NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 5 औरतों ने बदली दुनिया (Women Change The World) Notes in Hindi

NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics)  Chapter – 5 औरतों ने बदली दुनिया (Women Change The World)

TextbookNCERT
Class 7th
Subject Civics
Chapter 5th
Chapter Nameऔरतों ने बदली दुनिया (Women Change The World)
CategoryClass 7th Social Science (Civics) 
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 5 औरतों ने बदली दुनिया (Women Change the World) Notes in Hindi महिलाओं को पुरुषों के समान काम के अवसर नहीं मिलते हैं। परिवार और समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए महिलाओं को कई बलिदान देने पड़ते हैं। कई नौकरियों के लिए तो महिलाओं को बिलकुल अयोग्य माना जाता है, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे

NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 5 औरतों ने बदली दुनिया (Women Change The World)

Chapter – 5

औरतों ने बदली दुनिया 

Notes

अवसरों की कमी और अपेक्षाओं की विवशता – यदि आपको किसी नर्स, वैज्ञानिक और एक टीचर की तस्वीर बनाने को कहा जाए तो अधिकतर मामलों में नर्स और टीचर की तस्वीर किसी महिला की होगी, जबकि वैज्ञानिक कोई पुरुष होगा। ऐसा इसलिए होता है कि आमतौर पर हम यही देखते हैं। हर काम के लिए व्यक्ति में कुछ जरूरी खूबियों की तलाश होती है। ऐसा माना जाता है कि संवेदनशील और सहनशील होने के कारण नर्स के काम के लिए महिला ही उपयुक्त होती है।

एक वैज्ञानिक बनने के लिए बहुत मेधावी व्यक्ति की जरूरत होती है और लोग मानते हैं कि पुरुष ही मेधावी हो सकते हैं। परिवार और समाज में लड़कियाँ और महिलाएँ जो भूमिका निभाती हैं, शायद उनके कारण भी इस तरह की धारणाएँ बन जाती हैं। अधिकतर परिवारों में स्कूल के तुरंत बाद लड़कियों का ब्याह कर दिया जाता है।

जिस समाज में हम रहते हैं उसमें बच्चों पर उनके इर्द गिर्द रहने वाले लोगों से तरह तरह के दबाव पड़ते हैं। ऐसे लोग हमारे परिवार के वयस्क हो सकते हैं या फिर हमउम्र बच्चे। उदाहरण के लिए, यदि कोई लड़का सबके सामने रोने लगता है तो इसे अच्छा नहीं माना जाता है। लड़कों पर शुरु से ही इस बात का दबाव रहता है कि वे जल्द से जल्द कमाना शुरु कर दें।

इस चक्कर में कई लड़के अपनी सही रुचि और प्रतिभा को नहीं निखार पाते हैं। हो सकता है कि कोई चित्रकार बनना चाहता हो या कोई संगीतकार। लेकिन अधिकतर लड़के इंजीनियर या फिर प्राशासनिक अधिकारी बन कर रह जाते हैं।

बदलाव की कोशिश से क्या अभिप्राय हैं – स्कूल जाना हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब आपके आस पास रहने वाले अधिकतर बच्चे स्कूल जा रहे हों तो यह एक तरह से नैसर्गिक लगने लगता है। लेकिन पुराने जमाने में बहुत कम ही लोग लिखना पढ़ना जानते थे। महिलाओं को शिक्षित करने के बारे में बड़ी भ्रांतियाँ फैली हुई थीं। आज से कोई सौ वर्ष पहले यह माना जाता था कि शिक्षित महिला अपने पति के लिए दुर्भाग्य लेकर आती है और वह जल्दी ही विधवा हो जाती है।

बच्चे अक्सर वही काम सीखते थे जिनमें उनका परिवार माहिर था। उसमें भी लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव किया जाता था। जिन परिवारों में लड़कों को पढ़ना लिखना सिखाया जाता था, लड़कियों को अक्षर ज्ञान से कोसों दूर रखा जाता था।

जिन परिवारों में बरतन बनाने, बुनाई या हस्तकला सिखाई जाती थी वहाँ भी महिलाओं की भूमिका केवल परदे के पीछे वाली होती थी। किसी कुम्हार के घर में औरतों की जिम्मेदारी मिट्टी लाने और उसे गूंधने तक ही सीमित होती थी। चाक चलाने का काम पुरुष ही करते थे। इसलिए महिलाओं को कुम्हार माना ही नहीं जाता था।

