NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 संतुलित भोजन Notes in Hindi

NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 संतुलित भोजन

Text BookNCERT
Class 8th
Subjectगृह विज्ञान
Chapter3rd
Chapter Nameसंतुलित भोजन (Balanced Diet)
CategoryClass 8th गृह विज्ञान
MediumHindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 संतुलित भोजन Notes in Hindi सन्तुलित भोजन से आप क्या समझते है?, संतुलित आहार में क्या क्या आता है?, संतुलित आहार के 5 घटक कौन से हैं?, संतुलित भोजन कैसे करते हैं?, सबसे अच्छा संतुलित आहार कौन सा है?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 संतुलित भोजन

Chapter – 3

संतुलित भोजन

Notes

सन्तुलित भोजन

भोजन के बिना हमारा जीवन सम्भव नहीं है क्योंकि हमारे जीवन के लिए भोजन उतना ही आवश्यक है जितना हवा तथा जल। जिस प्रकार रेल के इंजन, कार तथा बस को चलाने के लिए ईंधन की आवश्यकत होती है, उसी प्रकार हमें अपने शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। यदि हमें भोजन न मिले तो हमारा शरीर दुर्बल हो जाएगा और हमारी कार्य करने की शक्ति क्षीण हो जाएगी किन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि हम सारा दिन कुछ न कुछ खाते रहें।

आवश्यकता से अधिक खाया भोजन भी उतना ही हानिकारक होता है जितना कि आवश्यकता से कम लाया गया भोजन। यही कारण है कि हमें भोजन शरीर की आवश्यकतानुसार ही खाना चाहिए। भोजन द्वारा शरीर में उत्पन्न किए गए ताप से अनुमान लगाया जा सकता है कि खाया गया भोजन शरीर की आवश्यकता अनुरूप है अथवा नहीं।

व्यक्ति की दैनिक पौष्टिक आवश्यकताओं का आधार

व्यक्ति की दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएं निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती हैं –

(1) आयु – बच्चों को उनके शरीर के भार को देखते हुए वयस्कों की अपेक्षा अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है क्योंकि बच्चों को भोजन से ऊर्जा के साथ-साथ शारीरिक वृद्धि के लिए अधिक प्रोटीन, खनिज लवण व विटामिन भी मिलने चाहिए। इसके विपरीत वृद्धावस्था में पोषक तत्वों की आवश्यकता कम हो जाती है क्योंकि वृद्ध व्यक्ति कम काम कर पाता है और उनकी पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है।

(2) लिंगपुरुषों को स्त्रियों की अपेक्षा अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। क्योंकि पुरुष स्त्रियों से बहुधा लम्बाई व भार में अधिक होते हैं और प्रायः शारीरिक कार्य भी अधिक करते हैं।विशेष अवस्थाओं जैसे गर्भावस्था तथा स्तनपान काल में स्त्रियों को अपेक्षाकृत अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

(3) कार्यशारीरिक कार्य करने वाले व्यक्तियों को मानसिक कार्य करने वालों की अपेक्षा अधिक कार्बोज़ व वसा की आवश्यकता होती है क्योंकि शारीरिक कार्य करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसके विपरीत मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों को अधिक प्रोटीन तथा कम कार्बोज़ व वसा की आवश्यकता होती है।

(4) जलवायुविशेष पोषक तत्वों विशेषकर कैलोरी की आवश्यकता पर जलवायु का प्रभाव पड़ता है। प्रायः ठण्डे देशों में रहने वाले लोगों को अथवा सर्दी के मौसम में अधिक गर्मी व शक्ति देने वाले पोषक तत्व जैसे कार्बोज़ व वसा की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। इसके विपरीत गर्म देशों में रहने वाले लोगों को अथवा गर्मी के मौसम में कार्बोज व वसा की कम मात्रा में आवश्यकता होती है तथा पेय पदार्थों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है।

