NCERT Solution Class 9th Hindi Grammar समास
Textbook | NCERT |
Class | Class 9th |
Subject | Hindi |
Chapter | हिन्दी व्याकरण (Grammar) |
Grammar Name | समास |
Category | Class 9th Hindi हिन्दी व्याकरण वा प्रश्न अभ्यास |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar (व्याकरण) समास व्याकरण हम इस अध्याय समास किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं? समास के 6 भेद कौन कौन से हैं? द्वंद समास क्या होता है?द्विगु समास की परिभाषा क्या है? तत्पुरुष समास का परिभाषा क्या है? कर्मधारय समास की परिभाषा क्या है? बहुव्रीहि समास क्या होता है? कर्मधारय समास का दूसरा नाम क्या है? अव्ययीभाव समास क्या होता है? पीतांबर में कौन सा समास होता है? चतुर्भुज में कौन सा समास होता है? निशाचर में कौन सा समास होता है? लंबोदर में कौन सा समास है?आदि के बारे में पढ़ेंगे और जानने के साथ हम NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar (व्याकरण) समास एवं व्याकरण करेंगे। |
NCERT Solution Class 9th Hindi Grammar समास
हिन्दी व्याकरण
समास
समास- समास के माध्यम से भी नए शब्दों की रचना की जाती है। समास का अर्थ है-संक्षेपीकरण। इसके अंतर्गत दो या दो से अधिक पदों को मिलाकर विभिन्न तरीकों से एक नए शब्द की रचना की जाती है। इस क्रम में शब्दों की विभक्तियों, योजक शब्दों आदि को हटाकर बचे शब्दों को पास-पास लाया जाता है। इसी प्रक्रिया को समास कहा जाता है।
परिभाषा – दो या दो से अधिक शब्दों को निकट लाने से नए शब्दों की रचना को समास कहते हैं।
उदाहरण –
तुलसी के द्वारा लिखा गया – तुलसीकृत
पानी में डूबा हुआ – जलमग्न
राह के लिए खर्च – राहखर्च
चार आनन का समूह – चतुरानन
लंबा उदर है जिसका अर्थात गणेश जी – लंबोदर
पूर्व एवं उत्तर पद – समास रचना में दो पद होते हैं। इनमें से पहले पद को पूर्वपद एवं बाद वाले पद को उत्तर पद कहते हैं।
समस्त पन्द्र – समास प्रक्रिया में बने नए शब्द को समस्त पद कहते हैं। यह पूर्वपद एवं उत्तर पद का मेल होता है।
इन्हें निम्नलिखित द्वारा समझा जा सकता है।
मास विग्रह – समस्त पद के पदों को पहले जैसी दशा में लाना समास-विग्रह कहलाता है। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
यथा संभव | जैसा संभव हो |
प्रत्यक्ष | आँखों के सामने |
माखन चोर | माखन को चुराने वाला |
देशभक्त | देश का भक्त |
नल-नील | नल और नील |
समास के भद – समास के छह भेद माने जाते हैं। इनके नाम हैं –
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- द्वंद्व समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- बहुव्रीहि समास
1. अव्ययीभाव समास – जिस समास में पहला पद प्रधान और दूसरा गौण होता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इस समास में पूर्वपद अव्यय तथा उत्तर पद संज्ञा या विशेषण होता है। इससे समस्तपद अव्यय का काम करता है। जैसे –
