NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 2 आखेट – खाद्य से भोजन: संग्रह से उत्पादन तक (From Hunting – Gathering To Growing Food) Notes in Hindi

NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 2 आखेट – संग्रह से भोजन: संग्रह से उत्पादन तक (From Hunting – Gathering To Growing Food)

TextbookNCERT
Class  6th
Subject इतिहास (Social Science)
Chapter2nd
Chapter Nameआखेट – संग्रह से भोजन: संग्रह से उत्पादन तक (From Hunting – Gathering To Growing Food)
CategoryClass 6th Social Science (इतिहास)
Medium Hindi
SourceLast Doubt
Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 2 आखेट – खाद्य से भोजन: संग्रह से उत्पादन तक Notes in Hindi हम इस अधयाय में आखेट – संग्रह से भोजन: संग्रह से उत्पादन तक, नवपाषाण युग, नवपाषाण युग के औजार, नावपाषाण युग के साइट, खेती की शुरुआत, पुरास्थल, अनाज और हड्डियाँ, आखेटक-खाद्य संग्राहक, उद्योग-स्थल, आवासीय-स्थल, मध्यपाषाण, लघुपाषाण, पशुपालक, नवपाषाण युग, कब्र, अनाज का उपयोग किस-किस रूप में करते हैं, पुरापाषाण काल, आग की खोज, खेती के लाभ, कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ आदि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solution Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 2 आखेट – संग्रह से  भोजन: संग्रह से उत्पादन तक (From Hunting – Gathering To Growing Food)

Chapter – 2 

आखेट – संग्रह से भोजन: संग्रह से उत्पादन तक

Notes

नवपाषाण युग (Neolithic Age)पाषाण युग के आखिरी चरण को नवपाषाण युग कहते हैं। इस चरण की शुरुआत लगभग 10,000 वर्ष पहले हुई थी। इसी चरण में आदमी ने खेती करना शुरु किया था।

नवपाषाण युग के औजार – नवपाषाण युग के औजार बहुत छोटे आकार के और अत्यंत सुगढ़ होते थे। पत्थर को बेहतर ढ़ंग से तराशा जाने लगा और कुछ औजारों में हैंडल भी लगाये जाने लगे, जैसे भाला, कुल्हाड़ी, हँसिया, तीर, आदि।

नावपाषाण पुरास्थलों – इस नक्शे में भारत में स्थित नवपाषाणयुगीन पुरास्थलों को दिखाया गया है-

• बुर्जहोम और गुफक्राल (जम्मू और कश्मीर)
• मेहरगढ़ (पाकिस्तान)
• चिराँद (बिहार)
• दाओजली हेडिंग (पूर्वोत्तर)
• कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश)
• हल्लूर और पय्यमपल्ली (दक्षिण भारत)

पुरास्थलअनाज और हड्डियाँ
मेहरगढ़ (आधुनिक पाकिस्तान)गेहूं, जौ, भेड़, बकरी, मवेशी
कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश)चावल, जानवरों की हड्डियों के टुकड़े
महागढ़ा (उत्तर प्रदेश)चावल, मवेशी (मिट्टी पर खुरों के निशान)
गुफक्राल (कश्मीर)गेहूं, दाल
बुर्जहोम (कश्मीर)गेहूं, दलहन, कुत्ता, मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस
चिराँद (बिहार)गेहूं, हरे चने, जौ, भैंस, बैल
हल्लूर (आंध्र प्रदेश)ज्वार-बाजरा, मवेशी, भेड़, जंगली सूअर
पैय्यमपल्ली (आंध्र प्रदेश)काला चना, ज्वार-बाजरा, मवेशी, भेड़, जंगली सूअर

बदलती जलवायु – लगभग 12,000 साल पहले दुनिया की जलवायु में बड़े बदलाव आए और गर्मी बढ़ने लगी। इसके परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में घास वाले मैदान बनने लगे। इससे हिरण, बारहसिंघा, भेड़, बकरी और गाय जैसे उन जानवरों की संख्या बढ़ी, जो घास खाकर ज़िन्दा रह सकते हैं। जो लोग इन जानवरों का शिकार करते थे, वे भी इनके पीछे आए और इनके खाने-पीने की आदतों और प्रजनन के समय की जानकारी हासिल करने लगे। हो सकता है कि तब लोग इन जानवरों को पकड़ कर अपनी ज़रूरत के अनुसार पालने की बात सोचने लगे साथ ही इस काल में मछली भी भोजन का महत्वपूर्ण स्रोत बन गई।

