Class 9 Science Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Notes In Hindi Why Do We Fall ill
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Science |
Chapter | Chapter 13 |
Chapter Name | हम बीमार क्यों होते हैं |
Category | Class 9 Science Notes |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
Class 9 Science Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Notes In Hindi जिसमे हम रोग तथा इसके प्रकार, प्रतिरक्षाकरण स्वास्थ्य, व्यक्तिगत तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, तीव्र रोग, दीर्घकालिक रोग, संक्रामक रोग, असंक्रामक रोग, रोग के कारक, विभिन्न सूक्ष्मजीव रोग फैलने के साधन, अंग विशिष्ट तथा ऊतक विशिष्ट अभिव्यक्ति, रोग का उपचार, रोग के निवारण, सामान्य विधि, रोग विशिष्ट विधियाँ आदि के बारे में पढ़ेंगे
Class 9 Science Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Why Do We Fall ill Notes In Hindi
?अध्याय – 13?
✍हम बीमार क्यों होते हैं✍
?स्वास्थ
✍ किसी व्यक्ति की सामान्य शारीरिक एवं मानसिक अवस्था ही उसका स्वास्थ्य है।
✍ स्वास्थ्य अच्छा रहने की वह अवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कार्य उचित प्रकार से किया जा सके।
▶ WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार :- स्वास्थ्य व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक अवस्था है।
✍ लोगों को स्वस्थ एवं रोग- मुक्त रखने के प्रति जागरूक करने के लिए हम प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाते है।
?अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ
✍ अच्छा भौतिक पर्यावरण
✍ अच्छा सामाजिक वातावरण
✍ सन्तुलित आहार एवम सक्रिय दिनचर्या
✍ अच्छी आर्थिक स्थिति और रोजगार
?व्यक्तिगत तथा सामुदायिक स्वास्थ
✍ व्यक्तिगत तथा सामुदायिक समस्याएँ दोनों स्वास्थ को प्रभावित करती हैं।
✍ स्वास्थ व्यक्तिगत नहीं एक सामुदायिक समस्या है और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सामुदायिक स्वच्छता महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है।
✍ जीवों का स्वास्थ्य उनके पास पड़ोस या पर्यावरण पर निर्भर करता है।
✍ रोग मुक्त और स्वस्थ रहने के लिए अच्छा भौतिक और सामाजिक वातावरण अनिवार्य है इसलिए व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य दोनों ही समन्वयित अवस्था है।
?स्वस्थ रहने तथा रोगमुक्त में अन्तर
✍ स्वस्थ रोगमुक्त मनुष्य शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से अपनी क्षमताओं का भरपूर उपयोग करें ऐसी अवस्था है जिसमें बीमारी का अभाव होता है।
✍ व्यक्तिगत, भौतिक एवं सामाजिक वातावरण व्यक्तिगत व्यक्ति का अच्छा स्वास्थ्य है इसमें व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा या निर्बल हो सकता है।
?रोग
✍ रोग शरीर की वह अवस्था जो शरीर के सामान्य कार्य में बाधा या प्रभावित करें।
?रोग किस तरह के दिखाई देते हैं ?
✍ जब व्यक्ति को कोई रोग होता है तो शरीर के एक या अधिक अंगों का कार्य और रूप – रंग खराब हो जाता है।
▶ रोग का लक्षण :-
✍ किसी अंग या तंत्र की संरचना में परिवर्तन परिलक्षित होना रोग का लक्षण कहलाता है।
✍ लक्षणों के आधार पर चिकित्सक विशेष को पहचानता है और रोग की पृष्टि के लिए कुछ टैस्ट करवाता है।
▶ रोग के लक्षण :- रोग के लक्ष्ण हमे खरावी का संकेत देते है जो रोगी द्वारा महसूस होते है।
▶ रोग के चिह्न :- लक्षणों के आधार पर परीक्षण सही कारण जानने में मदद करते है।
?रोगों के कारण
✍ वायरस, बैक्टीरिया, कवक, प्रोटोजोआ और कृमि आदि कुपोषण
✍ आनुवांशिक विभिन्नता
✍ पर्यावरण प्रदूषण (हवा, पानी आदि) टीकाकरण का अभाव
?रोग के प्रकार
▶ तीव्र रोग :– वे रोग जो कम समय के लिए होते हैं,।जैसे :- सर्दी, जुकाम
▶ दीर्घकालीन रोग :- अधिक समय तक चलने वाले रोगों को दीर्घकालिक रोग कहते हैं। जैसे :- कैंसर, क्षय रोग (TB), फील पाँव (Elephantitis)
