NCERT Solution Class 9th Science Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा (Work and Energy) Notes In Hindi

NCERT Solution Class 9th Science Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा (Work and Energy)

Textbook NCERT
Class9th
Subjectविज्ञान (Science)
Chapter10th
Chapter Nameकार्य तथा ऊर्जा
CategoryClass 9th विज्ञान (Science) Notes
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 9th Science Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा (Work and Energy) Notes In Hindi जिसमें हम कार्य और ऊर्जा क्या है, कार्य से आप क्या समझते हैं, ऊर्जा का सूत्र क्या होता है, ऊर्जा से आप क्या समझते हैं, कार्य और ऊर्जा में क्या अंतर है, कार्य और ऊर्जा की इकाई क्या है, कार्य ऊर्जा का मात्रक क्या होता है, ऊर्जा कितने प्रकार के होते हैं, ऊर्जा का महत्व क्या है, ऊर्जा को कैसे मापा जाता है, कार्य क्या है और इसके प्रकार, कार्य किस प्रकार की ऊर्जा है,  पृथ्वी का सबसे बड़ा ऊर्जा क्या है, भारत ऊर्जा का आयात कहां करता है आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solution Class 9th Science Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा (Work and Energy)

Chapter –  10

कार्य तथा ऊर्जा

Notes

कार्य किसे कहते हैंकार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। सजीवों में ऊर्जा, भोजन से मिलती है। मशीनों को ऊर्जा, ईंधन से मिलती है।

कठोर कार्य करने के बावजूद कुछ अधिक कार्य नहीं 

सभी प्राक्रियाओं, लिखना, पढ़ना, चित्र बनाना, सोचना, विचार-विमर्श करना आदि में ऊर्जा व्यय होती है। लेकिन वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार इनमें बहुत थोड़ा-सा नगण्य कार्य हुआ। उदाहरण –

(1) एक व्यक्ति किसी दीवार या चट्टान को धकेलने में पर्णतया थक जाता है लेकिन दीवार के न हिलने के कारण कोई कार्य नहीं होता है।
(2) एक व्यक्ति भारी सूटकेस लेकर बिना हिले डुले खड़ें-खड़ें थक जाता है लेकिन स्थिर होने के कारण उसने कोई कार्य नहीं किया।

कार्य कब किया जाता है

(क) एक चलती हुई वस्तु विरामावस्था में आ जाये।
(ख) एक वस्तु विराम अवस्था से चलना सुरु कर दे।
(ग) एक गतिमान वस्तु का वेग परिवर्तन हो जाये।
(घ) एक वस्तु का आकर परिवर्तन हो जाये।

कार्य की वैज्ञानिक संकल्पनाजब कोई वस्तु पर लगाये गये बल के कारण वह वस्तु विस्थापित हो जाती है तो वह कार्य है।

कार्य करने की दशा
कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है: (i) वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए, तथा (ii) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए। कार्य हो रहा है – (i) एक साइकिल सवार सइकिल में पड़ल मर रहा है
(ii) एक व्यक्ति बोझे को ऊपर या नीचे की तरफ ले जा रहा है कार्य नहीं हो रहा है – (i) जब कुली वजन लेकर स्थिर खड़ा है
(ii) यदि व्यक्ति दीवार पर बल लगा रहा है

एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य

एक गतिमान वस्तु पर किया गया कार्य वस्तु पर लगे बल तथा वस्तु द्वारा बल की दिशा में किये गये विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।

कार्य = बल × विस्थापन
W = f × s
कार्य एक अदिश राशि है।

कार्य का मात्रक – कार्य का मात्रक न्यूटन मीटर या जूल है।

जूल किसे कहते हैं

जब बल वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर (m) विस्थापित कर देता है तो एक जूल (1J) कार्य होता है ।

