NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 6 नये प्रश्न नये विचार (New Question and Ideas)
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | इतिहास (Social Science) |
Chapter | 6th |
Chapter Name | नये प्रश्न नये विचार (New Question and Ideas) |
Category | Class 6th Social Science (इतिहास) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 6 नये प्रश्न नये विचार (New Question and Ideas) Notes in Hindi जिसमे हम पढ़ेंगे बुद्ध की कहानी?, “नये प्रश्न नये विचार” एक शैक्षिक विषय है जो छात्रों को नए और उन्नत विचारों की प्रेरणा देता है। यह विषय विशेष रूप से NCERT की कक्षा 6 की इतिहास की पाठ्य पुस्तक ‘हमारे अतीत-1’ में शामिल है¹। इस अध्याय में बौद्ध धर्म और महावीर की शिक्षाओं, उपनिषदों के विचारकों के विचार, और अन्य दार्शनिक विचारों पर चर्चा की गई है³। यह विषय छात्रों को इतिहास के साथ-साथ नैतिक और दार्शनिक विचारों की गहराई से समझ विकसित करने में मदद करता है। |
NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 6 नये प्रश्न नये विचार (New Question and Ideas)
Chapter – 6
नये प्रश्न नये विचार
Notes
बुद्ध की कहानी (Story of Buddha) – गौतम बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ था। आज से 2500 वर्ष पहले आधुनिक नेपाल के कपिलवस्तु के लुंबिनी में सिद्धार्थ का जन्म हुआ था। वह एक क्षत्रिय थे और शाक्य नामक गण के सदस्य थे। सिद्धार्थ एक राजकुमार थे। बचपन में उन्हें हर सुख सुविधा मिली हुई थी।
जब सिद्धार्थ बड़े हुए तो जीवन के सही अर्थ के बारे में उनके मन में कई तरह के सवाल उठने लगे। जीवन का अर्थ जानने के लिए सिद्धार्थ ने अपना घर छोड़ दिया और इधर उधर भटकने लगे। उन्होंने कई ज्ञानी लोगों से बात की लेकिन उन्हें अपने सवालों के उत्तर नहीं मिले। अंत में सिद्धार्थ बोध गया में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगाकर बैठ गये।
कई दिनों तक ध्यान लगाने के बाद सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ। ज्ञान प्राप्ति के बाद वे ‘बुद्ध’ यानि सही मायनों में ज्ञानी बन गये। उसके बाद बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन वाराणसी के निकट सारनाथ में दिया। उसके बाद वे लोगों में ज्ञान का प्रसार करने लगे। बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर (कुशीनारा) में हुई।
बुद्ध की शिक्षा (Buddha Teachings) – जीवन में अनेक इच्छाएँ होती हैं। जब एक इच्छा पूरी हो जाती है तो हम कुछ और की इच्छा करने लगते हैं। इससे लालसा और इच्छा का एक अंतहीन सिलसिला शुरु हो जाता है। बुद्ध ने इसे तृष्णा या तन्हा का नाम दिया।
इच्छाओं और लालसाओं के अंतहीन चक्र के कारण जीवन कष्ट से भरा हुआ है। हम अपने हर काम में संयम बरतकर इस कष्ट को दूर कर सकते हैं। हमें दूसरों के प्रति (यहाँ तक कि पशुओं के प्रति भी) दया रखनी चाहिए। हमारे अच्छे और बुरे कर्मों से हमारा अभी का जीवन और मृत्यु के बाद का जीवन प्रभावित होता है। बुद्ध ने अपने प्रवचन में प्राकृत भाषा का इस्तेमाल किया था।
उस समय आम आदमी प्राकृत भाषा का ही इस्तेमाल करते थे। आम आदमी की भाषा के इस्तेमाल के कारण ही बुद्ध की शिक्षा अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच पाई थी। बुद्ध ने लोगों से कहा कि उनकी बाद पर ऐसे ही यकीन न करें बल्कि अपने विवेक का इस्तेमाल करने के बाद ही यकीन करें।
सारनाथ स्तूप – इस इमारत को स्तूप के नाम से जाना जाता है। यहीं पर बुद्ध ने अपना सर्वप्रथम उपदेश दिया था। इसी घटना की स्मृति में यहाँ स्तूप का निर्माण किया गया।
किसागोतमी की कहानी – यह बुद्ध के विषय में एक प्रसिद्ध कहानी है। एक समय की बात है किसागोतमी नामक एक स्त्री का पुत्र मर गया। इस बात से वह इतनी दु:खी हुई कि वह अपने बच्चे को गोद में लिए नगर की सड़कों पर घूम-घूम कर लोगों से प्रार्थना करने लगी कि कोई उसके पुत्र को जीवित कर दे। एक भला व्यक्ति उसे बुद्ध के पास ले गया।