भोजन का पौष्टिक मान बढ़ाना

विभिन्न पोषक तत्वों की प्राप्ति के लिए हमें अपने भोजन में विभिन्न खाद्य पदार्थों को सम्मिलित करना आवश्यक है। परन्तु परिवार की सीमित आय और बढ़ती हुई महंगाई के कारण यह भी अनिवार्य हो गया है कि हम भोजन पकाने में कुछ ऐसी विधियों का प्रयोग करें जिससे अधिक व्यय किए बिना ही भोजन में पौष्टिक तत्वों की मात्रा बढ़ाई जा सके।

भोजन का पोषक मान बढ़ाने के लिए निम्नलिखित विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं-

क. अंकुरण,
ख. खमीरीकरण,
ग. विभिन्न खाद्य पदार्थों को उचित मात्रा में मिला-जुला कर प्रयोग करना।

अंकुरण

अनाजों व साबुत दालों जैसे मुंग, मोठ, चने, सोयाबीन आदि का पोषक मान अंकुरण द्वारा बढ़ाया जा सकता है।

विधि – जिस खाद्य पदार्थ का अंकुरण करना हो उसे साफ करके तथा स्वच्छ पानी से धोकर रात भर के लिए इतने पानी में भिगो कर रख दें जितना वह आसानी से सोख लें। अब इन्हें किसी पतले कपड़े में बांध कर रख दें तथा कपड़े को समय-समय पर पानी डाल कर गीला करते रहना चाहिए। लगभग 24-48 घण्टों में उस खाद्य पदार्थ मेंसे एक सेमी लम्बे अंकुर निकल आते हैं। गर्मियों में सर्दियों की अपेक्षा अंकुर जल्दी निकलते हैं।

प्रयोग – इन अंकुरित दालों व अनाजों को कच्चा या भाप से पकाकर नमक, काली मिर्च, नींबू, प्याज, टमाटर, खीरा आदि डाल कर चाट बना कर खा सकते हैं। अंकुरित दालों व अनाजों की खिचड़ी, खीर, परांठा, रायता आदि बना कर भी खा सकते हैं।

अंकुरण करने से लाभ

अंकुरण करने से हमें निम्नलिखित लाभ होते हैं –

(1) विटामिनों की मात्रा में बढ़ोतरी- अंकुरण करने से अनाजों व दालों में विटामिन “सी” तथा “बी” समूह के विटामिन की मात्रा बढ़ जाती है।

(2) खनिज लवण लोहे की अधिक प्राप्ति – खनिज लवण लोहा अनाजों व दालों में यौगिक के रूप में होता है। अंकुरण करने से यह खनिज लवण लोहा अलग हो कर शरीर के लिए अधिक मात्रा में प्राप्त होता है।

(3) पोषण विरोधी तत्वों का नष्ट होना- अंकुरण से अनाजों व दालों में उपस्थित पोषण विरोधी तत्व नष्ट हो जाते हैं जिससे पोषक तत्व शरीर में अधिक मात्रा में उपयोग होता है।

(4) खाद्य पदार्थों का अधिक पचनशील होना – अंकुरण से खाद्य पदार्थ अधिक पचनशील हो जाते हैं।

(5) खाद्य पदार्थों का शीघ्र पकना-पानी में भिगोने तथा अंकुर फूटनेसे अनाजों व दालों की कठोर ऊपरी परत फट जाती है जिससे उन्हें पकने में कम समय लगता है।

खमीरीकरण

कुछ खाद्य पदार्थ जैसे चावल, दाल, बेसन, मैदा आदि को खमीरीकृत करके प्रयोग में लाया जाता है।

विधि – खमीरीकरण करने के लिए खाद्य पदार्थ को साफ करके स्वच्छ पानी में भिगो कर रखें। जब खाद्य पदार्थ पानी सोख ले तो उसे पीस कर खमीर उत्पन्न होने के लिए रख दें। खमीर उत्पन्न करने के लिए दही या बाज़ार में उपलब्ध खमीर का प्रयोग कर सकते हैं। गर्मियों में सर्दियों की अपेक्षा खमीर जल्दी उत्पन्न होता है।

