगत को गृहस्थ साधु माना है।
प्रश्न 2. ‘भगत अपनी सब चीज़ साहब की मानते थे’, उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
बालगोबिन भगत अपनी सब चीज़ साहब की मानते थे, इसका उदाहरण यह है कि उनके खेत में जो कुछ पैदा होता था, उसे सिर पर लादकर ‘साहब’ के दरबार में ले जाते थे। उस दरबार अर्थात् मठ में उसे भेंट स्वरूप रख लिया जाता और उन्हें जो कुछ प्रसाद स्वरूप दिया जाता, उसी में गुज़ारा करते थे।
प्रश्न 3. लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत के किस अन्य गुण पर मुग्ध था और क्यों?
उत्तर –
लेखक भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत के मधुर गान पर मुग्ध था, जिसे कोई भी सदा-सर्वदा सुन सकता था। वे कबीर के सीधे-सादे पदे गाते थे पर उनके कंठ से लय-तालबद्ध होकर जब निकलते तो सजीव हो उठते थे।
प्रश्न 4. बालगोबिन भगत के संगीत को जादू क्यों कहा गया है?
उत्तर –
बालगोबिन भगत का संगीत हर आयुवर्ग के लोगों पर समान रूप से असर करता था। उनका स्वर अचानक एक मधुर स्वर तरंग झंकृत-सी हो उठती है। उनके मधुर गान को सुनकर बच्चे झूम उठते थे, मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ गुनगुना उठते थे, हलवाहों के पैर ताल से उठने से लगते थे और रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ क्रम से चलने लगती थीं।
प्रश्न 5. भगत प्रभातियाँ किस महीने में गाया करते थे? उनके प्रभाती गायन का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
भगत प्रभातियाँ कार्तिक से फाल्गुन महीने तक गाया करते थे। इन महीनों में वे कड़ाके की सरदी में तड़के भोर में उठ जाते थे। वे नदी स्नान को जाते और लौटते समय पोखर के भिंडे पर चटाई बिछाकर पूरब की ओर मुँह करके प्रभातियाँ टेरना शुरू कर देते। गाते-गाते इतने सुरूर और उत्तेजना से भर जाते कि श्रमबिंदु छलक उठते थे।
प्रश्न 6. भगत का आँगन नृत्य-संगीत से किस तरह ओत-प्रोत हो उठता था?
उत्तर –
गरमियों में भगत और उनकी प्रेमी मंडली आँगन में आसन जमाकर बैठ जाते। वहाँ पुँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। बालगोबिन एक पद गाते, प्रेमी-मंडली उसे दोहराती-तिहराती। धीरे स्वर एक निश्चित लय, ताल और गति से ऊँचा होने लगता और गाते-गाते भगत नाचने लगते। इस प्रकार सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाती।
प्रश्न 7. भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?
उत्तर –
बालगोबिने भगत का इकलौता बेटा कुछ सुस्त और बोदा-सा था। भगत का मानना था कि ऐसे लोगों पर ज्यादा निगरानी रखते हुए प्यार करना चाहिए क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। इस कारण भगत अपने उस बेटे को अधिक प्यार करते थे।
प्रश्न 8. पुत्र की मृत्यु के अवसर पर भगत अपनी पतोहू को परंपरा से हटकर कौन-सा कार्य करने को कह रहे थे और क्यों?
उत्तर –
पुत्र की मृत्यु के अवसर पर भगत तल्लीनता से गाए जा रहे थे और उनकी पतोहू विलाप कर रही थी। इसी समय भगत अपनी पतोहू से रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। भगत ऐसा इसलिए कह रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि मृत्यु। खुशी का अवसर है। इस समय आत्मा और परमात्मा का मिलन हो जाता है।
प्रश्न 9. भगत की किस दलील के आगे उनकी पतोहू की एक न चली?
