NCERT Solution Class 6th Social Science (इतिहास) Chapter – 1 क्या, कब, कहाँ, और कैसे? (What, Where, How And When?)
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | इतिहास (Social Science) |
Chapter | 1st |
Chapter Name | क्या, कब, कहाँ, और कैसे? (What, Where, How And When?) |
Category | Class 6th Social Science (इतिहास) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Social Science (इतिहास) Chapter – 1 क्या, कब, कहाँ, और कैसे? (What, Where, How And When?) Notes in Hindi जिसमे हम कैसे पता लगाएँ?, अतीत के बारे में हम क्या जान सकते हैं?, देश के नाम?, लोग कहाँ रहते थे?, आज लोग यात्राएँ क्यों करते हैं?, अतीत के बारे में कैसे जानें?, ताड़पत्रों से बनी पाण्डुलिपि का एक पृष्ठ?, अतीत, एक या अनेक?, तिथियों का मतलब?, बाएँ:-दाएँ:?, यात्रा?, पाण्डुलिपि?, अभिलेख?, पुरातत्त्व?, इतिहासकार?, स्रोत?, नर्मदा नदी?, सुलेमान और किरथर की पहाड़ियाँ?, गारो और विंध्य की पहाड़ियाँ?, सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ?, गंगा और सोन?, इतिहास का महत्व?, इतिहास और तिथियाँ?, कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ?, लोग कहाँ रहते थे?, क्या कब कहाँ कौन कैसे क्यों क्या है?, क्या कब कहाँ और कैसे?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 6th Social Science (इतिहास) Chapter – 1 क्या, कब, कहाँ, और कैसे? (What, Where, How And When?)
Chapter – 1
क्या, कब, कहाँ, और कैसे?
Notes
अतीत के बारे में हम क्या जान सकते हैं? – अतीत के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है जैसे लोग क्या खाते थे, कैसे कपड़े पहनते थे, किस तरह के घरों में रहते थे? हम आखेटकों (शिकारियों), पशुपालकों, कृषकों, शासकों, व्यापारियों, पुरोहितों, शिल्पकारों, कलाकारों, संगीतकारों या फिर वैज्ञानिकों के जीवन के बारे में जानकारियाँ हासिल कर सकते है।
लोग कहाँ रहते थे? – कई लाख वर्ष पहले से लोग इस नदी के तट पर रह रहे हैं। यहाँ रहने वाले आरंभिक लोगों में से कुछ कुशल संग्राहक थे जो आस-पास के जंगलों की विशाल संपदा से परिचित थे। अपने भोजन के लिए वे जड़ों, फलों तथा जंगल के अन्य उत्पादों का यहीं से संग्रह किया करते थे।
भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागैतिहासिक काल में लोग निम्नलिखित स्थानों पर रहते थे –
(1) नर्मदा नदी के तट पर
(2) उत्तर-पश्चिम में स्थित सुलेमान और किरथर पहाड़ियों पर
(3) पूर्वोत्तर की गारो पहाड़ियों पर और मध्य भारत की विंध्य पहाड़ियों पर
(4) सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पास
(5) गंगा और सोन नदियों के किनारे
आज लोग यात्राएँ क्यों करते हैं? – पहाड़ियाँ, पर्वत और समुद्र इस उपमहाद्वीप की प्राकृतिक सीमा का निर्माण करते है। हालांकि लोगों के लिए इन सीमाओं को पार करना आसान नहीं था, जिन्होंने ऐसा चाहा वे ऐसा कर सके, वे पर्वतों की ऊँचाई को छू सके तथा गहरे समुद्रों को पार कर सके। उपमहाद्वीप के बाहर से भी कुछ लोग यहाँ आए और यहीं बस गए।
देश के नाम – अपने देश के लिए हम प्रायः इण्डिया तथा भारत जैसे नामों का प्रयोग करते हैं। इण्डिया शब्द इण्डस से निकला है जिसे संस्कृत में सिंधु कहा जाता है।
अतीत के बारे में कैसे जानें? – अतीत की जानकारी हम कई तरह से प्राप्त कर सकते हैं। इनमें से एक तरीका अतीत में लिखी गई पुस्तकों को ढूँढ़ना और पढ़ना है। ये पुस्तकें हाथ से लिखी होने के कारण पाण्डुलिपि कही जाती हैं। अंग्रेज़ी में ‘पाण्डुलिपि’ के लिए प्रयुक्त होने वाला ‘मैन्यूस्क्रिप्ट’ शब्द लैटिन शब्द ‘मेनू’ जिसका अर्थ हाथ से निकला है। ये पाण्डुलिपियाँ प्रायः ताड़पत्रों अथवा हिमालय क्षेत्र में उगने वाले भूर्ज नामक पेड़ की छाल से विशेष तरीके से तैयार भोजपत्र पर लिखी मिलती है।
