NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 7 उपभोक्ता संरक्षण
Text Book | NCERT |
Class | 8th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 7th |
Chapter Name | उपभोक्ता संरक्षण |
Category | Class 8th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 7 उपभोक्ता संरक्षण Notes in Hindiउपयुक्त मंच पर शिकायत करने पर उपभोक्ता के हितो पर ध्यानपूर्वक विचार होना उपभोक्ता का अधिकार है, उपभोक्ता को यह अधिकार है कि अनुचित व्यापारिक व्यवहार के कारण हुई किसी भी प्रकार की क्षति को पूरा किया, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 7 उपभोक्ता संरक्षण
Chapter – 7
उपभोक्ता संरक्षण
Notes
व्यापारियों द्वारा अपनाई जाने वाली विभिन्न चालें – अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए व्यापारी निम्नलिखित तरीके अपनाकर उपभोक्ताओं को धोखा देते हैं-
(1) वस्तुओं में मिलावट करके
(2) वस्तुओं पर अपूर्ण व भ्रामक लेबल लगाकर
(3) दोषयुक्त तोल व माप के साधनों का प्रयोग करके
(4) भ्रामक व असत्य विज्ञापनों द्वारा
(5) नकली वस्तुओं की बिक्री द्वारा
(6) घटिया किस्म की वस्तुओं की बिक्री द्वारा
वस्तुओं में मिलावट करके
बाजार में वस्तुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई महंगाई तथा अधिक मुनाफा कमाने के लिए व्यापारी वस्तुओं में मिलावट करके बेचते हैं। मिलावट चाहे अनजाने में हो जाए अथवा जानबूझ कर की जाए यह उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती है।
प्रायः बाजार में बेचे जाने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, दालों, दूध, मिष्ठानों, मसालों व डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थों में मिलावट होने की सम्भावना होती है। अतः, खरीदारी करते समय सावधानी रखना अत्यन्त आवश्यक है।
वस्तुओं पर अपूर्ण व भ्रामक लेबल लगाकर
एक अच्छे लेवल द्वारा उपभोक्ता को उस वस्तु विशेष के बारे में सरल भाषा में सही जानकारी मिलनी चाहिए तथा लेबल को उसकी सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करनी चाहिए। उत्पादक या तो वस्तुओं पर अपूर्ण लेबल लगाते हैं जिससे उपभोक्ता को उस वस्तु के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं मिल पाती है या फिर भ्रामक लेबल लगाते है जो किसी अन्य प्रचलित वस्तु के लेवल से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे उपभोक्ता उस प्रचलित वस्तु के भ्रम में गलत वस्तु खरीद लेते हैं।
अतः, उपभोक्ता को वस्तु खरीदने से पहले उसके लेबल का अच्छी तरह अध्ययन करना चाहिए तथा इस बात से सन्तुष्ट हो जाना चाहिए कि उसका लेबल अपूर्ण अथवा झूठा मार्का वाला तो नहीं है। उपभोक्ता को चाहिए कि जरा सा भी भ्रम होने पर ऐसी वस्तुओं में खरीदें।
दोषयुक्त तोल व माप के साधनों का प्रयोग करके – कुछ विक्रेता अधिक लाभ कमाने के लिए वस्तुओं को कम तोलते या कम मापते हैं। इसके लिए विक्रेता निम्न प्रकार से उपभोक्ता को धोखा देते हैं-
(क) विक्रेता मानक तोलने वाले बाटों का प्रयोग करने की अपेक्षा नकली व देसी बाटों (पाव, सेर), ईंट, पत्थर आदि तथा मानक मापने वाले बर्तनों की अपेक्षा ऐसे बर्तनों का प्रयोग करते हैं जिनके तले को ऊपर की ओर उठा रखा होता है जिससे वस्तु कम मात्रा में होली या मापी जाती है।