  • 1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
  • 1J = 1 न्यूटन × 1 मीटर
  • w (कार्य) = वस्तु का भार × तय की गई दुरी (ऊँचाई)
  • = m×g×h
  • m = वास्तु का द्रव्यमान
  • g = गरुत्वीय त्वरण
  • h = जितनी ऊँचाई तक वस्तु उठाई गई है

धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य कार्य – एक बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक, ऋणात्मक या शून्य हो सकता है

धनात्मक कार्य किसे कहते हैं – कार्य धनात्मक होता है जब बल वस्तु की गति की दिशा में लगाया जाता है। (0° के कोण पर) उदहारण – एक बच्चा खिलौना गाड़ी को पृथ्वी के समानान्तर खींच रहा है, यह धनात्मक कार्य है।

ऋणात्मक कार्य किसे कहते हैं

तब होता है जब बल वस्तु की गति की विपरीत दिशा में लगाया जाता है । (180° के कोण पर)

उदाहरण – (a) जब हम जमीन पर रखी फुटबाल पर किक मारते हैं तो फुटबाल किक मारने की दिशा में चलती है यह धनात्मक कार्य है।

(b) लेकिन जब फुटबाल रूकती है उस पर घर्षण बल गति की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है। यहाँ कार्य ऋणात्मक है।

कार्य शून्य – जब लगाये गये बल और गति की दिशा में 90° का कोण बनता है।
उदाहरण – चन्द्रमा पृथ्वी के चारों तरफ गोलीय पथ में गति करता है। यहाँ पर पृथ्वी का गुरुत्व बल चन्द्रमा की गति की दिशा के साथ 90° का कोण बनाता है। अतः किया गया कार्य शून्य है।
ऋणात्मक चिन्ह का अर्थ पृथ्वी के गुरुत्व बल के विपरीत कार्य है ।
धनात्मक कार्य पृथ्वी के गुरुत्व बल की दिशा में किया गया कार्य है।

ऊर्जा किसे कहते हैं

कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। किसी वस्तु में निहित ऊर्जा, उस वस्तु द्वारा किये जाने वाले कार्य के बराबर होती है। कार्य करने वाली वस्तु में ऊर्जा की हानि होती है, तथा जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है उसकी ऊर्जा में वृद्धि होती है।

 (i) ऊर्जा एक अदिश राशि है।

ऊर्जा का मात्रक

ऊर्जा का S.I. मात्रक जूल (J) है।  
ऊर्जा का बड़ा मात्रक किलो जूल है।
1KJ = 1000 J
एक जुल कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा एक जुल है

ऊर्जा के रूप

  • स्थितिज ऊर्जागतिज ऊर्जाऊष्मीय ऊर्जारासायनिक ऊर्जाविद्युत् ऊर्जाप्रकाश ऊर्जाध्वनि ऊर्जानाभिकीय ऊर्जा

यांत्रिक ऊर्जा – किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

अथवा

किसी वस्तु की गति या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

गतिज ऊर्जाकिसी वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं। गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान तथा वस्तु के वेग के समानुपाती होती है। उदहारण – एक गतिशील क्रिकेट बॉल, बहता हुआ पानी आदि।

गतिज ऊर्जा के उदाहरण 

  • एक गतिशील क्रिकेट बॉल।बहता हुआ पानी।एक गतिशील गोली।बहती हुई हवा।एक गतिशील कार।एक दौड़ता हुआ खिलाड़ी।लुढ़कता हुआ पत्थर।उड़ता हुआ हवाई जहाज।
  • गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान तथा वस्तु के वेग के समानुपाती होती है।

