NCERT Solution Class 6th Hindi Chapter – 6 ऐसे – ऐसे
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | Hindi |
Chapter | 6th |
Chapter Name | ऐसे – ऐसे |
Category | Class 6th Hindi वसंत |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Hindi Chapter – 6 ऐसे – ऐसे प्रश्न – उत्तर इस पाठ में हम देखेंगे की एक बच्चा किस तरीक़े से तरह-तरह के बहाने बनता है घर वाले परेशान हो जाते है लेकिन अंत में वो कुछ और ही निकलता है, यह पाठ विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखी गई है, यह एक एकांकी है, जैसे हम संवाद लेखन या वार्तालाप लिखते है वैसे ही हम एकांकी लिखते है, मोहन को कौन सी बीमारी थी?, क्या श्याम मोहन का भाई है?, मोहन के पिता का नाम क्या था?, मोहन किसका बेटा था?, मोहन कौन सी भाषा है?, मोहन का राशि नाम क्या है?, अंतिम नाम मोहन का क्या अर्थ है?, मोहन जैसे लड़के कैसे होते हैं?, मोहन का अर्थ क्या है?, राष्ट्रीयता का नाम क्या है?, मोहन कुमार कहाँ का रहनेवाला था?, आदि के बारे में हम विस्तार से पढ़ेगे। |
NCERT Solution Class 6th Hindi Chapter – 6 ऐसे – ऐसे
Chapter – 6
ऐसे – ऐसे
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. ‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाज़ा सड़क वाले बरामदे में खुलता है… उस पर एक फ़ोन रखा है। इस बैठक की पूरी तसवीर बनाओ।
उत्तर – बैठक में फ़र्श पर कालीन बिछा है। इसके ऊपर सोफा सेट रखा है। कोने में तिपाही पर फूलदान सज़ा है। दूसरे कोने में टेबल लैंप रखा है। कमरे के बीच में शीशे की मेज़ रखी है। मेज़ पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी हैं। दीवार पर दो सुंदर पेंटिंग टॅगी हुई है।
प्रश्न 2. माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी ?
उत्तर – माँ का घबराना स्वाभाविक था क्योंकि मोहन कुछ बताता ही नहीं था। बस ऐसे-ऐसे किए जा रहा था। माँ ने सोचा पता नहीं यह कौन-सी बीमारी है और कितनी भयंकर है। इसलिए मोहन की माँ घबरा गई थी।
प्रश्न 3. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो।
उत्तर – पेट दर्द, सिर दर्द, बुखार, माता-पिता के साथ कहीं जाना, माता-पिता द्वारा किसी काम के लिए कहा जाना, शादी में जाना, बस छूट जाने का बहामा, माँ की बीमारी का बहाना इत्यादि।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी ?
उत्तर – स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। यदि किसी दिन मोहन को सचमुच पेट में दर्द हो गया तो कोई भी उसकी बात को नहीं मानेगा तथा उसका दर्द बढ़ता जाएगा जो कि परेशानी का कारण बन सकता है।
यदि किसी दिन मोहन के पेट में सचमुच दर्द हुआ होगा तो लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया हो और यही समझा होगा कि वह बहाने बना रहा है।
ऐसे में वह तड़पा होगा और सबको बार-बार कहा होगा कि उसके पेट में सचमुच दर्द हो रहा है। तब जाकर मोहन को पता चला होगा कि झूठ बोलने से क्या नुकसान होता है। उसे अपनी आदत पर पछतावा होगा और संभवतः वह भविष्य में कभी झूठ बोलने से तौबा कर ले।
प्रश्न 2. पाठ में आए वाक्य- ‘लोचा-लोचा फिरे है’ के बदले ‘ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमज़ोर हो गया है’-लिखा जा सकता है लेकिन, लेखक ने संवाद में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं, जैसे-
-इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं,
-राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया,
-तेरे पेट में तो बड़ी दाढ़ी है।
अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है।
उत्तर – इतनी नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं।
- इन बीमारियों ने परेशान कर दिया है। तुम तो बहुत चालाक हो।
प्रश्न 3. मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो।
उत्तर –
में – अरे मोहन! कैसे हो? क्या हुआ है तुम्हें?
मोहन – कुछ नहीं भाई। बस पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।
मैं – ऐसे कैसे?
मोहन – बस ऐसे-ऐसे।
मैं – डॉक्टर को दिखाया?