(ख) विक्रेता ऐसे हाथ वाले तराजू का प्रयोग करते हैं जिनकी डंडी, सुई पलड़े आदि ठीक नहीं होते जिससे वस्तु कम मात्रा में तुलती है या फिर तोलते समय अंगूठा लगाकर कम तोलते है।
(ग) अधिकतर विक्रेता खाद्य पदार्थों के साथ डिब्बे, लिफाफे आदि को भी तोलते हैं जिससे उपभोक्ता को खाद्य पदार्थ कम मात्रा में मिलता है।
(घ) प्रायः उत्पादक पैक किए हुए पदार्थों के डिब्बे व शीशियां ऐसे आकार के बनाते हैं जिससे वस्तु के भार व नाप का सही अनुमान लगाना कठिन होता है। उदाहरण के लिए मोटे तने वाली लम्बी पतली आकार की मोटे कांच की बनी शीशियां अधिक मात्रा का आभास देती हैं। इसी प्रकार बड़े आकार के डिब्बे अधिक मात्रा का आभास देते हैं।
भ्रामक व असत्य विज्ञापनों द्वारा
उत्पादनकर्ता विभिन्न माध्यमो जैसे अखबार, पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन, सिनेमाघर वीडियो कैसेट व पोस्टर आदि द्वारा अपने उत्पादन को लोकप्रिय बनाने के लिए उसका बिज्ञापन देते हैं। बाजार में आजकल विभिन्न उत्पादनकताओं द्वारा निर्मित वस्तुएं उपलब्ध होती है और प्रत्येक उत्पादनकर्ता अपने उत्पादन की बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन में अपने उत्पादन के गुणों को बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं। कई बार उपभोक्ता इन असत्य व भ्रामक विज्ञापनों के प्रभाव में आकर गलत वस्तु खरीद लेते हैं।
नकली वस्तुओं की बिक्री द्वारा
बाजार में कुछ वस्तुओं की मांग अधिक होती है क्योंकि वह अपने गुणों के कारण उपभोक्ताओं में हो जाते हैं। इस लिकप्रियता व अधिक मांग का लाभ उठाने के लिए कुछ उत्पादनकर्ता सी ही मिलती जुलती वस्तुएं बनाकर उसी नाम से बेचने लगते है। प्रायः उपभोक्ता के लिए असली और नकली वस्तु में पहचान करना कठिन होता है। उदाहरण के लिए बाजार में नकली पावडर, क्रीम, शैम्पू आदि प्रयोग की हुई असली पैकिग में भर कर बेचते हैं।
घटिया किस्म की वस्तुओं की बिक्री द्वारा
कई बार बड़ी मिले अथवा कारखाने अपने उत्पादन में से अच्छी किस्म का छांटा हुआ माल बाजार में बेचने के पश्चात बचा हुआ थोड़ा घटिया किस्म का माल सस्ते दामों पर दुकानदारों को बेच देते हैं। यह दुकानदार अधिक लाभ कमाने के लिए इस घटिया माल को भी अच्छा कह कर महंगा बेचते हैं। इसी प्रकार दिखने में एक से फर्नीचर में सस्ती किस्म की लकड़ी या लोहे की पहली चादर का प्रयोग करके उत्पादनकर्ता अपनी लागत कम करके अपने लाभ का अंश बढ़ा लेते हैं।
व्यापारी वर्ग की इन धोखाधड़ी वाली चलो को देखते हुए एक प्रबुद्ध उपभोक्ता वही है ओ बिज्ञापनों के प्रभाव में आए बिना किसी विश्वसनीय दुकान से खरीदी जाने वाली वस्तु का लेबल ध्यान से पढ़ कर ही खरीदारी करे।
उपभोक्ता संरक्षण
आज केवल भारत ही नहीं अपितु संसार के सभी उपभोक्ता उत्पादनकर्ता एवं विक्रेता की धोखाधड़ी की प्रवृत्ति से परेशान हैं। भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए अनेक कदम उठाए हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं-उपभोक्ता संरक्षण सम्बन्धी अधिनियम एवं संस्थाए।
खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1954
इस अधिनियम के अन्तर्गत बाजार में बिकने वाले लगभग सभी साद्य पदार्थों के लिए न्यूनतम मान्य नियम दिए गए हैं। खाद्य पदार्थों के इन न्यूनतम गुणों को बनाए रखना अति आवश्यक है और जो खाद्य पदार्थ न्यूनतम मान्य नियमों को पूरा नहीं करते उन्हें मिलावटी खाद्य पदार्थ कहते हैं।
