NCERT Solution Class 6th Science Chapter – 1 भोजन के घटक (Components of food)
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | विज्ञान (Science) |
Chapter | 1st |
Chapter Name | भोजन के घटक (Components of food) |
Category | Class 6th विज्ञान (Science) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Science Chapter – 1 भोजन के घटक (Components of food) Notes in Hindi हम आहार के घटक या अवयव , प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज पदार्थ, विटामिन, जल, आहारविद्या, भोजन के अवयव, हमारे भोजन का मुख्य स्रोत, पोषक तत्व, के बारे में पढ़ेंगे। आइये इस लेख के माध्यम से हम सभी भोजन के घटक क्या हैं उनके कार्य और स्रोत क्या हैं?, भोजन के कितने अवयव होते हैं?, भोजन की खाद्य सामग्री क्या है, पोषक तत्व कितने प्रकार के होते हैं?, भोजन के मुख्य स्रोत क्या है?, भोजन के दो मूल स्रोत क्या है?, भोजन के 5 मुख्य घटक कौन से हैं?, भोजन के 3 मुख्य घटक क्या हैं?, भोजन के 7 घटक कौन से हैं?, भोजन के प्रकार क्या है?, भोजन में कौन से पदार्थ?, भोजन का वर्गीकरण क्या है? के बारे में जानते है, आप सभी हमारे Youtube के माध्यम से हमारे साथ जुड़ सकते है |
NCERT Solution Class 6th Science Chapter – 1 भोजन के घटक (Components of food)
Chapter – 1
भोजन के घटक
Notes
भोजन के घटक वे पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक होते हैं और हमें ऊर्जा प्रदान करते हैं, साथ ही शरीर की वृद्धि, मरम्मत और विभिन्न क्रियाओं के लिए जरूरी होते हैं भोजन के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं।
कार्बोहाइड्रेट- ये हमारे शरीर के लिए मुख्य ऊर्जा स्रोत होते हैं।
प्रोटीन- शरीर की मरम्मत और नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी होते हैं।
वसा- ऊर्जा का संचित स्रोत होते हैं और शरीर के लिए आवश्यक विटामिनों को घुलने में मदद करते हैं।
विटामिन- विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए जरूरी होते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
खनिज- शरीर की विभिन्न क्रियाओं के लिए जरूरी होते हैं और हड्डियों व दांतों को मजबूती प्रदान करते हैं।
जल- शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और शरीर की कोशिकाओं में पोषक तत्वों का परिवहन करता है।
रुक्षांश (आहारी रेशे)- पाचन क्रिया को सुधारते हैं और कब्ज से बचाव में मदद करते हैं। ये घटक हमें विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं, जैसे कि अनाज, दालें, फल, सब्जियां, दूध, मांस, और अन्य खाद्य स्रोत।
भोजन किसे कहते है – हर जीव को रोजाना काम करने के लिए ऊर्जा एवं शक्ति की जरूरत पड़ती है। जीवों को वृद्धि और स्वस्थ रहने के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन कों ग्रहण करना पड़ता है। जीवों को ऊर्जा और जरूरी पदार्थ भोजन से प्राप्त होता है।
भोजन तीन प्रकर के होते हैं। मांसाहारी, सर्वहारी, शाकाहारी। भोजन वे सभी आवश्यक पदार्थ होते हैं जिसे ग्रहण करने से किसी जीव की शरीर की रचना तथा टूट-फूट की मरम्मत, वृद्धि एवं विकास, जनन क्षमता का विकास, ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ जैविक क्रियाओं का संचालन और नियमन आदि के कार्य करते हैं। भोजन में कार्बोहाइड्रेट, वसा, जल तथा प्रोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं और यह जीवों को ऊर्जा प्रदान करता है। भोजन का नियमित ग्रहण जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
भोजन की विविधता से आप क्या समझते है – हम रोज़ अनेक प्रकार के भोजन से ऊर्जा ग्रहन करते हैं। जैसे – चावल, रोटी, सब्जी, अंडे, मक्खन इत्यादि। रोजाना इसी तरह के अलग-अलग तरह के भोजन को हम भोजन की विविधता (Variety of food) के नाम से जानते हैं। भोजन की विविधता से मेरा तात्पर्य है कि अलग-अलग प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करना, जिससे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।