मोहन – डॉक्टर को भी दिखाया और वैद्य की भी दवा मिली है खाने को।
मैं – क्या कहा उन्होंने?
मोहन – उन्होंने कब्ज और बदहजमी बताया है।
मैं – ठीक है, दवा खाओ और जल्दी ठीक होने की कोशिश करो। कल से स्कूल खुल रहा है, याद है न।
मोहन – हाँ, हाँ, याद है।
मैं – अब मैं चलता हूँ। कल स्कूल जाते समय आऊँगा। अगर पेट ठीक हो जाए तो तुम भी तैयार रहना।
मोहन – अच्छा भाई! धन्यवाद।
प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए? ऐसे वक्त में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे? कक्षा में करके बताओ।
उत्तर – संकट के समय पुलिस, फायर ब्रिगेड और हॉस्पिटल एवं चिकित्सक के नंबर याद रखे जाने चाहिए। पुलिस की नंबर-100, फायर ब्रिगेड की-101, एंबुलेंस की-102 यदि कोई वारदात होती है तो पुलिस को जानकारी देंगे। यदि आग लगती है तो फायर ब्रिगेड को खबर देंगे।
यदि कोई बीमारे है तो डॉक्टर को फ़ोन करेंगे। हम इनसे नम्र स्वभाव में प्रार्थना करते हुए बातें करेंगे। हम उन्हें घर का पता बता देंगे। उनसे शीघ्र आने के लिए कहेंगे। डॉक्टर को मरीज़ की बीमारी के लक्षण बता देंगे ताकि वह आवश्यक दवा साथ ला सके।
ऐसा होता तो क्या होता…
प्रश्न 1. मास्टर – स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है?
(मोहन हाँ में सिर हिलाता है।)
मोहन- जी, सब काम पूरा कर लिया है।
इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता? लिखो।
उत्तर – ऐसी स्थिति में मास्टर जी समझ जाते कि सचमुच दर्द है। वह मोहन के माता-पिता को उसका ठीक से इलाज कराने की सलाह देते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1. (क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया ?
(घ) मोहन केला और संतरा खाओ।
उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।
दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं।
चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। आगे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो।
बताना – रूथ ने कपड़े अलमारी में रखे।
नहीं/मना करना – ……….
पूछना – ………
आदेश देना – ……….
उत्तर – नहीं/मना करना – रुथ ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।
पूछना – क्या रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे ?
आदेश देना – रुथ कपड़े अलमारी में रखो।
कुछ और करने के लिए
प्रश्न 1. क्या तुम स्कूल का काम न करने पर उल्टे-सीधे बहाने बनाते हो ?
उत्तर – नहीं, मैं स्कूल का काम नहीं कर पाने पर कोई बहाना नहीं बनाता। मैं माँ को साफ़-साफ़ बता देता हूँ कि आज मैं स्कूल न जाकर गृह कार्य पूरा करूंगा। तभी अगले दिन स्कूल जाऊँगा। मुझे झूठ बोलना कतई पसंद नहीं है।
एकांकी का मंचीकरण बच्चे इस एकांकी को बाल सभा के मंच पर प्रस्तुत करेंगे। पात्रों को चुनाव कर उन्हें संवाद याद करने के लिए दिए जाएँगे। अध्यापक/अध्यापिका दो दिनों तक रिहर्सल कराने के उपरांत प्रस्तुतीकरण के लिए कहेंगे।
अभिनय कौशल को परखा जाएगा। इससे बच्चों की अभिव्यक्ति का विकास होगा तथा मंच भय से मुक्ति मिलेगी।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न (MCQ)
(क) ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के लेखक कौन हैं ?
(i) जयंत विष्णु
(ii) विष्णु प्रभाकर
(iii) गुणाकर मुले
(iv) अनुबंधोपाध्याय
उत्तर – (ii) विष्णु प्रभाकर
(ख) मोहन ने पिता के दफ़तर में क्या खाया था ?
(i) बर्गर
(ii) समोसे
(iii) फल
(iv) मिठाई
उत्तर – (iii) फल
(ग) किन बहानों को मास्टर जी समझ जाते हैं ?
(i) पेट दर्द
(ii) सिर दर्द
(iii) चक्कर आना
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (iv) उपर्युक्त सभी
(घ) वैद्य जी को बुलाकर कौन लाया ?