आ (अव्यय) + जीवन (संज्ञा) = आजीवन
प्रति (अव्यय) + एक (विशेषण) = प्रत्येक
अन्य उदाहरण –
समस्त पद | विग्रह |
अनजाने अनचीन्हा अजन्मा आमरण आजीवन आजन्म यथाअवसर यथासमय यथाशक्ति यथाविधि यथोचित घर-घर गाँव-गाँव गली-गली बेखटके निःसंदेह प्रत्यक्ष भरपेट प्रतिदिन प्रतिवर्ष | बिना जाने बिना चीन्हें बिना जन्मे मरण तक जीवनभर जन्म से अवसर के अनुरूप समय के अनुसार शक्ति के अनुसार विधिपूर्वक जैसा उचित हो प्रत्येक घर में प्रत्येक गाँव में हर गली में बिना खटके के बिना काम के आँखों के सामने पेट भरकर हर दिन हर साल |
2. तत्पुरुष समास- जिस समास का उत्तर पद प्रधान तथा पूर्वपद गौण होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –
मोक्षप्राप्त – मोक्ष को प्राप्त
बिहारी रचित – बिहारी द्वारा रचित
रणभूमि – रण की भूमि
अध्ययनरत – अध्ययन में रत (लीन)
(क) कर्म तत्पुरुष – जिस समास के पूर्व पद में कर्म कारक के विभक्ति चिह्न ‘को’ का लोप हो, उसे ‘कर्म तत्पुरुष’ कहते हैं। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
ग्रामगत स्वर्गप्राप्त शरणागत यश प्राप्त माखनचोर मृत्युप्राप्त | ग्राम को गया हुआ स्वर्ग को प्राप्त शरण को आया हुआ यश को प्राप्त माखन को चुराने वाले मृत्यु को प्राप्त |
(ख) करण तत्पुरुष- जिस समास के पूर्व पद में करण कारक के विभक्ति चिह्न ‘से, के द्वारा’ का लोप हो उसे करण तत्पुरुष कहते हैं। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
सूररचित स्वरचित ऋणग्रस्त बाढ़ पीड़ित अकालपीड़ित शोकाकुल कष्ट साध्य भयत्रस्त तुलसीरचित भुखमरा मनगढ़ंत ज्वरपीड़ित भयाक्रांत मनमाना रेखांकित मदमस्त मनोवांछित | सूर द्वारा रचित स्वयं के द्वारा रचित ऋण से ग्रस्त बाढ़ से पीड़ित अकाल से पीड़ित शोक से आकुल कष्ट से साध्य भय से त्रस्त तुलसी द्वारा रचित भूख से मरा मन से गढ़ा हुआ ज्वर से पीड़ित भय से आक्रांत मन से माना हुआ रेखा से अंकित मद से मदस्त मन से चाहा हुआ |
(ग) संप्रदान तत्पुरुष- जिस समास के पूर्व पद में संप्रदान कारक विभक्ति चिह्न ‘को’ ‘के लिए’ का लोप होता है, उसे संप्रदान तत्पुरुष कहते हैं। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
देश प्रेम देशभक्ति गौशाला रणभूमि राहखर्च रसोईघर प्रयोगशाला जंतुशाला सत्याग्रह मालगोदाम हवन सामग्री पौधशाला मुसाफिरखाना हथकड़ी डाकगाड़ी गुरुदक्षिणा | देश के लिए प्रेम देश के लिए भक्ति गायों के लिए शाला रण के लिए भूमि राह के लिए खर्च रसोई के लिए घर प्रयोग के लिए घर जंतुओं के लिए घर सत्य के लिए आग्रह माल के लिए गोदाम हवन के लिए सामग्री पौधों के लिए घर मुसाफिरों के लिए घर हाथ के लिए कड़ी डाक के लिए गाड़ी गुरु के लिए दक्षिण |
(घ) अपादान तत्पुरुष – जिस समास के पूर्व पद में अपादान कारक के विभक्ति चिह्न ‘से अलग’ का लोप होता है उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
