NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 8 बाजार में एक कमीज (A Shirt in The Market)
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Civics |
Chapter | 8th |
Chapter Name | बाज़ार में एक कमीज (A Shirt in The Market) |
Category | Class 7th Social Science (Civics) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 8 बाजार में एक कमीज (A Shirt in The Market) Notes in Hindi जिसमे हम साप्ताहिक बाजार में विक्रेता कौन होते हैं?, साप्ताहिक बाजार को ऐसा क्यों कहा जाता है?, बुनकर क्या काम करते हैं?, ग्राहक सभी बाजारों में समान रूप से खरीदारी क्यों नहीं कर पाते?, साप्ताहिक बाजार उदाहरण क्या है?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 8 बाजार में एक कमीज (A Shirt in the Market)
Chapter – 8
बाजार में एक कमीज
Notes
बाजार में कमीज कैसे आता है – बाजार में बिकने के लिए जो कमीज रखी होती है, वह कपास के उत्पादन के बाद एक लंबी यात्रा तय करके सुपरमार्केट में पहुँचती है। कमीज की इस यात्रा में विक्रेता और खरीददारों की एक लंबी चेन होती है।
कुरनूल में कपास उगाने वाली एक किसान – स्वप्ना, जो कुरनूल (आंध्र प्रदेश) की एक छोटी किसान है, अपने छोटे-से खेत में कपास उगाती है। कपास के पौधों पर आए डोडे पक रहे हैं और उनमें से कुछ चटक भी चुके हैं, इसलिए स्वप्ना रूई चुनने में व्यस्त है।
डोडे, जिनमें रूई भरी है, एक साथ चटक कर नहीं खुलते हैं। इसलिए रूई की फ़सल इकट्ठा करने के लिए कई दिन का समय लग जाता है।
कपास किसान का जीवन के बारे में बताइए – अधिकतर किसानों के पास जमीन कम होती है। उन्हें कपास की अच्छी फसल के लिए जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती है। खेत से कपास चुनने का काम बहुत मुश्किल भरा होता है। कपास के सभी डोडे एक साथ नहीं फूटते हैं। इसलिए कपास चुनने में कई दिनों का समय लग जाता है।
कपास की खेती में अत्यधिक संसाधन लगते हैं, जैसे कि खाद और कीटनाशी। इन चीजों को खरीदने के लिए किसानों को अक्सर स्थानीय व्यवसायी से कर्ज लेना पड़ता है। ये व्यवसायी ब्याज की बहुत ऊँची दर माँगते हैं। साथ में वे यह शर्त भी रखते हैं कि किसान अपने कपास को उसी व्यवसायी को बेचेगा और किसी अन्य व्यापारी के पास नहीं जाएगा। ऐसे में किसान को बाज़ार से बहुत कम कीमत पर कपास बेचना पड़ता है।
व्यापारी अपने इलाके में काफी प्रभावशाली होते हैं। किसानों को कई बार संकट के समय (शादी, पढ़ाई, बिमारी, आदि) इन्हीं व्यापारियों से कर्ज लेना पड़ता है। जिस साल फसल खराब होती है उस साल गुजारा करने के लिए भी किसानों को इन्हीं व्यापारियों से उधार लेना पड़ता है।
कृषि उत्पादन बाजार समिति (APMC) किसे कहते हैं – राज्य सरकारों ने कृषि उपज विपणन समिति (एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) का गठन किया है। एपीएमसी (APMC) दो सिद्धांतों पर काम करती है-
• यह सुनिश्चित करना कि बिचौलिये बहुत कम कीमत पर किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बाध्य न करें। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसानों का शोषण न हो।