गतिज ऊर्जा का सूत्र

यदि m द्रव्यमान की एक वस्तु एक समान वेग u से गतिशील है। इस वस्तु पर एक नियत बल F विस्थापन की दिशा में लगता है और वस्तु s दूरी तक विस्थापित हो जाती है इसका वेग u से v हो जाता है। तब त्वरण उत्पन्न होता है।किया गया कार्य (w) = F × s ….(i)
तथा F = ma ….(i)
गति के तीसरे समीकरण के अनुसार u, v, s तथा a में निम्न सम्बन्ध है –
v2 – u2 = 2as
अतः (S = v2 – u2/2a)
समीकरण (ii) तथा (iii) से F तथा S का मान समीकरण (i) में रखने पर
W = ma × v2 – u2/2a
= m × (v2 – u2/2) = 1/2 m (v2 – u2)
यदि वस्तु विराम अवस्था से चलना शुरू करती है, u = 0
W=½mv2
Ek=½mv2

स्थितिज ऊर्जा – किसी वस्तु में उस वस्तु की स्थिति या उसके आकार में परिवर्तन के कारण, जो कार्य करने की क्षमता होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।  

उदाहरण – (1) बाँध में जमा किया गया पानी – यह पृथ्वी से ऊँची स्थिति के कारण टरबाइन को घुमा सकते हैं। जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।

(2) खिलौना कार की कसी हुई स्प्रिंग – जब खिलौना कार का कसा हुआ स्प्रिंग खुलता है, तो इसमें संचित स्थितिज ऊर्जा र्निमुक्त होती है जिससे खिलौना कार चलती है।

(3) धनुष की तनित डोरी – धनुष की आकृति में परिवर्तन के कारण उसमें संचित स्थितिज ऊर्जा (तीर छोड़ते समय) तीर की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

किसी ऊँचाई पर वस्तु की स्थितिज ऊर्जा

यदि m द्रव्यमान की वस्तु को पृथ्वी के ऊपर h ऊँचाई तक उठाया जाता है तो पृथ्वी का गुरुत्व बल (m × g) नीचे की दिशा में कार्य करता है। वस्तु को उठाने के लिए गुरुत्व बल के विपरीत कार्य किया जाता है।  

  • अतः किया गया कार्य W = बल X विस्थापन mg × h = mgh.
  • यह कार्य वस्तु में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। 
  • अतः स्थितिज ऊर्जा(Ep) = m × g × h यहाँ (g) पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण है।

स्थितिज ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारक

स्थितिज ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारक – स्थितिज ऊर्जा निर्भर करती है-

(i) द्रव्यमान – PE ∝ cm
वस्तु का द्रव्यमान ज्यादा होगा तो स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी।
वस्तु का द्रव्यमान कम होगा तो स्थितिज ऊर्जा कम होगी।

(ii) पृथ्वी तल से ऊँचाई – PE ∝ h ( यह उस रास्ते पर निर्भर नहीं करता जिस पर वस्तु ने गति
की है।)
वस्तु की पृथ्वी तल से ऊँचाई ज्यादा होगी तो स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी।
वस्तु की पृथ्वी तल से ऊँचाई कम होगी तो स्थितिज ऊर्जा कम होगी ।

(iii) आकार में परिवर्तन – वस्तु में जितना ज्यादा खिंचाव (Stretching ), ऐंठन (Twisting) या झुकाव (Bending) होगा उतनी ही स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी।

ऊर्जा का रूपान्तरण – ऊर्जा के एक रूप से ऊर्जा के दूसरे रूप में परिवर्तन को ऊर्जा का रूपान्तरण कहते हैं ।

उदाहरण – एक निश्चित ऊँचाई पर एक पत्थर में स्थितिज ऊर्जा होती है जब यह नीचे गिराया जाता है, तो जैसे-जैसे ऊँचाई कम होती जाती है, वैसे-वैसे पत्थर की स्थितिज ऊर्जा कम होती जाती है।

लेकिन नीचे गिरते पत्थर का वेग बढ़ने के कारण पत्थर की गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है, जैसे ही पत्थर जमीन पर पहुँचता है, इसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाती है और गतिज ऊर्जा अधिकतम हो जाती है ।

इस प्रकार सारी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है।

2. पन बिजलीघर (Hydroelectric power house) में पानी की स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है तथा बाद में विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है।

