NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 4 वस्त्रों की देख रेख
Text Book | NCERT |
Class | 8th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 4th |
Chapter Name | वस्त्रों की देख रेख |
Category | Class 8th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 4 वस्त्रों की देख रेख Question Answer जिसमे आप सभी को जानने को मिलेगा की वस्त्रों की देखभाल के सामान्य नियम क्या है?, वस्त्रों की देखभाल और रखरखाव के दो पहलू क्या है?, वस्त्र का मुख्य कार्य क्या है?, कपड़ों को धोकर ही क्यों संग्रहित करना चाहिए?, कपड़ों की देखभाल कैसे करें?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 4 वस्त्रों की देख रेख
Chapter – 4
वस्त्रों की देख रेख
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. वस्त्रों को अधिक आकर्षक बनाने के लिए धोते समय किन पदार्थों की आवश्यकता होती है?
उत्तर – वस्त्रों को अधिक आकर्षक बनाने के लिए कुछ पदार्थों की आवश्यकता होती है जो कपड़े धोने का सोडा, रीठे का घोल, जैवल का घोल, सिरका, सफेदी लाने वाले पदार्थ आदि।
प्रश्न 2. कपड़े धोने का सोडा प्रयोग करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर – कपड़े धोने के सोडे के निम्नलिखित लाभ हैं।
1. यह कठोर जल को मृदु बनाने के काम आता है।
2. यह वस्त्र पर गर्म प्रेस से लगे हुए धब्बे छुड़ाने के काम भी आता है।
प्रश्न 3. ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए रीठे का घोल कैसे तैयार करते हैं?
उत्तर – सर्वप्रथम रीठों को तोड़कर उनकी गुठली निकाल लें। इसके बाद उनको बाराक पीस लें। किसी बर्तन मे रीठे का पाउडर और पानी हल्की आंच पर उबालें तथा पतले कपड़े से छान लें।
प्रश्न 4. जैवल का घोल बनाने की विधि लिखो तथा इसे कहाँ प्रयोग किया जाता है?
उत्तर – पहले सोडे तथा उबलते पानी का घोल बना लें। ब्लीचिंग पाउडर को ठंडे पानी मे मिलाकर कुछ समय के लिए रख दें। जब ठोस पदार्थ नीचे बैठ जाए तब तरल भाग को अलग करके गहरे रंग बोतलों में भरकर रख दें। यह घोल धब्बे छुड़ाने के कामआता है तथा केवल सूती वस्त्रों में प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 5. सिरका प्रयोग करने से क्या लाभ है?
उत्तर – सिरका रंगीन व ऊनी वस्त्रों में चमक लाने में बहुत उपयोगी है।सिरके के प्रयोग से वस्त्रों का रंग पक्का हो जाता है। वस्त्रों में अधिक नील लग जाने पर सिरके का घोल उसे कम करने में सहायता करता है।
प्रश्न 6. धब्बे कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक के दो – दो उदाहरण दे।
उत्तर – धब्बों को निम्नलिखित भागों में विभाजित ना किया जाता है।
(1) वनस्पति से → जैसे चाय, काफी आदि
(2) प्राणी जगत से → जैसे रवून, दूध आदि
(3) चिकनाई से → जैसे घी, मक्खन आदि
(4) खनिज से → स्याहाँ, जंग आदि
(5) अन्य → जैसे – पसीने के धब्बे
प्रश्न 7. निम्नलिखित धब्बे कैसे दूर किए जा सकते हैं –
(क) रेशमी साड़ी पर रसेदार सब्जी के धब्बे,
उत्तर – हक़ी गर्म इस्त्री से धब्बे के ऊपर व नीचे स्याही चूस रखकरइ स्त्री करें। इसके पश्चात साबुन से हाथ धो दें।
(ख) सूती फ्राक पर चाय के धब्बे,
उत्तर –
