NCERT Solution Class 6th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 हमारा भोजन Notes In Hindi

NCERT Solution Class 6th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 हमारा भोजन

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Class6th
Subject गृह विज्ञान
Chapter3rd
Chapter Nameहमारा भोजन
CategoryClass 6th  Hindi गृह विज्ञान (Home science)
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 6th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 हमारा भोजन Notes In Hindi भोजन कितने प्रकार के होते हैं?, पोषण के 5 प्रकार कौन से हैं?, पोषण की खोज किसने की थी?, भोजन के चार मुख्य स्रोत कौन से हैं?, भोजन के 7 प्रकार कौन से हैं?, पोषण की परिभाषा क्या है?, भोजन और पोषण क्या है?, विश्व में सबसे पहला पोषण कौन है?, पोषण कहां से शुरू होता है?, पोषण कहां से आता है?, पोषण कितने हैं?, भोजन हमें ऊर्जा कैसे देता है?, पोषण दिवस कब मनाया जाता है?, एक दिन में कितने भोजन होते हैं?, संतुलित भोजन किससे बनता है?, भोजन कितने ग्राम का होना चाहिए?, भोजन में कैलोरी क्या हैं?, भोजन शरीर में कैसे काम करता है?, भोजन को शरीर का ईंधन क्यों कहा जाता है?, सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए?, स्वस्थ भोजन कैसा दिखता है?, स्वस्थ रहने के लिए कितना भोजन करना चाहिए? आदि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solution Class 6th (Home Science) गृह विज्ञान Chapter – 3 हमारा भोजन

Chapter – 3

हमारा भोजन

Notes

भोजन की आवश्यकता हमे क्यों होती है? – हमारा शरीर जन्म से लेकर कुछ वर्षों तक निरन्तर बढ़ता रहता है। शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों को बनाने तथा उनकी वृद्धि के लिए जिन-जिन तत्वों की आवश्यकता होती है, उनकी प्राप्ति हमें भोजन से ही होती है।

भोजन के क्या कार्य होता है?

1. भोजन शरीर में ईंधन की भांति जल कर ताप उत्पन्न करता है। यही ताप शरीर की गर्मी को बनाये रखता है और हमें जीवन तथा कार्य करने की शक्ति प्रदान करता है। हम सांस लेते है, चलते-फिरते हैं और काम करते हैं। इन सब के लिए हमें भोजन से ही शक्ति मिलती है।

2. शरीर की वृद्धि के लिए भी भोजन आवश्यक तत्व प्रदान करता है। शरीर के नये तन्तुओं को बनाने तथा टूटे-फूटे तन्तुओं की मरम्मत करने का कार्य भी भोजन द्वारा ही होता है।

3. यही नहीं विभिन्न रोगों से लड़ने के लिए तथा शरीर की क्रियाओं का ठीक प्रकार से संचालन करने का कार्य भी भोजन ही करता है।

इस प्रकार कार्य करने की शक्ति, शरीर-वृद्धि, शरीर-रक्षा तथा शारीरिक क्रियाओं के संचालन के लिए भोजन आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी है। ऐसी स्थिति में भोजन के विषय में अधिक से अधिक जानकारी रखना हमारे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस जानकारी के आधार पर ही हम अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं। जो भोजन हम खायें वह ऐसा होना चाहिए जिससे शरीर को पोषक तत्व प्राप्त होते रहें और हमारी कार्य करने की शक्ति बनी रहे तथा हम निरोग रहें।

भोजन के तत्व किसे कहते है?

उपरोक्त कार्यों की पूर्ति के लिए हमें भिन्न-भिन्न प्रकार के भोज्य-पदार्थ अपने प्रतिदिन के भोजन में सम्मिलित करने चाहिएं। हमें ज्ञात है कि कोई एक भोज्य-पदार्थ शरीर में सब कार्य नहीं कर सकता। उदाहरणार्थ हम दूध और दूध से बने पदार्थ खाते है तो हमारे शरीर में नये तन्तुओं का निर्माण होता है जिससे शरीर की वृद्धि होती है। अनाज, आलू, शकरकन्दी, वसा आदि खाने से कार्य करने की शक्ति मिलती है। दाँतों व हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए तथा शरीर को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए हमें सब्जियों और फलों की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार हम देखते है कि हमें शरीर निर्माण के लिए तथा उसमें कार्य करने की क्षमता को बनाये रखने के लिए भिन्न-भिन्न भोज्य पदार्थों को भोजन में सम्मिलित करना चाहिए। विभिन्न भोज्य पदार्थों के सही मात्रा में सेवन करने से हमें उन सभी तत्वों की प्राप्ति होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।

