NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 9 नए साम्राज्य और राज्य (New Empires and Kingdoms) Notes in Hindi

NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 9 नए साम्राज्य और राज्य (New Empires and kingdoms)

TextbookNCERT
Class6th
Subjectइतिहास Social Science
Chapter9th
Chapter Nameनए साम्राज्य और राज्य (New Empires and Kingdoms)
CategoryClass 6th Social Science (इतिहास)
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 9नए साम्राज्य और राज्य (New Empires and Kingdoms) Notes in Hindi गुप्त साम्राज्य, समुद्रगुप्त, प्रशस्ति, गुप्त साम्राज्य में प्रशासन, प्रशस्ति, अशोक स्तंभ से मिली हुई प्रशस्ति से समुद्रगुप्त, साम्राज्य और राज्यों में क्या अंतर है, मिस्र के नए साम्राज्य में क्या हुआ था, मिस्र के नए साम्राज्य के बाद क्या आया, दक्षिण पथ में कितने शासक थे, साम्राज्य का क्या मतलब होता है, क्या साम्राज्य एक राज्य से बड़ा होता है, कितने साम्राज्य गिरे हैं, साम्राज्य क्यों बनते हैं, मुगलों से पहले भारत पर किसने शासन किया था, गुप्त वंश के अंतिम शासक कौन था, गुप्त वंश के संस्थापक कौन हैं, सबसे पहला साम्राज्य कौन था, सबसे पुराना साम्राज्य कौन सा है, साम्राज्य कहां से आते हैं, सबसे बड़ा साम्राज्य कौन है, विश्व का सबसे बड़ा साम्राज्य कौन है, सबसे बड़ा साम्राज्य कौन सा था, आदि के बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 9 नए साम्राज्य और राज्य (New Empires and kingdoms)

Chapter – 9

नए साम्राज्य और राज्य

Notes

प्रशस्तियाँ क्या बताती है?

प्रशस्तियाँ से अभिप्राय समुद्रगुप्त के बारे में है जिसे हमें इलाहाबाद में अशोक स्तंभ पर खुदे एक लंबे अभिलेख से पता चलता है। इसकी रचना समुद्रगुप्त के दरबार में कवि व मंत्री रहे हरिषेण द्वारा एक काव्य के रूप में की गई थी। यह एक विशेष किस्म का अभिलेख है, जिसे प्रशस्ति कहते हैं। यह एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ ‘प्रशंसा’ होता है। प्रशस्तियाँ लिखने का प्रचलन बहुत समय पहले से भी था।

समुद्रगुप्त की प्रशस्ति क्या है?

इसमें राजा की एक योद्धा, युद्धों को जीतने वाले राजा, विद्वान तथा एक उत्कृष्ट कवि के रूप में भरपूर प्रशंसा की है। यहाँ तक कि उसे ईश्वर के बराबर बताया गया है। प्रशस्ति में लंबे-लंबे वाक्य दिए गए हैं।

योद्धा समुद्रगुप्त कौन है?

जिनका शरीर युद्ध मैदान में कुठारों, कुल्हाड़ियों, तीरों, भालों, बछें, तलवारों, लोहे की गदाओं, नुकीले तीरों तथा अन्य सैकड़ों हथियारों से लगे घावों के दाग से भरे होने के से कारण अत्यंत सुंदर दिखता है।

विक्रम संवत कौन थे?

लगभग 58 ईसा पूर्व में प्रारंभ होने वाले विक्रम संवत को परंपरागत रूप से गुप्त राजा चन्द्रगुप्त द्वितीय के नाम से जोड़ा जाता है, और ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने शकों पर विजय के प्रतीक के रूप में इस संवत की स्थापना की तथा विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।

वंशावलियाँ क्या है?

अधिकांश प्रशस्तियाँ शासकों के पूर्वजों के बारे में भी बताती हैं। यह प्रशस्ति भी समुद्रगुप्त के प्रपितामह, पितामह यानी कि परदादा, दादा, पिता और माता के बारे में बताती है। उनकी माँ कुमार देवी, लिच्छवि गण की थीं और पिता चन्द्रगुप्त गुप्तवंश के पहले शासक थे, जिन्होंने महाराजाधिराज जैसी बड़ी उपाधि धारण की। समुद्रगुप्त ने भी यह उपाधि धारण की। उनके दादा और परदादा का महाराजा के रूप में ही उल्लेख है। इससे यह आभास मिलता है कि धीरे-धीरे इस वंश का महत्त्व बढ़ता गया।

गुप्त साम्राज्य (Secret Empire) नामक स्थान क्या था?

