NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ (Matter in Our Surroundings)
Textbook | NCERT |
Class | 9th |
Subject | Science |
Chapter | 1st |
Chapter Name | हमारे आस-पास के पदार्थ (Matter in Our Surroundings) |
Category | Class 9th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last doubt |
NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ (Matter in Our Surroundings) Notes in Hindi जिसमे हम पदार्थ, पदार्थ की अवस्थाएँ, ठोस अवस्था, द्रव अवस्था, गैसीय अवस्था, तापमान में परिवर्तन, बर्फ, वाष्प, गलनांक, गस क्लास 9 क्या है, पदार्थ कितने प्रकार है, पदार्थ की कितनी होती है, पदार्थों के 5 उदाहरण क्या हैं, 10 अशुद्ध पदार्थ उदाहरण क्या हैं, पदार्थ की परिभाषा क्या है, पदार्थ कैसे बनता है, शुद्ध पदार्थ कौन कौन से है, व्यक्ति में पदार्थ क्या है, आंसू में कौन सा पदार्थ खुला रहता है, पांच पदार्थ कौन कौन से हैं, पदार्थ क्यों कहा जाता है, क्या चीनी एक शुद्ध पदार्थ है, पदार्थ पदार्थ और पदार्थ में क्या अंतर है आदि के बारे में बारे में पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ (Matter in Our Surroundings)
Chapter – 1
हमारे आस-पास के पदार्थ
Notes
पदार्थ (Matter) – विश्व में प्रत्येक वस्तु जिस सामग्री से बनी है, उसे पदार्थ कहा जाता है और हमारे आस-पास जितने भी वस्तु होते है वो सभी पदार्थ कहलाता है।
- सभी प्रकार के पदार्थ के गुण होते है जैसे वह स्थान घेरती है और इसका द्रव्यमान भी होता है
पदार्थ के कणों के भौतिक गुण
- पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है।
- यह सतत् नहीं है।
- पदार्थ के कण बहुत छोटे छोटे होते हैं।
पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण –
1. पदार्थ के कण निरंतर गति करते रहते हैं। यानि की उनके पास गतिज ऊर्जा होती है।
- तापमान बढ़ने से कणों की गति और ज्यादा तेज हो जाती है क्योंकि कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
2. पदार्थ के कणों के बीच में रिक्त स्थान होता है।
- जब हम चाय, कॉफी या नीबू पानी बनाते हैं तो एक तरह के पदार्थ के कण दूसरे तरह के पदार्थ के कणों के बीच उपस्थिति रिक्त स्थान में समावेशित हो जाते हैं। इससे पता चलता है कि पदार्थ के कणों के बीच में पर्याप्त रिक्त स्थान मौजूद होता है।
3. पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
जब हम पानी के नल को खोलते हैं और पानी की धार को अपनी अँगुली से तोड़ने की कोशिश करते हैं। तो क्या वह धार टूट जाती है – नहीं। क्योंकि पानी की धार जुड़ी रहती है। इसका मतलब यह है पानी के कण एक-दूसरे के साथ आकर्षण बल से जुड़े होते हैं।
- पदार्थ के कणों के बीच का रिक्त स्थान और उनकी गतिज ऊर्जा ठोस पदार्थों में सबसे कम होती है द्रव अवस्था में मध्यम और गैसीय अवस्था में अत्यधिक होते हैं।
- आकर्षण बल भी ठोस में अत्यधिक, द्रव में मध्यम और गैस में सबसे कम होता है।
- गैसीय अवस्था में कणों में गति अधिकतम होती है। द्रव अवस्था में मध्यम होती है और ठोस अवस्था में न्यूनतम होती है।
पदार्थ की अवस्थाएँ
भौतिक रूप से पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाया जाता है-
(i) ठोस अवस्था
(ii) द्रव अवस्था
(iii) गैसीय अवस्था।
हम मानव शरीर को भी पदार्थ की तीन अवस्थाओं में विभाजित कर सकते हैं।
(i) हड्डियों और दाँत – ठोस अवस्था
(ii) (Blood) रक्त और जल – द्रव अवस्था
(iii) फेफड़ों में हवा – गैसीय अवस्था
ठोस अवस्था
- एक निश्चित आकार होता है।
- ठोस अवस्था में स्पष्ट सीमाएँ होती हैं।
- निश्चित या स्थिर आयतन होता है।
- इनकी संपीड्यता नगण्य होती है। ये दृढ़ होते हैं।
उदाहरण –
- बल लगाने से रबड़ बैंड का आकार बदल जाता है, लेकिन बल हटा लेने से यह पुनः अपने मूल आकार में आ जाता है। अगर अत्यधिक बल लगाया जाए तो रबड़ बैंड टूट जाता है।
