NCERT Solution Class 9th Science Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)
Textbook | NCERT |
Class | 9th |
Subject | विज्ञान (Science) |
Chapter | 9th |
Chapter Name | गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) |
Category | Class 9th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last doubt |
NCERT Solution Class 9th Science Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) Notes In Hindi – गुरुत्वाकर्षण बल क्या है उत्तर कक्षा 9?, गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण क्या है वर्ग 9?, कक्षा 9 के लिए, गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम का महत्व क्या है?, गुरुत्वाकर्षण कक्षा 9वीं भौतिकी क्या है?, गुरुत्वाकर्षण बल क्या है इसका सूत्र लिखिए?, पृथ्वी कक्षा 9 की तुलना में चंद्रमा की सतह पर ऊंची छलांग क्यों लगाई जा सकती है?, फ्री फॉल क्लास 9 साइंस क्या है?, कक्षा 9वीं में गुरुत्वाकर्षण का मान कितना है?, गुरुत्वाकर्षण के 3 नियम कौन कौन से हैं?, गुरुत्वाकर्षण के तीन नियम क्या है?, कैपिटल g का मान कितना होता है?, गुरुत्वाकर्षण की सार्वभौमिक इकाई क्या है?, गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक का महत्व क्या है?, गुरुत्वाकर्षण नियतांक का मान कितना होता है?, गुरुत्वाकर्षण का सार्वभौमिक नियम किसने दिया था?, एक वस्तु का द्रव्यमान 10 किलोग्राम है तो पृथ्वी पर इसका भार कितना होगा?, गुरुत्वाकर्षण नोट्स Class 9, गुरुत्वाकर्षण नोट्स Class 9 PDF, गुरुत्वाकर्षण प्रश्न उत्तर Class 9, गुरुत्वाकर्षण नोट्स PDF, गुरुत्वाकर्षण प्रश्न उत्तर pdf, गुरुत्वाकर्षण Class 9, गुरुत्वाकर्षण नोट्स Class 9, गुरुत्वाकर्षण NCERT आदि के बारे में पढेंगे। |
NCERT Solution Class 9th Science Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)
Chapter – 9
गुरुत्वाकर्षण
Notes
गुरुत्वाकर्षण
• प्रतिक्रिया
• उत्प्लावन बल
‘F’
• प्रणोद
P=F/A
P = दाब
R = दो वस्तुओं के बीच की दूरी
F = बल
A = क्षेत्रफल
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम
बल (F) = GM1M2
R2
G = गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक
M1 = वस्तु 1 का द्रव्यमान
M2 = वस्तु 2 का द्रव्यमान
W = m x g
भार = द्रव्यमान × गुरुत्वीय त्वरण
गुरुत्वीय त्वरण
(g) = 9.8 m/s2
(g) = GM/R2
R = पृथ्वी की त्रिज्या
M= पृथ्वी का द्रव्यमान
G = गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक
गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक का मान = 6.67 × 11-” Nm2/kg2
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल
अगर हम कोई एक पत्थर बिना धक्का दिए फेंकते हैं, (एक ऊँचाई से) वह पत्थर पृथ्वी की ओर त्वरित होता है जब पत्थर धरती की तरफ त्वरित होता है, तो पता चलता है कि कोई एक बल उस पत्थर पर लग रहा है।
A ↓
B ↓
धरती
• वह बल जो किसी भी वस्तु को धरती के केन्द्र की तरफ खींचता है, वह पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
• इसका मतलब है कि पत्थर भी धरती को आकर्षित करता है, यानि इस बह्माण्ड में सभी वस्तुएँ एक दूसरे को आकर्षित करती है।