बसने की प्रक्रिया – लोगों द्वारा पौधे उगाने और जानवरों की देखभाल करने को ‘बसने की प्रक्रिया’ का नाम दिया गया है। अपनाए गए ये पौधे तथा जानवर अक्सर जंगली पौधों तथा जानवरों से भिन्न होते हैं। इसकी वजह यह है कि बसने की प्रक्रिया की दिशा में अपनाए गए पौधों या जानवरों का लोग चयन करते हैं। उदाहरण के तौर पर लोग उन्हीं पौधों तथा जानवरों का चयन करते हैं जिनके बीमार होने की संभावना कम हो।

जानवर – चलते-फिरते ‘खाद्य – भंडार’ – जानवर बच्चे देते हैं जिससे उनकी संख्या बढ़ती है। अगर जानवरों की देखभाल की जाए तो उनकी संख्या तो बढ़ती ही है साथ ही उनसे दूध भी प्राप्त हो सकता है जो भोजन का एक अच्छा स्रोत है। यही नहीं जानवरों से हमें मांस भी मिलता है। दूसरे शब्दों में, पशु-पालन भोजन के ‘भंडारण’ का एक तरीका है।

आरंभिक मानव – पुरातत्त्वविदों को कुछ ऐसी वस्तुएँ मिली हैं जिनका निर्माण और उपयोग आखेटक-खाद्य संग्राहक किया करते थे। यह संभव है कि लोगों ने अपने काम के लिए पत्थरों, लकड़ियों और हड्डियों के औज़ार के औज़ार बनाए हों। इनमें से पत्थरों के औज़ारों आज भी बचे है।

इनमें से कुछ औजारों का उपयोग फल-फूल काटने, हड्डियाँ और और मांस काटने तथा पेड़ों की छाल और जानवरों की खाल उतारने के लिए किया जाता था। कुछ के साथ हड्डियों या लकड़ियों के मुट्ठे लगा कर भाले और बाण जैसे हथियार बनाए जाते थे। कुछ औज़ारों से लकड़ियाँ काटी जाती थीं। लकड़ियों का उपयोग ईंधन के साथ-साथ झोपड़ियाँ और औज़ार बनाने के लिए भी किया जाता था।

रहने की जगह निर्धारित करना – लाल त्रिकोण वाले स्थान वे पुरास्थल हैं जहाँ पर आखेटक-खाद्य संग्राहकों के होने के प्रमाण मिले हैं। इनके अलावा भी और कई स्थानों पर आखेटक खाद्य संग्राहक रहते थे। मानचित्र में सिर्फ़ कुछ गिने-चुने स्थान ही चिह्नित किए गए हैं। कई पुरास्थल नदियों और झीलों के किनारे पाए गए हैं।

पत्थर के औज़ारों का उपयोग

बाएँ – इंसान के खाने योग्य जड़ों को खोदने के लिए किया जाता था, और
दाएँ – जानवरों की खाल से बने वस्त्रों को सिलने के लिए किया जाता था।

गर्तवास – पुरातत्त्वविदों को कुछ पुरास्थलों पर झोपड़ियों और घरों के निशान मिले हैं। जैसे कि बुर्ज़होम (वर्तमान कश्मीर में) के लोग गड्ढे के नीचे घर बनाते थे जिन्हे गर्तवास कहा जाता है। इनमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ होती थीं। इससे उन्हें ठंढ के मौसम में सुरक्षा मिलती होगी। पुरातत्त्वविदों को झोपड़ियों के अंदर और बाहर दोनों ही स्थानों पर आग जलाने की जगहें मिली हैं। ऐसा लगता है कि लोग मौसम के अनुसार घर के अंदर या बाहर खाना पकाते होंगे।

खेती की शुरुआत (Start of Farming)खेती की शुरुआत को मानव इतिहास की सबसे क्रांतिकारी घटना माना जाता है, क्योंकि इसी के साथ बसने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। खेती के कारण ही आदमी खानाबदोश जीवन को छोड़कर स्थायी जीवन जीने लगा। इतिहासकारों का मानना है कि खेती की खोज सबसे पहले महिलाओं ने की होगी। ऐसा इसलिए संभव हुआ होगा क्योंकि महिलाओं को गर्भावस्था और फिर बच्चे के पालन पोषण के दौरान एक स्थान पर ही टिककर रहना पड़ा होगा। किसी एक स्थान पर लंबे समय तक रहने के दौरान महिलाओं और बच्चों ने बीज से पौधे को पनपते देखा होगा। यही देख कर उन्होने पौधे उगाना सीखा होगा।

