NCERT Solution Class – 7th Social Science (Civics) Chapter – 1 समानता (On Equality)
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Civics |
Chapter | 1st |
Chapter Name | समानता (On Equality) |
Category | Class 7th Social Science (Civics) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class – 7th Social Science (Civics) Chapter – 1 समानता (On Equality) Notes in Hindi इस अध्याय में हम समानता क्या होता है?, एक व्यक्ति एक वोट, असमानता का आधार, काम पर जाने की जरूरत, जातिगत असमानता, दलित, धार्मिक असमानता, लैंगिक असमानता, भारतीय लोकतंत्र में समानता, अनुच्छेद 15: संविधान में प्रावधान, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, हम समानता को बढ़ावा कैसे दे सकते हैं? आदि के बारे में हम पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class – 7th Social Science (Civics) Chapter – 1 समानता (On Equality)
Chapter – 1
समानता
Notes
समानता क्या होता है – इस शब्द का मतलब है कि हर व्यक्ति एक समान है चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक हैसियत का हो।
एक व्यक्ति एक वोट से क्या अभिप्राय हैं – भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ हर वयस्क को एक वोट देने का अधिकार है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक हैसियत का हो। इसका मतलब यह हुआ कि चाहे वह भारत के राष्ट्रपति हों या फिर कोई दिहाड़ी मजदूर, हर व्यक्ति के वोट की कीमत एक ही है। समान वोट के इस अधिकार को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं।
भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु वाला व्यक्ति वयस्क माना जाता है। लेकिन वोट देने के इस अधिकार के बावजूद हमारे देश में कई तरह की असमानताएँ देखने को मिलती हैं। कई बार ऐसी असमानताओं के कारण कुछ लोग अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
असमानता का आधार लिखिए – हमारे देश में जिन कारणों से असमानता व्याप्त है उनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं।
• गरीबी
• जाति व्यवस्था
• धर्म
• लिंग नागरिक
काम पर जाने की जरूरत क्यों है – कई लोग गरीबी और अकुशलता के कारण असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। असंगठित क्षेत्र में अक्सर मालिक की मर्जी के मुताबिक किसी को नौकरी पर रख लिया जाता है तो किसी को नौकरी से निकाल दिया जाता है। कई बार तो ऐसा होता है कि कोई मजदूर अगर एक दिन भी काम पर नहीं जाता है तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है।
इसलिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मजदूरों को रोज काम पर जाना पड़ता है और वे वोट देने के लिए छुट्टी नहीं ले पाते हैं। यदि उनके घर में कोई बीमार पड़ जाए तो उसकी देखभाल के लिए भी छुट्टी नहीं मिल पाती है।
जातिगत असमानता किसे कहते है – जाति व्यवस्था एक ऐसा कड़वा सच है जिससे शायद ही कोई भारतीय अनजान होगा। यदि आप गाँव में रहते हैं तो बहुत छोटी उम्र में ही आपको जाति व्यवस्था के बारे में पता चल जाता है।
शहरों में रहने वाले लोगों को शायद लगता हो कि जात पात कुछ भी नहीं है। लेकिन जब आप किसी अखबार में वैवाहिक विज्ञापन के पन्ने पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि पढ़े लिखे वर्ग के दिमाग में भी जाति व्यवस्था ने अपनी जड़ें जमाई हुई है।
ओम प्रकाश वाल्मीकि एक दलित लेखक हैं। अपनी आत्मकथा जूठन में उन्होंने अपनी जाति के कारण अपने ऊपर हुए अत्याचारों के बारे में लिखा है। बचपन में उन्होंने कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक यातनाएँ झेली थीं, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं।
• स्कूल में बिना बात के पिटाई।
• उन्हें फर्श पर बैठना पड़ता था जबकि उनके सहपाठी चटाई पर बैठते थे।
• एक बार उनसे पूरे स्कूल के मैदान पर झाड़ू लगवाई गई थी।
दलित किसे कहते है – अति पिछड़ी जाति के लोगों को दलित कहा जाता है। दलित शब्द का अर्थ है टूटा या कुचला हुआ। अति पिछड़ी जाति के लोगों को भयानक यातनाएँ झेलनी पड़ी थीं और आज भी इसके कई उदाहरण सामने आते हैं। दलितों से ऐसे काम करवाए जाते थे जो सबसे घृणित माने जाते थे, जैसे मैला साफ करना, मरे हुए पशुओं को गाँव से बाहर फेंकना, आदि।