पदच्युत रोगमुक्त धर्मभ्रष्ट धनहीन अश्वपतित ऋणमुक्त बलहीन आशातीत देशनिकाला पथभ्रष्ट | पद से च्युत ( गिरा हुआ) रोग से मुक्त धर्म से भ्रष्ट धन से हीन अश्व (घोड़े) से पतित ऋण से मुक्त बल से हीन आशा से अतीत देश से निकाला पथ से भ्रष्ट |
(ङ) संबंध तत्पुरुष- जिस समास के पूर्व पद में संबंध कारक के विभक्ति चिह्न ‘का’, ‘की’, ‘के’, ‘रा’, ‘री’, ‘रे’ का लोप होता है, उसे संबंध तत्पुरुष कहते हैं। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
देशभक्त नरपति दलपति राजपुत्र सेनानायक राजपथ मानवधर्म जलप्रवाह भारतवासी स्वाधीन घुड़दौड़ राजवैद्य जन प्रतिनिधि लोक कल्याण राजमाता जनकसुता आज्ञानुसार दीनबंधु | देश का भक्त नर (लोगों) का पति दल समूह का पति राजा का पुत्र सेना का नायक राजा का पथ मानव का धर्म जल का प्रवाह भारत का वासी स्व (अपने) के अधीन घोड़ों की दौड़ राज्य का वैद्य जन लोगों का प्रतिनिधि लोगों का कल्याण राज्य की माता जनक की पुत्री आज्ञा के अनुसार दीनों के बंधु |
(च) अधिकरण तत्पुरुष- जिस समास में अधिकरण कारक के विभक्ति-चिह्न ‘में’, ‘पर’ का लोप हो, उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
घुड़सवार जलमग्न वनवास कर्मवीर आनंदमग्न गृहप्रवेश व्यवहार कुशल दानवीर दहीबड़ा शोकमग्न विद्या प्रवीण ग्रामवास आपबीती नरोत्तम दानवीर कलानिपुण वनमानुष स्नेहमग्न | घोड़े पर सवार जल में मग्न वन में वास कर्म में वीर आनंद में मग्न गृह में प्रवेश व्यवहार में कुशल दान में वीर दही में डूबा हुआ बड़ा शोक में मग्न ‘विद्या में प्रवीण ग्राम में वास खुद पर बीती हुई नरों में उत्तम दान में वीर कला में निपुण वन में रहने वाला मनुष्य स्नेह में मग्न |
3. वंद्व समास – जिस समास में न पूर्व पद प्रधान होता है और न उत्तर पद, बल्कि दोनों ही पद समान होते हैं, उसे दवंदव समास कहते हैं। इस समास में दो शब्दों के निकट आ जाने से उनको मिलाने वाले ‘और’ या अन्य समुच्चयबोधक अव्ययों का लोप हो जाता है। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
राजा – रंक नर – नारी मान – सम्मान यश – अपयश दाल – रोटी सीता – राम राधा – कृष्ण आना – जाना जीवन – मरण देश – विदेश गाँव – घर साग – सब्जी भाई – बहन पति – पत्नी नर – नारी माता – पिता सरदी – गरमी धूप – छाँव सुख – दुख अपना – पराया ऊँच – नीच दिन – रात नदी – नाले गीत – संगीत | राजा और रंक नर और नारी मान और सम्मान यश और अपयश दाल और रोटी सीता और राम राधा और कृष्ण आना और जाना जीवन और मरण देश और विदेश गाँव और घर साग और सब्जी भाई और बहन पति और पत्नी नर और नारी माता और पिता सरदी और गरमी धूप और छाँव सुख और दुख अपना और पराया ऊँच और नीच दिन और रात नदी और नाले गीत और संगीत |
4. कर्मधारय समास – जिस समास में एक पद उपमेय अथवा विशेषण और विशेष्य हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