खेती के लाभ (Benefits of Farming)खेती से भोजन की आपूर्ति बेहतर हो गई होगी। साथ ही, शिकार और भोजन संग्रह पर से निर्भरता कम हुई होगी। हम जानते हैं कि किसी भी पौधे को फल और बीज देने में महीनों लग जाते हैं। इसलिए फसल की देखभाल करने के लिए लोगों को एक ही स्थान पर टिकने की जरूरत हुई होगी। इसीसे बसने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई होगी।

जब जरूरत से अधिक भोजन मिलने लगा तो लोगों को इतना खाली समय मिलने लगा होगा कि अपने बौद्धिक विकास पर ध्यान दें। इससे वैज्ञानिक, कला और भाषा की क्षमता का विकास हुआ होगा। बसने की प्रक्रिया के साथ साथ समुदायों का आकार बढ़ने लगा। धीरे-धीरे समुदाय इतने बड़े हुए कि गांवों का विकास हुआ। यहाँ यह बताना जरूरी है कि गांव उस जगह को कहते हैं जहाँ लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है। 

खेती और पशुपालन की शुरुआत – इसी दौरान उपमहाद्वीप के भिन्न-भिन्न इलाकों में गेहूँ, जौ और धान जैसे अनाज प्राकृतिक रूप से उगने लगे थे। शायद महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने इन अनाजों को भोजन के लिए बटोरना शुरू कर दिया होगा। साथ ही वे यह भी सीखने लगे होंगे कि यह अनाज कहाँ उगते थे और कब पककर तैयार होते थे। ऐसा करते-करते लोगों ने इन अनाजों को खुद पैदा करना सीख लिया होगा। इस प्रकार धीरे-धीरे वे कृषक बन गए होंगे।

इसी तरह लोगों ने अपने घरों के आस-पास चारा रखकर जानवरों को आकर्षित कर उन्हें पालतू बनाया होगा। सबसे पहले जिस जंगली जानवर को पालतू बनाया गया वह कुत्ते का जंगली पूर्वज था। धीरे-धीरे लोग भेड़, बकरी, गाय और सूअर जैसे जानवरों को अपने घरों के नज़दीक आने को उत्साहित करने लगे।

मेहरगढ़ में जीवन-मृत्यु – मेहरगढ़ संभवत: वह स्थान है, जहाँ के स्त्री-पुरुषों ने, इस इलाके में सबसे पहले जौ, गेहूँ उगाना और भेड़-बकरी पालना सीखा। यहाँ विभिन्न प्रकार के जानवरों की हड्डियाँ मिलीं।

मेहरगढ़ में इसके अलावा चौकोर तथा आयताकार घरों के अवशेष भी मिले हैं। प्रत्येक घर में चार या उससे ज़्यादा कमरे हैं, जिनमें से कुछ संभवतः भंडारण के काम आते होंगे।

मत्यु के बाद सामान्यतया मृतक के सगे संबंधी उसके प्रति सम्मान जताते हैं। लोगों की आस्था है कि मृत्यु के बाद भी जीवन होता है। इसीलिए कब्रों में मृतकों के साथ कुछ सामान भी रखे जाते थे। मेहरगढ़ में ऐसी कई कब्रें मिली हैं। एक कब्र में एक मृतक के साथ एक बकरी को भी दफ़नाया गया था। संभवत: इसे परलोक में मृतक के खाने के लिए रखा गया होगा।

पुरास्थलपुरास्थल उस स्थान को कहते हैं जहाँ औज़ार, बर्तन और इमारतों जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते हैं। ऐसी वस्तुओं का निर्माण लोगों ने अपने काम के लिए किया था और बाद में वे उन्हें वहीं छोड़ गए। ये ज़मीन के ऊपर, अन्दर, कभी-कभी समुद्र और नदी के तल में भी पाए जाते हैं। इन पुरास्थलों के बारे में आपको अगले अध्यायों में बताया जाएगा।

आग की खोजइसका मतलब यह है कि आरंभिक लोग आग जलाना सीख गए थे। आग का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए किया गया होगा जैसे कि प्रकाश के लिए, मांस भूनने के लिए और खतरनाक जानवरों को दूर आदि भगाने के लिए।

पुरापाषाण कालहम जिस काल के बारे में पढ़ रहे हैं, पुरातत्त्वविदों ने उनके बड़े-बड़े नाम रखे हैं। आरंभिक काल को वे पुरापाषाण काल कहते हैं।