• सर आइजैक न्यूटन (Isaac Newton) ने गुरुत्वाकर्षण का नियम दिया, जिसे उन्होंने 1687 में प्रतिपादित किया था।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार, दो पिण्डों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल का अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
• यदि दो पिण्डों का द्रव्यमान m1 और m2 हो और उनके बीच की दूरी हो, तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल
F C m1 m2/d2
या
F = Gm1m2/d2
गुरुत्वाकर्षण का नियम
A → B
m1 d m2
मान लेते हैं. m1 और m2 द्रव्यमान की दो वस्तुएँ A और B एक-दूसरे से d दूरी पर रखी है। दोनों वस्तुओं के बीच आकर्षक बल F होता है। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार-
(i) दो वस्तुओं के बीच बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात् F ∝ m1m₂
(ii) दो वस्तुओं के बीच बल उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है
अर्थात् F ∝ d²
समीकरण (i) और (ii) को संयुक्त करने पर
F ∝ m1m2/d2
F की इकाई = Newton
m की इकाई = kg
d की इकाई
गुरुत्वाकर्षण बल F = G x m1m2/d2
• जहाँ पर G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक कहलाता है।
• इसका मान किन्हीं भी दो वस्तुओं के लिए सभी स्थानों पर समान होता है।
• इसका मान 6.67 x 10-11 Nm2/kg2
• G को सार्वत्रिक स्थिरांक कहते हैं, क्योंकि इसका मान मध्यवर्ती माध्यम की प्रकृति या तापमान या अन्य किसी प्रतिवर्त पर निर्भर नहीं करता।
न्यूटन के गति का तीसरा नियम और गुरुत्वाकर्षण के नियम में सम्बन्ध
न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार – “किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके बराबर लेकिन विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार – “हर एक वस्तु इस ब्रह्माण्ड में हर दूसरी वस्तु को आकर्षित करती हैं। ” स्वतन्त्र रूप से गिरा पत्थर और धरती एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। अतः पृथ्वी उसे अपने केन्द्र की ओर खींचती है। लेकिन न्यूटन की गति के तृतीय नियम के अनुसार पत्थर द्वारा भी पृथ्वी को अपनी ओर खींचना चाहिए और वास्तव में पत्थर भी पृथ्वी को अपनी तरफ खींचता है।
F = m × a
पत्थर का द्रव्यमान कम होने के कारण उसके वेग में त्वरण 9.8 m/s2 होता है, लेकिन पृथ्वी का द्रव्यमान अधिक होने के कारण उसका त्वरण 1.65 x 10 – 24 m/s2, जो इतना कम होता है कि अनुभव ही नहीं हो सकता।
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व
(1) हमें पृथ्वी से बाँधे रखने वाला बल
(2) पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति
(3) सूर्य के चारो और ग्रहो की गति
(4) चन्द्रमा और सूर्य के कारण ज्वार भाटा
मुक्त पतन – किसी वस्तु को ऊपर की ओर फेंका जाता है तब यह एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँच कर नीचे की ओर गिरना आरम्भ कर देती है क्योंकि उस पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल आरोपित होता है।
गुरुत्वीय त्वरण और पृथ्वी पर उसका नाम
स्वतन्त्र रूप से गिरती हुई वस्तुओं में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्पन्न त्वरण गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है। इसे ‘g’ से प्रदर्शित किया जाता है तथा इसकी दिशा सदैव पृथ्वी के केन्द्र की तरफ होती है।