▶ संक्रामक रोग :- रोगाणु या सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले रोगों को संक्रामक रोग कहते हैं ऐसे रोग संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्तियों में फैलते हैं संक्रामक रोग के उत्पन्न करने वाले विभिन्न कारक हैं। जैसे :- बैक्टीरिया, फंजाई, प्रोटोजोआ और कृमि (वर्ग)
▶ असंक्रामक रोग :– ये रोग पीड़ित व्यक्ति तक ही सीमित रहते हैं और अन्य व्यक्तियों में नहीं फैलते हैं जैसे :- हृदय रोग, एलर्जी आभाव जन्य रोग :- यह रोग पोषक तत्वों के आभाव से होते है जैसे घेघा, थाईरोंइड
अपक्षयी रोग :- जैसे गठिया
▶ जन्मजात रोग :- वह रोग जो व्यक्ति में जन्म से ही होते है यह अनुवांशिक आधार पर होते है। जैसे :- हीमोफीलियया आदि।
?संक्रामक रोग और असंक्रामक रोग में अंतर
✍ संक्रामक रोग असंक्रामक रोग यह संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है। यह संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ में नहीं फैल सकता।
✍ यह रोगाणुओं के आक्रमण के कारण उत्पन्न होता है । यह जीवित रोगाणु को छोड़कर अन्य कारकों के कारण फैलता है।
✍ यह धीरे – धीरे पूरे समुदाय में फैल सकता है यह समुदाय में नहीं फैलता
इसका उपचार एंटीबायोटिक्स के प्रयोग द्वारा किया जा सकता है।
उदाहरण :- सामान्य सर्दी – जुकाम इसका उपचार एंटीबायोटिक्स के द्वारा नहीं किया जा सकता है। उदाहरण :- उच्च रक्तचाप
?रोगाणु
✍ बीमारी और संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्म जीव होते है इन्हे संक्रामक कारक भी कहते है
?महामारी बीमारी
✍ कुछ रोग एक जगह या समुदाय मे बड़ी तीव्रता से फैलते है और बड़ी आवादी को संक्रमित करते है इसे महामारी कहते है। जैसे :- हैजा, कारोना
?रोग फैलने के साधन
✍ संक्रामक रोग पीड़ित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति में फैल जाते हैं सूक्ष्मजीव या संक्रामक कारक हमारे शरीर में निम्न साधनों द्वारा प्रवेश करते हैं :- वायु, भोजन, जल, रोग वाहक द्वारा, लैंगिक सम्पर्क द्वारा
▶ वायु द्वारा :- छींकने और खाँसने से रोगाणु वायु में फैल जाते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जैसे :- निमोनिया , क्षयरोग, सर्दी – जुकाम आदि।
▶ जल और भोजन द्वारा :- रोगाणु (संक्रामक कारक) हमारे शरीर में संक्रमित जल व भोजन द्वारा प्रवेश कर जाते हैं। जैसे :- हैजा, अमीबिय पेचिश आदि।
▶ रोग वाहक द्वारा :- मादा एनाफिलीज मच्छर भी बीमारी में रोग वाहक का कार्य करती है जैसे :- मलेरिया, डेंगू आदि।
▶ रैबीज संक्रमित पशु द्वारा :- सक्रमित कुता, बिल्ली, बन्दर के काटने से रैबीज संक्रमण होता है।
▶ लैंगिक सम्पर्क द्वारा :- कुछ रोग जैसे सिफलिस और एड्स (AIDS) रोगी के साथ लैंगिक सम्पर्क द्वारा संक्रमित व्यक्ति में प्रवेश करता है।
▶ एड्स का विषाणु :- संक्रमित रक्त के स्थानान्तरण द्वारा फैलता है, अथवा गर्भावस्था में रोगी माता से या स्तनपान कराने से शिशु का एड्सग्रस्त होना
?एड्स (AIDS)
✍ एड्स :- एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसियन्सी सिण्ड्रोम
AIDS :- (Acquired Immuno deficiency Syndome)
✍ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा का कम हो जाना या बिल्कुल नष्ट हो जाना AIDS कहलाता है। यह एक भयानक रोग है इस का रोगाणु HIV (Human infecting) अपतनेद्ध है
▶ संचरण होने के कारण :-
✍ संक्रमित व्यक्ति का रक्त स्थानान्तरण करने से
यौन सम्पर्क द्वारा
✍ AIDS से पीड़ित माँ से शिशु में गर्भावस्था में या स्तनपान द्वारा
सक्रमित इंजेक्शन की सूई का प्रयोग कई व्यक्तियों के लिए करना
▶ निवारण :-
✍ अनजान व्यक्ति से यौन सम्बन्ध से बचे
✍ संक्रमित रक्त कभी भी न चढ़ाये
✍ दाड़ी बनाने के लिए नया ब्लेड इस्तेमाल करें
?अंग विशिष्ट तथा ऊतक – विशिष्ट अभिव्यक्ति