तत्वसाधनकार्यकमी से हानि
वसादूध, दूध से बने पदार्थ, दालें, सोयाबीन, मछली, माँस, अण्डे।शरीर के तन्तुओं को बनाना, बढ़ाना व उनकी मरम्मत करना।विकास की गति का रुकना, शरीर का अस्वस्थ होना।
प्रोटीनमक्खन, सूखे मेवे, तेल, घी।गर्मी और शक्ति प्रदान करना।शरीर का शुष्क होना।
कार्बोजअनाज, दालें, गन्ना, चीनी, चुकन्दर, आलू।गर्मी और शक्ति प्रदान करना।थकान, शरीर का दुर्बल होना।
4. विटामिन
(i) विटामिन ए
दूध, दही, अण्डा, हरी सब्जियां, गाजर पपीता, आम।1. नेत्रों में प्रकाश प्राप्त करने में सहायता देना।
2. शरीर की वृद्धि में सहायक होना।
3. त्वचा को स्वस्थ रखना।
1. सूखी आंखें, रतौधी (रात को साफ न दिखाई देना) आंख पर सफेद या मटमैले धब्बे (अंधापन हो सकता है)।
2. त्वचा शुष्क होना।
3. आँख, नाक, गले के रोग हो जाना।
(ii) विटामिन बीअनाज, अंकुरित दालें, चना, दूध, पनीर, अण्डा, सूखे मेवे, मूंगफली, हरी सब्जियां।1. पाचन शक्ति में वृद्धि करना।
2. हृदय सम्बन्धी रोगों से रक्षा करना।
1. भूख कम लगना।
2. बेरी-बेरी नामक रोग होना।
3. फटे होंठ व होठों के कोने फटना।
4. फटी जीभ।
(iii) विटामिन सीटमाटर, आंवला, अंकुरित अनाज व दाले, अमरुद, संतरा, हरी सब्जियां।1. मसूड़ों क स्वस्थ रखना।
2. दाँतों का विकास करना।
3. घाव को भरने में सहायक होना।
1. स्कर्वी नामक रोग का होना।
2. मसूड़ों से रक्त बहना।
3. घाव का देर से भरना।
(iv) विटामिन डीसूर्य की किरणों, मछली का तेल, दूध, अण्डे का पीला भाग, जिगर1. दाँतों व हड्डियों का मजबूत होना।
2. चूना व फास-फोरस को शरीर में शोषण करने में सहायक होना।
1. बच्चों को रिकेट्स नामक रोग होना।
2. स्त्रियों को मृदुलस्ति नामक रोग होना।
5. खनिज लवण
(i) केल्सियम अथवा चुना।
दूध, दही, हरी सब्जियां, मछली, सेब।1. दाँतों व हड्डियों के निर्माण में सहायक होना।
2. रक्त में जमने की शक्ति पैदा करना।
1. दाँतों व हड्डियों का कमजोर होना।
2. घाव से रक्त का अधिक देर तक बहना।
(ii) लोहाप्याज, पालक, जिगर, गुड़, खजूर, केला।1. रक्त के लालकोषों का निर्माण|
2. आक्सीजन हुंचाना।
रक्तहीनता का रोग होना।
6. जलशिकंजी, दूध, चाय, लस्सी, तथा अन्य पेय पदार्थ।1. रक्त संचालन में सहायता देना।
2. शरीर की गन्दगी को पसीने, मल मूत्र आदि के रूप में बाहर निकालना।
1. रक्त संचालन ठीक प्रकार से न होना।
2. कब्ज का होना।
3. शरीर के तापक्रम का बढ़ना।

भोजन के मुख्य गुट कौन-कौन से है? – अपनी सुविधा के लिए यदि हम सभी भोज्य पदार्थों को चार गुटों में बांट लें और अपने दिन भर सभी गुटों में से भोज्य पदार्थ ले लें तो अपने शरीर को स्वस्थ रखने के कार्य में हम काफी सीमा तक सफल हो सकते है। भोजन के यह चार गुट इस प्रकार हो सकते है।

गुट का नाममुख्य तत्वकार्य
दूध तथा दूध से बनी चीजें। (घी एवं मक्खन को छोड़कर)प्रोटीन, लवण तथा विटामिनशरीर की वृद्धि करना तथा टूटे-फूटे तन्तुओं की मरम्मत करना।
मांस, मछली, अण्डा तथा दालें।प्रोटीन, लवण तथा विटामिनशरीर की वृद्धि करना तथा टूटे-फूटे तन्तुओं की मरम्मत करना।
फल एवं सब्जियां।विटामिन तथा लवणशरीर को बीमारियों से बचाना तथा स्वस्थ रखना।
अनाज।कार्बोजशरीर को शक्ति प्रदान करना।