अनाज का उपयोग

• बीज के रूप में
• खाद्य के रूप में
• उपहार के रूप में
• भंडारण के लिए

आखेटक-खाद्य संग्राहकआखेटक-खाद्य संग्राहक समुदाय के लोग एक जगह से दूसरी जगह पर घूमते रहते थे। ऐसा करने के कई कारण थे।

• पहला कारण यह कि अगर वे एक ही जगह पर ज़्यादा दिनों तक रहते तो आस-पास के पौधों, फलों और जानवरों को खाकर समाप्त कर देते थे। इसलिए और भोजन की तलाश में इन्हें दूसरी जगहों पर जाना पड़ता था।

• दूसरा कारण यह कि जानवर अपने शिकार के लिए या फिर हिरण और मवेशी अपना चारा ढूँढ़ने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाया करते हैं। इसीलिए, इन जानवरों का शिकार करने वाले लोग भी इनके पीछे-पीछे जाया करते होंगे।

• तीसरा कारण यह कि पेड़ों और पौधों में फल-फूल अलग-अलग मौसम में आते हैं, इसीलिए लोग उनकी तलाश में उपयुक्त मौसम के अनुसार अन्य इलाकों में घूमते होंगे।

• चौथा कारण यह है कि पानी के बिना किसी भी प्राणी या पेड़-पौधे का जीवित रहना संभव नहीं होता और पानी झीलों, झरनों तथा नदियों में ही मिलता है। यद्यपि कई नदियों और झीलों का पानी कभी नहीं सूखता, कुछ झीलों और नदियों में पानी बारिश के बाद ही मिल पाता है। इसीलिए ऐसी झीलों और नदियों के किनारे बसे लोगों को सूखे मौसम में पानी की तलाश में इधर-उधर जाना पड़ता होगा।

उद्योग-स्थलकुछ स्थानों पर औजार बनाने के लिए प्रचुर मात्रा में पत्थर मिलते थे। ऐसे स्थानों का उपयोग औजार बनाने में किया जाता था। ऐसे स्थान उद्योग स्थल कहलाते हैं।

आवासीय-स्थल किसी नगर का वह भाग होता है जिसका प्रयोग अधिकांश रूप से मकानों व लोगों के आवास के लिए अन्य साधनों के लिए करा गया हो। जहाँ लोग अपने परिवारों के साथ रहते हैं, जबकि रोज़गार के लिए औद्योगिक, वाणिज्य या कृषि क्षेत्रों में जाते हैं।

मध्यपाषाणइस काल को भी तीन भागों में विभाजित किया गया है: ‘आरंभिक’, ‘मध्य’ एवं ‘उत्तर’ पुरापाषाण युग। मानव इतिहास की लगभग 99 प्रतिशत कहानी इसी काल के दौरान घटित हुई। जिस काल में हमें पर्यावरणीय बदलाव मिलते हैं, उसे ‘मेसोलिथ’ यानी मध्यपाषाण युग कहते हैं।

लघुपाषाणइसका समय लगभग 12,000 साल पहले से लेकर 10,000 साल पहले तक माना गया है। इस काल के पाषाण औज़ार आमतौर पर बहुत छोटे होते थे। इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ यानी लघुपाषाण कहा जाता है।

कृषककिसान उन्हें कहा जाता है, जो खेती का काम करते हैं। इन्हें ‘कृषक’ और ‘खेतिहर’ के नाम से भी जानते है।

पशुपालकजिसे कभी-कभी पशु रक्षक के रूप में संदर्भित किया जाता है, वह व्यक्ति होता है जो चिड़ियाघर के जानवरों का प्रबंधन करता है जिन्हें संरक्षण के लिए कैद में रखा जाता है या जनता को प्रदर्शित किया जाता है।

नवपाषाण प्रायः इन औज़ारों में हड्डियों या लकड़ियों के मुट्टे लगे हँसिया और आरी जैसे औज़ार मिलते थे। साथ-साथ पुरापाषाण युग वाले औज़ार भी इस दौरान बनाए जाते रहे। अगले युग की शुरुआत लगभग 10,000 साल पहले से होती है। इसे नवपाषाण युग कहा जाता है।

कब्र – उस स्थान को कहते हैं जहाँ किसी व्यक्ति अथवा जीव-जंतु को उसके देहांत के बाद दफ़नाया जाता है।

कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ

• मध्यपाषाण युग (12,000-10,000 साल पहले)
• बसने की प्रक्रिया का आरंभ (लगभग 12,000 साल पहले)
• नवपाषाण युग का आरंभ (10,000 साल पहले)
• मेहरगढ़ में बस्ती का आरंभ (लगभग 8000 साल पहले)

नाम और तिथियाँ

हम जिस काल के बारे में पढ़ रहे हैं, पुरातत्त्वविदों ने उनके बड़े-बड़े नाम रखे हैं। आरंभिक काल को वे पुरापाषाण काल कहते हैं। यह दो शब्दों पुरा यानी ‘प्राचीन’, और पाषाण यानी ‘पत्थर’ से बना है। यह नाम पुरास्थलों से प्राप्त पत्थर के औज़ारों के महत्त्व को बताता है। पुरापाषाण काल बीस लाख साल पहले से 12,000 साल पहले के दौरान माना जाता है। इस काल को भी तीन भागों में विभाजित किया गया है- ‘आरंभिक’, ‘मध्य’ एवं ‘उत्तर’ पुरापाषाण युग। मानव इतिहास की लगभग 99 प्रतिशत कहानी इसी काल के दौरान घटित हुई।

जिस काल में हमें पर्यावरणीय बदलाव मिलते हैं, उसे ‘मेसोलिथ’ यानी मध्यपाषाण युग कहते हैं। इसका समय लगभग 12,000 साल पहले से लेकर 10,000 साल पहले तक माना गया है। इस काल के पाषाण औज़ार आमतौर पर बहुत छोटे होते थे। इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ यानी लघुपाषाण कहा जाता है। प्रायः इन औज़ारों में हड्डियों या लकड़ियों के मुट्ठे लगे हँसिया और आरी जैसे औज़ार मिलते थे। साथ-साथ पुरापाषाण युग वाले औज़ार भी इस दौरान बनाए जाते रहे।

अगले युग की शुरुआत लगभग 10,000 साल पहले से होती है। इसे नवपाषाण युग कहा जाता है। नवपाषाण का क्या मतलब होता होगा? हमने कुछ स्थानों के नाम दिए हैं। अगले अध्यायों में तुम्हें ऐसे अनेक नाम मिलेंगे। अक्सर हम पुराने स्थानों के लिए उन नामों का प्रयोग करते हैं, जो आज प्रचलित हैं, क्योंकि हमें ज्ञात नहीं है कि उस काल में इनके क्या नाम रहे होंगे।

प्रश्न 1.आखेटक खाद्य-संग्राहक इस महाद्वीप में कब से रहते थे?

20 लाख साल पहले

प्रश्न 2. आखेटक पत्थर के औज़ारो का उपयोग किसलिए करते थे?

पत्थर के औज़ारो का उपयोग कंद-मूल काटने, जानवरों को मारने और खाल उतारने, जानवरों की खाल से बने वस्त्रों को सिलने के लिए करते थे।

प्रश्न 3. पत्थर का औज़ार कब बनाया गया था?

लगभग 10 हजार साल पहले

प्रश्न 4. उद्योग स्थल किसे कहते हैं?

जहाँ लोग पत्थरों से औज़ार बनाते थे।

प्रश्न 5. आखेटकों की प्राकृतिक गुफाएँ कहाँ मिलती है?

आखेटकों की प्राकृतिक गुफाएँ आज के विंध्य और दक्कन के पहाड़ों में मिलती है, जो नर्मदा घाटी के पास है।

प्रश्न 6. पुरास्थल किसे कहते हैं?

जहाँ औज़ार, बर्तन और इमारतों के अवशेष मिलते हैं। जिनका निर्माण वे अपनी जरूरतों के लिए करते थे।

प्रश्न 7. राख के अवशेष कहाँ मिले हैं?

कुरनूल गुफा में

प्रश्न 8. शैल चित्रकला के नमूने किस गुफा में मिले हैं?

मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की गुफाओं में, जैसे भीमबेटका

प्रश्न 9. भारत में शुतुर्मुर्ग कब से पाए जाते हैं?

पुरापाषाण युग में। इसके अंडों के अवशेष महाराष्ट्र के पटने पुरास्थल से मिले हैं।

प्रश्न 10. पुरापाषाण युग के औज़ार किस पत्थर से बनाए जाते थे?

चूना पत्थर

प्रश्न 11. फ्रांस की गुफाओं में कुछ जानवरों के चित्र किस रंगों से बनाए गए हैं?

इस काम के लिए लौह अयस्क और चारकोल जैसे खनिज पदार्थों को मिलाकर रंग बनाया जाता था।

प्रश्न 12. मेहरगढ़ में बस्ती का आरंभ कब से हुआ?

