NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज Chapter – 4 उत्साह
Textbook | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Hindi |
Chapter | 4th |
Chapter Name | उत्साह |
Category | Class 10th Hindi |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज Chapter – 4 उत्साह
Chapter – 4
उत्साह
प्रश्न उत्तर
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों? उत्तर – बच्चे की दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। उसके उदास-गंभीर मन में जान आ जाती है। उसे ऐसे लगता है मानो उसकी झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों। मानो पत्थर जैसे दिल में प्यार की धारा उमड़ पड़ी हो या बबूल के पेड़ से शेफालिका के फूल झरने लगे हों।। क्यों बच्चे की निश्छलता और पिता की ममता के कारण ही कवि-मन इस तरह प्रभावित होता है। ” |
प्रश्न 2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है? उत्तर – कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह इसलिए रखा है, क्योंकि कवि बादलों के माध्यम से क्रांति और बदलाव लाना चाहता है। वह बादलों से गरजने के लिए कहता है। एक ओर बादलों के गर्जन में उत्साह समाया है तो दूसरी ओर लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए तैयार करना है। |
प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है? उत्तर – कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है- 1. बच्चे की मुसकान से मृतक में भी जान आ जाती है। 2. यों लगता है मानो झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों। 3. यों लगता है मानो चट्टानें पिघलकर जलधारा बन गई हों। 4. यों लगता है मानो बबूल से शेफालिका के फूल झरने लगे हों। |
प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद हैं, छाँटकर लिखें। उत्तर – ‘उत्साह’ कविता में नाद सौंदर्य वाले शब्द निम्नलिखित हैं- बादल गरजो! घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ! |
प्रश्न 5. जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए। उत्तर – ऊपर देखो आसमान में, किसने रंग बिखेरा काला। सूरज जाने कहाँ छिप गया, खो गया उसका कहीं उजाला ॥ देख गगन का काला चेहरा बिजली कुछ मुसकाई । लगा बहाने गगन बनाने, ज्यों बिजली ने आँख दिखाई ॥ कुछ वसुधा में आन समाया॥ वह लाई एक थाल में पानी, उसका मुँह धुलवाया। थोड़ा पानी आसमान में बाकी सब धरती पर आया ।। कुछ टपका फूलों पर जाकर कुछ ने चातक की प्यास बुझाया। कुछ तालों कुछ फसलों तक |
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