यह विविधता अनाज, दालों, फलियों, सूखे मेवे, पीले/नारंगी रंग के फल और सब्जियाँ, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे दही, और विभिन्न प्रकार के मांसाहारी खाद्य पदार्थों में पाई जाती है। इस प्रकार की विविधता न केवल पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि भोजन को और भी स्वादिष्ट और आनंददायक बनाती है। भारतीय संस्कृति में भोजन की विविधता एक महत्वपूर्ण भाग है, जो देश की सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाती है।
संतुलित आहार किसे कहते है – एक ऐसा आहार जिसमें सभी प्रकार के पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है उसे संतुलित आहार (Balanced diet) कहते हैं उदाहरण के लिए – कार्बोहइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन आदि। संतुलित आहार वह आहार होता है जो शरीर को सही ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व प्रदान करता है।
इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, और खनिज जैसे तत्व शामिल होते हैं। संतुलित आहार का सेवन करने से शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है और यह रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसमें ताजे फल, ताजी सब्जियाँ, साबुत अनाज, सूखे मेवे, फलियां, और लीन प्रोटीन जैसे खाद्य पदार्थों का समावेश होता है। संतुलित आहार का उद्देश्य शरीर के विकास और दिमाग को तेज करने में भी मदद करता है।
बेरी बेरी रोग से क्या अभिप्राय है – विटामिन B1 की कमी के कारण होने वाले रोग को बेरी बेरी कहते है। जिन स्थानों का मुख्य भोजन चावल है उन क्षेत्रों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है। बेरी बेरी एक कुपोषणजन्य रोग है जो विटामिन बी1, जिसे थायमिन भी कहा जाता है, बेरी बेरी रोग की कमी से होता है। इस रोग के मुख्य लक्षणों में दिल और संचार प्रणाली पर प्रभाव, मांसपेशियों में कमजोरी और पक्षाघात शामिल हैं।
बेरी बेरी रोग मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है: आर्द्र बेरीबेरी और शुष्क बेरीबेरी। आर्द्र बेरीबेरी दिल और परिसंचरण तंत्र को प्रभावित करती है, जबकि शुष्क बेरीबेरी नसों और मांसपेशियों को प्रभावित करती है। इस रोग का इलाज थायमिन की पूर्ति से किया जा सकता है, और इसे रोकने के लिए थायमिन से भरपूर आहार का सेवन महत्वपूर्ण है।
कार्बोहाइड्रेट किसे कहते है – कार्बोहाइड्रेट जीव जंतु के शरीर में उर्जा के रूप में काम करती है कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से मंड और शर्करा के रूप में होते हैं। कार्बोहाइड्रेट ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें कार्बन c, हाइड्रोजन (H), और ऑक्सीजन (O) तत्व होते हैं, और इनमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का अनुपात पानी के समान 2:1 होता है। कार्बोहाइड्रेट को उनके रासायनिक गुणों के आधार पर मोनोसैकेराइड, ओलिगोसैकेराइड, और पॉलिसैकेराइड में वर्गीकृत किया जाता है।
मोनोसैकेराइड- ये सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट होते हैं और इन्हें और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटन द्वारा नहीं तोड़ा जा सकता। उदाहरण के लिए ग्लूकोज, फ्रुक्टोज आदि।
ओलिगोसैकेराइड- ये जल अपघटन पर 2 से 10 तक मोनोसैकेराइड उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिए सुक्रोज, माल्टोज, लेक्टोज आदि।
पॉलिसैकेराइड- ये जल अपघटन पर बहुत सारे मोनोसैकेराइड उत्पन्न करते हैं और इनमें स्वाद में मिठास नहीं होती। उदाहरण के लिए स्टार्च, सेल्यूलोज, ग्लाइकोजन आदि।
कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत होते हैं और ये आहार में मिलने वाले अनाज, फलों, और सब्जियों जैसे पदार्थों में पाए जाते हैं।
ऊर्जा किसे कहते है – हमें प्रोटीन और विटामिन आदि से ऊर्जा मिलती है ऊर्जा के कारण ही हम कोई भी कार्य कर पाते है। यदि हमारे शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है तो हम खुद को कमजोर महसूस करने लगते है ऊर्जा को भौतिकी में वस्तुओं का एक गुण माना जाता है, जिसे अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता है। ऊर्जा की सरल परिभाषा यह है कि यह किसी भी वस्तु के कार्य करने की क्षमता है।