उन्नीसवीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में कई नये विचार आने लगे। स्कूलों की संख्या बढ़ने लगी। कई लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने लगे। लेकिन अधिकतर लोग लड़कियों को स्कूल भेजने के खिलाफ थे। कई पुरुषों और महिलाओं के अथक प्रयास के बाद लड़कियों के लिए स्कूल खुलने लगे। कई महिलाओं को पढ़ना लिखना सीखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। टूटती धारणाएँ

वर्तमान समय में शिक्षा और विद्यालय की स्तिथि – आज के युग में लड़के और लड़कियाँ विशाल संख्या में विद्यालय जा रहे हैं, लेकिन फिर भी हम देखते हैं कि लड़कों और लड़कियों की शिक्षा में अंतर है। भारत में हर दस वर्ष में जनगणना होती है जिसमें पूरे देश की जनसंख्या की गणना की जाती है।

इसमें भारत में रहने वालों के जीवन के बारे में भी विस्तृत जानकारी एकत्रित की जाती है, जैसे – उनकी आयु, पढ़ाई, उनके द्वारा किए जाने वाले काम आदि। इस जानकारी का इस्तेमाल हम अनेक बातों के आकलन के लिए करते हैं,

जैसे- शिक्षित लोगों की संख्या तथा स्त्री और पुरुषों का अनुपात 1961 की जनगणना के अनुसार सब लड़कों और पुरुषों

महिला आंदोलन क्या था – अब महिलाओं और लड़कियों को पढ़ने का और स्कूल जाने का अधिकार है। अन्य क्षेत्र भी हैं, जैसे कानूनी सुधार, हिंसा और स्वास्थ्य, जहाँ लड़कियों और महिलाओं की स्थिति बेहतर हुई है। ये परिवर्तन अपने-आप नहीं आए हैं।

औरतों ने व्यक्तिगत स्तर पर और आपस में मिलकर इन परिवर्तनों के लिए संघर्ष किए हैं। इन संघर्षो को महिला आंदोलन कहा जाता है। देश के विभिन्न भागों से कई औरतें और कई महिला संगठन इस आंदोलन के हिस्से हैं। कई पुरुष भी महिला आंदोलन का समर्थन करते हैं। इस आंदोलन में जुटे लोगों

रमाबाई (1858-1922) कौन थी – रमाबाई ने महिला शिक्षा के लिए बहुत काम किया। उन्हें पंडिता की उपाधि से नवाजा गया, क्योंकि वह संस्कृत भाषा पढ़ना और लिखना जानती थीं। रमाबाई कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन उन्होंने अपने माता पिता से पढ़ना लिखना सीखा था।

उन्होंने पुणे के पास 1898 में एक मिशन (जो आज भी काम करता है) शुरु किया जहाँ गरीब और विधवा महिलाओं को साक्षर और स्वतंत्र बनाने के लिए बढ़ावा दिया जाता था।

राससुंदरी देवी (1800-1890) कौन थी – राससुंदरी देवी ने बांग्ला में अपनी आत्मकथा, आबोनमार जी लिखी थी जो भारतीय महिला द्वारा लिखी पहली आत्मकथा है। वह अपने पति और बेटे की किताबों से पन्ने चुरा लिया करती थी। फिर उन पन्नों की सहायता से उन्होंने पढ़ना लिखना सीखा। अपने लेखन से उन्होंने अपने समय की महिलाओं के जीवन के बारे में लोगों को रूबरू कराया।

रुकैया सखावत हुसैन (1898–1909) कौन थी – इन्हें उर्दू लिखना पढ़ना तो आता था लेकिन बांग्ला और अंग्रेजी सीखने की मनाही थी। अपने भाइयों और बहनों की मदद से इन्होंने बांग्ला और अंग्रेजी सीखी।

रुकैया सखावत हुसैन ने 1905 में सुल्ताना का स्वप्न नाम से एक कमाल की कहानी लिखी। 1910 में उन्होंने कोलकाता में लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला जहाँ आज भी पढ़ाई जारी है।