- ठोस पदार्थों में कणों की गतिज ऊर्जा न्यूनतम होती है इसलिए ठोस पदार्थों का एक निश्चित और दृढ़ (Rigid) आकार होता है।
- शर्करा और नमक जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसी बर्तन का आकार ले लेते हैं। लेकिन ये ठोस पदार्थ हैं। क्योंकि क्रिस्टलों का आकार वही रहता है।
- हाथ से दबाकर स्पंज को काफी हद तक संपीडित कर सकते हैं। लेकिन फिर भी यह ठोस है । कारण यह है कि स्पंज के छिद्रों में हवा भरी होती है, दबाने से हवा बाहर निकल जाती है।
द्रव अवस्था
- द्रव तरल होते हैं, उनमें बहाव होता है।
- द्रव का कोई स्थिर आकार नहीं होता है। वे बर्तन का आकार लेते हैं।
- द्रव का निश्चित आयतन होता है।
- द्रवों में बहुत कम दाब होता है।
उदहारण –
- द्रव के कणों का आकर्षण बल, उसका आयतन निश्चित रखता है।
- द्रव जिस बर्तन में रखे जाते हैं, वह उसी बर्तन का आकार ले लेते हैं।
- गैसें जैसे ऑक्सीजन (Oxygen) और कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) पानी में विसरण करती हैं और यही जलीय पौधे व जीव (Aquatic Plants and Animals) पानी में घुली ऑक्सीजन के कारण पानी में साँस ले पाते हैं।
- द्रव अवस्था में विसरण अधिक होता है और ठोस अवस्था में कम होता है क्योंकि कणों में गति द्रव में ज्यादा होती है, और ठोस में कणों की गति कम होती है।
गैसीय अवस्था
- गैसों में बहाव होता है।
- गैसों में दबाव अधिक होता है।
- गैसों में कोई निश्चित सीमाएँ नहीं होती है।
- गैसों में कोई निश्चित आकार नहीं होता है।
- गैसों में कोई निश्चित आयतन नहीं होता है।
उदहारण –
- गैस में कण इधर-उधर घूमने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं, उनमें आकर्षण बल कम होता है इसलिए गैसों में बहाव होता है।
- गैस का कोई निश्चित आयतन नहीं होता है इसलिए गैस जिस भी बर्तन में रखी जाती है, वह उसी बर्तन का आयतन घेर लेती है।
- गैसीय अवस्था में कण अनियमित रूप से तेजी से गति करते हैं। इसी कारण कण आपस में और बर्तन की दीवारों से टकराते हैं। बर्तन की दीवार पर गैस कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्र पर लगे बल के कारण गैस का दबाव बनता है।
पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन (Change of States of Matter)
जल पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में रह सकता है।
ठोस – बर्फ
द्रव – पानी
गैसीय – वाष्प
गर्म करने पर बर्फ पानी परिवतर्तित हो जाती है और पानी वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। पदार्थ की भौतिक अवस्था को दो तरीकों से परिवर्तित किया जा सकता है।
A. तापमान में परिवर्तन
गलनांक (Melting point) – जिस तापमान पर (वायुमंडलीय दाब पर) कोई ठोस पिघलकर द्रव बनता है, वह इसका गलनांक कहलाता है। बर्फ का गलनांक 273.16K है। सुविधा के लिए हम इसे 0°C अर्थात् 273k लेते हैं।
- जब बर्फ पिघलती है, बर्फ का तापमान नहीं बढ़ता है, लगातार ऊष्मा प्रदान करने के बावजूद, क्योंकि संगलन की गुप्त ऊष्मा, तापमान को बढ़ने नहीं देती है।
संगलन की गुप्त ऊष्मा – वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे संगलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। अतः 0°C बर्फ के कणों की तुलना में 0°C पर पानी के कणों से अधिक ऊर्जा होती है।
क्वथनांक (Boiling Point) – वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है, इसका क्वथनांक कहलाता है। क्वथनांक समष्टि गुण है।
जल का क्वथनांक = 373K (100°C + 273 = 373K)
वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा – वायुमंडलीय दाब पर 1 kg द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
उदहारण –
- जब पानी को उबाला जाता है तो उसके तापमान में वृद्धि नहीं होती है तापमान 100°C ही रहता है क्योंकि वष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा, पानी के कणों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ती है।
अतः 100°C तापमान पर वाष्प के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है।
