NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 8 पारिवारिक आय तथा बचत
Text Book | NCERT |
Class | 8th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 8th |
Chapter Name | पारिवारिक आय तथा बचत |
Category | Class 8th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 8 पारिवारिक आय तथा बचत Notes in Hindi इस अध्याय में हम पुराने समय में परिवार उपलब्ध वस्तुओं व सेवाओं के बदले में अपनी आवश्यकताओं की वस्तुए व सेवाए दिया करते थे। परन्तु आज हमें प्रत्येक वस्तु खरीदने या सेवा प्राप्त करने के लिए धन की आवश्यकता होती है, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 8 पारिवारिक आय तथा बचत
Chapter – 8
पारिवारिक आय तथा बचत
Notes
महत्वपूर्ण बाते
आय के साधन – परिवार को अनेक साधनों द्वारा आय प्राप्त होती है।
पारिवारिक आय का अर्थ है – परिवार के सभी सदस्यों की सम्मिलित आय।
पारिवारिक आय के निम्नलिखित वर्गों
(क) मौद्रिक आय
(स) वास्तविक आय
(ग) आत्मिक आय
(क) मौद्रिक आय
(i) परिवार के सदस्य कार्य करने के फलस्वरूप जो मुद्रा पाते है उसे मौद्रिक आय कहते है।
(ii) भारत में मुद्रा के रूप में “रुपया” प्रयोग किया जाता है।
परिवार के लिए मुद्रा प्राप्ति के अनेक साधन है
जैसे – नौकरी से प्राप्त वेतन, व्यापार से होने वाला लाभ, मजदूर का पारिश्रमिक, उद्योग धयानी से प्राप्त धन, निवृत्ति वेतन, बचत किए हुए धन पर मिलने वाला ब्याज, मकान, दुकान तथा सम्पति से प्राप्त किराया, कृषि उपज आदि बेच कर प्राप्त धन, उपहार के रूप में प्राप्त धन आदि।
(ख) वास्तविक आय – किसी एक समय में परिवार को उपलब्ध सभी वस्तुएं एवं सेवाएं वास्तविक आय में सम्मिलित की जाती है। यह आय समय के साथ बदलती रहती है।
वास्तविक आय दो प्रकार की होती है
(1) प्रत्यक्ष वास्तविक आय।
(2) अप्रत्यक्ष वास्तविक आय।
प्रत्यक्ष वास्तविक आय – प्रत्यक्ष वास्तविक आय वह आय है जो परिवार को वस्तुओं एवं सेवाओं के रूप में प्राप्त होती है तथा जिसके लिए परिवार को धन व्यय नहीं करना पड़ता है। उदाहरण के लिए नौकरी करने वालों को वेतन के अतिरिक्त कार्य-स्थल से प्राप्त सुविधाएं जैसे रहने के लिए घर, स्कूटर या कार, यूनिफार्म, नौकर, टेलीफोन सुविधा, चिकित्सा सुविधा आदि।
अप्रत्यक्ष वास्तविक आय
(i) परिवार के सदस्यों के ज्ञान व कार्य कुशलता के फलस्वरूप प्राप्त होने वाली सेवाएं जैसे डॉक्टर सदस्य द्वारा चिकित्सा सेवा, घर पर स्वेटर बुनना, कपड़े सिलना, जैम-जैली, आचार-मुरब्बा बनाना आदि।
(ii) परिवार को उपलब्ध सामुदायिक सेवाएं जैसे सरकारी स्कूल, हस्पताल पार्क आदि भी उन परिवारों के लिए अप्रत्यक्ष वास्तविक आय है जो इन सरकारी सेवाओं का लाभ उठाते हैं।
आत्मिक आय – विभिन्न स्रोतों से प्राप्त मौद्रिक तथा वास्तविक आय के व्यय से परिवार को जो सन्तुष्टि मिलती है उसे आस्मिक आय कहते हैं।
बचत का अर्थ व आवश्यकता – पारिवारिक आय का वह अंश जो परिवार अपनी वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद भविष्य के लिए बचा कर रखता है “बचत” कहलाता है। बचत किए हुए धन को देश के विकास के लिए उत्पादन कार्यों में लगाया जाता है तथा इस धन पर परिवार को ब्याज भी मिलता है। इसके विपरीत बचाया हुआ धन यदि घर पर ही संग्रह किया जाए तो वह धन बचत नहीं कहलाता है।
प्रत्येक परिवार को निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बचत करना आवश्यक है-