(i) मोहन की माँ
(ii) मोहन के पिता
(iii) मोहन के पड़ोसी दीनानाथ
(iv) मोहन का मित्र
उत्तर – (i) मोहन की माँ
(ङ) मोहन कैसा लड़का था ?
(i) कमज़ोर
(ii) कम बुद्धिवाला
(iii) भला
(iv) शरारती
उत्तर – (iv) शरारती
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मोहन ने पिता के दफ़तर में क्या खाया था ?
उत्तर – मोहन ने पिता के दफ़तर में एक केला और एक संतरा खाया था।
प्रश्न 2. वैद्य जी को बुलाकर कौन लाया ?
उत्तर – मोहन के पड़ोसी वैद्य जी को बुलाकर लाए थे।
प्रश्न 3. वैद्य जी ने मोहन को देखने के बाद क्या कहा ?
उत्तर – वैद्य जी मोहन को देखकर कहते हैं कि घबराने की कोई बात नहीं। मामूली बात है, पर इससे कभी-कभी बड़े भी तंग आ जाते हैं।
प्रश्न 4. मोहन ने क्या बहाना बनाया ?
उत्तर – मोहन ने स्कूल न जाने के लिए बहाना बनाया कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे’ दर्द हो रहा है।
प्रश्न 5. क्या मोहन के पेट में सचमुच दर्द था ?
उत्तर – नहीं, मोहन के पेट में कोई दर्द नहीं था। वह केवल बहाना कर रहा था।
लघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मोहन की हालत देख माँ क्यों अधिक परेशान थी ?
उत्तर – मोहन की हालत देखकर मोहन की माँ ने मोहन को हींग, चूरन, पिपरमेंट आदि दिया था, पर मोहन ठीक नहीं हुआ था। वह बार-बार कहता था कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।
माँ उसकी हालत देखकर परेशान थी क्योंकि मोहन को क्या हो रहा है, यह पता नहीं चल रहा था। उसने ‘ऐसे-ऐसे’ की बीमारी का नाम न सुना था। वह सोच में पड़ गई थी कि उसे कोई नई बीमारी तो नहीं हो गई है इसीलिए वह मोहन की हालत देखकर परेशान थी।
प्रश्न 2. मोहन की माँ क्यों कहती है-हँसी की हँसी, दुख का दुख ?
उत्तर – मोहन की माँ बार-बार मोहन से उसके पेट-दर्द के बारे में पूछती है। वह बस यही कहता है कि पेट में ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। उसकी बात सुनकर माँ हँस पड़ती है और परेशान भी होती है।
वह बेटे के दुख से दुखी होती है। इसी मनः स्थिति में वह कहती है की हँसी की हँसी दुख का दुख। यह उसे अजीब बीमारी लगती है।
प्रश्न 3. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं। ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो।
उत्तर – ऐसे अनेक बहाने होते हैं; जैसे-आज स्कूल में कुछ नहीं होगा, बस सफ़ाई कराई जाएगी। कुछ छात्र कहते हैं कि मैं रात में पढ़ाई कर रहा था मेरी किताब और कॉपी वहीं छूट गई।
कभी-कभी छात्र दूर के रिश्तेदार की बीमारी का बहाना बना लेते हैं। इसके अलावे छात्र पेट दर्द, सिर दर्द, माता-पिता के साथ कहीं जाना, जिन्हें एक ही बार सुनकर मास्टर जी समझ जाते हैं।
प्रश्न 4. वैद्य जी मोहन को क्या बीमारी बताते हैं ? वह उसे क्या दवा देते हैं।
उत्तर – वैद्य जी मोहन के पेट-दर्द का कारण बताते हैं वात का प्रकोप है, कब्ज़ है। पेट साफ़ नहीं हुआ है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है। वह मोहन को दवा की पुड़िया हर आधे-आधे घंटे बाद गरम पानी से लेने को कहते हैं।
प्रश्न 5. डॉक्टर मोहने को क्या बीमारी बताते हैं और ठीक होने का क्या आश्वासन देते हैं ?
उत्तर – डॉक्टर मोहन की जीभ देखकर कहते हैं कि उसे कब्ज़ और बदहजमी है। फिर वह बताते हैं कि कभी-कभी हवा रु क जाती है और फंदा डाल लेती है।
मोहन के पेट में बस उसी का ऐंठन है। वह मोहन को आश्वासन देते हैं कि दवा की एक खुराक पी लेने के बाद तबियत ठीक हो जाएगी।
NCERT Solution Class 6th Hindi All Chapters Vasanth |
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