उपयुक्त भोजन से आप क्या समझते है? – हम सब भोजन खाते है क्योंकि भोजन हमारे शरीर की मूल आवश्यकता है, किन्तु हमें केवल उतना ही भोजन खाना चाहिए जिससे हमारा पेट भी भर जाए और हमारे शरीर की भोजन सम्बन्धी सभी आवश्यकताएं भी पूरी हो सकें। हमारे शरीर को प्रत्येक तत्व की, किसी न किसी मात्रा में आवश्यकता होती ही है। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हम अपने दिन भर के भोजन में प्रत्येक गुट में से कम से कम दो अथवा तीन भोज्य-पदार्थ अवश्य लें। इसका यह अर्थ नहीं कि वे दिन में कभी भी ले लिए जाएं। इन भोज्य पदार्थों को सारे दिन के भोजन में बराबर बांट लेना चाहिए जिससे प्रत्येक समय का भोजन हमारे भोजन के मुख्य चार गट

1. दूध तथा दूध से बनी चीजें।
2. मांस, मछली, अण्डा तथा दालें।
3. फल एवं सब्जियां।
4. अनाज।

शरीरोपयोगी सभी तत्वों को प्रदान कर सके। ऐसा भोजन, जिसमें प्रत्येक गुट में से भोज्य-पदार्थ पर्याप्त मात्रा में लिए गए हों उपयुक्त भोजन कहलाता है।

भोजन पकाने के लाभ क्या-क्या है? – भोजन पकाने से निम्नलिखित लाभ है-

(1) भोजन स्वादिष्ट लगता है।
(2) भोजन बहुत सरलता से पच जाता है।
(3) भोजन में विभिन्नता लाई जा सकती है। एक ही भोज्य-पदार्थ से हम कई प्रकार के खाद्य-पदार्थ तैयार कर सकते है।
(4) गर्मी के कारण रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते है।
(5) भोजन अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
(6) भोजन देखने में अधिक आकर्षक लगता है।

भोजन पकाने की विभिन्न विधियों के बारे बताइये। – भोजन पकाना एक कला है। इस कला को रुचिपूर्ण बनाने के लिये भिन्न-भिन्न विधियों को प्रयोग में लाना आवश्यक है। भोजन पकाने के लिए कौन-सी विधि प्रयोग में लाई जाये यह तो भोजन पर अथवा उसको खाने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए यदि एक व्यक्ति बीमार है तो हम उसके लिये भोजन बनाने में ऐसी विधि का प्रयोग करेंगे जिससे उसको वह भोजन पचाने में कठिनता न हो।

भोजन पकाने की मुख्य विधियां निम्नलिखित हैं:-

(1) उबालना
(2) धीमी आंच पर पकाना
(3) भाप से पकाना
(4) तलना
(5) भूनना
(6) सेंकना।

विधिपकाने का माध्यमपकाने की प्रक्रियाउदाहरणलाभ
1. उबालनापानी मेंभगोने या देगची में पानी उबाल कर उसमें वस्तु को तब तक उबाला जाता है जब तक नरम न हो जाये। इसके लिये पानी पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए ताकि बाद में फेंकना न पड़े। इस विधि से भोजन शीघ्र पक जाता है।चावल, दाल, मटर, गोभी, मांस, मछली, आदि।उबला हुआ भोजन, शीघ्र पच जाता है।
2. स्टू या धीमी आंच पर पकानाथोड़े से पानी में हल्की आग पर।खाद्य-पदार्थ के छोटे-छोटे टुकड़े करके उनको एक म बर्तन में थोड़ा-सा पानी (जो बाद में फैका नहीं जाता) डालकर हल्की आंच पर रख दिया जाता है। इसमें समय अधिक लगता है।फल, सब्जिया, मांस आदि।1. भोजन हल्का व शीघ्र पचने वाला होता है।
2. यह एक अल्पव्ययी विधि है क्योंकि इसमें कम ईंधन की आवश्यकता होती है।
3. भोजन के पौष्टिक तत्व नष्ट नहीं होते क्योंकि रसा भोजन के साथ खाई जाती है।
3. भाप से पकानाभाप द्वाराभाप के द्वारा पकाने की विधि में भोजन भाप के सम्पर्क में लाकर पकाया जाता है। इसके लिये निम्नलिखित विधियां काम में लाई जाती है:-

1. अप्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा
2. प्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा
3. भाप के दबाव द्वारा।