बुद्ध ने कहा, “मुझे एक मुट्ठी सरसों के बीज लाकर दो, मैं तुम्हारे पुत्र को जीवित कर दूँगा”। किसागोतमी बहुत प्रसन्न हुई। पर जैसे ही वह बीज लाने के लिए जाने लगी तभी बुद्ध ने उसे रोका और कहा, “ये बीज एक ऐसे घर से माँग कर लाओ जहाँ किसी की मृत्यु न हुई हो।”किसागोतमी एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े गई लेकिन वह जहाँ भी गई उसने पाया कि हर घर में किसी न किसी के पिता, माता, बहन, भाई, पति, पत्नी, बच्चे, चाचा, चाची, दादा या दादी की मृत्यु हुई थी।
उपनिषद् (Upanishads) – उपनिषद् में कई तार्किक और आध्यात्मिक विचारों का संकलन है। उपनिषदों की रचना बुद्ध के जमाने में ही हुई थी। उपनिषदों को गुरु और शिष्य के बीच के संवाद की शैली में लिखा गया है।
भारतीय दर्शन की छह पद्धति (षडदर्शन) – सदियों से, भारत द्वारा सत्य की बौद्धिक खोज का प्रतिनिधित्व दर्शन की छः शाखाओं ने किया। ये वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मीमांसा और वेदांत या उत्तर मीमांसा के नाम से जाने जाते हैं। दर्शन की इन छः पद्धतियों की स्थापना क्रमशः ऋषि कणद, गौतम, कपिल, पतंजलि, जैमिनी और व्यास द्वारा की गयी मानी जाती है, जो आज भी देश में बौद्धिक चर्चा को दिशा देते हैं।
बुद्धिमान भिखारा – यह वार्तालाप छांदोग्य उपनिषद् नामक प्रसिद्ध उपनिषद् की एक कहानी पर आधारित है। शौनक व अभिप्रतारिण नामक दो ऋषि सार्वभौम आत्मा की उपासना करते थे। एक बार ज्योंही वे भोजन करने के लिए बैठे, एक भिखारी आया और भोजन माँगने लगा।
शौनक ने कहा, “हम तुम्हें कुछ नहीं दे सकते।”
भिखारी ने पूछा, “विद्वज्जन, आप किसकी उपासना करते हैं?”
अभिप्रतारिण ने उत्तर दिया, “सार्वभौम आत्मा की। “
“ओह! इसका मतलब आप यह जानते हैं कि यह सार्वभौम आत्मा सम्पूर्ण विश्व में विद्यमान है।”
ऋषियों ने कहा, “हाँ, हाँ, हम यह जानते हैं। “भिखारी ने फिर पूछा, “अगर यह सार्वभौम आत्मा सम्पूर्ण विश्व में विद्यमान है तो यह मेरे अंदर विद्यमान है। मैं कौन हूँ? मैं इस विश्व का एक भाग ही तो हूँ।”
“तुम सत्य बोलते हो, युवा ब्राह्मण।”
“इसलिए हे ऋषियों, मुझे भोजन न देकर आप उस सार्वभौम आत्मा को भोजन देने से मना कर रहेभिखारी की बात की सच्चाई जानकर ऋषियों ने उसे भोजन दे दिया।
व्याकरणविद् पाणिनि – इस युग में कुछ अन्य विद्वान भी खोज कर रहे थे। उन्हीं प्रसिद्ध विद्वानों में एक पाणिनि ने संस्कृत भाषा के व्याकरण की रचना की। उन्होंने स्वरों तथा व्यंजनों को एक विशेष क्रम में रखकर उनके आधार पर सूत्रों की रचना की। ये सूत्र बीजगणित के सूत्रों से काफी मिलते-जुलते हैं। इसका प्रयोग कर उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रयोगों के नियम लघु सूत्रों (लगभग 3000) के रूप में लिखे।
जैन धर्म – इसी युग में अर्थात् लगभग 2500 वर्ष पूर्व जैन धर्म के 24वें तथा अंतिम तीर्थकर वर्धमान महावीर ने भी अपने विचारों का प्रसार किया। वह वज्जि संघ के लिच्छवि कुल के एक क्षत्रिय राजकुमार थे। 30 वर्ष की आयु में उन्होंने घर छोड़ दिया और जंगल में रहने लगे। बारह वर्ष तक उन्होंने कठिन व एकाकी जीवन व्यतीत किया। इसके बाद उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। जैन शब्द ‘जिन’ शब्द से निकला है जिसका अर्थ है ‘विजेता’।
संघ (Federation) – महावीर तथा बुद्ध दोनों का ही मानना था कि घर का त्याग करने पर ही सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे लोगों के लिए उन्होंने संघ नामक संगठन बनाया जहाँ घर का त्याग करने वाले लोग एक साथ रह सकें।
विहार (Vihaar)– विहार ऐसे शरणस्थलों को कहा जाता है जो भिक्खु तथा भिक्खुणीयो द्वारा स्वयं तथा उनके समर्थको के लियें बनाए गए थे।
पहाड़ी को काटकर बनाई गई एक गुफा – यह कार्ले (वर्तमान महाराष्ट्र में) स्थित एक गुफा है। भिक्खु – भिक्खुणी इन शरण स्थलों में रहकर ध्यान किया करते थे।