(1) आपातकालीन स्थितियों का सामना करना – भविष्य अनिश्चित है तथा परिवार के लिए कोई ऐसी संकटकालीन स्थितियां आ सकती है जिनका सामना करने के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में बचत किया हुआ धन काम आता है। उदाहरण के लिए परिवार के किसी सदस्य का बीमार होना, दुर्घटना के कारण दैहिक असमर्थता, गृहस्वामी का निधन होना, व्यापार में हानि होना आदि कुछ ऐसी स्थितियां है जब हमें बचत किए हुए धन की आवश्यकता पड़ती हैं।
(2) सुरक्षित भविष्य – सुरक्षित आर्थिक भविष्य के लिए बचत करना बहुत आवश्यक है। उदाहरण के लिए वृद्धावस्था में जब व्यक्ति काम करने योग्य नहीं रहता और आय कम हो जाती है तब बचत किया हुआ धन काम आता है।
(3) परिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति – पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए बचत किया हुआ धन काम आता है, जैसे एक निम्न आय वर्ग का परिवार बचत किए हुए धन से ही बच्चों को उच्च शिक्षा दे सकता है।
(4) पारिवारिक जीवन स्तर को ऊंचा उठाना – परिवार के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भौतिक वस्तुएं जैसे फ्रिज, कार आदि बचत किए हुए से खरीदी जाती है।
(5) अन्य आकस्मिक खर्चों के लिए – परिवार के कई आकस्मिक खर्च जैसे मेहमान, विवाह आदि के लिए बचत किए हुए धन की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि इन खर्चो को बजट में सम्मिलित नहीं किया जाता है।
बचत के साधन – परिवार के लिए बचत के कई साधन है। प्रत्येक परिवार अपनी इच्छानुसार साधन का चुनाव कर सकता है-
(i) बैंक
(ii) डाकघर
(iii) जीवन
बैंक
(i) बचत किए हुए धन को सुरक्षित रखने के लिए बैंक में जमा करवाया जा सकता है। परिवार के लिए बैंक में बचत खाता खोलना ठीक रहता है क्योंकि इस खाते में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में धन जमा करवाया जा सकता है। बचत किसी वयस्क या संरक्षता में किसी नाबालिग के नाम पर खोला जा सकता है खाता खोलने के लिए बैंक जाकर फार्म भरना होता है।
(ii) जिस पर गवाही के रूप में किसी ऐसे व्यक्ति के हस्ताक्षर करवाने होते हैं जिसका इस बैंक में पहने में खाता हो। इस फार्म पर खाता खोलने वाले के तीन प्रति रूप हस्ताक्षर भी करवाए जाते हैं। बैंक में बचत खाता कम से कम 20 रुपये जमा करवा कर खोला जा सकता है।
बैंक पास बुक – प्रत्येक जमाकर्ता को खाता खोलने पर एक पास बुक दी जाती है, इसमें जमाकर्ता का खाता नम्बर, उसका नाम, तथा व्यवसाय का उल्लेख होता है बैंक में धन जमा करते या निकालते समय पासबुक साथ देनी चाहिए जिससे उसी समय प्रविष्टियां कर दी जाए। पास बुक में प्रत्येक जमा की गई तथा निकाली गई राशि की प्रविष्टि करने के बाद खाता शेष राशि दिखाई जाती है जिस पर बैंक के अधिकारी के हस्ताक्षर होते है।
बैंक में धन जमा करवाना – धन जमा करवाने के लिए बैंक से उपलब्ध बचत खाता जमा पर्ची भरनी पड़ती है। इस पर्ची में बैंक शाखा का नाम, तारीख, खता नम्बर, खातेदार का नाम तथा जमा की जाने वाली धन राशि शब्दों तथा अंकों में भरी जाती है।
इसके अतिरिक्त जमा किए जाने वाले नोटों का विवरण भर कर जमाकर्ता को अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। इस पर्ची के साथ धन जमा करके बैंक अधिकारी इसकी प्रति पर्ची पर अपने हस्ताक्षर तथा बैंक की मोहर लगाकर जमाकर्ता को देता है।
बैंक से धन निकलवाना – खातेदार चैक द्वारा या आहरण आदेश द्वारा बैंक से धन निकाल सकता है। चैक की सुविधा उन्हीं खातेदारों को दी जाती है जिनके खाते में हर समय सौ रुपये या उससे अधिक रहते हो।