प्रयोग – खमीरीकरण विधि द्वारा डोसा, इडली, कुलचा, डबलरोटी, ढोकला आदि बनाए जाते हैं।

खमीरीकरण करने से लाभ

खाद्य पदार्थों में खमीर उत्पन्न करके प्रयोग करने से निम्नलिखित लाभ हैं-

(1) खाद्य पदार्थों का पोषक मान बढ़ना – खमीरीकरण विधि द्वारा बी समूह के विटामिनों की मात्रा बढ़ जाती है।

(2) खनिज लवण लोहे की अधिक प्राप्ति – खमीरीकरण द्वारा खाद्य पदार्थ में उपस्थित खनिज लवण लोहा आसानी से हमारे शरीर में अवशोषित होता है और हमें अधिक मात्रा में प्राप्त होता है।

(3) खाद्य पदार्थों का अधिक पचनशील होना खमीरीकृत खाद्य पदार्थ अपेक्षाकृत अधिक पचनशील होते हैं।

(4) खाद्य पदार्थ का अधिक स्वादिष्ट होना – खाद्य पदार्थ में खमीर का स्वाद उत्पन्न होने से वह अधिक स्वादिष्ट लगता है।

विभिन्न खाद्य पदार्थों को उचित मात्रा में मिला-जुला कर प्रयोग करना

एक ही खाद्य पदार्थ को अधिक मात्रा में प्रयोग लाने की अपेक्षा हम दो या अधिक खाद्य पदार्थों को मिला-जुला कर प्रयोग कर सकते हैं।

प्रयोग – मुख्यतः निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को मिला-जुला कर पकाया जा सकता है-

(1) अनाज व दालें जैसे खिचड़ी, दाल-चावल, दाल-रोटी, ढोकला, डोसा, इडली, मिस्सी रोटी आदि।

(2) विभिन्न अनाज या विभिन्न दालें जैसे बाजरा-गेहूं की रोटी या दलिया, मक्का-गेहूं की रोटी, उड़द-चना, उड़द- राजमा, उड़द-मूंग की दाल आदि।

(3) अनाज, दालें व सब्जियां जैसे सब्जियों वाली खिचड़ी, पुलाव, अंकुरित मूंग पोहा, दाल वाला साग, पोष्टिक रोटी आदि।

(4) वानस्पतिक एवं पशुजन्य खाद्य पदार्थ जैसे खीर, गाजर का हल्वा, अण्डे का कस्टर्ड, मीट पुलाव आदि।

खाद्य पदार्थों को मिला-जुला कर प्रयोग करने से लाभ

विभिन्न खाद्य पदार्थों को उचित मात्रा में मिला-जुला कर प्रयोग करने से निम्नलिखित लाभ है-

(1) प्रोटीन की उपयोगिता बढ़ना जब दालों व अनाजों को उचित अनुपात (1:4 अथव 1:5) में मिलाया जाता है तो वह एक दूसरे की कमी को पूरा कर देते हैं जिससे प्रोटीन की उपयोगित बढ़ जाती है।

(2) खाद्य पदार्थों का पोषक मान बढ़ना-जब अनाज व दाल में सब्जियां भी डाली जाती है तो उनमें पाए जाने वाले विटामिन व खनिज लवण भी उपलब्ध हो जाते हैं।

(3) पकाने में कम समय लगना-खाद्य पदार्थों को मिला-जुला कर पकाने से समय की बचत होती है।

एक किशोर के लिए एक दिन की भोजन तालिका

निम्नलिखित तालिका में बताया गया है कि एक किशोर के लिए एक दिन का भोजन क्या होना चाहिए:

स्कूल जाने से पूर्व नाश्ता

• दूध- 1 कप
• बिस्कुट – 2
• (सैंडविच खीरा, टमाटर आदि)

