NCERT Solution Class 8th Hindi Vyakaran अपठित बोध Part -1

NCERT Solution Class 8th Hindi Vyakaran अपठित बोध Part -1

TextbookNCERT
Class 8th
Subject Hindi Vyakaran
Chapterहिन्दी व्याकरण (Vyakaran)
Grammar Nameअपठित बोध
CategoryClass 8th  Hindi हिन्दी व्याकरण
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 8th Hindi Vyakaran अपठित बोध Part -1 पठित और अपठित गद्यांश में क्या अंतर है?, अपठित काव्यांश का मतलब क्या होता है?, अपठित का शब्द क्या है?, पथित गद्यांश का अर्थ क्या है?, पद्यांश को हिंदी में क्या बोलते हैं?, अपठित गद्यांश का उद्देश्य क्या है?, पद्यांश का मतलब क्या होता है?, गद्यांश का उदाहरण क्या है?, गद्यांश और पद्यांश में क्या अंतर होता है?, गद्यांश वाक्य क्या है?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solution Class 8th Hindi Vyakaran अपठित बोध Part -1

हिन्दी व्याकरण

अपठित बोध

अपठित गद्यांश – अपठित गद्यांश या पद्यांश का अर्थ है- जो पहले पढ़ा गया न हो। अपठित गद्यांश या पद्यांश पाठ्यपुस्तकों से नहीं लिए जाते। ये ऐसे गद्यांश या पद्यांश होते हैं जिन्हें छात्र पहले कभी नहीं पढ़ा होता।

इस प्रकार के गद्यांश-पद्यांश देकर छात्रों से उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अनुच्छेद को दो-तीन बार पढ़ना चाहिए। इसके बाद अनुच्छेद के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखने चाहिए। भाषा स्पष्ट और शुद्ध होनी चाहिए।

उदाहरण ( उत्तर सहित)

1. संसार में शांति, व्यवस्था और सद्भावना के प्रसार के लिए बुद्ध, ईसा मसीह, मुहम्मद चैतन्य, नानक आदि महापुरुषों ने धर्म के माध्यम से मनुष्य को परम कल्याण के पथ का निर्देश किया, किंतु बाद में यही धर्म मनुष्य के हाथ में एक अस्त्र बन गया। धर्म के नाम पर पृथ्वी पर जितना रक्तपात हुआ उतना और किसी कारण से नहीं। पर धीरे-धीरे मनुष्य अपनी शुभ बुधि से धर्म के कारण होने वाले अनर्थ को समझने लग गया है।

भौगोलिक सीमा और धार्मिक विश्वासजनित भेदभाव अब धरती से मिटते जा रहे हैं। विज्ञान की प्रगति तथा संचार के साधनों में वृद्धि के कारण देशों की दूरियाँ कम हो गई हैं। इसके कारण मानव-मानव में घृणा, ईष्र्या वैमनस्य कटुता में कमी नहीं आई। मानवीय मूल्यों के महत्त्व के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का एकमात्र साधन है शिक्षा का व्यापक प्रसार।

(क) मनुष्य अधर्म के कारण होने वाले अनर्थ को कैसे समझने लगा है

(i) संतों के अनुभव से
(ii) वर्ण भेद से
(iii) घृणा, ईर्ष्या, वैमनस्य, कटुता से
(iv) अपनी शुभ बुधि से

उत्तर- (iv) अपनी शुभ बुधि से

(ख) विज्ञान की प्रगति और संचार के साधनों की वृद्धि का परिणाम क्या हुआ है|

(i) देशों में भिन्नता बढ़ी है।
(ii) देशों में वैमनस्यता बढ़ी है।
(iii) देशों की दूरियाँ कम हुई है।
(iv) देशों में विदेशी व्यापार बढ़ा है।

उत्तर- (iii) देशों की दूरियाँ कम हुई है।

(ग) देश में आज भी कौन-सी समस्या है

(i) नफ़रत की
(ii) वर्ण-भेद की
(iii) सांप्रदायिकता की
(iv) अमीरी-गरीबी की

उत्तर- (ii) वर्ण-भेद की

(घ) किस कारण से देश में मानव के बीच, घृणा, ईष्र्या, वैमनस्यता एवं कटुता में कमी नहीं आई है?