1. अप्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा :- एक पतीले में पानी उबाल कर भाप से पकाया जाने वाला भोजन छोटे पतीले में डालकर बड़े पतीले के उबलते हुए पानी में रख दिया जाता है। छोटे पतीले का मुंह चिकनाई वाले कागज से बांध दिया जाता है। जिससे पानी भोजन में न चला जाये। बड़े पतीले में पानी उबलने से भाप बनती रहती है जो पतीले के मुंह को ढक्कन से बन्द कर देने के कारण बाहर नहीं निकलती और भोजन पका देती है।

2. प्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा :- एक पतीले में पानी डालकर आंच पर रखकर पतीले का मुंह मल-मल के कपड़े से बांध दिया जाता है। फिर कपड़े के ऊपर पकाने वाली सब्जियां फल इत्यादि रखकर उन्हें ढक दिया जाता है।। पतीले में बनी भाप कपड़े के द्वारा भोजन में पहुंचकर भोजन को पका देती है।

3. भाप के दबाव द्वारा :- इस विधि द्वारा भोजन प्रैशर कुकर में बनाया जाता है। यह भोजन पकाने की उत्तम विधि है।
सबजियां कस्टर्ड (भाप द्वारा बनाया हुआ) दालें, चावल, सब्जियां आदि1. आसानी से पेच जाता है।
2. भोजन के तत्व नष्ट नहीं होते और भोजन की रचना व रूप में कोई परिवर्तन नहीं आता।

1. भोजन के पौष्टिक तत्व नष्ट नहीं होते है।
2. सुगमता से पच जाता है
3. ईंधन, श्रम और समय की बचत होती है।
4. तलनाघी या तेल मेंयहां भोजन दो विधियों से बनाया जाता है:-

1. उथली विधि द्वारा
2. गहरी विधि द्वारा

1. उथली विधि – इस विधि में कम घी या तेल की आवश्यकता होती है।
2. घरी विधि – इस विधि द्वारा घी अथवा तेल इतना चाहिये की खाद्य-प्रदार्थ उसमें भली प्रकार डूब सके।
घी अथवा तेल को अच्छी तरह गर्म करके उसमें खाद्य पदार्थ को पकने के लिए डाला जाता है।
उथली विधि द्वारा- परांठा, कटहल आदि।
गहरीघरी विधि द्वारा – पूरी, कचौड़ी, पकौड़े, आदि।
1. गर्मी के कारण भोजन की ऊपरी परत कठोर हो जाती है और उस भोज्य प्रदार्थ का स्वाद एवं बहुत से भोज्य तत्व बाहर नहीं निकल पाते है।
2. खाने में भोजन स्वादिष्ट होता है
5. भूननाआग पर बिना पानी या चिकनाई के पकाना।इसमें दो विधियां प्रयोग में ले जाती है:-

1. दहकती आग पर अथवा हल्की आंच या गर्म रेत दाल कर। तन्दुर में रखा कर।
2. किसी बर्तन में थोड़ी-सी रेत में डाल कर। भूनने के लिये खाद्य-प्रदार्थ बढ़िया किस्म का तथा छोटे-छोटे टुकड़ों में कटा हुआ होना चाहिये।
सींख कबाब, बैगन, आलू, सकरकन्दी आदि।
चने, मकई आदि।
1. भूना हुआ भोजन हल्का होता है अतः शीघ्रता से पक जाता है।
2. खाने में स्वादिष्ट होता।
6. सेंकनाभट्ठी में शुष्क वायु से पकाना।भट्ठी या अवन में आग की गर्मी से खाद्य-पदार्थों को तैयार किया जाता है। पकाये जाने वाले पदार्थों के अनुकूल तप को भिन्न-भिन्न रखा जाता है।तन्दूरी रोटी, डबल रोटी, बिस्कुट, केक, नान-कताई आदि।1. भोजन के पौष्टिक तत्व नष्ट नहीं होते।
2. सुगमता से पचने योग्य हो जाता है।
3. भोजन स्वादिष्ट होता है।

पेय-पदार्थ से आप क्या समझते है? – शरीर के लिए पानी उतना ही आवश्यक है जितना की भोजन। पानी हमारी प्यास को बुझाता है हमारे भोजन को पचने में सहायता देता है। खून के दौरा करने और शरीर की गन्दगी को बहार निकलने का कार्य पानी ही करता है।

शरीर का तीन-चौथाई भाग पानी से बना है। यह न केवल पानी से ही पूरा होता है बल्कि कुछ ऐसे पदार्थ लेने से भी जिनमें कुछ मात्रा पानी की होती है जैसे लस्सी, शर्बत, शिकंजी, चाय आदि। पीने के इन सभी पदार्थो को पेय प्रदार्थ कहते है।