(1) यदि धब्बा ताजा हो तो उस पर उबलता हुआ पानी डालें
(2) यदि धब्बा पुराना हो तो धब्बे पर कपड़े धोने का सोडा अथवा सुहागा फैला कर ऊपर से पानी डालें।
(3) धब्बे को तब तक ग्लिसरीन मे भिगोएँ जब तक वह उतर न जाए।
(ग) सूती कमीज़ पर स्याही के धब्बे,
उत्तर –
(1) स्थाही के ताजे धब्बों को दूर करने लिए कटे हुए नींबू तथा नमक से रगड़ कर धूप ‘मे सुखाएं।
(2) धब्बे को कुछ घंटो के लिए दूध व खट्टे दही में भिगो कर रखने से धब्बा उतर जाता है।
(3) पोटेशियम परमँगनेट के पोल से धब्बा दूर किया जा सकता है।
(घ) टेरीकॉट की कमीज पर आयोडीन के धब्बे,
उत्तर – मैदा या स्टार्च का लेप बना कर धब्बे पर लगाएँ और कुछ समय पश्चात धो डालें।
(ड) सूती फ्राक पर रक्त के धब्बे।
उत्तर –
(1) ठण्डे पानी से धोएं
(2) 50 ग्राम नमक का दो लिटर पानी मे घोल बना कर धब्बे वाले स्थान को इस पोल मे धब्बा दूर होने तक भिगोएं।
प्रश्न 8. स्थानिक सफाई से आप क्या समझते हो?
उत्तर – जब वस्त्र के कुछ मैले भागों को बिना, पानी के प्रयोग के साथ किया जाता है तो उसे स्थानिक सफाई कहते हैं।
प्रश्न 9. वस्त्रों की स्थानिक सफाई करते समय चूसक विधि का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर – यदि वस्त्रों का रंग हल्का उन पर चूसक विधि का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 10. एक काले रंग की शाल की स्थानिक सफाई कैसे करोगे?
उत्तर – काले रंग की शाल के लिए घोलक विधि द्वारा स्थानिक सफाई करेंगे जिसमे सबसे पहले शाल के ऊपरी मैल को ब्रश से साफ कर लें। शाल को मेज़ पर फैला कर भाग के नीचे नीचे स्याही चूस रख दें। थोड़ा पेट्रोल रुई पर लेकर मैले स्थान पर थोड़ा थोड़ा लगाते जाएँ।
प्रश्न 11. वस्त्रों को रंगते समय किन – किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
उत्तर –
(1) रंगने के लिए पानी इतना होना चाहिए की वस्त्र भली भाँति डूब जाए बहुत कम पानी मे रंगने से धब्बे पड़ जाते हैं।
(2) रंग का घोल बनाते समय रंग को थोड़े पानी मे मिलाकर घोल बना लेना चाहिए और इस घोल को बाकी पानी में मिलाना चाहिए। ताकी रंग एक समान मिल जाए।
(3) यदि एक वस्त्र रंगने के उपरान्त उस जल मे दूसरा वस्त्र रंगना हो तो उसी जल मे और थोड़ा सा रंग तथा पानी मिला लेना चाहिए।
(4) रंगने से पहले वस्त्र को भली प्रकार सादे पानी में गीला करके घोल में अच्छी तरह से खोल कर डालना चाहिए।
प्रश्न 12. सूती वस्त्रों की रंगाई कितने प्रकार की होती है? किसी एक विधि का उल्लेख करो ?
उत्तर – सूती वस्त्र दो प्रकार के रंगे जाते हैं:
(1) कच्चे रंग मे
(2) पक्के रंग मे कच्चे रंग में रंगने की विधि – सर्वप्रथम रंग को पानी में घोल लें और फिर गीले वस्त्र को उस पोल में डुबो कर निकाल लें। भली प्रकार निचोड़ कर छाया में सूखने के लिए किसी समतल स्थान पर फैला दें।
NCERT Solution Class 8th Home Science All Chapters Questio & Answer |
NCERT Solution Class 8th Home Science All Chapters Notes |
NCERT Solution Class 8th Home Science All Chapters MCQ |
You Can Join Our Social Account
Youtube | Click here |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Telegram | Click here |
Website | Click here |