पृथ्वी की सतह पर ‘g’ का मानपृथ्वी द्वारा किसी पिण्ड पर लगने वाला बलF = G Me m/R2जहाँ Me = पृथ्वी का द्रव्यमान, m= पिण्ड का द्रव्यमान
R = पृथ्वी की त्रिज्या, F बल लगने के कारण उत्पन्न त्वरण गुरुत्वीय त्वरण होगा।
तब F = m × g
F का मान (1) में रखने पर
m × g = G Me m/R2
G = G mem/R2 m = G Me m/R2
G = 6.6734 x 10-11 Nm²/kg2
Me = पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 kg
R = पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 × 106 m
g = 6.6734 × 10-11 × 6 × 1024/6.4 × 106 × 6.4 × 106
= 9.8 m/s2गुरुत्वीय त्वरण (g) में संबंध व गुरुत्वीय स्थिरांक (G)g = G.Me/R2
गुरुत्वीय त्वरण और गुरुत्वीय स्थिरांक में अन्तर |
गुरुत्वीय त्वरण (g) | गुरुत्वीय स्थिरांक |
---|---|
इसका मान 9.8m/s’ होता है। | इसका मान 6.6734 x 10 Nm/kg2 होता है। |
इसका मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है। | इसका मान सदैव स्थिर होता है। |
इसका मात्रक मी./से. 2 है। | इसका मात्रक Nm/kg2 है । |
यह एक सदिश राशि है। | यह एक अदिश राशि है। |
द्रव्यमान और भार
द्रव्यमान – किसी वस्तु में निहित पदार्थ का परिमाण द्रव्यमान कहलाता है या किसी वस्तु के जड़त्व की माप द्रव्यमान कहलाती है। यह एक अदिश राशि है इसका सिर्फ परिमाण होता है, दिशा नहीं होती है। इसका SI मात्रक किलोग्राम होता है जिसे ‘kg ‘से प्रदर्शित किया जाता है।
• किसी वस्तु का द्रव्यमान सर्वत्र समान रहता है
• द्रव्यमान को ‘m ‘से दर्शाया जाता है।
• किसी स्थान पर द्रव्यमान (किसी वस्तु का) शून्य नहीं होता है।
भार – किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे पृथ्वी उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। हम जानते हैं कि बल = द्रव्यमान × त्वरण
F = m × a
पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण गुरुत्वीय त्वरण ‘g ‘है।
F = m × g
लेकिन पृथ्वी द्वारा आरोपित बल भार (weight) कहलाता है इसे ‘W ‘से प्रदर्शित करते हैं।
W = m × g
अतः भार एक बल है और उसका S.I. मात्रक न्यूटन N है।
द्रव्यमान | भार |
---|---|
किसी वस्तु में निहित कुल द्रव्य की मात्रा वस्तु का द्रव्यमान कहलाती है। | जिस गुरुत्वीय बल से पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है, वह वस्तु का भार कहलाता है। |
किसी वस्तु के द्रव्यमान की माप हम वस्तु के जड़त्व की माप से करते हैं। | भार = वस्तु का द्रव्यमान × गुरुत्वीय त्वरण या W = m × g |
किसी वस्तु का द्रव्यमान सर्वत्र समान रहता है। | वस्तु का भार भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है। |
द्रव्यमान का माप भौतिक तुला द्वारा करते हैं। | भार का माप कमानीदार तुला द्वारा करते हैं। |
यह एक अदिश राशि है। | भार एक सदिश राशि है। |
किसी स्थान पर g का मान शून्य होने पर भी द्रव्यमान का परिमाण नहीं बदलता होता है। | किसी स्थान पर ‘g’ का मान शून्य होने पर, वस्तु का भार भी शून्य हो जाता है।किसी स्थान पर ‘g’ का मान शून्य होने पर, वस्तु का भार भी शून्य हो जाता है। |
एक किलो भार (one kg wt) को परिभाषित कीजिए व इसका न्यूटन से सम्बन्ध बताइए।
हम जानते हैं कि W = m × g
अगर द्रव्यमान (m) = 1 kg
g = 9.8m/s2
w = 1 kg × 9.8 m/s2 = 9.8 kgm/s2
= 9.8 N
