NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज Chapter – 3 आत्मकथ्य
Textbook | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Hindi |
Chapter | 3th |
Chapter Name | आत्मकथ्य |
Category | Class 10th Hindi Question & Answer |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
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NCERT Solutions Class 10th Hindi क्षितिज Chapter – 3 आत्मकथ्य
Chapter – 3
आत्मकथ्य
प्रश्न उत्तर
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
उत्तर – कवि ने अपने जीवन में कई बार धोका खाया है और उसका जीवन कई दुखद घटनाओ से भरा हुआ है यही कारण है कि कवि आत्मकथा लिखने से बचना चाहता है।
प्रश्न 2. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर- ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कवि को लगता है कि उसने जीवन में अब तक कोई ऐसी उपलब्धि नहीं हासिल की है जो दूसरों को बताने योग्य हो
प्रश्न 3. स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर – स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है किं कवि ने अपने प्रियंतम के साथ जो जो सुखद समय बिताया था उन्ही यादों के सहारे अब वो पूरी जिन्दगी बिता देना कहते हैं
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।
उत्तर – कवि कहना चाहता है कि जिस प्रेम के वो सपने देख रहे थे वो उन्हें कभी प्राप्त नहीं हुआ। सुख उनके बेहद करीब आकर दूर चला गया।
(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उत्तर – इन पंक्तियों में कवि ने अपनी प्रेयसी कि सुंदरता का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि उनकी प्रेयसी के गालों कि लालिमा इतनी अधिक है कि उषा कि लालिमा भी उसके सामने फीकी है
प्रश्न 5. ‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर- अपनी प्रेयसी के साथ बिताए हुए सुख के पलों को कवि कवि किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहते। चांदनी रात में बिताए गए वो पल एक उज्जवल गाथा कि तरह हैं। इन यादों को वह औरों को बताकर अपना मजाक नहीं उड़ाना चाहते हैं।
प्रश्न 6. ‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर – ‘जयशंकर प्रसाद्’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(1) कविता में खड़ी बोली हिंदी भाषा का उपयोग किया है।
(2) प्रस्तुत कविता में कवि ने नवीन शब्दों का प्रयोग किया है।
(3) मानवीकरण शैली का प्रयोग किया है।
(4) अलंकारों के प्रयोग से काव्य सौंदर्य बढ़ गया है।
प्रश्न 7. कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था, उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?
उत्तर- कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे वह अपनी प्रेयसी नायिका के माध्यम से व्यक्त किया है। कवि कहता है कि नायिका स्वप्न में उसके पास आते-जाते मुस्कुरा कर चली गई। कवि कहना चाहता है कि जो सपने उसने और उसकी प्रेमिका ने मिलकर देखे थे वो तो उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8. इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं की झलक मिलती है
विनम्रता – प्रसाद जी छायावाद के चार स्तंभों में प्रमुख स्थान रखते हैं, फिर भी वे अत्यंत विनम्र थे। वे अपने जीवन को उपलब्धिहीन मानकर कहते थे-छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ।
सरल स्वभाव – प्रसाद जी सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे। वे अपनी सरलता की हँसी नहीं उड़ाना चाहते थे–यह विडंबना! अरे सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
यथार्थता – प्रसाद जी यथार्थवादी थे। वे यथार्थ को स्वीकार कर कहते थे-तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।
प्रश्न 9. आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर- मैं उन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा, जिन्होंने अपनी मातृ भूमि और देश के लिए सुखों को ठोकर मार दिया और अपने देश के आन-बान और शान के लिए ठोकरें खाईं, संघर्ष किया और आवश्यकता पड़ने पर मौत को भी गले लगा लिया। मैं राणा प्रताप, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसों की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा।
प्रश्न 10. कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा “आलो आंधारि” बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।
उत्तर- छात्र अपने बारे में आत्मकथात्मक शैली में स्वयं लिखें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
प्रश्न 1. ‘मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ’ किसका प्रतीक हैं? ये किसका बोध करा रही हैं?
उत्तर- ‘मुरझाकर गिरने वाली पत्तियाँ’ मानव जीवन में आए दुख और निराशाओं की प्रतीक हैं। कवि के जीवन में आए दुख वृक्ष की पत्तियों के समान गिरकर, एक-एक कर क्रमशः याद आ रहे हैं। इससे कवि को जीवन की नश्वरता का बोध भी हो रही है।
प्रश्न 2. ‘असंख्य जीवन-इतिहास’ कहकर कवि किस ओर संकेत करना चाहता है?
उत्तर- ‘असंख्य जीवन-इतिहास’ कहकर कवि उन अगणित लोगों की ओर संकेत करना चाहता है जिन्होंने अपनी-अपनी आत्मकथा लिखी। उसमें अपनी दुर्बलताओं का उल्लेख किया और उन्हें लोगों के व्यंग्य मलिन उपहास का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 3. कवि के मित्र उससे क्या आग्रह कर रहे थे? वह इस आग्रह को पूरा क्यों नहीं करना चाहता था?
उत्तर- कवि के मित्र उससे यह आग्रह कर रहे थे कि कवि अपनी आत्मकथा लिखे। कवि उनका यह आग्रह इसलिए नहीं पूरा करना चाहता था क्योंकि इससे पहले अनगिनत लोगों ने आत्मकथा लिखी। उसमें उन्होंने अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ दुर्बलताओं का भी उल्लेख किया, जिससे वे उपहास का पात्र बन गए।
प्रश्न 4. कवि को अपनी गागर रीती क्यों लगती है?
