NCERT Solution Class 6th Social Science (History) Chapter – 8 गाँव, शहर और व्यापार (Villages, Towns And Trade)
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | Social Science (इतिहास) |
Chapter | 8th |
Chapter Name | गाँव, शहर और व्यापार Villages, Towns And Trade |
Category | Class 6th Social Science (इतिहास) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Social Science (History) Chapter – 8 खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर (Vital Villages Thriving Towns) Question & Answer in hindi तमिल में बड़े भूस्वामी, तमिल में हलवाहे, ग्राम भोजकों के काम बताओ, गाँवों और शहरों दोनों में रहने वाले, वलयकूप का उपयोग, आहत सिक्के, मथुरा महत्वपूर्ण, क्या कब कहां और कैसे पाठ के प्रश्न उत्तर?, कौन पाठ के प्रश्न उत्तर?, पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि?, हम इतिहास को अपना अतीत क्यों कहते हैं?, क्लास 6 के लिए हिस्ट्री आंसर क्या है?, अतीत में यात्रा लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे था?, अतीत में कौन-कौन से विषय पर किताबें लिखी जाती थीं, आप इनमें से कौन सी पढ़ना चाहेंगे?, हम अपने अतीत के बारे में कैसे जान सकते हैं?, रशीदा के प्रश्न को फिर से पढ़ो इसके क्या उत्तर हो सकते हैं? आदि के बारे में पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 6th Social Science (History) Chapter – 8 गाँव, शहर और व्यापार (Villages, Towns And Trade)
Chapter – 8
गाँव, शहर और व्यापार
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. खाली जगहों को भरो
(क) तमिल में बड़े भूस्वामी को ——– कहते थे।
उत्तर – वेल्लला
(ख) ग्राम-भोजकों की जमीन पर प्राय: ——————- द्वारा खेती की जाती थी।
उत्तर – दास और मजदूर
(ग) तमिल में हलवाहे को ———- कहते थे।
उत्तर – उणवार
(घ) अधिकांश गृहपति ———– भूस्वामी होते थे?
उत्तर – छोटे
प्रश्न 2. ग्राम-भोजकों के काम बताओ। वे शक्तिशाली क्यों थे?
उत्तर – ग्राम भोजकों को राजा द्वारा किसानों से कर वसूलने की अनुमति मिली हुई थी। उन्हें कभी कभी न्यायाधीश की जिम्मेदारी सम्भालनी पड़ती थी, साथ ही कभी – कभी पुलिस का काम भी करना पड़ता था। ग्राम भोजक प्राय: गाँव का सबसे बड़ा भूस्वामी होता था। भूमिहीन स्त्री पुरूष, दास कर्मकार सभी उसकी जमीन पर काम करते थे। संपत्ति और अपनी जिम्मेदारियों के वहन के कारण वे शक्तिशाली हो गए थे।
प्रश्न 3. गाँवों तथा शहरों दोनों में रहने वाले शिल्पकारों की सूची बनाओ।
उत्तर – गांव के शिल्पकार
(1) बढ़ई
(2) बुनकर
(3) कुम्हार
(4) लोहार
शहरों के शिल्पकार
(1) सुनार
(2) लोहार
(3) बुनकर
(4) टोकरी बनाने वाले
(5) माला बनाने वाले
(6) इत्र बनाने वाले
शिल्पकार जैसे कि बढ़ई, बुनकर, कुम्हार, लोहार आदि गाँवों और शहरों दोनों में मौजूद थे। किसी भी आबादी के ये महत्वपूर्ण कार्यकर्ता थे और दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए अच्छी सेवाएं प्रदान करते थे
प्रश्न 4. सही जवाब ढूँढो
(क) वलयकूप का उपयोग।
(क) नहाने के लिए
(ख) कपड़े धोने के लिए
(ग) सिचाई के लिए
(घ) जल निकास के लिए किया जाता था।
उत्तर – (क) जल निकास के लिए किया जाता था
(ख) आहत सिक्के।
(क) सोना
(ख) चाँदी
(ग) टिन
(घ) हाथी दाँत के बने होते थे।
उत्तर – (ख) चाँदी
(ग) मथुरा महत्वपूर्ण ।
(क) गाँव
(ख) पत्तन
(ग) धार्मिक केंद्र
(घ) जंगल क्षेत्र था।
उत्तर – (ग) धार्मिक केंद्र
(घ) श्रेणी ।
(क) शासकों
(ख) शिल्पकारों
(ग) कृषकों
(घ) पशुपालको का संघ होता था।
उत्तर – (घ) शिल्पकारों
आओ चार्चा करें
प्रश्न 5. पृष्ठ 79 पर दिखाए गए लोहे के औज़ारो में कौन खेती के लिए महत्वपूर्ण होंगे? अन्य औज़ार किस काम में आते होंगे?