सन 320 से 550 तक भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े हिस्से पर गुप्त साम्राज्य का शासन था। गुप्त साम्राज्य के शासन काल में चारों ओर खुशहाली थी। इस दौरान विज्ञान और तकनीक, कला, साहित्य, आदि के क्षेत्र में भी तरक्की हुई। इसलिए गुप्त साम्राज्य को भारत के इतिहास का स्वर्णिम युग कहा जाता है। गुप्त साम्राज्य के महान राजाओं में चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और चंद्र्गुप्त द्वितीय का नाम आता है। गुप्त साम्राज्य का शासन उत्तर पश्चिम से बंगाल तक फैला हुआ था। यह साम्राज्य दक्कन पठार के उत्तर तक ही सीमित था। लेकिन अपने चरम पर यह साम्राज्य भारत के पूर्वी तटों तक फैला हुआ था।

समुद्रगुप्त (Samudragupta) कौन थे?

समुद्रगुप्त को गुप्त साम्राज्य का सबसे महान राजा माना जाता है। कुछ इतिहासकार उसे सम्राट अशोक के बराबर मानते हैं। इतिहासकारों को उसके बारे में सिक्कों और अभिलेखों से पता चला है। इलाहाबाद में स्थित एक अशोक स्तंभ से समुद्रगुप्त के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। यह एक प्रशस्ति है, जिसे हरिषेण ने एक लंबी कविता के रूप में लिखा है। यह समुद्रगुप्त के दरबार में रहने वाला कवि था।

प्रशस्ति क्या थी?

यह एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है किसी की प्रशंसा है। उस जमाने में राजाओं की प्रशंसा में लिखी जाती थीं जिसे प्रशस्तियाँ कहते थे

हर्षवर्धन तथा हर्षचरित से अभिप्राय क्या है?

जिस तरह गुप्त वंश के शासकों के बारे में अभिलेखों तथा सिक्कों से पता चलता है, उसी तरह कुछ अन्य शासकों के बारे में उनकी जीवनी से पता चलता है। ऐसे ही एक राजा हर्षवर्धन थे, जिन्होंने करीब 1400 साल पहले शासन किया। उनके दरबारी कवि बाणभट्ट ने संस्कृत में उनकी जीवनी हर्षचरित लिखी है। इसमें हर्षवर्धन की वंशावली देते हुए उनके राजा बनने तक का वर्णन है। हर्षवर्धन अपने पिता के सबसे बड़े बेटे नहीं थे पर अपने पिता और बड़े भाई की मृत्यु हो जाने पर थानेसर के राजा बने। उनके बहनोई कन्नौज के शासक थे। जब बंगाल के शासक ने उन्हें मार डाला, तो हर्ष ने कन्नौज को अपने अधीन कर लिया और बंगाल पर आक्रमण कर दिया।

मगध तथा सम्भवत क्या है?

बंगाल को भी जीतकर उन्हें पूर्व में जितनी सफलता मिली थी, उतनी सफलता अन्य जगहों पर नहीं मिली। जब उन्होंने नर्मदा नदी को पार कर दक्कन की ओर आगे बढ़ने की कोशिश की तब चालुक्य नरेश, पुलकेशिन द्वितीय ने उन्हें रोक दिया।

पल्लव, चालुक्य और पुलकेशिन द्वितीय की प्रशस्तियाँ क्या है?

इस काल में पल्लव और चालुक्य दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण राजवंश थे। पल्लवों का राज्य उनकी राजधानी काँचीपुरम के आस-पास के क्षेत्रों से लेकर कावेरी नदी के डेल्टा तक फैला था, जबकि चालुक्यों का राज्य कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच स्थित था। चालुक्यों की राजधानी ऐहोल थी। यह एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। धीरे-धीरे यह एक धार्मिक केंद्र भी बन गया जहाँ कई मंदिर थे। पल्लव और चालुक्य एक-दूसरे की सीमाओं का अतिक्रमण करते थे। मुख्य रूप से राजधानियों को निशाना बनाया जाता था जो समृद्ध शहर थे। पुलकेशिन द्वितीय सबसे प्रसिद्ध चालुक्य राजा थे। उनके बारे में हमें उनके दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित प्रशस्ति से पता चलता है। इसमें उनके पूर्वजों, खासतौर से पिछली चार पीढ़ियों के बारे में बताया गया है। पुलकेशिन द्वितीय को अपने चाचा से यह राज्य मिला था।