उदाहरण के लिए, ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा होती है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा कई रूपों में पाई जाती है, जैसे कि स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा, आन्तरिक ऊर्जा, वैद्युत ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, सौर ऊर्जा, ऊष्मीय एवं नाभिकीय ऊर्जा। इसके अलावा, ऊर्जा को नापने के लिए जूल (J) इकाई का उपयोग किया जाता है।
वसा से आप क्या समझते है – वसा एक ऐसा पदार्थ हैं। जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं। वसा शरीर की ऊर्जा को इकट्ठा करने का तरीका हैं। वसा को चिकनाई भी कहते है लेकिन कभी कभी वसा के ज्यादा जमा होने से ये हमारे शरीर के परेशानी का भी कारण बन जाता है वसा एक प्रकार का कार्बनिक यौगिक है जो मुख्यतः कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है। यह शरीर के लिए ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और विटामिन को सोखने में भी मदद करता है। वसा को दो मुख्य प्रकारों में बाँटा जा सकता है
संतृप्त वसा (Saturated Fats) – इस प्रकार की वसा में फैटी एसिड के कार्बन अणुओं के बीच केवल एकल बंध होते हैं। यह आमतौर पर ठोस अवस्था में होती है और इसे उचित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए क्योंकि इसकी अधिकता से स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
असंतृप्त वसा (Unsaturated Fats)- इसमें फैटी एसिड के कार्बन अणुओं के बीच एक या अधिक दोहरे बंध होते हैं। यह तरल अवस्था में होती है और इसे स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी माना जाता है। वसा का सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसकी अधिकता से वजन बढ़ने और हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ सकता है। वसा के स्वस्थ स्रोतों में जैतून का तेल, नट्स, बीज, और फैटी मछलियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, वसा शरीर को इंसुलेशन प्रदान करती है और हार्मोन उत्पादन में भी सहायक होती है
खनिज क्या होता है – खनिज (Minerals) जो हमें प्राकर्तिक रूप से मिलती है उसे खनिज (Minerals) कहते है। कैल्शियम, मैग्नेशियम, फ़ास्फ़ोरस, पोटाशियम और सोडियम कुछ खनिज के नाम है जो जीव जंतु के शरीर के लिए उपयोगी माने जाते है खनिज वे प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पदार्थ होते हैं, जिनकी एक निश्चित रासायनिक संरचना और भौतिक विशेषताएं होती हैं।
ये आमतौर पर क्रिस्टलीय रूप में होते हैं और खानों से खोदकर या खनन द्वारा पृथ्वी के गर्भ से निकाले जाते हैं। खनिजों का उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है, जैसे कि निर्माण, उपादान, और उर्वरक निर्माण में। इसके अलावा, खनिज हमारे जीवन के अति अनिवार्य भागों में से एक होते हैं और हमारे भोजन में भी पाए जाते हैं। खनिजों को तीन मुख्य प्रकारों में बाँटा जा सकता है धात्विक खनिज, अधात्विक खनिज, और ऊर्जा खनिज।
पोषक तत्व क्या होता है – पोषक तत्व वह पदार्थ हैं जो शरीर को समृद्ध अर्थात मजबूत करते हैं। यह ऊतकों का निर्माण और उनकी मरम्मत का भी कार्य करते हैं, यह शरीर को उष्मा और ऊर्जा दोनों प्रदान करते हैं पोषक तत्व वे रसायनिक पदार्थ होते हैं जो जीवों को पोषण प्रदान करते हैं और उनके शरीर को समृद्ध करते हैं। ये ऊतकों का निर्माण और मरम्मत करते हैं, शरीर को उष्मा और ऊर्जा प्रदान करते हैं, और शरीर की सभी क्रियाओं को चलाने के लिए आवश्यक होते हैं।
पोषक तत्वों को दो मुख्य प्रकारों में बाँटा जा सकता है
मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients)- ये वे पोषक तत्व हैं जिनकी शरीर को बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। इनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, और वसा शामिल हैं।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients)- ये वे पोषक तत्व हैं जिनकी शरीर को कम मात्रा में आवश्यकता होती है। इनमें विटामिन और खनिज शामिल हैं। पोषक तत्वों की कमी से व्यक्ति कई रोगों की चपेट में आ सकता है, इसलिए संतुलित आहार से शरीर को सभी प्रकार के पोषक तत्व मिलना चाहिए।