(1) गर्म पेय पदार्थ –

चाय –
चाय एक विशेष प्रकार के पौधों की पत्तियाँ होती है। यह रंगों और पट्ठों की थकावट को कम और हृदय को उत्तेजित करती है। चाय के पीने से शरीर में स्फूर्ति आती है किन्तु इसमें कोई पोषक तत्व नहीं होता है। इसके अधिक प्रयोग से भूख कम हो जाती है, नींद कम आने लगती है तथा कब्ज हो जाती है। चाय की पत्ती को उबालने से अथवा पत्ती को बहुत देर पानी में रखने से वह शरीर को हानि पहुँचाती है।

कॉफी – कॉफी गहरे भूरे रंग का चूर्ण होता है जो वृक्ष के बीजों को भून कर तथा पीस कर बनाया जाता है। इसके गुण चाय के सामान ही है किन्तु यह चाय से कम उत्तेजक और कम हानिकारक होती है।

कोको – कोको को भी एक वृक्ष के बीजों से भूनकर और पीसकर तैयार किया जाता है। चाय और कॉफी की अपेक्षा इसमें अधिक पोषक शक्ति होती है। इसके चूर्ण में वसा व निशास्ता होता है किन्तु इसमें चाय व कॉफी से कम उत्तेजक शक्ति होती है।

(2) ठंडे पेय पदार्थ – ठंडे पेय-पदार्थ में लस्सी, ठंडाई, शर्बत, जल-जीरा, इमली का पानी, शिकंजी, वायु-युक्त पदार्थ जैसे कैम्पा कोला, औरेन्ज, रिमझिम, लिमका, सोडा आदि, ताजे फलों व सब्जियों के रस एवं बाजार में उपलब्ध संरक्षित फलों के रस जैसे माजा, रसिका, फ्रूटी आदि आते हैं।

लस्सी – लस्सी दूध और दही दोनों से बनाई जाती है। दूध में पानी तथा कुछ चीनी मिला कर गर्मियों में पीने के लिए लाभकारी है। दही को बिलो कर उसमें पानी तथा चीनी या नमक मिला कर पीना भी अत्युत्तम है। पानी तथा चीनी या नमक रूचि के अनुसार मिलाया जाता है।

ठंडाई – ठंडाई तैयार करने के लिए प्रायः बादाम, काली मिर्च, खरबूजे के बीज, छोटी इलायची आदि की आवश्यकता होती है। इसको पीस कर दूध, पानी तथा चीनी मिला कर प्रयोग में लाया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए अत्युत्तम है।

शर्बत – चीनी ओर पानी को आग पर पका लेने के पश्चात् उसमें रंग तथा खुशबू मिला कर शर्बत बनाते है। आवश्यकतानुसार उसमें पानी तथा बर्फ मिला कर प्रयोग में लाया जाता है।

जलजीरा तथा इमली का पानी – ये पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं। इमली तथा मसालों को थोड़े से पानी में उबाल कर ठंडा कर लिया जाता है। फिर इसमें पानी तथा बर्फ मिला कर प्रयोग में लाया जाता है।

शिकंजी – पानी में चीनी अथवा नमक मिला कर उसमें नींबू का रस डाल दिया जाता है। इसको छान कर ठंडा कर के पीने के लिए परोसा जाता है। इससे विटामिन सी तथा कार्बोज शरीर को मिलते हैं।

वायु-युक्त पदार्थ – कैम्पा कोला, सोडा, ऑरेन्ज आदि वायु-युक्त पदार्थों के अन्तर्गत आते हैं। पानी में कार्बन-डाइऑक्साइड, खुशबू, रंग तथा मीठा मिला कर इन्हें बोतलों में भर देते हैं। ठंडा होने के नाते ये स्वादिष्ट लगते हैं।

फलों व सब्जियों के रस – यह बाजार में पैकेटों, बोतलों व डिब्बों में मिलते हैं। यह अन्य पेय पदार्थों की अपेक्षा अधिक पौष्टिक होते हैं।

पेय पदार्थ बनाते तथा परोसते समय ध्यान देने योग्य बातें –

1. पीने की चीजों का प्रयोग करते समय उनकी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बाजार में शर्बत, लस्सी आदि बनाने में इतनी सफाई नहीं रक्खी जाती जितनी की घर में।
2. पेय पदार्थ बनने के एकदम बाद ही पीने चाहिए जिससे उनकी खुशबू और ताजापन बना रहे।
3. गर्म पेय पदार्थ गर्म तथा ठण्डे पेय पदार्थ बहुत ठंडे परोसने चाहिए।
4. पेय पदार्थों में बहुत अधिक बर्फ व पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए इससे उनका स्वाद बिगड़ जाता है।
5. जितना पेय-पदार्थ देना हो उसी के हिसाब से गिलास का प्रयोग करना चाहिए। बहुत थोड़ा सा पेय-पदार्थ एक बहुत बड़े गिलास में भद्दा लगता है।

पेय पदार्थ कैसे बनाते है तथा कैसे परोसना है?