दक्षिण के राज्यों में अभाएँ

पल्लव अभिलेखों में कई स्थानीय सभाओं की चर्चा मिलती है इनमें से एक था ब्राह्मण भूस्वामियों का संगठन जिसे ‘सभा’ कहते थे। ये सभाएँ उप समितियों के जरिए सिंचाई, खेतीवाड़ी से जुड़े विभिन्न काम, सड़क निर्माण, स्थानीय मंदिर की देखरेख आदि काम करती थी।

जिन क्षेत्रों में भूस्वामी ब्राह्मण नहीं होते वहाँ ‘उर’ नामक ग्राम सभा के होने की बात कही गई है। नगरम व्यापारियों के एक संगठन का नाम था। संभवतः इन सभाओं पर धनी तथा शक्तिशाली भूस्वामियों और व्यापारियों का नियंत्रण था इनमें बहुत से स्थानीय सभाएँ शताब्दियों तक काम करती रहीं ।

इन राज्यों का प्रशासन कैसे चलता था?

प्रशासन की प्राथमिक इकाई गाँव होते थे। लेकिन धीरे-धीरे कई नए बदलाव आए। राजाओं ने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक या सैन्य शक्ति रखने वाले लोगों का समर्थन जुटाने के लिए कई कदम उठाए। उदाहरण के तौर पर:-

कुछ महत्वपूर्ण प्रशासकीय पद आनुवंशिक बन गए अर्थात् बेटे अपने पिता का पद पाते थे जैसे कि कवि हरिषेण अपने पिता की तरह महादंडनायक अर्थात् मुख्य न्याय अधिकारी थे।

कभी-कभी, एक ही व्यक्ति कई पदों पर कार्य करता था जैसे कि हरिषेण एक महादंडनायक होने के साथ-साथ कुमारामात्य अर्थात् एक महत्वपूर्ण मंत्री तथा एक संधि-विग्रहिक अर्थात् युद्ध और शांति के विषयों का भी मंत्री था।

संभवतः वहाँ के स्थानीय प्रशासन में प्रमुख व्यक्तियों का बहुत बोलबाला था। इनमें नगर-श्रेष्ठी यानी मुख्य बैंकर या शहर का व्यापारी, सार्थवाह यानी व्यापारियों के काफ़िले का नेता, प्रथम – कुलिक अर्थात् मुख्य शिल्पकार तथा कायस्थों यानी लिपिकों के प्रधान जैसे लोग होते थे।

एक नए प्रकार की सेना क्या है?

कुछ राजा अभी भी पुराने राजाओं की तरह एक सुसंगठित सेना रखते थे, जिसमें हाथी, रथ, घुड़सवार और पैदल सिपाही होते थे पर इसके साथ-साथ कुछ सेनानायक भी होते थे, जो आवश्यकता पड़ने पर राजा को सैनिक सहायता दिया करते थे। इन सेनानायकों को कोई नियमित वेतन नहीं दिया जाता था। बदले में इनमें से कुछ को भूमिदान दिया जाता था। दी गई भूमि से ये कर वसूलते थे जिससे वे सेना तथा घोड़ों की देखभाल करते थे। साथ ही वे इससे युद्ध के लिए हथियार जुटाते थे। इस तरह के व्यक्ति सामंत कहलाते थे। जहाँ कहीं भी शासक दुर्बल होते थे, ये सामंत स्वतंत्र होने की कोशिश करते थे।

वंशावली कौन थे?

समुद्रगुप्त के बारे में हमें उनके बाद के शासकों, जैसे उनके बेटे चन्द्रगुप्त द्वितीय की वंशावली (पूर्वजों की सूची) से भी जानकारी मिलती है।

उस ज़माने में आम लोग कैसे रहते थे?