दलितों को गाँव से बाहर रहने की इजाजत थी। वे कुँए या नदी के आम घाटों से पानी नहीं ले सकते थे। यदि किसी सवर्ण पर दलित की छाया भी पड़ जाती थी तो इसे अशुभ माना जाता था। इसलिए इन लोगों ने अपने लिए इस शब्द को चुना था।
धार्मिक असमानता किसे कहते है – भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं, जिनमें हिंदुओं की जनसंख्या सबसे अधिक है। अन्य धर्मों के लोगों का प्रतिशत बहुत कम है, यानि वे अल्पसंख्यक हैं।
अक्सर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ असमान व्यवहार होता है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को किराये पर मकान लेने, स्कूल में दाखिला लेने, नौकरी मिलने, आदि में बड़ी परेशानी होती है।
लैंगिक असमानता किसे कहते हैं – हमारा समाज एक पितृप्रधान समाज है, जहाँ पुरुषों को महिलाओं से बेहतर माना जाता है। इसलिए महिलाओं के साथ असमान व्यवहार होता है। आज भी कई परिवारों में बेटी का जन्म अशुभ माना जाता है। कई लोग कन्या भ्रूण हत्या की साजिश करके बेटी को गर्भ में ही मार देते हैं।
कई परिवारों में लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता है और कम उम्र मे ही उनकी शादी कर दी जाती है। कई परिवारों में महिलाओं को घर की चारदीवारी में कैद करके रखा जाता है। किसी भी तरह की असमानता से व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है। हर व्यक्ति को एक जैसा सम्मान मिलना चाहिए।
भारतीय लोकतंत्र में समानता बताइए – भारत का संविधान हर नागरिक को एक समान दर्जा देता है। इसका मतलब है कि भारत के कानून की नजर में हर व्यक्ति एक समान है चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, सामाजिक पृष्ठभूमि या शैक्षिक पृष्ठभूमि से हो।
• लोगों की मानसिकता बदलने में सैंकड़ो वर्ष लग जाते हैं। इसलिए केवल कानून बनाने से बहुत कुछ नहीं बदलता है। फिर भी कुछ कानूनों के डर से लोग एक दूसरे को समान रूप से देखने और सम्मान देने की कोशिश जरूर करते हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 के अंश – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध-
(1) राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
(2) कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर –
(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश
या
(ख) पूर्णतः या भागतः राज्य-निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुँओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग, के संबंध में किसी भी निर्योग्यता, दायित्त्व, निर्बंधन या शर्त के अधीन नहीं होगा।
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से क्या अभिप्राय है – यह लोकतंत्रीय समाज का अत्यंत महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसका अर्थ है कि सभी वयस्क (18 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के) नागरिकों को वोट देने का अधिकार है, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
गरिमा से क्या तात्पर्य है – इसका तात्पर्य अपने-आपको और दूसरे व्यक्तियों को सम्मान योग्य समझने से है।
संविधान किसे कहते है – यह वह दस्तावेज़ है, जिसमें देश की जनता व सरकार द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों और अधिनियमों को निरूपित किया गया है।
नागरिक अधिकार आंदोलन क्या हैं – 1 दिसंबर 1955 को दिन भर काम करके थक जाने के बाद बस में उन्होंने अपनी सीट एक गोरे व्यक्ति को देने से मना कर दिया। उस दिन उनके इंकार से अफ्रीकी-अमेरिकनों के साथ असमानता को लेकर एक विशाल आंदोलन प्रारंभ हो गया, जो नागरिक अधिकार आंदोलन (सिविल राइट्स मूवमेंट) कहलाया।
लोकतंत्र की चुनौती लिखिए – किसी भी देश को पूरी तरह से लोकतंत्रीय नहीं कहा जा सकता। हमेशा से ही ऐसे समुदाय और व्यक्ति होते हैं, जो लोकतंत्र को नए अर्थ देते हैं और अधिक से अधिक समानता लाने के लिए नए-नए सवाल उठाते हैं। इसके केंद्र में वह संघर्ष है, जो सब व्यक्तियों को समानता और सम्मान दिलाने का पक्षधर है।
इस पुस्तक में आप पढ़ेंगे कि किस तरह समानता का प्रश्न भारतीय लोकतंत्र में हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। इन पाठों को पढ़ते हुए विचार कीजिए कि क्या सब व्यक्तियों की समानता और उनके आत्मसम्मान को ऊँचा रखने की भावना को लोग स्वीकार कर रहे हैं या नहीं।
प्रश्न 1. भारत में असमानता का एक सामान्य रूप कौन-सा है?