गर्म पेय पदार्थ

चाय

सामग्री

पानी . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1 प्याला
चाय की पत्ती . . . . . . . . . . . . . . . . . . ½ चम्मच
दूध . . . . . . . . . . . . . . . . . . स्वादानुसार
चीनी . . . . . . . . . . . . . . . . . . स्वादानुसार

विधि

1. पानी को उबलने के लिए रख दें।
2. फिर चायदानी में चाय की पत्ती डालकर उसमें उबलता हुआ पानी डाल दें। हिलाकर उसको दो-तीन मिनट के लिये ढक दें।
3. इसमे स्वादानुसार गर्म दूध और चीनी मिलाकर गर्म-गर्म परोसें।

ठंडे पेय पदार्थ

शिकंजी

सामग्री

पानी . . . . . . . . . . . . . . . . . . 3/4 गिलास
चीनी . . . . . . . . . . . . . . . . . . 2 बड़े चम्मच
नीम्बू . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
बर्फ . . . . . . . . . . . . . . . . . . ठण्डा करने के लिए

विधि

1. पहले चीनी को पानी में अच्छी तरह मिला लें।
2. फिर उसमें नीम्बू का रस मिला कर उसको किसी पतले कपड़े व छलनी में से छान लें।
3. बर्फ डाल कर पीने के लिए दें।

नोट – चीनी के स्थान पर नमक तथा काली मिर्च का प्रयोग किया जा सकता है।

जीरा-पानी

सामग्री

इमली . . . . . . . . . . . . . . . . . . 50 ग्राम
पुदीना (ताजा व सूखा) . . . . . . . . . . . . . . . . . . थोड़ा सा
सफेद जीरा . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1 बड़ा चम्मच
काला नमक . . . . . . . . . . . . . . . . . . 2 छोटे चम्मच
अदरक . . . . . . . . . . . . . . . . . . 15 ग्राम
ताजा नीम्बू का रस . . . . . . . . . . . . . . . . . . 2 बड़े चम्मच
पानी . . . . . . . . . . . . . . . . . . 3 गिलास
लाल मिर्च . . . . . . . . . . . . . . . . . . ½ छोटा चम्मच
गर्म मसाला . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1½ छोटा चम्मच
नमक . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1½ छोटा चम्मच
चीनी . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1½ बड़ा चम्मच
बर्फ . . . . . . . . . . . . . . . . . . ठण्डा करने के लिए

विधि – इमली को धोकर थोड़े से पानी में कुछ समय के लिए भिगो कर रख दें। फिर उसको मथ कर उसका रस निकाल लें तथा जालीदार कपड़े में से छान लें। नीम्बू के रस तथा बर्फ को छोड़ कर सब मसालों को बारीक पीस लें और इमली के पानी में मिला दें। बाकी पानी भी उसमें डाल दें तथा कुछ घन्टों के लिए रख दें। नीम्बू का रस तथा बर्फ मिला कर पीने के लिए दें।

सैंडविच कैसे बनाते है? – सैंडविच के लिए जो डबलरोटी प्रयोग में लायी जाती है उसके टुकड़े प्रायः पतले व बड़े होते हैं। सैंडविच कई चीजों से बनाए जा सकते है जैसे टमाटर, पुदीने की चटनी, खीरा आदि। टमाटर के सैंडविच.

सामग्री

डबल रोटी के टुकड़े . . . . . . . . . . . . . . . . . . 2
टमाटर (लाल तथा कड़ा) . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1/2
मक्खन . . . . . . . . . . . . . . . . . . 10 ग्राम
नमक, काली मिर्च . . . . . . . . . . . . . . . . . . स्वादानुसार
गाजर . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1/4
सलाद की पत्ती . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1

विधि

पहले डबल रोटी के दोनों टुकड़ों को चकले पर फैला कर रख दें। फिर उनके ऊपर वाले भाग पर मक्खन लगाएं। टमाटर के पतले व गोल टुकड़े काट कर एक स्लाईस पर तब तक रखते जाएं जब तक पूरी स्लाईस अच्छी तरह से ढक न जाए। उस पर नमक व काली मिर्च (पिसी हुई) डालें तथा ऊपर से दूसरी स्लाईस से इस प्रकार ढकॅ कि मक्खन वाला भाग अन्दर की तरफ हो। इसके बाद स्लाईस के चारों तरफ के किनारे काट दें। तब उनको किसी भी सुन्दर आकार में काट लें। सैंडविच को सजाने के लिए गाजर को कद्दूकस कर लें तथा सलाद के पत्ते को खूब बारीक काट लें। फिर दोनों को सैंडविच पर थोड़ा-थोड़ा फैला कर परोसें।