अतः पृथ्वी का वह गुरुत्वीय बल जो 1 किलोग्राम द्रव्यमान वाली वस्तु पर लगता है, एक किलोभार (one kg wt) कहलाता है जो 9.8N के बराबर है।
‘g’ को प्रभावित करने वाले कारक – पृथ्वी एक पूर्ण गोला नहीं हो। पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से विषुवत वृत्त की ओर जाने पर बढ़ती है, इसलिए g का मान ध्रुवों पर विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक होता है। अधिकांश गणनाओं के लिए पृथ्वी के पृष्ठ पर या इसके पास g के मान को लगभग स्थिर मान सकते है। लेकिन पृथ्वी से दूर की वस्तुओं के लिए पृथ्वी के गुरुत्वीय बल g के कारण त्वरण समीकरण GM/d2 से ज्ञात किया जा सकता है।
चन्द्रमा पर किसी वस्तु का भार उसके पृथ्वी के भार का 1/6 होता है। – माना किसी वस्तु का द्रव्यमान m है। पृथ्वी पर उसका भार अर्थात् वह बल जिससे पृथ्वी उसे अपनी ओर खींचती है, वह बल होगा।
Fe = GMem/Re2Me = पृथ्वी का द्रव्यमान,
Re = पृथ्वी की त्रिज्या
चन्द्रमा पर वस्तु का भार
Fm = G.Mm.m/Rm2 = GMmM/R2m
जहाँ Mm = चन्द्रमा का द्रव्यमान, Rm = चन्द्रमा की त्रिज्या, समीकरण (2) को समीकरण (1) से भाग देने पर
Fm/Fe = G.m.m/R2m = G/MmM/R2e
= G Mmm/R2m × Re2/Gme m
= Mm/R2m×Re2/me
Me = 100 Mm
(चन्द्रमा से पृथ्वी का लगभग 100 गुना है।)
Re = 4 Rm (चन्द्रमा से पृथ्वी की त्रिज्या लगभग 4 गुना है।
Fm/Fe = Mm/100Mm×(4Rm/Rm)2
= 16/100 या 1/6
अतः चन्द्रमा पर किसी वस्तु का भार उसके पृथ्वी के भार का 1/6 है। ध्यान रहे वस्तु का द्रव्यमान पृथ्वी पर वस्तु के द्रव्यमान के बराबर ही होता है केवल भार में अन्तर होता है।
अन्तरिक्ष में फेंकी गयी वस्तु लगातार पृथ्वी के चारों ओर किस प्रकार घूमती है? – यह सम्भव है कि किसी वस्तु को पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करने पर बाध्य किया जा सकता है। हम जानते हैं कि जैसे-जैसे वस्तु की आरम्भिक चाल बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे वस्तु भी पृथ्वी की सतह के साथ अधिक वक्र होती जाती है। पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण उसकी सतह तक आने के लिए और अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। यदि आरम्भिक चाल का मान एक निश्चित मान से अधिक कर दिया जाये वह वस्तु लगातार गिरती जायेगी लेकिन पृथ्वी की सतह तक कभी नहीं पहुँचेगी और ऐसी वस्तु लगातार पृथ्वी के चारों ओर घूमती रहेगी।
प्रणोद तथा दाब (Thrust and Pressure)
प्रणोद – किसी वस्तु की सतह के लम्बवत् लगने वाला बल, प्रणोद (Thrust) कहलाता है।
दाब – प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला प्रणोद दाब कहलाता है।
दाब = प्रणोद/क्षेत्रफल
दाब प्रणोद/क्षेत्रफल – दाब का मात्रक बल (प्रणोद) का मात्रक न्यूटन (N) व क्षेत्रफल का मात्रक मीटर2 (m2) है।
दाब का S.I. मात्रक = बल का S.I. मात्रक/क्षेत्रफल का S.I. मात्रक
= N/m2 = N/m2 or Nm-2
दाब का SI मात्रक पॉस्कल (Pascal) है। यह ‘Pa’ से प्रदर्शित किया जाता है।
दाब को प्रभावित करने वाले कारक-
(i) लगाया गया बल
(ii) सतह का क्षेत्रफल
उदाहरण –
• ऊँचे भवनों के आधार नींव चौड़े बनाये जाते हैं ताकि भवन का भार (बल) अधिक क्षेत्रफल पर लगे और दाब कम पड़े।