स्कूल का टिफिन

• पौष्टिक परांठा।
• (आटा, बेसन, पालक)
• अचार – स्वादानुसार
• कोई मौसमी फल 1

दोपहर का भोजन

• चपाती – 3
• सोयाबीन, 1 कटोरी
• आलू की सब्जी
• सलाद – ½ छोटी प्लेट
• दही – ½ कटोरी

शाम का नाश्ता

• चाय या दूध – 1 कप
• नमक पारे – थोड़े से
• मूंगफली की पट्टी – 1 टुकड़ा

रात्रि का भोजन

• चपाती – 2
• चावल – 1 प्लेट
• घीया चने की दाल – 1कटोरी
• आलू मेथी की सब्जी – 1/2 कटोरी
• फलों का कस्टर्ड – 1 कटोरी

सोने से आधा घण्टा पूर्व एक गिलास दूध; – उपरोक्त भोजन तालिका में मौसम अनुसार एवं स्वादानुसार समय-समय पर खाद्य पदार्थों में परिवर्तन किया जा सकता है।

कुछ भोजन पदार्थ बनाने की विधियां

1 पोष्टिक परांठा – सादे पराठे को पौष्टिक बनाने केलिए उसमें गेहूं के आटे के साथ सोयाबीन या चने का आटा या बेसन, कोई अंकुरित दाल तथा कोई भी हरी पत्तेदार सब्जी जैसे पालक, मेथी, बथुआ, मूली के पत्ते आदि डाल सकते हैं।

सामग्री

• गेहूं का आटा- 50 ग्राम
• सोयाबीन या चने का आटा या बेसन – 30 ग्राम
• कोई हरी पत्तेदार सब्जी – 75 ग्राम
• (मेथी / पालक / मूली के पत्ते / बथुआ)
• पानी – गूंथने के लिए
• नमक – स्वादानुसार
• काली मिर्च – स्वादानुसार
• घी – 20 ग्राम

विधि

(1) हरी पत्तेदार सब्जी को साफ पानी में धोकर बारीक बारीक काट लें।

(2) गेहूं के आटे में सोयाबीन या चने का आटा या बेसन, बारीक कटी हरी पत्तेदार सब्जी, नमक तथा काली मिर्च मिला कर पानी से अच्छी तरह गूंथ लें।

(3) गूंथे आटे की लोई बनाकर उसे चपाती की भांति बेल लें।

(4) इसे थोड़ा सा घी लगाकर मोड़ दें और दोबारा बेल लें।

(5) तवा गर्म करके परांठा उस पर डालें। जब यह थोड़ा सिक जाए तो इसे पलट दें।

(6) दोनों तरफ थोड़ा-थोड़ा घी लगाकर तल लें।

(7) इसे गर्म-गर्म परोसें।

सब्ज़ियों का पुलाव

सामग्री

• चावल – 100 ग्राम
• मिलीजुली मौसमी सब्जियां – 200 ग्राम
• (आलू, मटर, गाजर, फलियां आदि )
• प्याज – 50 ग्राम
• जीरा – 1/4 चम्मच
• लौंग – 1-2
• दालचीनी – 1 छोटा टुकड़ा
• बड़ी इलायची – 1
• तेजपात – 1
• नमक – स्वादानुसार
• घी – 1 बड़ा चम्मच
• पानी – 200 ग्राम

विधि

1 चावल को बीन कर साफ करके पानी में भिगो दें।

2 सभी सब्जियों को साफ पानी में धोकर बारीक काट लें।

3 किसी बर्तन में घी गर्म करके उसमें सभी मसाले डाल कर भूरा होने तक भून लें।

4 इसमें कटे प्याज डाल कर भूरा होने तक भून कर, सभी बारीक कटी सब्जियां डाल कर भून लें।