जन-साधारण के जीवन की थोड़ी बहुत झलक हमें नाटकों तथा कुछ अन्य स्रोतों से मिलती है। चलो, इसके कुछ उदाहरण देखते हैं। कालिदास अपने नाटकों में राज- दरबार के जीवन के चित्रण के लिए प्रसिद्ध है। इन नाटकों में एक रोचक बात यह है कि राजा और अधिकांश ब्राह्मणों को संस्कृत बोलते हुए दिखाया गया है जबकि अन्य लोग तथा महिलाएँ प्राकृत बोलते हुए दिखाए गए हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध नाटक अभिज्ञान-शाकुन्तलम् दुष्यंत नामक एक राजा और शकुन्तला नाम की एक युवती की प्रेम कहानी है। इस नाटक में एक गरीब मछुआरे के साथ राजकर्मचारियों के दुर्व्यवहार की बात कही गई है।

एक मछुआरे को एक अंगूठी मिलने की लोकप्रिय कहानी

एक मछुआरे को एक कीमती अंगूठी मिली। यह अंगूठी राजा ने शकुन्तला को भेंट की थी, पर दुर्घटनाव‍ उसे एक मछली निगल गई। जब मछुआरा इस अंगूठी को लेकर राजमहल पहुँचा तो द्वारपाल ने उस पर चोरी का आरोप लगाया और मुख्य पुलिस अधिकारी भी बहुत बुरी तरह से पेश आये। पर जब राजा को यह बात बताया गया तो राजा उस अंगूठी को देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने मछुआरे को इनाम दिया। लेकिन पुलिसवाला और द्वारपाल मछुआरे से इनाम का कुछ हिस्सा हड़पने के लिए उसके साथ शराबखाने चल पड़े।

राजा की सेना कैसे होती थी?

राजा बड़ी मात्रा में साजो-सामान लेकर यात्रा करते थे। इनमें हथियारों के अतिरिक्त, रोज़मर्रा के उपयोग में आने वाली चीज़ें, जैसे बर्तन, असबाब (जिसमें सोने के पायदान भी शामिल थे), खाने-पीने का सामान (बकरी, हिरण, खरगोश, सब्ज़ियाँ, मसाले) आदि, विभिन्न प्रकार की चीजें शामिल होती थीं। ये सारी चीज़ें ठेलेगाड़ियों पर या ऊँटों तथा हाथियों जैसे सामान ढोने वाले जानवरों की पीठ पर लादकर ले जायी जाती थीं। इस विशाल सेना के साथ-साथ संगीतकार नगाड़े, बिगुल तथा तुरही बजाते हुए चलते रहते थे। रास्ते में पड़ने वाले गाँव वालों को उनका सत्कार करना पड़ता था। वे दही, गुड़ तथा फूलों का उपहार लाते थे तथा जानवरों को चारा भी देते थे। वे राजा से भी मिलना चाहते थे, ताकि अपनी शिकायत या कोई अनुरोध उनके सामने रख सकें। पर ये सेनाएँ अपने पीछे विनाश और विध्वंस की निशानी छोड़ जाती थीं। अक्सर गाँव वालों की झोपड़ियाँ हाथी कुचल डालते थे और व्यापारियों के काफ़िलों में जुते बैल, इस हलचल भरे माहौल से डरकर भाग खड़े होते थे। बाणभट्ट लिखते हैं “पूरी दुनिया धूल के गर्त में डूब जाती थी।”

आर्यावर्त्त शासक कौन थे?

आर्यावर्त्त के उन नौ शासकों का है, जिन्हें समुद्रगुप्त ने हराकर उनके राज्यों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।

दक्षिणापथ शासक कौन थे?

दक्षिणापथ के बारह शासक आते हैं। इनमें से कुछ की राजधानियों को दिखाने के लिए मानचित्र पर लाल बिंदु दिए गए हैं। इन सब नेहार जाने पर समुद्रगुप्त के सामने समर्पण किया था। समुद्रगुप्त ने उन्हें फिर से शासन करने की अनुमति दे दी।

अशोक स्तंभ से मिली हुई प्रशस्ति से समुद्रगुप्त के बारे में निम्नलिखित जानकारी मिलती है?