• एक पतली और मजबूत डोरी से बने पट्टे वाले बैग को ले जाना चौड़े पट्टे वाले बैग की अपेक्षा कठिन तथा कष्टप्रद होता है क्योंकि पतली मजबूत डोरी वाले बैग में, बैग का भार बहुत कम क्षेत्रफल पर लगता है और बहुत अधिक दाब उत्पन्न करता है। काटने वाले औजारों की धार तेज़ होती है या कह सकते हैं उनकी सतह का क्षेत्रफल कम होता है और बल लगाने पर अधिक दाब उत्पन्न करता है और काटने में आसानी होती है।
• सभी द्रव और गैसें तरल कहलाती हैं। ये सभी दिशाओं में दाब लगाती है।
उत्प्लावन (Buoyancy) – जब कोई वस्तु किसी तरल में डुबाई जाती है तो वस्तु का भार जो पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण होता है, वस्तु को नीचे की ओर व तरल उस पर ऊपर की तरफ बल लगाता है।
• उत्प्लावन बल सदैव ऊपर की तरफ आरोपित होता है। इस बल का परिमाण द्रव के घनत्व तथा वस्तु के आयतन पर निर्भर करता है।
• वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल > उत्प्लावन बल
• निष्कर्ष – वस्तु डूब जायेगी।
• वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल < उत्प्लावन बल
• निष्कर्ष – वस्तु तैरती है।
यही कारण है कि लोहे की कील डूब जाती है जबकि पानी का जहाज पानी की सतह पर तैरता है (अर्किमिडीज का सिद्धान्त)
घनत्व (Density) – किसी पदार्थ का एकांक आयतन द्रव्यमान घनत्व कहलाता है। अगर पदार्थ का द्रव्यमान m व आयतन
v है तो
घनत्व = द्रव्यमान/आयतन
d = m/v
घनत्व का SI मात्रक = kg/m2 या kg M-3
आर्किमिडीज का सिद्धान्त (Archimedes Principle) – जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्णतः या अंशतः डुबोया जाता है, तब वस्तु ऊपर की तरफ लगने वाले एक बल का अनुभव करती है, यह बल वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।
आर्किमिडीज के सिद्धान्त के उपयोग
(1) यह पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने में उपयोगी है।
(2) यह जलयानों और पनडुबियों के डिजाइन बनाने में प्रयोग किया जाता है।
(3) दुग्धमापी और हाइड्रोमीटर आर्किमिडीज के सिद्धान्त पर आधारित है।
इसी कारण से लोहे एवं स्टील का बना एक जलयान इतना बड़ा होते हुए भी जल पर तैरता है लेकिन एक छोटी सी पिन जल में डूब जाती है।
आपेक्षिक घनत्व (Relative Density)
आपेक्षिक घनत्व किसी पदार्थ के घनत्व और पानी के घनत्व के अनुपात को आपेक्षिक घनत्व कहते है।
आपेक्षिक घनत्व = पदार्थ का घनत्व/पानी का घनत्व
इसका कोई मात्रक नहीं होता।
प्रश्न 1. गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते है?
प्रश्न 2. न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम क्या कहता है?
प्रश्न 3. न्यूटन के तीसरे नियम किसे कहते है?
प्रश्न 4. गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व क्या है?
प्रश्न 5. मुक्त पतन किसे कहते है।
प्रश्न 6. द्रव्यमान किसे कहते है?
प्रश्न 8. प्रणोद किसे कहते है?
प्रश्न 7. भार किसे कहते है?
प्रश्न 9. दाब किसे कहते है?
प्रश्न 10. उत्प्लावन (Buoyancy) किसे कहते है?
NCERT Solution Class 9th विज्ञान Notes in Hindi
NCERT Solution Class 9th विज्ञान Question Answer in Hindi
NCERT Solution Class 9th विज्ञान MCQ in Hindi
You Can Join Our Social Account
Youtube | Click here |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Telegram | Click here |
Website | Click here |