5 भीगे हुए चावलों का पानी अलग करके, इन्हें भी कुछ समय तक भूनें।

अब इसमें अलग किया हुआ पानी डाल कर धीमी आंच पर पकाएं।

7 प्लेट में गर्म-गर्म परोसें।

पौष्टिक पोहा

सामग्री

• चिड़वा – 100 ग्राम
• अंकुरित मूंग – 25 ग्राम
• मिली-जुली सब्जियां – 75 ग्राम
• (आलू, मटर, गाजर आदि)
• मूंगफली – 20 ग्राम
• प्याज – 25 ग्राम
• सरसों के बीज – 1 चम्मच
• तेजपात – 1
• करी पत्ता, हरा धनिया, हरी मिर्च – इच्छानुसार
• मसाले (हल्दी, मिर्च, नमक) – स्वादानुसार
• नींबू – 1
तेल – 2 चम्मच

विधि

(1) कड़ाही में तेल गर्म करके उसमें सरसों के बीज, करी पत्ता, तेजपात तथा बारीक कटी प्याज डालकर गुलाबी होने तक भूनें।

(2) इसमें अंकुरित मूंग, बारीक कटी सब्जियां डाल कर धीमी आंच पर गलने तक पकाएं।

(3) एक बड़ी छलनी में साफ किया हुआ चिड़वा डाल कर नल के नीचे रख कर पानी में भिगो दें। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि चिड़वा अधिक भीग कर हल्वा सा न बन जाए।

(4) इस चिड़ने को कड़ाही में डाल कर सब्जियों के साथ अच्छी तरह मिला लें।

(5) इसमें भूनी हुई मूंगफली, बारीक कटी हरी मिर्च और हरा धनिया मिला दें।

(6) तैयार चिड़वे को प्लेट में डाल कर नींबू का रस डाल कर परोसें।

पौष्टिक इडली

सामग्री

• चावल – 150 ग्राम
• उड़द धुली दाल – 50 ग्राम
• पालक – 20 ग्राम
• प्याज – 1 छोटी
• हरा धनिया, हरी मिर्च – स्वादानुसार
• नमक – स्वादानुसार
• हींग – थोड़ी सी
• तेल – थोड़ा सा

विधि

(1) चावल और दाल को बीन कर साफ करके, पानी में अलग-अलग भिगो कर पीस लें।

(2) पिसी दाल व चावल के मिश्रण में नमक डाल कर खमीर उठने तक रख लें।

(3) इसमें बारीक कटा प्याज, पालक, हरा धनिया, हरी मिर्च व हींग अच्छी तरह मिला कर खमीर उठे मिश्रण में मिला लें।

(4) इडली बनाने के बर्तन के खानों में थोड़ा सा तेल लगाकर मिश्रण डालें।

(5) इस बर्तन को प्रैशर कुकर या अन्य बर्तन में रख कर इडली को भाप में पकाएं। पकने पर सांचों में से निकाल कर सांभर के साथ परोसें।

NCERT Solution Class 8th Home Science All Chapters Notes
Chapter – 1 साधारण रोग
Chapter – 2 रोगी का आहार
Chapter – 3 सन्तुलित भोजन
Chapter – 4 वस्त्रों की देखरेख
Chapter – 5 बच्चों के वस्त्र
Chapter – 6 हमारा घर
Chapter – 7 उपभोक्ता संरक्षण
Chapter – 8 पारिवारिक आय तथा बचत
NCERT Solution Class 8th Home Science All Chapters Questio & Answer
Chapter – 1 साधारण रोग
Chapter – 7 उपभोक्ता संरक्षण 
Chapter – 3 सन्तुलित भोजन
Chapter – 4 वस्त्रों की देखरेख
Chapter – 5 बच्चों के वस्त्र
Chapter – 6 हमारा घर 
Chapter – 7 उपभोक्ता संरक्षण 
Chapter – 8 पारिवारिक आय तथा बचत 
NCERT Solution Class 8th Home Science All Chapters MCQ
Chapter – 1 साधारण रोग
Chapter – 2 रोगी का आहार
Chapter – 3 सन्तुलित भोजन
Chapter – 4 वस्त्रों की देखरेख
Chapter – 5 बच्चों के वस्त्र
Chapter – 6 हमारा घर
Chapter – 7 उपभोक्ता संरक्षण
Chapter – 8 पारिवारिक आय तथा बचत

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