सलाद कैसे बनाते है? – भोजन के साथ कच्ची सब्जियों का खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से तो लाभदायक है ही, भोजन की मेज पर कलापूर्ण ढंग से सलाद की सजावट भी भोजन की रुचि व आनन्द को दुगना कर देती है। आजकल विभिन्न प्रकार से सलाद सजाने का बहुत प्रचलन है।

सामग्री

सलाद के पत्ते . . . . . . . . . . . . . . . . . . 4
चुकन्दर . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1 टुकड़ा
मूली . . . . . . . . . . . . . . . . . . ½
गाजर . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
खीरा . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1/4
प्याज . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1/2
गोल आलू . . . . . . . . . . . . . . . . . . 2
बड़ा टमाटर . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
नीम्बू . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
हरी मिर्च . . . . . . . . . . . . . . . . . . 2-3
नमक, काली मिर्च . . . . . . . . . . . . . . . . . . स्वादानुसार

विधि

पहले मूली और गाजर को घिस कर लच्छे बना लें। खीरे तथा प्याज की गोल-गोल चकलियां काट लें, उबले गोल आलुओं को छील कर उन्हें छोटे-छोटे फूलों के आकार में काट कर रख लें। मध्य में रखने के लिए एक बड़े टमाटर को एक फूल के आकार में काट लें।

अब इन्हें इस प्रकार सजाएं –

पहले प्लेट में सलाद की पत्तियां धोकर बिछा लें। अब खीरे व प्याज की चकलियों को गोलाई में जोड़ कर सजाएं। बीच में टमाटर रख दें। टमाटर के आस-पास आलू सजा दें। बीच-बीच में छोटी हरी मिर्च अथवा मूली के छोटे-छोटे पत्ते फूलों की पत्तियों की भांति सजा दें। आलू में सफेद फूलों के बीच गाजर, मूली, चुकन्दर के लच्छे भर कर फूलों का पराग बना दें। अब इस पर नीम्बू निचोड़ कर नमक व काली मिर्च डाल दें। इसे मेज पर बीच में सजा दें। मेज की शोभा बढ़ जायेगी।

चाट बनाना कैसे बनाते है? – चाट कई चीजों से बनती है, जैसे आलू की, आलू-छोले की, आलू कचालू की, फलों व सब्जियों की चाट आदि।

फलों व सब्जियों की चाट

सामग्री

पका हुआ केला . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
आलू . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
शकरकन्दी . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
पपीता . . . . . . . . . . . . . . . . . . 50 ग्राम
खीरा . . . . . . . . . . . . . . . . . . 2-4 टुकड़े
अमरूद . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1/2
नीम्बू . . . . . . . . . . . . . . . . . . 1
नमक, चाट का मसाला, . . . . . . . . . . . . . . . . . . स्वादानुसार
भून कर पिसा हुआ जीरा . . . . . . . . . . . . . . . . . . स्वादानुसार

विधि

1. पहले आलू तथा शकरकन्दी को उबाल कर छील लें तथा उनको छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
2. फिर अन्य सब्जियों व फलों को धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और आलू तथा शकरकन्दी को भी उसमें मिला दें।
3. इनमें नमक, मिर्च, जीरा तथा चाट का मसाला मिला कर नीम्बू निचोड़ दें।

नोट – चाट बनाने के लिए मौसम के कोई भी फल व कच्ची खाई जाने वाली सब्जियाँ तथा अंकुरित दालें, प्रयोग में लाई जा सकती हैं।

1. भोजन की आवश्यकता हमे क्यों होती है

हमारा शरीर जन्म से लेकर कुछ वर्षों तक निरन्तर बढ़ता रहता है। शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों को बनाने तथा उनकी वृद्धि के लिए जिन-जिन तत्वों की आवश्यकता होती है, उनकी प्राप्ति हमें भोजन से ही होती है।

2. भोजन के क्या कार्य होता है

भोजन शरीर में ईंधन की भांति जल कर ताप उत्पन्न करता है। यही ताप शरीर की गर्मी को बनाये रखता है और हमें जीवन तथा कार्य करने की शक्ति प्रदान करता है। हम सांस लेते है, चलते-फिरते हैं शरीर की वृद्धि के लिए और काम करते हैं। इन सब के लिए हमें भोजन से ही शक्ति मिलती है।

3. भोजन के तत्व किसे कहते है?