(i) नफ़रत से
(ii) सांप्रदायिकता से
(iii) अमीरी गरीबी के कारण
(iv) वर्ण-भेद के कारण

उत्तर- (iv) वर्ण-भेद के कारण

(ङ) मानवीय मूल्यों के महत्त्व के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का एकमात्र साधन है

(i) शिक्षा का व्यापक प्रसार
(ii) धर्म का व्यापक प्रसार
(ii) प्रेम और सद्भावना का व्यापक प्रसार
(iv) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (i) शिक्षा का व्यापक प्रसार

2. संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने को अभ्यास करना होगा।

हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों को निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

(क) मनुष्य को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं

(i) निर्भीकता, साहस, परिश्रम
(ii) परिश्रम, लगन, आत्मविश्वास
(iii) साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति, परिश्रम
(iv) परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन

उत्तर- (iv) परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन

(ख) प्रत्येक समस्या अपने साथ लेकर आती है–

(i) संघर्ष
(ii) कठिनाइयाँ
(iii) चुनौतियाँ
(iv) सुखद परिणाम

उत्तर- (i) संघर्ष

(ग) समस्त ग्रंथों और अनुभवों का निष्कर्ष है

(i) संघर्ष से डरना या विमुख होना अहितकर है।
(ii) मानव-धर्म के प्रतिकूल है।
(iii) अपने विकास को बाधित करना है।
(iv) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (iv) उपर्युक्त सभी

(घ) ‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है

(i) मानवी + य
(ii) मानव + ईय
(iii) मानव + नीय
(iv) मानव + इय

उत्तर- (ii) मानव + ईय

(ङ) संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़ने के लिए आवश्यक है

(i) दृढ़ संकल्प, निडरता और धैर्य
(ii) दृढ़ संकल्प, उत्साह एवं साहस
(iii) दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास और साहस
(iv) दृढ़ संकल्प, उत्तम चरित्र एवं साहस

उत्तर- (ii) दृढ़ संकल्प, उत्साह एवं साहस

3. कार्य का महत्त्व और उसकी सुंदरता उसके समय पर संपादित किए जाने पर ही है। अत्यंत सुघड़ता से किया हुआ कार्य भी यदि आवश्यकता के पूर्व न पूरा हो सके तो उसका किया जाना निष्फले ही होगा। चिड़ियों द्वारा खेत चुग लिए जाने पर यदि रखवाला उसकी सुरक्षा की व्यवस्था करे तो सर्वत्र उपहास का पात्र ही बनेगा। उसके देर से किए गए उद्यम का कोई मूल्य नहीं होगा।

श्रम का गौरव तभी है जब उसका लाभ किसी को मिल सके। इसी कारण यदि बादलों द्वारा बरसाया गया जल कृषक की फ़सल को फलने-फूलने में मदद नहीं कर सकता तो उसका बरसना व्यर्थ ही है। अवसर का सदुपयोग न करने वाले व्यक्ति को इसी कारण पश्चाताप करना पड़ता है।

(क) जीवन में समय का महत्त्व क्यों है?

(i) समय काम के लिए प्रेरणा देता है।
(ii) समय की परवाह लोग नहीं करते।
(iii) समय पर किया गया काम सफल होता है।
(iv) समय बड़ा ही बलवान है।

उत्तर- (iii) समय पर किया गया काम सफल होता है।

(ख) खेत का रखवाला उपहास का पात्र क्यों बनता है?

(i) खेत में पौधे नहीं उगते।
(ii) समय पर खेत की रखवाली नहीं करता।
(iii) चिड़ियों का इंतजार करता रहता है।
(iv) खेत पर मौजूद नहीं रहता।

उत्तर- (ii) समय पर खेत की रखवाली नहीं करता।

(ग) चिड़ियों द्वारा खेत चुग लिए जाने पर यदि रखवाला उसकी सुरक्षा की व्यवस्था करे तो सर्वत्र उपहास का पात्र ही बनेगा। इस पदबंध का प्रकार होगा

(i) संज्ञा
(ii) सर्वनाम
(iii) क्रिया
(iv) क्रियाविशेषण

उत्तर- (i) संज्ञा

(घ) बादल का बरसना व्यर्थ है, यदि

(i) गरमी शांत न हो।
(ii) फ़सल को लाभ न पहुँचे
(iii) किसान प्रसन्न न हो
(iv) नदी-तालाब न भर जाएँ

उत्तर- (ii) फ़सल को लाभ न पहुँचे

(ङ) गद्यांश का मुख्य भाव क्या है?

(i) बादल का बरसना
(ii) चिड़ियों द्वारा खेत का चुगना
(iii) किसान का पछतावा करना
(iv) समय का सदुपयोग

उत्तर- (iv) समय का सदुपयोग

4. मानव जाति को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्त्व प्रदान करने वाला जो एकमात्र गुरु है, वह है उसकी विचार-शक्ति। मनुष्य के पास बुधि है, विवेक है, तर्कशक्ति है अर्थात उसके पास विचारों की अमूल्य पूँजी है। अपने सविचारों की नींव पर ही आज मानव ने अपनी श्रेष्ठता की स्थापना की है और मानव-सभ्यता का विशाल महल खड़ा किया है। यही कारण है कि विचारशील मनुष्य के पास जब सविचारों का अभाव रहता है तो उसका वह शून्य मानस कुविचारों से ग्रस्त होकर एक प्रकार से शैतान के वशीभूत हो जाता है।