(क) विशेषण-विशेष्य
समस्त पद | विग्रह |
महादेव नीलगगन श्वेतकमल पीतांबर महाराज महाजन काली मिर्च नीलांबर प्रधानाचार्य महात्मा लालमिर्च नीलगाय | महान हैं देव नील है गगन श्वेत है कमल पीला है अंबर (वस्त्र) महान है जो राजा महान है जो जन ( मनुष्य) काली है मिर्च नीला है अंबर (आकाश) प्रधान है आचार्य महान है जो आत्मा लाल है मिर्च नीली है जो गाय |
(ख) उपमेय-उपमान
समस्त पद | विग्रह |
कमलनयन घनश्याम भुखदंड विद्याधन वचनामृत क्रोधाग्नि कनकलता चंद्रमुखी राममणि मृगलोचन वचनामृत गोधन राम – रतन | कमलरूपी नयन घन के समान श्याम भुजा रूपी दंड विद्या रूपी धन वचन रूपी अमृत क्रोध रूपी अग्नि कनक रूपी लता चंद्र रूपी मुख राम रूपी मणि मृग के समान लोचन वचन रूपी अमृत गाय रूपी धन राम रूपी रतन |
5. द्विगु समास – जिस समस्त पद का पहला पद संख्यावाचक होता है उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे –
समस्त पद | विग्रह |
द्विघात त्रिभुज त्रिलोचन चतुर्भुज चतुरानन पंचवटी पंचानन षट्भुज षटकोण षडानन त्रिफला त्रिभुवन दोपहर पंचतंत्र सप्तपदी अष्टाध्यायी अष्टांग नवरंग नवग्रह दशानन शताब्दी तिराहा तिरंगा चौराहा पंजाब नवनिधि सप्ताह त्रिवेणी | दो घातों का समूह तीन भुजाओं का समूह तीन नयनों का समूह चार भुजाओं से घिरी आकृति चार आनन का समूह पंच (वट) वृक्षों का समूह पाँच आनन (मुँह) का समूह छह भुजाओं वाली आकृति छह कोणों का समूह छह आनन का समूह तीन फलों का समूह तीन लोकों का समूह दो पहरों का समूह पाँच तंत्रों का समूह सात पदों का समूह आठ अध्यायों का समूह आठ अंगों का समूह नव रंगों का समूह नव ग्रहों का समूह दस मुँह (आनन) का समूह सौ वर्षों का समूह तीन राहों का समूह तीन रंगों का समूह चार रास्तों का समूह पाँच आब (नदी) का समूह नव निधियों का समूह सात दिनों का समूह तीन वेणियों (धाराओं) का समूह |
6. बहुव्रीहि समास – जिस समास में न पूर्वपद प्रधान होता है न उत्तरपद, बल्कि अन्य पद की ओर संकेत करते हैं, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे – पंकज समस्त पद का विग्रह हुआ – पंक + ज। अर्थात् – पंक (कीचड़) में जन्म लेता है जो। पंक में मछली, घोंघा, सीप, कीड़े-मकोड़े घास आदि-आदि पैदा होते हैं परंतु यहाँ पंकज ‘कमल’ के अर्थ का बोध कराता है। यह ‘कमल’ प्रधान होने के कारण यहाँ बहुव्रीहि समास है।
अन्य उदाहरण –
समस्त पद | विग्रह |
त्रिनेत्र चतुरानन पंचानन एकदंत दशानन लंबोदर त्रिवेणी चक्रपाणि पीतांबर श्वेतवसना महावीर महादेव गिरधर मुरलीधर अंशुमाली मृगनयनी पीतांबर चंद्रशेखर नीलकंठ दिगंबर | तीन नेत्र है जिसके अर्थात् शिव जी चार आनन हैं जिसके अर्थात् ब्रह्मा जी पाँच आनन (मुँह) हैं जिसके अर्थात् शेर एक दाँत है जिसके अर्थात् गणेश जी दस आनन है जिसके अर्थात् रावण लंबा उदर है जिसका अर्थात् गणेश जी तीन वेणियों ( धाराओं) का संगम है जहाँ अर्थात् प्रयाग चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु जी पीला है अंबर जिसका अर्थात् भगवान कृष्ण श्वेत वस्त्र धारण करता है जो अर्थात सरस्वती जी महानवीर है जो अर्थात् हनुमान जी महान देव है जो अर्थात् शंकर जी गिरि को धारण करता है जो अर्थात् श्रीकृष्ण मुरली धारण करता है जो अर्थात् श्रीकृष्ण अंशु (किरणें) हैं माला जिसकी अर्थात् सूर्य मृग के सम्मान आँखे है जिसकी अर्थात् सीता जी पीला अंबर है जिसके अर्थात् श्रीकृष्ण जी चंद्रमा है शिखर (शीश) पर जिसके अर्थात् शिव जी नीला कंठ है जिसका अर्थात् शिव जी दिशाएँ हैं वस्त्र जिसका अर्थात् जैनमुनि |
अभ्यास-प्रश्न
1. नीचे दिए गए समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए –
(i) माता-पिता (ii) पशुधन (iii) कुमति (iv) प्रधानाध्यापक (v) चक्रधर (vi) उद्योगपति (vii) दोपहर (viii) गणपति (ix) नीति निपुण (x) यथाशीघ्र (xi) पंकज (xii) त्रिलोचन (xiii) कन्याधन (xiv) घनश्याम (xv) हाथों-हाथ (xvi) नवनिधि (xvii) चवन्नी (xviii) कमलनयन (xix) नीलगगन (xx) पंजाब (xxi) लोकसभा ( xxii) गीत-संगीत (xxiii) गजानन (xxiv) हवनसामग्री (xxv) ज्वरपीड़ित (xxvi) दोपहर (xxvii) महाजन xxviii) सतसई (xxix) गाँव-गाँव (xxx) चौराहा | ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. |
उत्तर-
(i) माता और पिता – वंद्व समास
(ii) पशुरूपी धन – कर्मधारय समास
(iii) बुरी है मति – कर्मधारय समास
(iv) प्रधान है अध्यापक – कर्मधारय समास
(v) चक्र को धारण करता है अर्थात् विष्णु – कर्मधारय समास
(vi) उद्योग का पति – संबंध तत्पुरुष
(vii) दो पहरों का समूह – द्विगुसमास
(viii) गण अर्थात् समूह का पति है जो अर्थात् गणेश जी – बहुव्रीहि समास
(ix) नीति में निपुण – अधिकरण तत्पुरुष
(x) जितना शीघ्र हो सके – अव्ययीभाव समास
(xi) पंक में जन्म लेता है जो अर्थात कमल – बहुव्रीहि समास
(xii) तीन लोचन है जिसके अर्थात शिव जी – बहुव्रीहि समास
(xiii) कन्यारूपी धन – कर्मधारय समास
(xiv) धन के समान श्याम – कर्मधारय समास
(xv) हाथ ही हाथ में – अव्ययीभाव समास
(xvi) नौ निधियों का समूह – द्विगु समास
(xvii) चार आनों का समूह – द्विगु समास
(xviii) कमल के समान नयन हैं जिसके अर्थात् श्रीराम – बहुव्रीहि समास
(xix) नीला है गगन – कर्मधारय समास
(xx) पाँच आवों का समूह – द्विगुण समास
(xxi) लोगों की सभा – संबंध तत्पुरुष समास
(xxii) स्वर्ग को प्राप्त – कर्म तत्पुरुष समास
(xxiii) लोक का गीत – संबंध तत्पुरुष समास
(xxiv) गीत और संगीत – वंद्व समास
(xxv) गज के समान आनन है जिसके अर्थात् गणेश जी – बहुव्रीहि समास
(xvi) हवन के लिए सामग्री – संप्रदान तत्पुरुष समास
(xvii) ज्वर से पीड़ित – करण तत्पुरुष समास
(xviii) दो पहरों का समूह – द्विगु समास
(xix) महान है जन – कर्मधारय समास
(xxx) सास सौ पदो का समूह – द्विगु समास
(xxxi) प्रत्येक गाँव में – अव्ययी भाव समास
(xxxii) चार राहों का समाहार – द्विगु समास