हमें ज्ञात है कि कोई एक भोज्य-पदार्थ शरीर में सब कार्य नहीं कर सकता। उदाहरणार्थ हम दूध और दूध से बने पदार्थ खाते है तो हमारे शरीर में नये तन्तुओं का निर्माण होता है जिससे शरीर की वृद्धि होती है। अनाज, आलू, शकरकन्दी, वसा आदि खाने से कार्य करने की शक्ति मिलती है। दाँतों व हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए तथा शरीर को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए हमें सब्जियों और फलों की आवश्यकता होती है।

4. भोजन में पाए जाने वाले तत्व कौन-कौन से हैं

भोजन में पाए जाने वाले तत्व निम्नलिखित हैं-

1. प्रोटीन।
2. वसा।
3. कार्बोज – श्वेतसार तथा शक्कर देने वाले पदार्थ।
4. विटामिन-विटामिन ए, बी, सी, डी, ई तथा के।
5. खनिज लवण-कैल्सियम, लोहा, नमक आदि।
6. जल।

5. भोजन के मुख्य गुट कौन-कौन से है

अपनी सुविधा के लिए यदि हम सभी भोज्य पदार्थों को चार गुटों में बांट लें और अपने दिन भर सभी गुटों में से भोज्य पदार्थ ले लें तो अपने शरीर को स्वस्थ रखने के कार्य में हम काफी सीमा तक सफल हो सकते है। भोजन के यह चार गुट इस प्रकार हो सकते है।

6. उपयुक्त भोजन से आप क्या समझते है?

हमारे शरीर को प्रत्येक तत्व की, किसी न किसी मात्रा में आवश्यकता होती ही है। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हम अपने दिन भर के भोजन में प्रत्येक गुट में से कम से कम दो अथवा तीन भोज्य-पदार्थ अवश्य लें। इसका यह अर्थ नहीं कि वे दिन में कभी भी ले लिए जाएं। इन भोज्य पदार्थों को सारे दिन के भोजन में बराबर बांट लेना चाहिए जिससे प्रत्येक समय का भोजन हमारे भोजन के मुख्य चार गट

1. दूध तथा दूध से बनी चीजें।
2. मांस, मछली, अण्डा तथा दालें।
3. फल एवं सब्जियां।
4. अनाज।

7. भोजन पकाने के लाभ क्या-क्या है?

भोजन पकाने से निम्नलिखित लाभ है-

(1) भोजन स्वादिष्ट लगता है।
(2) भोजन बहुत सरलता से पच जाता है।
(3) भोजन में विभिन्नता लाई जा सकती है। एक ही भोज्य-पदार्थ से हम कई प्रकार के खाद्य-पदार्थ तैयार कर सकते है।
(4) गर्मी के कारण रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते है।
(5) भोजन अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
(6) भोजन देखने में अधिक आकर्षक लगता है।

8. भोजन पकाने की विभिन्न विधियों के बारे बताइये

भोजन पकाने की मुख्य विधियां निम्नलिखित हैं:-

(1) उबालना
(2) धीमी आंच पर पकाना
(3) भाप से पकाना
(4) तलना
(5) भूनना
(6) सेंकना।

9. पेय-पदार्थ से आप क्या समझते है?

शरीर का तीन-चौथाई भाग पानी से बना है। यह न केवल पानी से ही पूरा होता है बल्कि कुछ ऐसे पदार्थ लेने से भी जिनमें कुछ मात्रा पानी की होती है जैसे लस्सी, शर्बत, शिकंजी, चाय आदि। पीने के इन सभी पदार्थो को पेय प्रदार्थ कहते है।

10. कौन-कौन से भोज्य-पदार्थों को भूना जा सकता है

सींख कबाब
बैगन
आलू
सकरकन्दी
चने
मकई आदि।

11. सन्तुलित भोजन किसे कहते हैं?

सन्तुलित भोजन एक ऐसा भोजन जिसमे सभी तत्व निश्चित मात्रा में होते है जैसे कैलोरी, प्रोटीन, खनिज, विटामिन आदि।

12. विटामिन के मुख्य कार्य क्या होता है?

विटामिन का मुख्य होता है हमारे शरीर को रोगों से रक्षा करना।
NCERT Solution Class 6th Home Science All Chapters Notes in Hindi
Chapter – 1 गृह विज्ञान का अर्थ एवं महत्व
Chapter – 2 हमारे स्वस्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वछता
Chapter – 3 हमारा भोजन
Chapter – 4 हमारे वस्त्र
Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 6 प्राथमिक सहायता
Chapter – 7 उपभोक्ता ज्ञान
Chapter – 8 पारिवारिक सम्बन्ध
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