NCERT Solution Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 5 गृह परिचर्या
Textbook | NCERT Solution |
Class | 7th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 5th |
Chapter Name | गृह परिचर्या |
Category | Class 7th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 7th गृह विज्ञान (Home science) Chapter – 5 गृह परिचर्या Notes गृह परिचर्या, गृह परिचर्या के गुण, रोगी का कमरा, रोगी के लिए आवश्यक सामान, रोगी का विस्तार, थर्मामीटर, सेकं, ठंडी सेकं, गरम सेकं, विसंक्रामक (रोगाणुनाशक औषधियां) वगृह परिचारक को रोगी के औषधि तथा भोजन के साथ साथ की सफाई का भी ध्यान देना चाहिए ?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 5 गृह परिचर्या
Chapter – 5
गृह परिचर्या
Notes
गृह परिचर्या – घर में कहीं कोई ना कोई बीमार हो ही जाता है इसलिए प्रत्येक लड़के या लड़की के लिए गृह परिचय का ज्ञान होना आवश्यक है ऐसे समय में जो रोगी की देखभाल डॉक्टर के निर्देशानुसार करता है वह ग्रह परिचय कहलाता है।
गृह परिचर्या के गुण
(1) परिचारक को धैर्य और आत्मविश्वास से काम करना चाहिए क्योंकि रोगी का स्वभाव बीमारी से चिड़चिड़ा हो जाता है।
(2) उसे दयालु वह हंसमुख होना चाहिए।
(3) उसे डॉक्टर के बताए गए नियमों का पालन करना चाहिए।
(4) उसे तन मन तथा इमानदारी से रोगी की सेवा करनी चाहिए।
रोगी का कमरा – घर में किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उसे पूर्ण आराम देने के लिए उसे अल्लाह के कमरे में रखना अति आवश्यक है। यदि रोग लंबा वह छूत वाला है। कमरे का दो कमरे का अलग होना और भी अधिक आवश्यक हो जाता है ।इसी कमरे को रोगी का कमरा कहते हैं।
रोगी के लिए आवश्यक सामान
1. रोगी के वस्त्र
2. थर्मामीटर, तापमान चार्ट
3. औषधियां, औषधि नापने का गिलास
4. घड़ी, डायरी व पेंसिल
5. गरम पानी की थैली, बर्फ की थैली
6. तोलिया साबुन, साबुनदानी, तेल, कघी ,शीशा, रुई कैची
7. कीटाणु नाशक औषधियां कार्बोलिक साबुन इत्यादि
8. तरल पदार्थ खिलाने का प्याला चम्मच खाने के लेते गिलास
रोगी का विस्तार – रोगी का कमरा सुनने के पश्चात उसमें आवश्यक सामान की व्यवस्था करके रोगी का विस्तर तैयार करना चाहिए बिस्तर बिछाने से पहले यह तय कर लेना चाहिए। कि अलम को कमरे के किस और रखना है पलंग तीन प्रकार के होते हैं।
(1) लोहे के पलंग
(2) बेड का पलंग
(3) निवार का पलंगलोहे का पलंग अधिकतर अस्पतालों में काम आता है। बाढ़ तथा मेवाड़ के पलंग का घरों में प्रयोग किया जाता है पलंग किसी भी प्रकार का हो वह आराम देने वाला तथा कसा हुआ होना चाहिए।
थर्मामीटर – शरीर के तापमान को मापने वाले यंत्र को थर्मामीटर या तापमापी कहते हैं। यह एक शीशे की नली होती है। एक बार होता है जिसमें पारा भरा रहता है। शीशे की नली पर 85º F से 110º शंकर निशान लगे होते हैं। प्रत्येक डिग्री को एक लंबी काली रेखा द्वारा दिखाया जाता है।
1 डिग्री केअन्तराल मैं चार छोटी-छोटी रेखाएं होती है। हर छोटी रेखा 0.2º F के बराबर होती है। थर्मामीटर में 98.4ºF तीर द्वारा दर्शाया जाता है। जो कि स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का ताप होता है आजकल बाजार का तापमान में लिखा हुआ आ जाता है।
सेंक – रोगी की नशा कभी सुधारी जाती है और कभी बिगारी जाती है कई बार होगे का तापमान बढ़ जाता है और कभी कभी सर्दी लगने लगती है। या दर्द होने लगता हैं। इन विभिन्न परिस्थितियों में या ठंडी से या गर्म से का प्रयोग किया जाता है।
ठंडी सेंक – इसका प्रयोग रक्त के बहाव को रोकने के लिए, सूजन, दर्द तथा तेज बुखार को कम करने के लिए किया जाता है।
गरम सेंक – इसका प्रयोग शरीर के किसी हिस्से में दर्द रक्त के बहाव को तेज करने को दूर करने तथा शरीर में गर्मी पहुंचाने के लिए किया जाता है।
विसंक्रामक (रोगाणुनाशक औषधियां) – कच्चे तथा भुने हुए चने का प्रयोग थूक, कफ, मल आदि को विसंक्रामक करने के लिए किया जाता है चूने का प्रयोग शौचालय, कूड़ाघर, नालियों आदि में भी किया जाता है।
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