2. नीचे कुछ विग्रह दिए गए हैं। उनके समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए –
(i) महान है आत्मा (ii) आठ सिद्धियों का समूह (iii) शक्ति के अनुसार (iv) आज्ञा के अनुसार (v) गुरु के लिए दक्षिणा (vi) तुलसी के द्वारा कृत (vii) जितना शीघ्र हो सके (viii) दशआनन है जिसके अर्थात् रावण (ix) रात और दिन (x) तीन फलों का समूह | ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. |
उत्तर-
(i) महात्मा – कर्मधारय समास
(vi) तुलसीकृत – करण तत्पुरुष समास
(ii) अष्टसिद्धि – द्विगु समास
(vii) यथाशीघ्र – अव्ययीभाव समास
(iii) यथाशक्ति – अव्ययीभाव समास
(viii) दशानन – बहुव्रीहि समास
(iv) आज्ञानुसार – संबंध तत्पुरुष समास
(ix) रात-दिन – वंद्व समास
(v) गुरुदक्षिणा – संप्रदान तत्पुरुष समास
(x) त्रिफला – द्विगु समास
3. नीचे कुछ समास के भेद दिए गए हैं। आप उनके उदाहरण लिखकर विग्रह भी लिखिए –
(i) अव्ययीभाव समास (ii) द्वंद्व समास (iii) कर्मतत्पुरुष समास (iv) अव्ययीभाव समास (v) करण तत्पुरुष समास (vi) बहुव्रीहि समास (vii) संप्रदान तत्पुरुष समास (viii) द्वंद्व समास (ix) अपादान तत्पुरुष समास (x) कर्मधारय समास (xi) संबंध तत्पुरुष समास (xii ) द्विगु समास (xiii) अधिकरण तत्पुरुष समास | ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. ……………………. |
उत्तर-
(i) समयानुसार – समय के अनुसार
(ii) गंगा-यमुना – गंगा और यमुना
(iii) ग्रामगत – ग्राम को गया हुआ
(iv) आजीवन – जीवनभर या जीवन पर्यंत
(v) सूररचित – सूरदास द्वारा रचित
(vi) नीलकंठ – नीला कंठ है जिसका नीलकंठ अर्थात् शिव जी
(vii) राह खर्च – राह के लिए खर्च
(viii) गुरु-शिष्य – गुरु और शिष्य
(ix) पदच्युत – पद से च्युत ( हटाया हुआ)
(x) नीलांबर – नीला है अंबर
(xi) राजनीति – राज्य (राजा) की नीति
(xii) सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
(xiii) वनवास – वन में वास
विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न
1. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रहकर समास का नाम लिखिए –
(i) अंशुमाली
(ii) धनहीन
(iii) दशानन
(iv) शताब्दी
(v) मृगनयनी
(vi) आजन्म
(vii) कलम-दवात
(viii) प्रतिजन
(ix) रथ यात्रा
(x) चाँद-सूरज
(xi) भवसागर
(xii) दिन-रात
(xiii) भवसागर
(xiv) रसोईघर
(xv) आजीवन
(xvi) गजानन
(xvii) गुरुदक्षिणा
(xviii) धनहीन
(xix) त्रिफला
(xx) दाल-रोटी
(xxi) गिरिधर
(xxii) पंच परमेश्वर
(xxiii) आय-व्यय
(xxiv) नील-कमल
(xxv) हार-जीत
(xxvi) रेखांकित
(xxvii) पंचतत्व
(xxviii) उद्योगपति
(xxix) दसानन
(xxx) माता-पिता
उत्तर-
(i) अंशु है माला जिसकी अर्थात् सूर्य – बहुव्रीहि समास
(ii) धन से हीन – अपादान तत्पुरुष
(iii) दस आनन हैं जिसके अर्थात् रावण – बहुव्रीहि समास
(iv) एक सौ वर्षों का समय – द्विगु समास
(v) मृग के समान नयन है जिसके अर्थात् सीता जी – बहुव्रीहि समास