ताड़पत्रों से बनी पाण्डुलिपि का एक पृष्ठ? – यह पाण्डुलिपि लगभग एक हज़ार वर्ष पहले लिखी गई थी। किताब बनाने के लिए ताड़ के पत्तों को काटकर उनके अलग-अलग हिस्सों को एक साथ बाँध दिया जाता था। भूर्ज पेड़ की छाल से बनी ऐसी ही एक पाण्डुलिपि को तुम यहाँ देख सकते हो।
अतीत, एक या अनेक? – क्या तुमने इस पुस्तक के शीर्षक हमारे अतीत पर ध्यान दिया है? यहाँ ‘अतीत’ शब्द का प्रयोग बहुवचन के रूप में किया गया है। ऐसा इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाने के लिए किया गया है कि अलग-अलग समूह के लोगों के लिए इस अतीत के अलग-अलग मायने थे। उदाहरण के लिए पशुपालकों अथवा कृषकों का जीवन राजाओं तथा रानियों के जीवन से तथा व्यापारियों का जीवन शिल्पकारों के जीवन से बहुत भिन्न था। जैसाकि हम आज भी देखते हैं, उस समय भी देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग अलग-अलग व्यवहारों और रीति-रिवाज़ों का पालन करते थे।
तिथियों का मतलब – वर्ष की यह गणना ईसाई धर्म – प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म की तिथि से की जाती है। अतः 2000 वर्ष कहने का तात्पर्य ईसा मसिह के जन्म के 2000 वर्ष के बाद से है।
बाएँ: एक प्राचीन नगर से प्राप्त पात्र। – इस तरह के पात्रों का प्रयोग 4700 वर्ष पूर्व होता था।
दाएँ: एक पुराना चाँदी का सिक्का। – इस तरह के सिक्कों का प्रयोग लगभग 2500 वर्ष पूर्व होता था।
यात्रा – जब हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो उसे यात्रा कहते हैं जैसे की यात्रा विमान, बस, वाहन, नाव, जलयान या अन्य साधन से, सामान के साथ या उसके बिना, की जाती है।
पाण्डुलिपि – एक तरीका अतीत में लिखी गई पुस्तकों को ढूँढ़ना और पढ़ना है। ये पुस्तकें हाथ से लिखी होने के कारण पाण्डुलिपि कही जाती हैं।
अभिलेख – हम अभिलेखों का भी अध्ययन कर सकते हैं। ऐसे लेख पत्थर अथवा धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किए गए मिलते हैं। कभी-कभी शासक अथवा अन्य लोग अपने आदेशों को इस तरह उत्कीर्ण करवाते थे, ताकि लोग उन्हें देख सकें, पढ़ सकें तथा उनका पालन कर सकें।
पुरातत्त्व – जैसे की पुराणी चीज को छान-बीन करते है और ईंट से बनी इमारतों के अवशेषों, चित्रों तथा मूर्तियों का अध्ययन करते हैं। वे औज़ारों, हथियारों, बर्तनों, आभूषणों तथा सिक्कों की प्राप्ति के लिए छान-बीन तथा खुदाई भी करते हैं। इनमें से कुछ वस्तुएँ पत्थर, पकी मिट्टी तथा कुछ धातु की बनी हो सकती हैं।
इतिहासकार – इतिहासकार उन्हें कहते हैं जो अतीत का अध्ययन करते हैं। स्रोत के प्राप्त होते ही अतीत के बारे में पढ़ना बहुत रोचक हो जाता है, क्योंकि इन स्रोतों की सहायता से हम धीरे-धीरे अतीत का पुनर्निर्माण करते जाते हैं। अतः इतिहासकार तथा पुरातत्त्वविद् उन जासूसों की तरह हैं जो इन सभी स्रोतों का प्रयोग सुराग के रूप में कर अतीत को जानने का प्रयास करते हैं।
स्रोत – पाण्डुलिपियों, अभिलेखों तथा पुरातत्त्व से ज्ञात जानकारियों के लिए इतिहासकार प्राय: स्रोत शब्द का प्रयोग करते हैं।
नर्मदा नदी – कई हजार वर्षों तक लोग नर्मदा नदी के नजदीक रहते थे। वे लोग शिकार करते थे, या फिर कंद-मूल-फल इकट्ठा करते थे। ऐसे लोग किसी एक स्थान पर नहीं रहते थे, बल्कि खानाबदोश या बंजारे थे।
सुलेमान और किरथर की पहाड़ियाँ – इन पहाड़ियों में लोग लगभग 8000 वर्ष पहले रहते थे। वे उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने खेती की शुरुआत की थी। वे गेहूँ और जौ की खेती करते थे। ये लोग भेड़, बकरी तथा गाय – बैलों को पाला करते थे। ये लोग एक स्थाई जीवन जीते थे, यानि एक ही स्थान पर टिक कर रहते थे। इसी समय के आसपास गांवों का निर्माण होने लगा था।