✍ रोगाणु विभिन्न माध्यमों से शरीर में प्रवेश करते हैं किसी ऊतक या अंग में संक्रमण उसके शरीर में प्रवेश के स्थान पर निर्भर करता है।
✍ यदि रोगाणु वायु के द्वारा नाक से प्रवेश करता है तो संक्रमण फेफड़ों में होता है, जैसे कि क्षयरोग (TB) में
✍ यदि रोगाणु मुँह से प्रवेश करता है, तो संक्रमण आहार नाल में होता है जैसे कि खसरा का रोगाणु आहार नाल में और हेपेटाइटिस का रोगाणु (Liver) यकृत में संक्रमण करता है।
✍ विषाणु (Virus) जनन अंगों से प्रवेश करता है लेकिन पूरे शरीर की लसिका ग्रन्थियों में फैल जाता है और शरीर के प्रतिरक्षी संस्थान को हानि पहुँचाता है।
✍ इसी तरह मलेरिया का रोगाणु त्वचा के द्वारा प्रवेश करता है, रक्त की लाल रुधिर कोशिकाओं को नष्ट करता है।
✍ इसी प्रकार जापानी मस्तिष्क ज्वर का विषाणु मच्छर के काटने से त्वचा से प्रवेश करता है और मस्तिष्क (Brain) को संक्रमित करता है।
?उपचार के नियम
▶ रोगों के उपचार के उपाय दो प्रकार के हैं :-
✍ रोग के लक्षणों को कम करने के लिए उपचार
✍ रोगाणु को मारने के लिए उपचार
▶ रोग के लक्षणों को कम करने के लिए उपचार :-
✍ पहले दवाई रोग के लक्षण दूर और कम करने के लिए दी जाती हैं जैसे :- बुखार, दर्द या दस्त आदि।
✍ हम आराम कर के ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं जो हमारे स्वस्थ होने में सहायक होगी।
▶ रोगाणु को मारने के लिए उपचार :-
✍ रोगाणु को मारने के लिए एंटीबायोटिक दिया जाता है उदाहरण :- जीवाणु (Bacteria) को मारने के लिए एंटीबायोटिक या मलेरिया परजीवी को मारने के लिए सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त कुनैन का प्रयोग किया जाता है।
?एंटीबायोटिक
✍ एंटीबायोटिक वे रासायनिक पदार्थ हैं, जो सूक्ष्म जीव (जीवाणु, कवक एवं मोल्ड) के द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं और जो जीवाणु की वृद्धि को रोकते हैं या उन्हें मार देते हैं जैसे पेनिसिलीन, टेट्रासाइक्लीन
✍ बहुत से जीवाणु अपनी सुरक्षा के लिए एक कोशिका भित्ति बना लेते हैं एंटीबायोटिक कोशिका भित्ति की प्रक्रिया को रोक देते हैं और जीवाणु मर जाता है।
✍ पेनिसिलीन जीवाणु की कई स्पीशिज में कोशिका भित्ति बनाने की प्रक्रिया को रोक देता है और उन सभी स्पीशीज को मारने के लिए प्रभावकारी है।
?निवारण के सिद्धान्त
✍ रोगों के निवारण रोकथाम के लिए दो विधियाँ हैं।
✍ सामान्य विधियाँ
✍ रोग विशिष्ट विधियाँ
?सामान्य विधियाँ
✍ रोगों का निवारण करने की सामान्य विधि रोगी से दूर करना है।
✍ वायु से फैलने वाले संक्रमण या रोगों से बचने के लिए हमें भीड़ वाले स्थानों पर नहीं जाना चाहिए।
✍ पानी से फैलने वाले रोगों से बचने के लिए पीने से पहले पानी को उबालना चाहिए।
✍ इसी प्रकार, रोग वाहक सूक्ष्मजीवों द्वारा फैलने वाले रोगों, जैसे मलेरिया, से बचने के लिए अपने आवास के पास मच्छरों को पनपने नहीं देना चाहिए।
?रोग विशिष्ट विधियाँ
▶ रोगों के रोकथाम का उचित उपाय है :-
▶ प्रतिरक्षीकरण या टीकाकरण :- इस विधि में रोगाणु स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डाल दिये जाते हैं रोगाणु के प्रवेश करते ही प्रतिरक्षा तंत्र ‘धोखे‘ में आ जाता है और उस रोगाणु से लड़ने वाली विशिष्ट कोशिकाओं का उत्पादन आरम्भ कर देता है इस प्रकार रोगाणु को मारने वाली विशिष्ट कोशिकाएँ शरीर में पहले से ही निर्मित हो जाती हैं और जब रोग का रोगाणु वास्तव में शरीर में प्रवेश करता है तो रोगाणु से ये विशिष्ट कोशिकाएँ लड़ती है और उसे मार देती हैं।
✍ टेटनस, डिप्थीरिया, पोलियो, चेचक, क्षयरोग के लिए टीके उपलब्ध है।
बच्चों को DPT का टीका डिफ्थीरिया (Diphtheria) , कुकर खाँसी और टिटेनस (Tetanus) के लिए दिया जाता है।
हिपेटाइटिप ‘A‘ के लिए टीका उपलब्ध है पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दिया जाना चाहिए।
रैबीज का विषाणु (वायरस) कुत्ते, बिल्ली, बन्दर तथा खरगोश के काटने से फैलता है रैबीज का प्रतिरक्षी (Vaccine) मनुष्य तथा पशु के लिए उपलब्ध है।