(vi) जन्म से – अव्ययीभाव समास
(vii) कलम और दवात – वंद्व समास
(viii) हर एक जन – अव्ययीभाव समास
(ix) रथ की यात्रा – संबंध तत्पुरुष समास
(x) चाँद और सूरज – वंद्व समास
(xi) भवरूपी सागर – कर्मधारय समास
(xii) दिन और रात – वंद्व समास
(xiv) रसोई के लिए घर – संप्रदान तत्पुरुष समास
(xv) जीवनभर – अव्ययीभाव समास
(xvi) गज के समान आनन है जिसके अर्थात् गणेश जी – बहुव्रीहि समास
(xvii) गुरु के लिए दक्षिणा अर्थात् दान – तत्पुरुष समास
(xviii) धन से हीन – अपादान तत्पुरुष समास
(xix) तीन फलों का समूह – द्विगु समास
(xx) दाल और रोटी – वंद्व समास
(xxi) गिरि को धारण करते हैं जो अर्थात् श्रीकृष्ण – बहुव्रीहि समास
(xxii) पाँच परमेश्वरों का समूह – द्विगु समास
(xxiii) आय और व्यय – वंद्व समास
(xxiv) नीला है कमल – कर्मधारय समास
(xxv) हार और जीत – वंद्व समास
(xxvi) रेखा से अंकित – करण तत्पुरुष समास
(xxvii) पाँच तत्वों का समूह – द्विगु समास
(xxviii) उद्योग का पति – संबंध तत्पुरुष समास
(xxix) दस आनन है जिसके अर्थात् रावण – बहुव्रीहि समास
(xxx) माता और पिता – द्वंद्व समास
2. निम्नलिखित विग्रहों के लिए समस्त पद लिखिए और समास का नाम भी लिखिए –
(i) मरण तक
(ii) मन का योग
(iii) नर और नारी
(iv) अश्रुलाने वाली गैस
(v) देवता का आलय
(vi) चार मंजिल वाला
(vii) कामना पूरी करने वाली धेनु
(viii) राजा और रंक
(ix) नीला कमल
(x) राष्ट्र का पति
उत्तर-
(i) आमरण – अव्ययीभाव समास
(ii) मनोयोग – संबंध तत्पुरुष समास
(iii) नर-नारी – वंद्व समास
(iv) अश्रुगैस – कर्मधारय समास
(v) देवालय – संबंध तत्पुरुष समास
(vi) चारमंजिला – द्विगु समास
(vii) कामधेनु – कर्मधारय समास
(viii) राजा-रंक – वंद्व समास
(ix) नील कमल – कर्मधारय समास
(x) राष्ट्रपति – संबंध तत्पुरुष समास
3. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कीजिए –
(i) आना-जाना
(ii) सप्ताह
(iii) दशानन
(iv) घुड़सवार
(v) अकाल पीड़ित
(vi) त्रिभुवन
(vii) देवदूत
(viii) चतुर्भुज
(ix) नवगीत
(x) त्रिलोचन
उत्तर-
(i) आना और जाना
(ii) सात दिनों का समूह
(iii) दसआनन है जिसके अर्थात् रावण
(iv) चक्र को धारण करता है जो अर्थात् विष्णु
(v) मरण तक
(vi) तीन लोकों का समूह
(vii) देवताओं का दूत
(viii) चार भुजाएँ हैं जिसकी
(ix) नया है जो गीत
(x) तीन नेत्र है जिसके अर्थात शिव जी
4. निम्नलिखित पदों का समास भेद बताइए –
(i) पाप-पुण्य
(ii) नीलकंठ
(iii) तुलसीकृत
(iv) चक्रधर
(v) आमरण
(vi) जंतुगृह
(vii) यथारुचि
(viii) आमरण
(ix) आजीवन
(x) नीलगगन
उत्तर-
(i) द्वंद्व समास
(ii) कर्मधारय, बहुव्रीहि
(iii) करण तत्पुरुष समास
(iv) बहुव्रीहि समास
(v) अव्ययीभाव समास
(vi) संप्रदान तत्पुरुष समास
(vii) अव्ययीभाव समास
(viii) कर्मधारय समास
(ix) अव्ययीभाव समास
(x) कर्मधारय समास
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