मेहरगढ़ में बस्ती का आरंभ लगभग 8000 साल पहले हुआ।

प्रश्न 13. नवपाषाण युग का आरंभ कब से हुआ?

नवपाषाण युग का आरंभ लगभग 10,000 साल पहले हुआ।

प्रश्न 14. आखेट खाद्य संग्रह क्या है?

आखेट खाद्य संग्रह एक पुरानी तकनीक है जो खाद्य संचय के लिए उपयोग की जाती है। इस तकनीक में, खाद्य अवधि को बढ़ाने के लिए एक खाद्य संचय को एक खुले मैदान में विस्तृत रूप से बिछाया जाता है और उसे धूप और हवा के संपर्क में रखा जाता है।

प्रश्न 15. भोजन संग्राहक और भोजन उत्पादन से क्या अभिप्राय है?

खाद्य संग्राहक से अभिप्राय है पृथ्वी पर बीस लाख साल पहलें रहने वाले लोग। भोजन का इंतजाम करने की विधि के आधार पर उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है।

प्रश्न 16. आखेटक खाद्य संग्राहक एक स्थान से दूसरे स्थान पर क्यों घूमते रहते हैं?

आखेटक खाद्य संग्राहक एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं क्योंकि एक ही जगह पर ज्यादा दिनों तक रहते तो आसपास के फल पौधे जानवर को समाप्त कर देते थे इसीलिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं

प्रश्न 17. आखेटक खाद्य संग्राहक गुफाओं में क्यों रहते थे?

आखेटक खाद्य संग्रहक पहले गुफाओं में रहते थे क्योंकि गुफाएं अधिक सुरक्षित और सुरक्षित होती थीं। गुफाएं अक्सर अंधेरे और ठंडे होते थे जो खाद्य संचय को सुरक्षित रखने में मदद करते थे।

प्रश्न 18. भोजन के चार स्रोत कौन से हैं?

हमारे भोजन के मुख्य पोषक तत्त्वों के नाम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज-लवण हैं।

प्रश्न 19. भोजन का उत्पादन क्यों महत्वपूर्ण है?

भोजन का उत्पादन महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमारे समाज को भोजन की आवश्यकताएं पूरी होती हैं और हमारी आर्थिक व्यवस्था को भी सुधारा जाता है। अन्न के बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं और इसलिए भोजन का उत्पादन एक बुनियादी आवश्यकता है।

प्रश्न 20. फूड प्रोसेसिंग कितने प्रकार की होती है?

खाद्य प्रसंस्करण तीन प्रकार के होते हैं प्राथमिक (भौतिक),द्वितीय (भौतिक व रासायनिक) तृतीयक ( भौतिक, रासायनिक, व जैविक)
NCERT Solution Class 6th History All Chapter Notes In Hindi
Chapter – 1 क्या, कब, कहाँ और कैसे
Chapter – 2 आखेट – खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक
Chapter – 3 आरंभिक नगर
Chapter – 4 क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्र
Chapter – 5 राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य
Chapter – 6 नए प्रश्न नए विचार
Chapter – 7 राज्य से साम्राज्य
Chapter – 8 गाँव, शहर और व्यापार
Chapter – 9 नए सम्राज्य और राज्य
Chapter – 10 इमारतें, चित्र तथा किताब
NCERT Solution Class 6th History All Chapter Question & Answer In Hindi
Chapter – 1 क्या, कब, कहाँ और कैसे
Chapter – 2 आखेट – खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक
Chapter – 3 आरंभिक नगर
Chapter – 4 क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्र
Chapter – 5 राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य
Chapter – 6 नए प्रश्न नए विचार
Chapter – 7 राज्य से साम्राज्य
Chapter – 8 गाँव, शहर और व्यापार
Chapter – 9 नए सम्राज्य और राज्य
Chapter – 10 इमारतें, चित्र तथा किताब
NCERT Solution Class 6th History All Chapter MCQ In Hindi
Chapter – 1 क्या, कब, कहाँ और कैसे
Chapter – 2 आखेट – खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक
Chapter – 3 आरंभिक नगर
Chapter – 4 क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्र
Chapter – 5 राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य
Chapter – 6 नए प्रश्न नए विचार
Chapter – 7 राज्य से साम्राज्य
Chapter – 8 गाँव, शहर और व्यापार
Chapter – 9 नए सम्राज्य और राज्य
Chapter – 10 इमारतें, चित्र तथा किताब

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