NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 2 रोगी का आहार
Text Book | NCERT |
Class | 8th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 2nd |
Chapter Name | रोगी का आहार |
Category | Class 8th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 2 रोगी का आहार Notes in Hindi जिसमे हम रोगी के ठीक होने में भोजन कैसे योगदान देता है?, 1 दिन में कितनी बार भोजन करना चाहिए?, एक दिन में स्वस्थ आहार क्या है?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढेंगें। |
NCERT Solution Class 8th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 2 रोगी का आहार
Chapter – 2
रोगी का आहार
Notes
रोगी का आहार – जिस प्रकार आहार और स्वास्थ्य का घनिष्ठ सम्बन्ध है उसी प्रकार आहार और रुग्णावस्था में भी घनिष्ठ सम्बन्ध है सन्तुलित भोजन जहां मनुष्य के स्वास्थ्य को बनाए रखने के साथ-साथ उसे रोगों से बचाए रखता है वहां रूग्णावस्था में उपचार को शीघ्रता प्रदान करता है। रोग की स्थिति में रोगी का आहार निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-
रोग का प्रकार
1. रोगी की पौष्टिक आवश्यकताएं
2. रोगी की पाचन क्षमता।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए रोगी की स्थिति में रोगी को पूर्णतः तरल, अर्द्ध-तरल व कोमल आहार देना चाहिए।
पूर्णतः तरल आहार – जब रोगी अत्यन्त गम्भीर स्थिति में होता है और ठोस भोजन खाने में असमर्थ होता है तब उसे पूर्णत: तरल आहार दिया जाता है। यह गम्भीर रूप के अतिसार, पेचिश व आपरेशन के तुरन्त बाद रोगी को दिया जाता है। पूर्णतः तरह आहार केवल रोगी की स्थिति सुधरने तक दो या तीन दिन तक ही देना चाहिए।
कुछ पूर्णतः तरल आहार है- जीवन रक्षक घोल, शिकंजवी, फटे दूध का पानी, नारियल पानी, शर्बत, हल्की चाय, सब्जियों का पानी, दाल का पानी, जौ का पानी, उबले चावल का पानी, छाछ आदि।
(1) जीवन रक्षक घोल (ओ. आर.एस.)
सामग्री
पानी – एक गिलास
नमक – 1 चुटकी
चीनी या ग्लुकोज़ – 1 चम्मच
विधि
(1) एक ग्लास उबला हुआ ठण्डा पानी लें।
(2) उसमें एक चुटकी नमक डाल कर मिलाएं।
(3) फिर उसमें एक चम्मच चीनी या ग्लुकोज़ मिला कर रोगी को पीने के लिए दें।
नोट: इसमें आधी चुटकी खाने वाला सोडा भी डाला जा सकता है।
(2) सब्ज़ियों का पानी
सामग्री
मौसम की मिली-जुली सब्ज़ियाँ – 250 ग्राम
(पालक, गाजर, शलजम, टमाटर आदि।)
पानी- आश्यकतानुसार
नींबू – आधा
नमक – स्वादानुसार
विधि
(1) सब्जियों को साफ पानी में धोकर, छोटे-छोटे टुकड़े काट लें।
(2) इन्हें पानी में नमक डाल कर गलने तक पकाएं।
(3) जब सब्ज़ियां गल जाएं तो छान कर नींबू का रस मिलाकर रोगी को पीने के लिए दें।
3. अर्द्ध-तरल आहार – जब रोगी की स्थिति सुधरने लगती है तब उसे अर्द्ध-तरल आहार दिया जाता है। इस आहार द्वारा रोगी की दैनिक पौष्टिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने की कोशिश करनी चाहिए। अर्द्ध-तरल आहार में मिर्च मसालों व फोक आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
पूर्ण तरल आहार की भाँति ही इसमें तरल पदार्थों का प्रयोग करते हैं परन्तु वह थोड़ा गाढा रूप में होते हैं जिससे रोगी को चबाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और यह आसानी से पच जाते हैं। कुछ अर्द्ध-तरल आहार है-सब्जियों का शोरबा, तरल कस्टर्ड, साबूदाने की पतली खीर, पतली दाल, दूध आदि।
अर्द्ध-तरल आहार को निम्नलिखित विधियों द्वारा अधिक पौष्टिक बनाया जा सकता है –
क. अर्द्ध-तरल आहार में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए उसमें बसारहित दूध का पाऊडर, अण्डा या अण्डे की सफेदी मिला सकते हैं।
ख. अर्द्ध-तरल आहार में कैलोरी की मात्रा बढ़ाने के लिए ग्लुकोज, मक्खन, क्रीम आदि मिला सकते हैं।
1. तरल क्स्टर्ड
सामग्री
दूध – 250 मि.ली.