खाद्य अपमिश्रण अधिनियम के अनुसार –
(क) मिलावटी खाद्य पदार्थ को रखना व बेचना वर्जित है।
(ख) बेसरी दाल बेचना या बेसरी दाल को अन्य दानों में मिलाकर बेचना वर्जित है।
(ग) खाद्य पदार्थों में वर्जित कृत्रिम रंगों, रासायनिक परिरक्षकों एवं कृत्रिम मिठास का प्रयोग करना वर्जित है।
(घ) अनुमोदित (स्वीकृत) कृत्रिम रंगों व रासायनिक परिरक्षकों को निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में प्रयोग करना वर्जित है।
(ङ) अपने आप मरे हुए पशु-पक्षियों का मांस बेचना वर्जित है।
इस अधिनियम में यह प्रावधान भी है कि खाद्य निरीक्षक अथवा कोई भी उपभोक्ता मिलावट का भ्रम होने पर विक्रेता से उस खाद्य पदार्थ का नमूना लेकर विश्लेषण के लिए भेज सकता है। खाद्य पदार्थ मिलावटी पाया जाने पर मिलावटी पदार्थ बनाने वाले, बेचने वाले, रखने वाले तथा लाने ले जाने वाले व्यक्ति को 2 से माह से लेकर 6 वर्ष तक की जेल तथा 500 रुपये से लेकर 2000/- रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है जो उस व्यक्ति के अपराध की गंभीरता को देखते हुए निश्चित किया जाता है। एक बार सजा पाने के बाद भी यदि कोई व्यक्ति दोबारा ऐसे जुर्म में पकड़ा जाता है तो उसे और कड़ी सजा दी जाती है।
मिलावटी पदार्थ के उपयोग से यदि किसी उपभोक्ता की मृत्यु हो जाए तो अपराधी को मृत्यु दण्ड भी दिया जा सकता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण समितियां संगठित की हैं। इस समितियों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई करना तथा उपभोक्ता के अधिकारों को सुरक्षित करना है।
इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता के अधिकार निम्नलिखित है-
(क) सुरक्षा संबंधी अधिकार – उपभोक्ता का यह अधिकार है कि वह जीवन एवं सम्पत्ति के लिए हानिकारक उत्पादनों पर रोक लगाएं।
(ख) सूचना सम्बन्धी अधिकार – उत्पादनों की गुणवत्ता शुद्धता, स्तर एवं मूल्यों के बारे में पूर्ण जानकारी पाना उपभोक्ता का अधिकार है।
(ग) चयन सम्बन्धी अधिकार – उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह उपलब्ध किस्मों में से अपनी पसन्द की उपयुक्त वस्तु का चयन करके उसे खरीद सके।
(घ) सुनवायी सम्बन्धी अधिकार – उपयुक्त मंच पर शिकायत करने पर उपभोक्ता के हितों पर ध्यानपूर्वक विचार होना उपभोक्ता का अधिकार है।
(ङ) क्षतिपूर्ति सम्बन्धी अधिकार – उपभोक्ता को यह अधिकार है कि अनुचित व्यापारिक व्यवहार के कारण हुई किसी भी प्रकार की क्षति को पूरा किया जाए।
(च) ज्ञान सम्बन्धी अधिकार – प्रत्येक उपभोक्ता का यह अधिकार है कि उपभोक्ता के रूप में उसे अपने अधिकारों की पूर्ण जानकारी मिले।
एफ.पी.ओ. (Fruit Product Order)
भारत सरकार ने फल व सब्जियों से बने तैयार खाद्य पदार्थों की बिक्री से सम्बन्धित मान्य नियम “फूट प्रोडक्ट आर्डर (सन् 1955 में जारी किया)- इस आदेश के अन्तर्गत फल व सब्जियों के संरक्षित खाद्य पदार्थ बनाने वाले कारखानों को एफ. पी. ओ. का लाइसेन्स लेना तथा एफ.पी.ओ. का मार्क अपने तैयार संरक्षित खाद्य पदार्थों के लेबल पर लगाना अनिवार्य है।
इस आदेश के अनुसार-
(क) कारखानों के मालिकों को अपने कारखानों व उसके आसपास की स्वच्छता तथा कारखानों में काम करने वाले व्यक्तियों की व्यक्तिगत स्वच्छता एवं स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है।