गारो और विंध्य की पहाड़ियाँ – गारो की पहाड़ियों में रहने वाले लोग उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने धान की खेती शुरु की। विंध्याचल के उत्तर की तरफ भी धान की खेती होती थी।
सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ – सिंधु और उसकी सहायक नदियों के आस पास आरंभिक शहरों का विकास लगभग 4700 वर्ष पहले हुआ।
गंगा और सोन – गंगा नदी के किनारों पर शहरों का विकास लगभग 2500 वर्ष पहले शुरु हुआ। कुछ शहर सोन जैसी सहायक नदियों के किनारे भी विकसित हुए। कुछ शहरों का विकास समुद्री तटों पर भी हुआ।
इतिहास का महत्व –
(1) इतिहास से हमें बीते हुए कल के राजाओं, साम्राज्यों और समाज के बारे में पता चलता है।
(2) इतिहास से हमें यह पता चलता है कि भूतकाल में लोग कैसे रहते थे, क्या खाते थे और क्या पहनते थे
(3) इतिहास हमें उन लोगों के पेशे के बारे में बतलाता है।
(4) इतिहास से हमें अपने पूर्वजों की महान उपलब्धियों के बारे में पता चलता है।
(5) इतिहास से हमें अपने पूर्वजों द्वारा की गई गलतियों के बारे में पता चलता है।
(6) इतिहास से हमें यह भी पता चलता है कि किसी खास काल में बच्चे किस तरह के खेल खेला करते थे।
(7) इतिहास से हम सबक लेते हैं ताकि एक बेहतर भविष्य बना सकें।
(8) मानव के बीते हुए कल की कहानी को इतिहास कहते हैं। मानव समाज में विभिन्न कालों में तरह तरह के बदलाव हुए हैं। इतिहास से हमें इन बदलावों का पता चलता है।
इतिहास और तिथियाँ – अंग्रेज़ी में बी.सी. (हिंदी में ई.पू.) का तात्पर्य ‘बिफोर क्राइस्ट’ (ईसा पूर्व) होता है। कभी-कभी तुम तिथियों से पहले ए.डी. (हिंदी में ई.) लिखा पाती हो। यह ‘एनो डॉमिनी’ नामक दो लैटिन शब्दों से बना है तथा इसका तात्पर्य ईसा मसीह के जन्म के वर्ष से है। कभी-कभी ए.डी. की जगह सी.ई. तथा बी.सी. की जगह बी.सी.ई. का प्रयोग होता है।
सी.ई. अक्षरों का प्रयोग ‘कॉमन एरा’ तथा बी.सी.ई. का ‘बिफोर कॉमन एरा’ के लिए होता है। हम इन शब्दों का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि विश्व के अधिकांश देशों में अब इस कैलेंडर का प्रयोग सामान्य हो गया। भारत में तिथियों के इस रूप का प्रयोग लगभग दो सौ वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था। कभी-कभी अंग्रेज़ी के बी.पी. अक्षरों का प्रयोग होता है जिसका तात्पर्य ‘बिफ़ोर प्रेजेन्ट’ (वर्तमान से पहले) है।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
● कृषि का आरंभ (8000 वर्ष पूर्व)
● सिंधु सभ्यता के प्रथम (नगर (4700 वर्ष पूर्व)
● गंगा घाटी के नगर, मगध का बड़ा राज्य (2500 वर्ष पूर्व)
● वर्तमान (लगभग 2000 वर्ष पूर्व)
प्रश्न 1. सबसे पहले लोगों ने कौन सा फसल उपजाना प्रारंभ किया ?
प्रश्न 2. सबसे पहले किस-किस पशुओं को पालतू बनाया ?
प्रश्न 3. सबसे पहले चावल कहाँ उपजाया गया ?
प्रश्न 4. सहायक नदियाँ किसे कहतें हैं ?
प्रश्न 5. सिंधु की सहायक नदियों के नाम लिखो ?
प्रश्न 6. गंगा किनारे कितने वर्ष पूर्व नगरों का विकास हुआ ?
प्रश्न 7. प्राचीन काल में मगध (वर्तमान बिहार) राज्य की स्थापना कहाँ हुई ?
प्रश्न 8. पांडु लिपी किसे कहते हैं ?
प्रश्न 9. अभिलेख किसे कहते हैं ?
प्रश्न 10. कई लाख साल पहले भारत में किस नदी के तट पर लोगों के रहने के प्रमाण मिले हैं ?
प्रश्न 11. सिंधु नदी के किनारे बस्तियों का विकास कब हुआ ?
प्रश्न 12. गंगा की चार सहायक नदियों के नाम लिखो ?
प्रश्न 13. इंडिया शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है ?
प्रश्न 14. इण्डस को संस्कृत में किस नाम से जाना जाता है ?
प्रश्न 15. भरत शब्द का प्रयोग किस लिए किया जाता था ?
प्रश्न 16. पाण्डुलिपि किसे कहते हैं ?
प्रश्न 17. पाण्डुलिपियाँ किस पर लिखी जाती थीं ?
प्रश्न 18. अतीत की जानकारी के स्त्रोत कौन-कौन से हैं ?
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