जागरूकता बढ़ाने के बारे में लिखिए – औरतों के अधिकारों के संबंधों में समाज में जागरूकता बढ़ाना भी महिला आंदोलन का एक प्रमुख कार्य है। गीतों, नुक्कड़ नाटकों व जनसभाओं के माध्यम से वह अपने संदेश लोगों के बीच पहुँचाता है।

विरोध करना किसे कहते है – जब महिलाओं के हितों का उल्लंघन होता है, जैसे किसी कानून अथवा नीति द्वारा, तो महिला आंदोलन ऐसे उल्लंघनों के खिलाफ़ आवाज उठाता है। लोगों का ध्यान खींचने के लिए रैलियाँ, प्रदर्शन आदि बहुत असरकारक तरीके हैं।

अभियान क्या है – भेदभाव और हिंसा के विरोध में अभियान चलाना महिला आंदोलन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। अभियानों के फलस्वरूप नए कानून भी बने हैं।

रूढ़िवादी धारणा क्या है – जब हम विश्वास करने लगते हैं कि किसी विशेष धार्मिक, आर्थिक, क्षेत्रीय समूह के लोंगों की कुछ निश्चित विशेषताएँ होती ही हैं या वे केवल खास प्रकार का कार्य ही कर सकते हैं, तब रूढ़िवादी धारणाओं का जन्म होता है।

जैसे इस पाठ में हमने देखा कि लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग विषय लेने के लिए कहा गया। कारण उनकी रुचि न होकर उनका लड़का लड़की होना था। रूढ़िवादी धारणाएँ हमें लोगो को उनको वैयक्तिक विशिष्टताओं  के साथ देखने से रोकती हैं।

भेदभाव क्या है – भेदभाव तब होता है, जब हम लोगों के साथ समानता व आदर का व्यवहार नहीं करते है। यह तब होता है, जब व्यक्ति या संस्थाएँ पूर्वाग्रहों से ग्रसित होती हैं। भेदभाव तब होता है जब हम किसी के साथ अलग व्यवहार करते हैं या भेद करते हैं।

उल्लंघन किसे कहते है – जब कोई जबरदस्ती कानून तोड़ता है या खुले रूप से किसी का अपमान करता है, तब हम कह सकते हैं कि उसने ‘उल्लंघन’ किया है।

बन्धुत्व व्यक्त करना क्या था – न्याय के अन्य मुद्दों व औरतों के साथ बन्धुत्व व्यक्त करना भी महिला आंदोलन का ही हिस्सा है।

यौन प्रताड़ना से क्या अभिप्राय – इसका आशय औरत को इच्छा के विरुद्ध उसके साथ यौन से जुड़ी शारिरिक या मौखिक हरकतें करने से है।

NCERT Solution Class 7th राजनीतिक शास्त्र All Chapter’s Notes in Hindi
अध्याय – 1 समानता
अध्याय – 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका
अध्याय – 3 राज्य शासन कैसे काम करता है
अध्याय – 4 लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना
अध्याय – 5 औरतों ने बदली दुनिया
अध्याय – 6 संचार माध्यमों को समझना
अध्याय – 7 हमारे आस-पास के बाजार
अध्याय – 8 बाजार में एक कमीज
NCERT Solution Class 7th राजनीतिक शास्त्र All Chapter’s Question & Answer in Hindi
अध्याय – 1 समानता
अध्याय – 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका
अध्याय – 3 राज्य शासन कैसे काम करता है
अध्याय – 4 लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना
अध्याय – 5 औरतों ने बदली दुनिया
अध्याय – 6 संचार माध्यमों को समझना
अध्याय – 7 हमारे आस-पास के बाजार
अध्याय – 8 बाजार में एक कमीज
NCERT Solution Class 7th राजनीतिक शास्त्र All Chapter’s MCQ in Hindi
अध्याय – 1 समानता
अध्याय – 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका
अध्याय – 3 राज्य शासन कैसे काम करता है
अध्याय – 4 लड़के और लड़कियों के रूप में बड़ा होना
अध्याय – 5 औरतों ने बदली दुनिया
अध्याय – 6 संचार माध्यमों को समझना
अध्याय – 7 हमारे आस-पास के बाजार
अध्याय – 8 बाजार में एक कमीज

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