(ख) कारखाने में संरक्षित खाद्य पदार्थों को तैयार करते समय न्यूनतम मान्य नियमों का पालन करना आवश्यक है।
(ग) सम्बन्धित अधिकारी समय-समय पर कारखानों का निरीक्षण तथा तैयार खाद्य पदार्थ की जांच कर सकते हैं।
(घ) तैयार खाद्य पदार्थ का स्तर घटिया पाया जाने पर संबंधित अधिकारी कारखाने के मालिक को चेतावनी देकर उस कोड के तैयार सभी माल को नष्ट कर सकते हैं।
(ङ) किसी भी समय तैयार खाद्य पदार्थ का स्तर उत्तम न होने पर लाइसेन्स ज़ब्त कर लिया जाता है।
एफ.पी.ओ. मार्क निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के लिए दिया जाता है-
(1) संरक्षित फल व सब्जियां (डिब्बों तथा बोतलों में)।
(2) फलों का रस व गूदा (डिब्बों बोतलों व अन्य पैकिंग में)।
(3) फलों के पेय।
(4) जैम, जेली, मारमलेड तब स्क्वैश आदि।
(5) आचार, चटनी, मुरब्बा आदि।
(6) सूखे हुए फल व सब्जियां।
(7) जमे हुए फल, सब्जियां, फलों का रस व गुदा।
(8) शर्बत व कार्बनयुक्त पेय।
(9) कृत्रिम सिरका।
आई.एस.आई. – भारतीय मानक ब्यूरो कारखानों में बने खाद्य पदार्थों व उपकरणों के लिए मानक निर्धारित करता है तथा इन मानकों के अनुरूप तैयार उत्पादनों पर आई.एस.आई. मार्क लगाने के लिए लाइसेन्स देता है।
इस ब्यूरो के अधिकारी कारखानों का नियमित एवं आकस्मिक निरीक्षण करते रहते हैं और तैयार माल यदि घटिया किस्म का पाया जाए तो उसकी बिक्री पर रोक लगाते हैं। उपभोक्ताओं की बार-बार शिकायत मिलने पर अथवा अधिकारियों द्वारा तैयार माल निर्धारित मानक कान पाया जाने पर लाइसेन्स जब्त कर लिया जाता है।
आई.एस.आई. मार्क प्राप्त खाद्य पदार्थों की सूची-
(1) साधारण नमक।
(2) अरारोट कस्टर्ड पाउडर, बेकिंग पाउडर, कोको पाउडर।
(3) बिस्कुट, चॉकलेट, टॉफी।
(4) पाउडर दूध, कनडैन्सड दूध, शिशु दुग्ध आहार।
(5) काफी पाउडर।
(6) आइसक्रमी तथा वनस्पतिक थी।
आई.एस.आई. मार्क प्राप्त घरेलू उपकरणों की सूची-
(1) विद्युत इस्त्री, पंखा, केतली, जग, चूल्हा, मिक्सी, स्विच आदि।
(2) प्रेशर कुकर।
(3) गैसीय चूल्हा।
एगमार्क – भारत सरकार का बिक्री एवं निरीक्षण विभाग कृषि से सम्बन्धित खाद्य पदार्थों को उनके स्तर के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित करता है-
ग्रेड 1 – अति उत्तम
ग्रेड 2 – उत्तम
ग्रेड 3 – अच्छा
ग्रेड 4 – सामान्य
इस विभाग के अधिकारी समय-समय पर कारखानों में तैयार माल का निरीक्षण करते हैं। और खाद्य पदार्थ के उत्तम स्तर को बनाए रखते हैं। उपभोक्ताओं की शिकायत पर या निरीक्षण द्वारा यदि कोई एगमार्क खाद्य पदार्थ न्यून स्तर का पाया जाता है तो उस कोड के सभी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक लगा दी जाती है।
एगमार्क खाद्य पदार्थों की सूची-
(1) खाद्य तेल(2) शुद्ध घी, मक्खन
(3) दालें, बेसन
(4) आटा
(5) पिसे हुए मसाले
(6) शहद
आई.एस.आई. मार्क व एगमार्क उत्पादकर्ता एवं उपभोक्त दोनों के लिए लाभकारी है। क्योंकि जहां प्रमाणित खाद्य पदार्थ उपभोक्ता को अच्छी किस्म की गारंटी देते हैं वहां उत्पादकर्ता को उसके उत्पादन की ज़्यादा बिक्री में सहायता भी करते हैं। आज आवश्यकता है कि उपभोक्ता अपने अधिकारों को पहचाने और संगठित होकर उन अधिकारों की रक्षा करें।
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