3. तापीय बिजली घर (Thermal power house) में कोयले की रसायनिक ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। यही ऊष्मीय ऊर्जा गतिज ऊर्जा तथा विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है ।

4. पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा सौर ऊर्जा का उपयोग भोजन की रासायनिक ऊर्जा बनाने में करते हैं।

ऊर्जा संरक्षण का नियम

जब ऊर्जा का एक रूप ऊर्जा के दूसरे रूप में रूपान्तरित होता है तब कुल ऊर्जा की मात्रा अचर रहती है।

  • ऊर्जा की न तो उत्पत्ति हो सकती है और न ही विनाश।
  • हालांकि ऊर्जा रूपान्तरण के दौरान कुछ ऊर्जा बेकार (ऊष्मीय ऊर्जा या ध्वनि के रूप में) हो जाती है लेकिन निकाय की कुल ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है।
  • m द्रव्यमान की एक वस्तु में h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा = mgh
  • जैसे वस्तु नीचे गिरती है ऊँचाई h घटती है , और स्थितिज ऊर्जा भी घटती है।
  • ऊँचाई h पर गतिज ऊर्जा शून्य थी , लेकिन वस्तु के नीचे गिरने के समय यह बढ़ती जाती है।
  • मुक्त पतन के समय किसी भी बिन्दु पर स्थितिज और गतिज ऊर्जा का योग समान रहता है।

कार्य करने की दर (शक्ति)

कार्य करने के दर को शक्ति कहते हैं। या ऊर्जा रूपान्तरण की दर को शक्ति कहते हैं ।

यहाँ शक्ति (P) = किया गया कार्य (w)/समय (t)

p = शक्ति, w = किया गया कार्य, t= लिया गया समय

शक्ति का मात्रक – शक्ति का S. I मात्रक वाट (w) है, या जूल / सेकण्ड है ।

1 वाट = 1J/1S = 1 जूल/1 सेकेण्ड

जब एक जूल कार्य एक सेकेण्ड में होगा, तो शक्ति एक वाट होगी।

औसत शक्ति = किया गया कुल कार्य या उपयोग की गयी कुल ऊर्जा/लिया गया कुल समय

विद्युत साधित्रों (Electric appliances) की शक्तिविद्युत उपकरणों के द्वारा विद्युत ऊर्जा को उपयोग करने की दर को विद्युत उपकरण की शक्ति कहते हैं। शक्ति का बड़ा मात्रक किलोवाट (KW) है। 1 किलोवाट1000 वाट = 1000 जूल / सेकेण्ड 

ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक

जूल ऊर्जा का बहुत छोटा मात्रक है। ऊर्जा की ज्यादा मात्रा उपयोग होती है, वहाँ पर इसका उपयोग सुविधाजनक नहीं है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ऊर्जा के बड़े मात्रक किलोवाट घण्टा (KWh)का उपयोग करते हैं।

किलोवाट घण्टा (KWh)

जब एक किलोवाट शक्ति का विद्युत उपकरण, एक घण्टे के लिए उपयोग में लाया जाता है तब एक किलोवाट घण्टा (KWh) ऊर्जा व्यय होगी।  किलोवाट घण्टा तथा जूल में सम्बन्ध – 1 किलोवाट घण्टा ऊर्जा की वह मात्रा है जो एक किलोवाट प्रति घण्टा की दर से व्यय होती है।

एक किलोवाट घण्टा = एक किलोवाट एक घण्टा
KWh = 1000 वाट x 1 घण्टा
= 1000 वाट × 3600 सेकेण्ड (1 घण्टा = 60 × 60 सेकेण्ड
= 36,00,000 जूल
1KWh=3.6×106 जूल = 1 यूनिट

प्रश्न 1. कार्य किसे कहते हैं

कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। सजीवों में ऊर्जा, भोजन से मिलती है। मशीनों को ऊर्जा, ईंधन से मिलती है।

प्रश्न 2. कार्य होने के लिए क्या आवश्यक है?