भारत में असमानता का एक सामान्य रूप जाति व्यवस्था है।
प्रश्न 2. ‘जूठन’ क्या है?
‘जूठन’ दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा है।
प्रश्न 3. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्या है?
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अर्थ है कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक हो उसे वोट देने का अधिकार है चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या समुदाय का हो।
प्रश्न 4. मध्याहन भोजन कार्यक्रम क्या है ? इसके तीन लाभों का वर्णन कीजिए?
यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत सभी सरकारी प्राथमिक स्कूल के बच्चो को दोपहर का भोजन स्कूल द्वारा मुफ्त दिया जाता है।
प्रश्न 5. सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार किस विचार पर आधारित है?
सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार समानता के सिद्धांत पर आधारित है।
प्रश्न 6. सभी लोकतांत्रिक देशो के लिए कौन –सा तत्व अप्रिहार्य है?
सभी लोकतांत्रिक देशो के लिए सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार एक अप्रिहार्य तत्व है।
प्रश्न 7. नागरिक अधिकार आन्दोलन क्या है?
एक आन्दोलन, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में 1950 के दशक के अंत में प्रारंभ हुआ और जिसमें अफ़्रीकी-अमेरिकन लोगों ने नस्लगत भेदभाव को समाप्त करने और समान अधिकारों की माँग की
प्रश्न 8. संविधान क्या है?
संविधान वह दस्तावेज है, जिसमें देश की जनता व सरकार द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों और अधिनियमों को निरुपित किया जाता है।
प्रश्न 9. गरिमा शब्द का अर्थ बताइए?
इसका तात्पर्य अपने-आपको और दुसरे व्यक्तियों को सम्मान योग्य समझने से है।
प्रश्न 10. संविधान क्या है?
यह वह दस्तावेज़ है, जिसमें देश की जनता व सरकार द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों और अधिनियमों को निरूपित किया गया है।
प्रश्न 11. गरिमा के बारे में बताए?
इसका तात्पर्य अपने-आपको और दूसरे व्यक्तियों को सम्मान योग्य समझने से है।
प्रश्न 12. नागरिक अधिकार आंदोलन क्या है?
एक आंदोलन, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में 1950 के दशक के अंत में प्रारंभ हुआ और जिसमें अफ्रीकी-अमेरिकन लोगों ने नस्लगत भेदभाव को समाप्त करने और समान अधिकारों की माँग की।
प्रश्न 13. दलित शब्द का अर्थ क्या है?
दलित शब्द का अर्थ है टूटा या कुचला हुआ होता है।
प्रश्न 14. समानता क्या होता है?
इस शब्द का मतलब है कि हर व्यक्ति एक समान है चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक हैसियत का हो।
प्रश्न 15. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
यह लोकतंत्रीय समाज का अत्यंत महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसका अर्थ है कि सभी वयस्क (18 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के) नागरिकों को वोट देने का अधिकार है, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
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