मानवी बुधि जब सद्भावों से प्रेरित होकर कल्याणकारी योजनाओं में प्रवृत्त रहती है तो उसकी सदाशयता का कोई अंत नहीं होता, किंतु जब वहाँ कुविचार अपना घर बना लेते हैं तो उसकी पाशविक प्रवृत्तियाँ उस पर हावी हो उठती हैं। हिंसा और पापाचार का दानवी साम्राज्य इस बात का द्योतक है कि मानव की विचार-शक्ति, जो उसे पशु बनने से रोकती है, उसका साथ देती है।

(क) मानव जाति को महत्त्व देने में किसका योगदान है?

(i) शारीरिक शक्ति का
(ii) परिश्रम और उत्साह का
(iii) विवेक और विचारों का
(iv) मानव सभ्यता का

उत्तर- (iii) विवेक और विचारों का

(ख) विचारों की पूँजी में शामिल नहीं है

(i) उत्साह
(ii) विवेक
(iii) तर्क
(iv) बुधि

उत्तर- (i) उत्साह

(ग) मानव में पाशविक प्रवृत्तियाँ क्यों जागृत होती हैं?

(i) हिंसाबुधि के कारण
(ii) असत्य बोलने के कारण
(iii) कुविचारों के कारण
(iv) स्वार्थ के कारण

उत्तर- (iii) कुविचारों के कारण

(घ) “मनुष्य के पास बुधि है, विवेक है, तर्कशक्ति है’ रचना की दृष्टि से उपर्युक्त वाक्य है

(i) सरल
(ii) संयुक्त
(iii) मिश्र
(iv) जटिल

उत्तर- (i) सरल

(ङ) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है

(i) मनुष्य का गुरु
(ii) विवेक शक्ति
(iii) दानवी शक्ति
(iv) पाशविक प्रवृत्ति

उत्तर- (ii) विवेक शक्ति

5. बातचीत करते समय हमें शब्दों के चयन पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि सम्मानजनक शब्द व्यक्ति को उदात्त एवं महान बनाते हैं। बातचीत को सुगम एवं प्रभावशाली बनाने के लिए सदैव प्रचलित भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए। अत्यंत साहित्यिक एवं क्लिष्ट भाषा के प्रयोग से कहीं ऐसा न हो कि हमारा व्यक्तित्व चोट खा जाए। बातचीत में केवल विचारों का ही आदानप्रदान नहीं होता, बल्कि व्यक्तित्व का भी आदान-प्रदान होता है।

अतः शिक्षक वर्ग को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। शिक्षक वास्तव में एक अच्छा अभिनेता होता है, जो अपने व्यक्तित्व, शैली, बोलचाल और हावभाव से विद्यार्थियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है और उन पर अपनी छाप छोड़ता है।

(क) शिक्षक होता है

(i) राजनेता
(ii) साहित्यकार
(iii) अभिनेता
(iv) कवि

उत्तर- (iii) अभिनेता

(ख) बातचीत में किस प्रकार की भाषा का प्रयोग करना चाहिए?

(i) अप्रचलित
(ii) प्रचलित
(iii) क्लिष्ट
(iv) रहस्यमयी

उत्तर- (iii) क्लिष्ट

(ग) शिक्षक वर्ग को बोलना चाहिए?

(i) सोच-समझकर
(ii) ज्यादा
(iii) बिना सोचे-समझे
(iv) तुरंत

उत्तर- (i) सोच-समझकर

(घ) बातचीत में आदान-प्रदान होता है–

(i) केवल विचारों का
(ii) केवल भाषा का
(ii) केवल व्यक्तित्व का
(iv) विचारों एवं व्यक्तित्व का

उत्तर- (iv) विचारों एवं व्यक्तित्व का

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है

(i) बातचीत की कला
(ii) शब्दों का चयन
(iii) साहित्यिक भाषा
(iv) व्यक्तित्व का प्रभाव

उत्तर- (ii) शब्दों का चयन

NCERT Solution Class 8th Hindi Grammar Vyakaran
वर्ण विचार
शब्द विचार
संज्ञा
लिंग
वचन
कारक
सर्वनाम
विशेषण
क्रिया
काल
संधि
समास
वाक्य
वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ
मुहावरे और लोकोक्तियाँ
शब्द-भंडार
अलंकार
अविकारी शब्द-अव्यय
पद परिचय
भाषा, बोली, लिपि और व्याकरण
अपठित पद्यांश
अपठित बोध
अनुच्छेद-लेखन
निबंध-लेखन
पत्र लेखन

You Can Join Our Social Account

YoutubeClick here
FacebookClick here
InstagramClick here
TwitterClick here
LinkedinClick here
TelegramClick here
WebsiteClick here