उत्तर –
भगत ने अपने बेटे की श्राद्ध की अवधि खत्म होते ही अपनी पतोहू के भाई को बुलवाया और आदेश दिया कि इसकी। दूसरी शादी कर देना। भगत की पतोहू उनके बुढ़ापे का ध्यान रखकर उन्हें छोड़कर नहीं जाना चाहती थी, पर भगत ने कहा कि यदि तू न गई तो मैं घर छोड़कर चला जाऊँगा। इस दलील के आगे उसकी एक न चली।
प्रश्न 10. भगत की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
जिस तरह के टेक और नेम-व्रत वाली भगत की दिनचर्या थी, उसी प्रकार उनकी मृत्यु हुई। वे अपने गायन के माध्यम से अपने साहब की निकटता पाना चाहते थे। ऐसा उन्होंने मृत्यु से पूर्ण सायंकाल तक गीत गाकर किया। इसके अलावा वे जीवन में दोनों समय स्नान-ध्यान करते थे। इसे उन्होंने आमरण निभाया। इस तरह हम कह सकते हैं कि भगत की मृत्यु। उन्हीं के अनुरूप हुई।
प्रश्न 11. बालगोबिन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए क्या किया?
उत्तर –
बालगोबिन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए दो कार्य किया
उन्होंने अपने पुत्र को अपनी पतोहू से मुखाग्नि दिलाकर महिलाओं को पुरुषों के बराबर लाने का प्रयास किया।
अपने पुत्र की मृत्यु ने पतोहू के भाई को बुलवाकर आदेशात्मक स्वर में कहा, ”इसकी दूसरी शादी कर देना”। इस प्रकार विधवा विवाह के माध्यम से उन्होंने नारियों की सामाजिक स्थिति को सुधारना चाहा।
प्रश्न 12. बालगोबिन भगत अपने साधु और गृहस्थ होने का स्वाभिमान कैसे बनाए रखते थे? उनकी गंगा-स्नान यात्रा के आलोक में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
बालगोबिन भगत प्रति वर्ष अपने घर से तीस कोस दूर गंगा स्नान को जाते थे। इस यात्रा में चार-पाँच दिन लग जाते थे। भगत इतने स्वाभिमानी थे कि पैदल आते-जाते किंतु किसी का सहारा न लेते। वे मानते थे कि साधु को संबल लेने का के या हक। इसी प्रकार वे रास्ते में उपवास कर लेते पर किसी से माँगकर न खाते क्योंकि वे कहते थे कि गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे। इस प्रकार उन्होंने साधु और गृहस्थ होने के स्वाभिमान को बनाए रखा।
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 पद
Chapter – 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
Chapter – 3 आत्मकथ्य
Chapter – 4 उत्साह और अट नहीं रही
Chapter – 5 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
Chapter – 6 संगतकार
Chapter – 7 नेताजी का चश्मा
Chapter – 8 बालगोबिन भगत
Chapter – 9 लखनवी अंदाज़
Chapter – 10 एक कहानी यह भी
Chapter – 11 नौबतखाने में इबादत
Chapter – 12 संस्कृति
NCERT Solutions Class 10th Hindi कृतिका New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 माता का आँचल
Chapter – 2 साना-साना हाथ जोड़ि
Chapter – 3 मैं क्यों लिखता हूँ?
NCERT Solutions Class 10th Hindi स्पर्श New Syllabus All Chapter’s Question & Answer
Chapter – 1 साखी
Chapter – 2 पद
Chapter – 3 मनुष्यता
Chapter – 4 पर्वत प्रदेश में पावस
Chapter – 5 तोप
Chapter – 6 कर चले हम फ़िदा
Chapter – 7 आत्मत्राण
Chapter – 8 बड़े भाई साहब
Chapter – 9 डायरी का एक पन्ना
Chapter – 10 तताँरा-वामीरो कथा
Chapter – 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter – 12 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
Chapter – 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ
Chapter – 14 कारतूस

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