चैक या आहरण आदेश भरते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए-
(i) चैक हमेशा साफ बड़े अक्षरों में पूरा करना चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो चैक पर काटकर कोई परिवर्तन नहीं करना चाहिए। यदि कोई परिवर्तन किया गया हो तो खातेदार को वहां अपने हस्ताक्षर करने चाहिए।
(ii) चैक पर धनराशि भरते समय छपे हुए शब्द “रूपये” के जितने पास से सम्भव हो उतने ही पास में लिखना शुरू कर देना चाहिए तथा अंत में “केवल” शब्द का प्रयोग करना चाहिए या शब्दों में लिखने के बाद एक लकीर खींचनी चाहिए।
(iii) चैक पर तारीख अवश्य भरनी चाहिए तथा चैक पर किए हुए खातेदार के हस्ताक्षर उसके प्रतिरूप हस्ताक्षर से मिलने चाहिए।
(iv) चैक बुक सदैव सुरक्षित स्थान पर रखनी चाहिए।
(v) चैक काटते समय उसका पूर्ण विवरण चैक बुक में दी गई अभिलेख पर्ची में भरना चाहिए।
डाकघर
(i) बचत की आदत को प्रोत्साहन देने के लिए डाकघर बचत बैंको की स्थापना की गई है। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक भारतीय अपने नाम या अपने नाबालिग बच्चे के नाम या दो या अधिक व्यक्तियों के नाम संयुक्त रूप से डाकघर में बचत खाता खोल सकता है।
(ii) डाकघर में बचत खाता खोलने, धन जमा करने व धन निकलवाने का तरीका बैंक जैसा ही होता है। डाकघर के खाते को कम से कम तीन माह के बाद किसी भी अन्य डाकघर में स्थानान्तरित करवाया जा सकता है। डाकघर के बचत खाते में छः वर्ष तक कोई लेन देन न होने पर खाता अकार्यशील घोषित कर दिया जाता है जिसे दोबारा कार्यशील किया जा सकता है।
(iii) डाकघर के बचत खाते में सप्ताह में केवल दो बार अधिक से अधिक 1000/- रुपये निकाने जा सकते हैं, इससे अधिक रुपये निकलवाने के लिए पूर्व सूचना देना आवश्यक है। डाकघर के खाते से एक रुपये से कम की राशि नहीं निकाली जाती है तथा खाते में हमेशा कम से कम दो रुपये शेष रहने चाहिए।
जीवन बीमा
(i) जीवन बीमा बचत का एक ऐसा साधन है जो परिवार को नियमित रूप से बचत की आदत डालता है, और भविष्य में आर्थिक संरक्षण प्रदान करता है। भारतीय जीवन बीमा निगम ने अनेक प्रकार की योजनाएं शुरू की हुई है। व्यक्ति अपनी आवश्यकता एवं इच्छानुसार योजना चुन कर बीमा करवा सकता है।
(ii) जीवन बीमा आजीवन काल या एक निश्चित अवधि के लिए होता है। बीमे की अवधि समाप्त होने पर बीमेदार को बीमे की राशि बोनस सहित मिल जाती है, दुर्भाग्यवश बीमादार की मृत्यु होने पर बीमा की पूरी राशि बीमादार द्वारा घोषित उत्तराधिकारी को मिल जाती है।
(iii) अन्य योजनाओं के अंतर्गत बच्चों के विवाह, शिक्षा आदि के लिए भी बीमा करवाया जा सकता है जिसमें निश्चित समय के पश्चात विवाह या शिक्षा के समय रुपया मिल जाता है। बीमादर के मृत्यु हो जाने की स्थिति में आगे बीमे की किस्तें नहीं देनी पड़ती है और अवधि समाप्त होने पर उत्तराधिकारी को विवाह या शिक्षा के समय पूरा रुपया मिल जाता है।
(iv) भारतीय जीवन बीमा निगम के अतिरिक्त कई अन्य कंपनियां भी हैं जो परिवार की सम्पति जैसे मकान, दुकान, स्कूटर कार आदि का अग्नि बीमा या दुर्घटना बीमा एक वर्ष के लिए करवाया जाता है तथा हर वर्ष इसे दोबारा करवाना पड़ता है। दुर्घटना की स्थिति में हुई क्षतिपूर्ति कम्पनियां करती है। आजकल सड़क पर चलने दाले हर वाहन के लिए दुर्घटना बीमा करवाना अनिवार्य हो गया है।
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