चीनी – स्वादानुसार
अण्डा – 1
विधि
(1) अण्डे को तोड़कर अच्छी तरह फेंट लें।
(2) इसमें चीनी और दूध मिलाएं।
(3) इस मिश्रण को किसी छोटे बर्तन में डाल कर उबलते पानी में रख कर हिलाते रहें।
(4) जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो रोगी के लिए परोसें।
2. साबूदाने की खीर
सामग्री
दूध – 100 मि.ली.
पानी- 200 मि.ली.
साबूदाना – एक चम्मच
चीनी – स्वादानुसार
विधि
(1) साबूदाने को साफ पानी में धोकर, पानी डालकर उबलने के लिए रखें।
(2) जब साबूदाना गल जाए तो उसमें चीनी और दूध डाल कर थोड़ी देर के लिए पकाएं।
(3) कुछ ठण्डा होने पर रोगी के लिए परोसें।
कोमल आहार – जब रोगी की स्थिति में काफी सुधार आ जाता है तो उसे कोमल आहार दिया जाता है। कोमल आहार द्वारा रोगी के पाचन संस्थान पर अधिक भार नहीं पड़ता है और रोगी की पौष्टिक आवश्यकताएं भी पूरी हो जाती हैं। कुछ कोमल आहार है – नरम चावल, खिचड़ी, सूजी की खीर, नरम दलिया, भली प्रकार गली हुई सब्जियां, दाल, छिलके व बीज रहित फल आदि।
निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1. खाद्य पदार्थों को भली प्रकार गला कर नरम कर लेना चाहिए जिससे रोगी के पाचन संस्थान को कष्ट न हो।
2. रेशे वाली सब्जियों व फलों को गला कर, छान कर रेशा अलग करके रोगी को देना चाहिए जैसे हरे पत्तेदार सब्ज़ियों को पकाकर छान कर प्रयोग करना चाहिए।
3. खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए उतना ही पानी प्रयोगी करना चाहिए जितना आवश्यक हो।
4. रोगी को आहार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में थोड़े-थोड़े समय के पश्चात् देना चाहिए जिससे पाचन संस्थान पर अधिक भार न पड़े।
5. आहार को पौष्टिक बनाने के लिए दूध और दूध से बने पदार्थों का प्रयोग अधिक करना चाहिए।
1. खिचड़ी
सामग्री
चावल – 1 बड़ा चम्मच
मूंग धुली दाल – 1 बड़ा चम्मच
पानी – आवश्यकतानुसार
नमक – स्वादानुसार
हल्दी – 1/4 छोटा चम्मच
विधि
1. चावल और दाल को बीन कर साफ पानी से धोलें।
2. किसी बर्तन में आवश्यकतानुसार पानी ले कर उबालें जब पानी उबल जाए तो उसमें चावल दाल डालें।
3. इसमें नमक और हल्दी मिलाकर भली भांति गलने तक पकाएं।
4. रोगी को दही के साथ गरम-गरम परोसें।
नोट – इसे प्रैशर कुकर में भी बनाया जा सकता है। खिचड़ी को अधिक पौष्टिक बनाने के लिए इसमें बारीक कटी सब्जियां जैसे घीया, गाजर, मटर आदि भी डाल सकते हैं।
2. नमकीन पौष्टिक दलिया
सामग्री
दलिया – 1 बड़ा चम्मच
मूंग धुली दाल – 1 बड़ा चम्मच
सब्जियां जैसे गाजर, घीया, मटर आदि – 100 ग्राम
नींबू – 1
नमक, काली मिर्च – स्वादानुसार
पानी – आवश्यकतानुसार
विधि
1. दलिये को गुलाबी होने तक भूनें।
2. दाल को चुन कर साफ़ पानी में धो लें।
3. सब्ज़ियों को धो कर बारीक काट लें।
4. किसी बर्तन में पानी उबाल कर, दलिया दाल-सब्जियां, नमक व हल्दी डाल कर पकाएं।
5. जब सब कुछ अच्छी तरह गल जाए तो चम्मच से घोट दें।
6. कुछ ठण्डा होने पर नींबू का रस और काली मिर्च डाल कर, दही के साथ परोसें।
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