• हर कृषि उत्पाद सबसे पहले मंडी में पहुँचे और फिर उसे निलामी द्वारा बेचा जाए।
एपीएमसी एक्ट के अनुसार, हर राज्य को कई मंडियों में बाँटा जाता है, जो राज्य के अलग-अलग हिस्सों में रहती हैं। इन मंडियों में किसानों को निलामी द्वारा अपने उत्पाद बेचने होते हैं। मंडी में काम करने के लिए किसी भी व्यापारी को लाइसेंस बनवाने की जरूरत पड़ती है। थौक विक्रेता या खुदरा व्यापारी या फूड प्रॉसेसिंग कम्पनी किसानों से सीधे सीधे माल नहीं खरीद सकती है। इन सबको मंडी से ही माल खरीदना होगा।
इरोड का कपड़ा बाजार के बारे में बताइए – तामिल नाडु के इरोड में सप्ताह में दो दिन कपड़े का बाजार लगता है। यह दुनिया के सबसे विशाल बाजारों में से एक है। यहाँ पर कपड़ों की बड़ी विविधता देखने को मिलती है। इस बाजार में काम करने वाले लोग किसी न किसी रूप में इनमें से कोई एक हो सकते हैं।
दादन व्यवस्था-बुनकरों द्वारा घर पर कपड़ा तैयार करने के बारें में बताइए – कपड़ा उपलब्ध कराने के जो ऑर्डर मिलते हैं, उनके आधार पर व्यापारी बुनकरों के बीच काम बाँट देता है। बुनकर व्यापारी से सूत लेते हैं और तैयार कपड़ा देते हैं।
इस व्यवस्था से बुनकरों को स्पष्टतया दो लाभ प्राप्त होते हैं। बुनकरों को सूत खरीदने के लिए अपना पैसा नहीं लगाना पड़ता है। साथ ही तैयार कपड़ों को बेचने की व्यवस्था भी हो जाती है। बुनकरों को प्रारंभ में ही पता चल जाता है कि उन्हें कौन – सा कपड़ा बनाना है और कितना बनाना है।
बुनकर किसे कहते हैं – आस पास के गाँवों के बुनकरों द्वारा बनाया कपड़ा इस बाजार में बिक्री के लिए आता है। व्यापरियों की जरूरत के अनुसार ये बुनकर कपड़े बुनते हैं।
बुनकर सहकारी संस्थाएँ के बारें में लिखिए – एक सहकारी संस्था में वे लोग, जिनके हित समान हैं, इकट्ठे होकर परस्पर लाभ के लिए काम करते हैं। बुनकरों की सहकारी संस्था में बुनकर एक समूह बनाकर कुछ गतिविधियाँ सामूहिक रूप से करते हैं। वे सूत व्यापारी से सूत प्राप्त करते और उसे बुनकरों में बाँट देते हैं। सहकारी संस्था विक्रय का कार्य भी, करती है।
कपड़ा व्यापारी क्या हैं – इस बाजार में इन व्यापारियों के दफ्तर होते हैं। ये लोग बुनकरों से खरीदते हैं और फिर पूरे देश के कपड़ा निर्माताओं और निर्यातकों को बेचते हैं। ये व्यापारी धागा खरीदकर बुनकरों को देते हैं और उन्हें यह भी निर्देश देते हैं कि किस तरह का कपड़ा बुनना है।
दिल्ली के निकट वस्त्र निर्यात करने का कारखाना – इरोड का व्यापारी, बुनकरों द्वारा निर्मित कपड़ा दिल्ली के पास बने-बनाए वस्त्र निर्यात करने वाले एक कारखाने को भेजता है। वस्त्र निर्यात करने वाली फैक्टरी इसका उपयोग कमीज़ें बनाने के लिए करती है। ये कमीज़ें विदेशी खरीदारों को निर्यात की जाती हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में वह कमीज़ – संयुक्त राज्य अमेरिका के कपड़ों की एक बड़ी दुकान पर बहुत-सी कमीज़ें प्रदर्शित की गई हैं। इनकी कीमत 26 डालर रखी गई है, अर्थात्ह र कमीज़ 26 डालर यानी ₹1800 रुपये में बेची जाएगी।
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