उत्तर – दिखाए गए लोहे के औज़ारो में हँसिया खेती के लिए इस्तेमाल होती होगी। कुल्हाड़ी से लकड़ी काटी जाती होगी। संड़सी रसोई में, और लुहार द्वारा गरम सामान को पकड़ने के लिए इस्तेमाल करते होंगे।
प्रश्न 6. अपने शहर की जल निकास व्यवस्था की तुलना तुम उन शहरों की व्यवस्था से करो, जिनके बारे में तुमने पढा है। इनमें तुम्हे क्या-क्या समानताएँ और अंतर दिखाई दिए?
उत्तर – आज के जमाने में जल निकास व्यवस्था के लिए पाईप का इस्तेमाल किया जाता है। जो धातु, प्लास्टिक, सीमेंट और पत्थरों से बनी होती है। इस अध्ययाय में वर्णित शहरों में जल निकास की व्यवस्था को वलयकूप कहते हैं। इसमें छल्लेनुमा पत्थर या पके हुए मिट्टी से बने वलय आकार को एक के उपर रखकर पाईप के रूप में सजाया गया है। इन वलयकूपों का गुसलखाने, नाली और कूड़ेदान के रूप में उपयोग किया जाता था। इसमें इसका आकार जो नलीनुमा है और इसमें उपयोग होने वाले सामान में समानताएँ है। छल्ले का उपयोग भिन्न है।
आओ करके देखें
प्रश्न 7. अगर तुमने किसी शिल्पकार को काम करते हुए देखा है तो कुछ वाक्यों में उसका वर्णन करो (संकेत: उन्हें कच्चा माल कहाँ से मिलता है, किस तरह के औजारों का प्रयोग करते हैं, तैयार माल का क्या होता है, आदि)
उत्तर – मैंने बढ़ई शिल्पकार को काम करते देखा है। वह लकड़ी के रूप में कच्चा टिंबर मार्किट से खरीदता है। टिंबर मार्किट में लकड़ी वनों से काटकर लायी जाती है। वह कई प्रकार के औजार
जैसे- लकड़ी घिसने वाला रंदा, लकड़ी काटने वाली आरी, छेद करने वाला, हथौड़ी का प्रयोग करता है। तैयार माल के रूप में मेज, कुर्सी, पलंग, दीवान इत्यादि होते हैं।
प्रश्न 8. अपने शहर या गाँव के लोगों के कार्यों की एक सूची बनाओ। मथुरा में किए जाने वाले कार्यों से ये कितने समान और कितने भिन्न हैं?
उत्तर – मैं शहरों के परिवारों में स्त्री और पुरुष दोनों को काम करते हुए देखता हूँ। स्त्रियाँ और पुरुष दोनों दफ्तरों और अन्य स्थानों पर काम करते हैं। मथुरा यातायात और व्यापार के दो मुख्य रास्तों पर स्थित था तथा वह एक धार्मिक केंद्र भी था। मथुरा बेहतरीन मूर्तियाँ बनाने का भी केंद्र था।
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