- तापमान में परिवर्तन से पदार्थ की अवस्था को एक से दूसरी में बदला जा सकता है, जैसा कि नीचे के आरेख में दिखाया गया है।
ऊर्ध्वपातन – कुछ ऐसे पदार्थ हैं, जो द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस में और वापिस ठोस में बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया को उर्ध्वपातन कहते हैं।
उदहारण –
थोड़ा सा कपूर या अमोनियम क्लोराइड लेकर इसका चूर्ण करके, चीनी की प्याली में डालिए। चीनी की प्याली पर कीप को उल्टा करके रखिए । कीप के सिरे पर रूई की डाट लगा दीजिए। धीरे-धीरे गरम कीजिए। हम देखेंगे कि कपूर (या अमोनियम क्लोराइड) ठोस से गैसीय अवस्था में बदल जाता है। कीप की भीतरी दीवारों पर पदार्थ के वाष्प संघनित होते हैं।
B. दाब परिवर्तन का प्रभाव – यदि हम तापमान घटाने पर सिलिंडर में गैस लेकर उसे संपीडित करें, तो कणों के बीच की दूरी कम हो जाएगी और गैस द्रव में बदल जायेगी।
दाब बढ़ाना + तापमान घटाना → गैस को द्रव में बदलना
- ज्यादा दाब बढ़ाने से गैस के कण नजदीक आ जाते हैं।
- Solid Carbondioxide (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) [dry ice] को वापिस गैसीय CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) में बदला जा सकता है बिना द्रव अवस्था में बदले। इसके लिए दाब को घटा कर 1 ऐटमॉस्फीयर तक करना होता है।
वाष्पीकरण – एक ऐसी सतही प्रक्रिया जिसमें द्रव पदार्थों में सतह के कण क्वथनांक से नीचे किसी भी तापमान पर वाष्प में बदलने लगते हैं। ऐसी प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।
- सतह पर उपस्थित कणों में उच्च गतिज ऊर्जा के कारण वे अन्य कणों के आकर्षण बल से मुक्त हो जाते हैं और इसी कारण से वाष्प में बदल जाते हैं।
वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक-
- सतही क्षेत्रफल
- तापमान में वृद्धि
- आर्द्रता
- वायु की गति
सतही क्षेत्रफल – सतही क्षेत्रफल बढ़ाने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।
तापमान में वृद्धि – तापमान बढ़ाने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है क्योंकि पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
आर्द्रता – यदि हवा में आर्द्रता है तो वाष्पीकरण की दर घट जाती है।
वायु की गति – अगर वायु की गति बढ़ जाती है तो वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है।
वाष्पीकरण से शीतलता होती है –
वाष्पीकरण प्रक्रिया के दौरान, लुप्त हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आस-पास के वातावरण से ऊर्जा अवशोषित कर लेते हैं। इस अवशोषण के कारण वातावरण शीतल हो जाता है।
उदाहरण –
(1) अगर हम हाथ पर ऐसीटोन (Acetone ) डालते हैं तो Acetone हमारे हाथ से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है और इसी कारण हमें हाथ पर शीतलता महसूस होती है।
(2) गर्मी में हमें सूती कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि गर्मियों में पसीना अधिक आता है। सूती कपड़े पानी के अच्छे अवशोषक होने के कारण, पसीना अवशोषित करके वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकरण कर देते हैं। चूँकि वाष्पीकरण से शीतलता होती है, अतः गर्मी में सूती कपड़ों से आराम मिलता है।
(3) गर्मियों में अक्सर लोग जमीन पर पानी छिड़कते हैं। यह पानी जमीन से ऊर्जा (गर्मी) प्राप्त
करके वाष्प में बदल जाता है और उस जगह को ठंडा कर देता है।
प्रश्न 1. हमारे चारों ओर पदार्थ क्या है?
प्रश्न 2. पदार्थ के कितने रूप है?
प्रश्न 3. हवा कौन सा पदार्थ है?
प्रश्न 4. पदार्थ कैसे घुलते हैं?
प्रश्न 5. सूर्य में कौन सी गैस पाई जाती है?
हीलियम 24.85%
ऑक्सीजन 0.77%
कार्बन 0.29%
प्रश्न 6. पदार्थ कितने होते हैं
प्रश्न 7. 3 हानिकारक पदार्थ कौन से हैं?
प्रश्न 8. पदार्थ किसे कहते हैं?
प्रश्न 9. पदार्थ किससे बनता है?
प्रश्न 10. द्रव क्यों बहता है?
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