NCERT Solution Class 6th Social Science (इतिहास) Chapter – 7 राज्य से साम्राज्य (Froma Kingdom To Anempire)
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | इतिहास (Social Science) |
Chapter | 7th |
Chapter Name | राज्य से साम्राज्य (Froma Kingdom To Anempire) |
Category | Class 6th Social Science (इतिहास) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 7 राज्य से साम्राज्य (Froma Kingdom To Anempire) Notes in Hindi राज्य और साम्राज्य में अंतर, चंद्रगुप्त के उत्तराधिकारी, राजधानी, साम्राज्य का शासन, प्रांतों का शासन, राजधानी, यातायात मार्ग पर नियंत्रण, जंगल के लोग, मौर्य साम्राज्य, मेगस्थनीज का वर्णन, नज़राना, राजधानी में सम्राट, पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) के बारे में, अशोक – एक अनोखा सम्राट, कलिंग युद्ध का वर्णन करता हुआ अशोक का अभिलेख, अपनी प्रजा के लिए अशोक के संदेश, ब्राह्मी लिपि, अन्यत्र, अधिकारी, संदेशवाहक, प्रांत, धम्म, कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ, अशोक को महान शासक किसने बनाया, सम्राट अशोक का अंतिम युद्ध कौन सा था, क्या अशोक कभी युद्ध हारे थे, अशोक को महान सम्राट क्यों कहा गया, सम्राट अशोक ने कितने युद्ध जीते थे, सम्राट अशोक का दूसरा नाम क्या है, अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया क्यों आदि के बारे में पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 6th Social Science (इतिहास) Chapter – 7 राज्य से साम्राज्य (Froma Kingdom To Anempire)
Chapter – 7
राज्य से साम्राज्य
Notes
मौर्य साम्राज्य (Mauryan Empire) – मौर्य साम्राज्य लगभग 2300 वर्ष पहले चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। मौर्य साम्राज्य का काल 322 ई पू से 185 ई पू तक था। चाणक्य नाम के एक ब्राह्मण की मदद से चंद्रगुप्ता मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी थी। चाणक्य ने अपनी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ में राजनीति और शासन के बारे में बहुत ही रोचक और सटीक बातें लिखी है। मौर्य साम्राज्य की शुरुआत मगध से हुई थी। धीरे-धीरे यह भारत के विभिन्न गों में फैल गया। अपने समय का यह सबसे बड़ा साम्राज्य था। भारत के इतिहास में यह आज तक का सबसे बड़ा साम्राज्य था।
राज्य और साम्राज्य
राज्य | साम्राज्य |
राज्य का क्षेत्र छोटा होता है। | साम्राज्य बहुत बड़े क्षेत्र में फैला होता है। |
इलाके की रक्षा के लिए छोटी सेना के टुकड़ो की जरूरत होती है। | इलाके की रक्षा के लिए बड़ी सेना की जरूरत होती है। |
कर वसूलने के लिए कम अधिकारी काफी होते हैं। | कर वसूलने के लिए अधिकारियों की बड़ी संख्या की जरूरत होती है। |
पूरे इलाके पर राजा का सीधा नियंत्रण होता है। | राजा स्थानीय राज्यपालों की सहायता से शासन करता है। |
चंद्रगुप्त के उत्तराधिकारी – चंद्रगुप्त के बाद उसका पुत्र बिंबिसार राजा बना। उसके बाद बिंबिसार का पुत्र अशोक राजा बना। मौर्य साम्राज्य के सबसे महान राजाओं में चंद्रगुप्त, बिंबिसार और अशोक का नाम आता है।
मौर्य साम्राज्य की राजधानी (Capital) – मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी। इसे अब पटना के नाम से जाना जाता है। इस साम्राज्य के अंदर कई अन्य महत्वपूर्ण शहर आते थे, जैसे कि तक्षशिला, उज्जैन और मथुरा। ये शहर व्यापार के महत्वपूर्ण केंद्र थे। शहरों में मुख्य रूप से व्यापारी वर्ग के लोग रहते थे। किसान और गड़ेरिये गांवों में रहते थे। आखेटक और संग्राहक मध्य भारत के जंगलों में रहते थे। यह साम्राज्य इतना बड़ा था कि विभिन्न भागों के लोग विभिन्न भाषाएँ बोलते थे।
साम्राज्य का शासन (Rule of Empire) – राजधानी का शासन सम्राट के सीधे नियंत्रण में होता था। कर वसूलने के लिए अधिकारी होते थे। किसानों, गड़ेरियों, व्यापारियों और शिल्पकारों को कर देना पड़ता था। नियम का उल्लंघन करने वाले को सजा दी जाती थी। कई अधिकारियों को वेतन मिलता था। सम्राट और अधिकारियों के बीच सेंदेश के आदान प्रदान का काम दूतों द्वारा होता था। अधिकारियों पर जासूसों की मदद से निगरानी रखी जाती थी। इन सब पर राजा अपनी नजर रखता था। इस काम में राजा के नजदीकी संबंधी और वरिष्ठ मंत्री राजा की मदद करते थे।