एक बौद्ध ग्रंथ से क्या ज्ञात होता है? – जिस तरह महासागरों में मिलने पर नदियों की अलग-अलग पहचान समाप्त हो जाती है ठीक उसी तरह बुद्ध के अनुयायी जब भिक्षुओं की श्रेणी में प्रवेश करते हैं तो वे अपना वर्ण, श्रेणी और परिवार सब त्याग देते हैं।
आश्रम-व्यवस्था – जैन तथा बौद्ध धर्म जिस समय लोकप्रिय हो रहे थे लगभग उसी समय ब्राह्मणों ने आश्रम व्यवस्था का विकास किया। यहाँ आश्रम शब्द का तात्पर्य लोगों द्वारा रहने तथा ध्यान करने के लिए प्रयोग में आने वाले स्थान से नहीं है, बल्कि इसका तात्पर्य जीवन के एक चरण से है।
ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास नामक चार आश्रमों की व्यवस्था की गई। ब्रह्मचर्य के अंतर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य से यह अपेक्षा की जाती थी कि इस चरण के दौरान वे सादा जीवन बिताकर वेदों का अध्ययन करेंगे।
गृहस्थ आश्रम के अंतर्गत उन्हें विवाह कर एक गृहस्थ के रूप में रहना होता था। वानप्रस्थ के अंतर्गत उन्हें जंगल में रहकर साधना करनी थी। अंततः उन्हें सब कुछ त्यागकर संन्यासी बन जाना था।
आश्रम व्यवस्था ने लोगों को अपने जीवन का कुछ हिस्सा ध्यान में लगाने पर बल दिया। प्रायः स्त्रियों को वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी और उन्हें अपने पतियों द्वारा पालन किए जाने वाले आश्रमों का ही अनुसरण करना होता था।
तञ्हा (तृष्णा) भारतीय दर्शन के सन्दर्भ में तृष्णा का अर्थ ‘प्यास, इच्छा या आकांक्षा’ से है।
प्राकृत – भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम प्राकृत है।
आत्मा – व्यक्ति में अन्तर्निहित उस मूलभूत सत् से किया गया है जो कि शाश्वत तत्त्व है तथा मृत्यु के पश्चात् भी जिसका विनाश नहीं होता।
ब्रह्म – सभी मनुष्य उस ब्रह्म के प्रतिबिम्ब अर्थात आत्मा है सम्पूर्ण विश्व ही ब्रह्म है जो शून्य है वह ब्रह्म है मनुष्य इस विश्व की जितना कल्पना करता है वह ब्रह्म है।
अहिंसा – किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
• उपनिषदों के विचारक जैन महावीर तथा बुद्ध (लगभग 2500 वर्ष पूर्व)
• जैन ग्रंथों का लेखन (लगभग 1500 वर्ष पूर्व)
प्रश्न 1. बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई ?
प्रश्न 2. उन्होंने पहला उपदेश कहाँ दिया ?
प्रश्न 3. उनकी मृत्यु कहन हुइ थी ?
प्रश्न 4. बुद्ध के अनुसार लोगों के जीवन में दुख का प्रमुख कारण क्या है ?
प्रश्न 5. महावीर के अनुयायियों को क्या कहते हैं ?
प्रश्न 6. जैन धर्म को मुख्यत: किसने अपनाया ?
प्रश्न 7. संघ में रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं के लिए बनाए नियम किस ग्रंथ में मिलते हैं ?
प्रश्न 8. जैन और बौद्ध भिक्षुओ के शरणस्थल को क्या कहते थे ?
प्रश्न 9. ब्राह्मणों ने कितने तरह की आश्रम व्यवस्था की बात की विस्तार मे बताएँ ?
ब्रह्मचर्य – इसके अंतर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य को सादा जीवन बिताकर वेदों के अध्ययन की बात कही गई थी।
गृहस्थ आश्रम – इसमें विवाह कर गृहस्थ के रूप में रहने की बात कही गई।
वाणप्रस्थ आश्रम – जंगल मे जाकर साधना करनी चाहिए।
सन्यास आश्रम – अंत में सब कुछ त्याग कर सन्यासी का जीवन जीना चाहिए।
प्रश्न 10. जैन शब्द का अर्थ क्या होता है ?
प्रश्न 11. भगवान महावीर का प्रथम अनुयायी कौन था ?
प्रश्न 12. महावीर के अनुयायियों का जीवन कैसा था ?
प्रश्न 13. विश्व का सबसे पुराना धर्म कौन सा है ?
प्रश्न 14. हिंदू कैसे बने ?
प्रश्न 15. मुस्लिम धर्म कितना पुराना है ?
प्रश्न 16. महावीर स्वामी की प्रथम महिला शिष्य कौन थी ?
प्रश्न 17. भगवान महावीर का मूल नाम क्या था ?
प्रश्न 18. सप्तभंगी का अर्थ क्या है ?
प्रश्न 19. दुनिया में सबसे पहले कौन आया हिंदू या मुस्लिम ?
प्रश्न 20. दुनिया में सुंदर धर्म कौन है ?
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