समुद्रगुप्त एक महान योद्धा था जिसने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए कई लड़ाइयाँ लड़ीं। वह एक सक्षम प्रशासक और एक अच्छा राजा था। वह एक संगीतकार, चित्रकार और लेखक भी था। अपने दरबार में समुद्रगुप्त चित्रकारों, संगीतकारों और कवियों को प्रोत्साहन देता था। समुद्रगुप्त के दरबार के एक मशहूर कवि का नाम जो की कालिदास थे। उस जमाने के प्रसिद्ध ज्योतिषशास्त्री, जिनका नाम आर्यभट्ट था, वो भी समुद्रगुप्त के दरबार में रहते थे।

गुप्त साम्राज्य में प्रशासन कैसे होती है?

उत्तरी भारत का एक बड़ा हिस्सा समुद्रगुप्त के सीधे नियंत्रण में था। इस भाग को आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था। इस भूभाग में समुद्रगुप्त ने नौ राजाओं को हराकर उनके क्षेत्र को गुप्त साम्राज्य में मिला लिया था। दक्षिणापथ में उस समय 12 राजा हुआ करते थे। उन्होने समुद्रगुप्त के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में समुद्रगुप्त ने उन्हें अपने-अपने राज्य पर शासन करने की अनुमति दे दी। पूर्वोत्तर में असम, तटीय बंगाल, नेपाल और कई गण संघों ने समुद्रगुप्त के आदेश का पालन शुरु कर दिया। इन राज्यों के राजा समुद्रगुप्त के दरबार में उपस्थित होते थे और उपहार भी लाते थे। बाहरी क्षेत्रों के राजाओं ने भी समुद्रगुप्त का आधिपत्य स्वीकार कर लिया। उन्होंने समुद्रगुप्त से अपनी बेटियों की शादी करा दी। ऐसे क्षेत्रों में शायद शक, कुषाण और श्रीलंका आते थे। इस तरह से लगभग पूरा उपमहाद्वीप समुद्रगुप्त के अधीन आ चुका था। कुछ भाग पर उसका प्रत्यक्ष रूप से शासन था जबकि कुछ पर परोक्ष रूप से। राजाओं की बड़ी-बड़ी उपाधियों: इस काल में एक नई परिपाटी देखने को मिलती है। राजा ने बड़ी-बड़ी उपाधियों का उपयोग करना शुरु कर दिया, जैसे कि समुद्रगुप्त को महाराज-अधिराज कहा जाता था।

कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ कौन-कौन सी है?

गुप्त वंश की शुरुआत (1700 साल पहले)
हर्षवर्धन का शासन (1400 साल पहले)

प्रश्न 1. गुप्त वंश की स्थापना किसने की?

चंद्रगुप्त ने वंश की स्थापना की थी।

प्रश्न 2. मशहूर कवि कालिदास और प्रसिद्ध ज्योतिष शास्त्री खगोलशास्त्री आर्यभट्ट किसके दरबार में थे?

समुद्रगुप्त

प्रश्न 3. विक्रम संवत की स्थापना कब और किसने की?

विक्रम संवत की स्थापना 58 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त द्वितीय ने की।

प्रश्न 4. ‘महाराजाधिराज’ किसे कहा जाता था।

समुद्रगुप्त को

प्रश्न 5. हर्षवर्धन की जीवनी किसने लिखी?

बाणभट्ट ने हर्षचरित में उसकी जीवनी लिखी है।

प्रश्न 6. दक्कन की तरफ राज्य का विस्तार करने के क्रम हर्षवर्धन को किसने रोका?

चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय ने

प्रश्न 7. पल्लवों की राजधानी कहाँ थी?

काँचीपुरम में

प्रश्न 8. चालुक्यों की राजधानी कहाँ थी?

ऐहोल

प्रश्न 9. गुप्त साम्राज्य को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?

गुप्त साम्राज्य के अंतर्गत चारों ओर खुशहाली थी। उस समय विज्ञान, तकनीक, कला और साहित्य के क्षेत्र में भी तरक्की हुई थी। इसलिए इसे स्वर्ण युग कहा जाता है।

प्रश्न 10. उस समय अछूत लोगों की क्या स्थिति थी?

अछूत लोगों की स्थिति दयनीय थी। इन्हें गाँव और शहरों के बाहर रहना पड़ता था। इन लोगों को शहर या बाजार में प्रवेश के पहले लोगों को आगाह करना पड़ता था। इसके लिए ये लोग लकड़ी के टुकड़े को बजाते रहते थे। जिससे लोग सतर्क होकर अपने को इनसे छू जाने से बचाते थे।

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