प्रांतों का शासन (Rule of Provinces) – अन्य क्षेत्रों का शासन प्रांतीय राजधानियों के नियंत्रण में होता था, जैसे कि तक्षशिला और उज्जैन। इन प्रांतों पर पाटलिपुत्र से सम्राट द्वारा थोड़ा बहुत नियंत्रण रखा जाता था। राजकुमारों को अक्सर प्रांतों का राज्यपाल (सूबेदार) बनाया जाता था। लेकिन हर राज्य के स्थानीय नियमों और परंपराओं का पालन किया जाता था।
जंगल के लोग सम्राट के लिए क्या करते थे – जंगल में रहने वाले लोग काफी हद तक स्वतंत्र थे। लेकिन उनसे यह उम्मीद की जाती थी कि वे शहद, मोम और लकड़ी प्रदान करें।
नज़राना – जहाँ ‘कर’ नियमित ढंग से इकट्ठे किए जाते थे वहीं ‘नजराना’ अनियमित रूप से जब भी संभव हो, इकट्ठा किया जाता था। ऐसे नजराने विविध पदार्थों के रूप में प्रायः ऐसे लोगों से लिए जाते थे जो स्वेच्छा से इसे देते थे।
राजधानी में सम्राट – मेगस्थनीज, चन्द्रगुप्त के दरबार में पश्चिम एशिया के यूनानी राजा सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था मेगस्थनीज़ ने जो कुछ देखा उसका विवरण दिया। यहाँ हम उसके विवरण का एक अंश दे रहे हैं: सम्राट का, जनता के सामने आने के अवसरों पर शोभायात्रा के रूप में जश्न मनाया जाता है। उन्हें एक सोने की पालकी में ले जाया जाता है। उनके अंगरक्षक सोने और चाँदी से अलंकृत हाथियों पर सवार रहते हैं। कुछ अंगरक्षक पेड़ों को लेकर चलते हैं।
इन पेड़ों पर प्रशिक्षित तोतों का एक झुण्ड रहता है जो सम्राट के सिर के चारों तरफ चक्कर लगाता रहता है। राजा सामान्यतः हथियारबंद महिलाओं से घिरे होते हैं। वे हमेशा इस बात से डरे रहते हैं कि कहीं कोई उनकी हत्या करने की कोशिश न करे। उनके खाना खाने के पहले खास नौकर उस खाने को चखते हैं। वे लगातार दो रात एक ही कमरे में नहीं सोते थे।
पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) – यह एक विशाल और खूबसूरत नगर है। यह एक विशाल प्राचीर से घिरा है जिसमें 570 बुर्ज और 64 द्वार हैं। दो और तीन मंजिल वाले घर लकड़ी और कच्ची ईंटों से बने हैं। राजा का महल भी काठ से बना है जिसे पत्थर की नक्काशी से अलंकृत किया गया है। यह चारों तरफ़ से उद्यानों और चिड़ियों के लिए बने बसेरों से घिरा है।
अशोक – एक अनोखा सम्राट – अशोक ऐसा पहला शासक था जिसने अभिलेखों द्वारा जनता तक अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश की। अशोक के ज्यादातर अभिलेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में हैं।
कलिंग युद्ध का वर्णन करता हुआ अशोक – अपने एक अभिलेख में अशोक ने यह बात कही: “राजा बनने के आठ साल बाद मैंने कलिंग विजय की। लगभग डेढ़ लाख लोग बंदी बना लिए गए। एक लाख से भी ज्यादा लोग मारे गए। इससे मुझे अपार दुख हुआ।
जब किसी स्वतंत्र देश को जीता जाता है तो लाखों लोग मारे जाते हैं और बहुत सारे बंदी बनाए जाते हैं। इसमें ब्राह्मण और श्रमण भी मारे जाते हैं। जो लोग अपने सगे-संबंधियों और मित्रों को बहुत प्यार करते हैं तथा दासों और मृतकों के प्रति दयावान होते हैं, वे भी युद्ध में या तो मारे जाते हैं या अपने प्रियजनों को खो देते हैं। इसीलिए मुझे पश्चाताप हो रहा है। अब मैंने धम्म पालन करने एवं दूसरों को इसकी शिक्षा देने का निश्चय किया है।
मैं मानता हूँ कि धम्म के माध्यम से लोगों का दिल जीतना बलपूर्वक विजय पाने से ज्यादा अच्छा है। मैं यह अभिलेख भविष्य के लिए एक संदेश के रूप में इसलिए उत्कीर्ण कर रहा हूँ कि मेरे बाद मेरे बेटे और पोते भी युद्ध न करें। इसके बदले उन्हें यह सोचना चाहिए कि धम्म को कैसे बढ़ाया जाए।”
अशोक का कलिंग युद्ध – अशोक ने कलिंग को जीतने के लिए एक युद्ध लड़ा। लेकिन युद्धजनित हिंसा और खून-खराबा देखकर उन्हें युद्ध से वितृष्णा हो गई। उन्होंने निर्णय लिया कि वे भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेंगे।