(i) आवश्यक रूप से बल कार्य करना चाहिए।
(ii) बल के कारण वस्तु में विस्थापन अवश्य होना चाहिए।

प्रश्न 3. ऊर्जा क्या कहलाता है?

किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ‘ऊर्जा’ कहते हैं।

प्रश्न 4. ऊर्जा का सूत्र क्या होता है?

ऊर्जा = शक्ति × समय

प्रश्न 5. कार्य के लिए SI मात्रक क्या है?

वैज्ञानिक कार्य मापने के लिए जूल का उपयोग करते हैं। एक जूल किसी वस्तु को बल की दिशा में एक मीटर आगे बढ़ाने के लिए एक न्यूटन के बल द्वारा किए गए कार्य के बराबर है।

प्रश्न 6. कार्य का सूत्र किया जाता है?

इस अवधारणा को गणितीय रूप से व्यक्त करने के लिए, कार्य W, बल f गुना दूरी d, या W = fd के बराबर है। यदि बल विस्थापन के कोण θ पर लगाया जा रहा है, तो किया गया कार्य W = fd cos θ है।

प्रश्न 7. सूत्र कैसे होते हैं?

सूत्र, किसी बड़ी बात को अतिसंक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त करने का तरीका है। इसका उपयोग व्याकरण, गणित, विज्ञान आदि में होता है। सूत्र का शाब्दिक अर्थ धागा या रस्सी होता है। जिस प्रकार धागा वस्तुओं को आपस में जोड़कर एक विशिष्ट रूप प्रदान करता है, उसी प्रकार सूत्र भी विचारों को सम्यक रूप से जोड़ता है।

प्रश्न 8. ऊर्जा और कार्य की इकाई क्या है?

भौतिकी में ऊर्जा और किए गए कार्य को मापने के लिए उपयोग की जाने वाली मानक इकाई जूल है, जिसका प्रतीक J है।

प्रश्न 9. ऊर्जा का मात्रक क्या होता है?

ऊर्जा की SI मात्रक जूल है।

प्रश्न 10. गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं

किसी वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं। गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान तथा वस्तु के वेग के समानुपाती होती है। उदहारण – एक गतिशील क्रिकेट बॉल, बहता हुआ पानी आदि।

प्रश्न 11. धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य कार्य किसे कहते हैं

एक बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक, ऋणात्मक या शून्य हो सकता है

प्रश्न 12. ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक

जूल ऊर्जा का बहुत छोटा मात्रक है। ऊर्जा की ज्यादा मात्रा उपयोग होती है, वहाँ पर इसका उपयोग सुविधाजनक नहीं है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ऊर्जा के बड़े मात्रक किलोवाट घण्टा (KWh)का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 13. कार्य कब किया जाता है

क) एक चलती हुई वस्तु विरामावस्था में आ जाये।
ख) एक वस्तु विराम अवस्था से चलना सुरु कर दे।
ग) एक गतिमान वस्तु का वेग परिवर्तन हो जाये।
घ) एक वस्तु का आकर परिवर्तन हो जाये।

प्रश्न 14. कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना

जब कोई वस्तु पर लगाये गये बल के कारण वह वस्तु विस्थापित हो जाती है तो वह कार्य है।

NCERT Solution Class 9th विज्ञान Notes in Hindi

Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
Chapter – 4 परमाणु की संरचना
Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
Chapter – 6 ऊतक
Chapter – 7 गति
Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
Chapter – 11 ध्वनि
Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

NCERT Solution Class 9th विज्ञान Question Answer in Hindi

Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
Chapter – 4 परमाणु की संरचना
Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
Chapter – 6 ऊतक
Chapter – 7 गति
Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
Chapter – 11 ध्वनि
Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

NCERT Solution Class 9th विज्ञान MCQ in Hindi

Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
Chapter – 4 परमाणु की संरचना
Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
Chapter – 6 ऊतक
Chapter – 7 गति
Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
Chapter – 11 ध्वनि
Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

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