उत्तर- कवि को अपनी गागर अर्थात् जीवन इसलिए रीती (सूना) या खाली सा लगता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे जीवन में कोई विशेष उपलब्धि हासिल न हो सकी। उसकी पत्नी की असामयिक मृत्यु हो जाने से उसने जिस सुख की कल्पना की थी, वह उसके पास आकर भी मात्र स्वप्न बनकर रह गया।
प्रश्न 5. ‘तुम ही खाली करने वाले’ के माध्यम से कवि किनसे, क्या कहना चाहता है?
उत्तर- ‘तुम ही खाली करने वाले’ के माध्यम से कवि अपने उन मित्रों से कहना चाहता है जो उससे आत्मकथा लिखने का आग्रह कर रहे हैं। कवि उनसे यह कहना चाहता है कि मेरी आत्मकथा में मेरे जीवन के कटु अनुभवों को सुनकर तुम यह न समझ बैठो कि मेरे जीवन को रसहीन बनाकर सूनापन भरने वाले तुम्हीं स्वयं हो।
प्रश्न 6. कवि किसकी हँसी नहीं उड़ाना चाहता है और क्यों?
उत्तर- कवि ने अपना जीवन अत्यंत सरलता से जीया है। इस अत्यधिक सरलता के कारण उसे अपनों के छल-कपट और प्रवंचना का शिकार होना पड़ा है। इस पर भी कवि अपनी इस सरलता का उपहास नहीं उड़ाना चाहता है भले ही यही सरलता उसके अनेक कष्टों का कारण रही है।
प्रश्न 7. उन तथ्यों का उल्लेख कीजिए जिनका उल्लेख कवि अपनी आत्मकथा में नहीं करना चाहता है?
उत्तर- कवि अपनी आत्मकथा में निम्नलिखित तथ्यों का उल्लेख नहीं करना चाहता है
• वह अपनी सरलता जो उसके दुखों का कारण रही है, का उल्लेख नहीं करना चाहता है।
• वह अपने जीवन में की गई न तो भूलों को दिखाना चाहता है और न दूसरों के छल-कपट को।
• वह अपनी प्रेयसी के साथ बिताए सुखमय पलों को सबसे नहीं कहना चाहता है।
• वह अपने जीवन के दुर्बल पक्षों का भी उल्लेख नहीं करना चाहता है।
प्रश्न 8. कवि ने अपने जीवन की उज्ज्वल गाथा किसे कहा है?
उत्तर- कवि के जीवन में कुछ सुखमय पल आए थे। उसके जीवन में भी प्रेमभरी मधुर चाँदनी रातें आईं और उसने प्रेम के इन उज्ज्वल क्षणों को अपनी पत्नी के साथ बिताया, उसके साथ हँस-हँसकर, खिलखिलाकर बातें की। पत्नी के साथ बिताए गए इन सुखमय पलों को जीवन की उज्ज्वल गाथा कहा है।
प्रश्न 9. कवि के लिए सुख दिवा स्वप्न बनकर रह गए, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कवि ने जन सामान्य की भाँति ही सुखमय जीवन जीने की आकांक्षा पाल रखी थी परंतु वे सुख उसके लिए स्वप्न की भाँति साबित हुए। वह आँख खुलते ही स्वयं को जीवन के कठोर धरातल पर पाता। उसने अपनी पत्नी के साथ कुछ सुख के पल बिताए, जो क्षणिक थे। पत्नी की असामयिक मृत्यु के कारण वह सुख दिवा स्वप्न बनकर ही रह गए।
प्रश्न 10. ‘अनुरागिनी उषा लेती थी, जिन सुहाग मधुमाया, में’ के आलोक में कवि ने अपनी पत्नी के विषय में क्या कहना चाहता है?
उत्तर- ‘अनुरागिनी उषा लेती थी, जिन सुहाग मधुमाया में’ के माध्यम से कवि ने यह कहना चाहा है कि उसकी पत्नी अत्यंत सुंदर थी। उसके कपोल इतने लाल और सुंदर थे कि प्रात:कालीन उषा भी उससे लालिमा लेकर अपनी सौंदर्य वृद्धि करती। थी अर्थात् कवि की पत्नी उषा से भी अधिक सुंदर थी।
प्रश्न 11. कवि ने अपनी तुलना किससे की है? उसके जीवन का पाथेय क्या है?
उत्तर- कवि ने अपनी तुलना उस पथिक से की है जो जीवन पथ पर चलते-चलते थक गया है। इस जीवन पथ पर वह अपनी पत्नी के साथ बिताए कुछ सुखद पलों की मधुर यादों के सहारे चल रहा है। यही मधुर यादें उसके जीवन का पाथेय बन गई हैं।
प्रश्न 12. ‘आत्मकथ्य’ कविता के माध्यम से ‘प्रसाद’ जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, वह उनकी ईमानदारी और साहस का प्रमाण है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘आत्मकथ्य’ कविता के माध्यम से कवि प्रसाद ने अपनी भूलों को स्वीकारने, अपने जीवन की असफलताओं का वर्णन और सरलता के कारण धोखा खाने की स्वीकारोक्ति करने के अलावा वर्तमान के यथार्थ स्वीकार कर साहसपूर्ण कार्य किया है। कवि द्वारा यह कहना-छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ उसकी ईमानदारी का प्रमाण है।
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