अशोक का धम्म – अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा अथवा किसी कर्मकांड की आवश्यकता नहीं थी उन्हें लगता था कि जैसे पिता अपने बच्चों को अच्छे व्यवहार की शिक्षा देते है वैसे ही यह उनका कर्तव्य था की अपनी प्रजा को निर्देश दें।
अपनी प्रजा के लिए अशोक के संदेश – लोग विभिन्न अवसरों पर अनुष्ठान करते हैं। उदाहरण के लिए जब वे बीमारहोते हैं, जब उनके बच्चों का विवाह होता है, बच्चों के जन्म पर और जब यात्रा शुरू करते हैं, तब वे तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं। ये कर्मकांड किसी काम के नहीं।
इसके बदले यदि लोग दूसरी रीतियों को मानें तो वह ज्यादा फलदायी होंगी। ये अन्य प्रकार की रीतियाँ क्या हैं? ये हैं – अपने दासों और नौकरों के साथ अच्छा व्यवहार करना, बड़ों का आदर करना, सभी जीवों पर दया करना और ब्राह्मणों तथा श्रमणों को दान देना ।
अपने धम्म की प्रशंसा या दूसरों के धम्म की निन्दा करना, दोनों ही बातें गलत हैं। हर किसी को दूसरे धर्म का आदर करना चाहिए। यदि कोई अपने धर्म की बड़ाई और दूसरों के धर्म की बुराई करता है तो वह वास्तव में अपने धर्म को ज्यादा नुकसान पहुँचा रहा है।
इसीलिए हर किसी को दूसरे के धर्म के प्रमुख विश्वासों को समझने की कोशिश करते हुए उसका आदर करना चाहिए।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है, “उनके धर्मादेश आज भी हमसे एक ऐसी भाषा में बात करते हैं जिन्हें हम समझ सकते हैं… और जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।”
अशोक ने धम्म के विचारों को दूर-दूर तक फैलाने के लिए उन बातों को बताया जो आपके अनुसार आज भी प्रासंगिक हैं। अशोक के संदेश के उन हिस्सों को बताओ जो आज भी प्रासंगिक हैं।
धम्म एक नियमावली अशोक ने अपने अभिलेखों के माध्यम से धम्म का प्रचार किया
● इसमें बड़ों के प्रति आदर।
● सन्यासियों और ब्राह्मणों के प्रति उदारता।
● सेवक और दासों के साथ उदार व्यवहार।
● दूसरे के धर्मों और परंपराओं का आदर।
निचे दिए गए सब्दो के बारे में बताइए
प्रांत – किसी देश या राज्य के भाग (क्षेत्र) को प्रांत कहते हैं।
संदेशवाहक – संदेशवाहक उसे कहते हैं जो व्यक्ति एक जगह से दूसरे जगह तक संदेस पहुँचाता हो उसे संदेशवाहक कहते हैं।
अधिकारी – अधिकारी किसी कर्यालय या ऑफिस मे कार्यभार या कामकाज सम्भालने वाला/वाली अफ़सर होते हैं। जिन्हे अधिकारी कहा जाता है।
ब्राह्मी लिपि – आधुनिक भारत की ज्यादातर लिपियाँ पिछले सैकड़ों वर्षों में ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न हुई।
वंश – जब एक ही परिवार के कई सदस्य एक के बाद एक राजा बनते हैं तो उन्हें एक ही वंश का कहा जाता है।
प्रश्न 1. चंद्रगुप्त के उत्तराधिकारी कौन थे।
प्रश्न 2. मौर्य साम्राज्य की राजधानी (Capital) क्या थी।
प्रश्न 3. अशोक सम्राट कौन थे।
प्रश्न 4. अशोक का धम्म क्या था।
प्रश्न 5. नज़राना किसे कहते है?
प्रश्न 6. धम्म किसे कहते है?
सन्यासियों और ब्राह्मणों के प्रति उदारता।
सेवक और दासों के साथ उदार व्यवहार।
दूसरे के धर्मों और परंपराओं का आदर।
प्रश्न 7. प्रांत किसे कहते है?
प्रश्न 8. संदेशवाहक किसे कहते है?
प्रश्न 9. अधिकारी किसे कहते है?
प्रश्न 10. ब्राह्मी लिपि किसे कहते है?
प्रश्न 11. वंश किसे कहते है?
प्रश्न 12. मौर्य साम्राज्य की स्थापना कब हुई?
प्रश्न 13. सम्राट अशोक ने कितने युद्ध हरे।
प्रश्न 14. सम्राट अशोक का आखिर युद्ध कौन-सा था।
प्रश्न 15. सम्राट अशोक ने किस युद्ध में युद्ध का त्याग किया।
NCERT Solution Class 6th History All Chapter Notes In Hindi |
NCERT Solution Class 6th History All Chapter Question & Answer In Hindi |
NCERT Solution Class 6th History All Chapter MCQ In Hindi |
You Can Join Our Social Account
Youtube | Click here |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Telegram | Click here |
Website | Click here |