प्रोटीन से आप क्या समझते है – कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन तथा नाइट्रोजन के यौगिकों से बने होते हैं। कुछ प्रोटीन फास्फोरस तथा सल्फर में भी पाए जाते हैं यह वनस्पतियों तथा जंतुओं में पाए जाते हैं। प्रोटीन, ऐमीनो अम्ल के बहुलक होते हैं। प्रोटीन के मुख्य स्रोत के रूप में दूध, दही, दालें, मटर, अंडा इत्यादि शामिल हैं। प्रोटीन जीवित प्राणियों के लिए आवश्यक उच्च अणुभार वाले जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं।
ये मुख्यतः कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, और नाइट्रोजन से बने होते हैं, और कुछ में फास्फोरस और सल्फर भी पाए जाते हैं। प्रोटीन, ऐमीनो अम्ल के बहुलक होते हैं और इनके मुख्य स्रोत दूध, दही, दालें, मटर, मछली, पनीर, मांस, मूंगफली, और अंडा आदि हैं। प्रोटीन की आण्विक संरचना के आधार पर इसे दो भागों में बांटा जा सकता है:
रेशेदार प्रोटीन (Fibrous Protein)- ये प्रोटीन पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाओं के समांतर रूप में होते हैं और जल में अविलेय होते हैं। उदाहरण के लिए बाल और नाखून में पाया जाने वाला किरेटिन।
गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Protein)- ये प्रोटीन गोल आकृति में होते हैं और जल में विलेय होते हैं। उदाहरण के लिए हार्मोन और एंटीबॉडीज।
प्रोटीन के मुख्य कार्य हैं शरीर की संरचना और वृद्धि में योगदान, एंजाइम और हार्मोन का संश्लेषण, रक्त के pH को नियंत्रित करना, और प्रतिरक्षा प्रणाली में भाग लेना। प्रोटीन की कमी से शरीर में विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, इसलिए संतुलित आहार में प्रोटीन का सेवन महत्वपूर्ण है।
रुक्षांश क्या होता है – रूक्षांश एक प्रकार का वनस्पति पदार्थ है जिसकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोज़ से मिलकर बनी होती है। हमारे शरीर में इसे पचाने वाले एंजाइम मौजूद नहीं होते है फिर भी यह हमारे भोजन का एक आवश्यक अंग माना जाता है। क्योकि यह हमारे शरीर में पच नहीं पाता, किंतु यह अन्य पदार्थों को पचाने में सहायता करता है। रुक्षांश, जिसे आहारी रेशे भी कहा जाता है, वे पोषक तत्व होते हैं
जो हमारे शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करते हैं और पाचन तंत्र को सहायता करते हैं। ये रेशे शरीर द्वारा पूरी तरह से पचाए नहीं जाते हैं, लेकिन ये पाचन क्रिया को सुधारने और कब्ज जैसी समस्याओं को रोकने में मदद करते हैं। रुक्षांश फलों, सब्जियों, साबुत अनाजों और बीन्स में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनका नियमित सेवन स्वस्थ पाचन तंत्र और समग्र स्वास्थ्य के लिए अनुशंसित होता है।
स्कर्वी रोग से आप क्या समझते है – स्कर्वी एक तरह का रोग है जो हमारे आहार में विटामिन सी की कमी के कारण होती है। यदि हमारे शरीर में विटामिन की कमी हो जाती है तो एनीमिया, दुर्बलता, थकावट, अपने आप ब्लीलिडिंग होना, अंगों में दर्द और विशेष रूप से पैर, शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन और कभी-कभी मसूड़ों की सूजन और दांत कमजोर हो सकते हैं। स्कर्वी (Scurvy) होता है। स्कर्वी एक ऐसा रोग है जो विटामिन सी की कमी से होता है।
इसके लक्षणों में एनीमिया, डिबिलिटी (कमजोरी), थकावट, सहज रक्तस्राव, अंगों में दर्द, और कभी-कभी मसूड़ों तथा दांतों के नुकसान शामिल हैं। विटामिन सी शरीर में कोलेजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण होता है, जो हड्डियों, रक्त वाहिकाओं और ऊतकों की संरचना और स्थिरता में योगदान करता है। इसकी कमी से ऊतक टूटने लगते हैं और अंततः स्कर्वी रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। इस रोग का उपचार और रोकथाम विटामिन सी से समृद्ध आहार लेने से की जा सकती है।
मंड (स्टार्च) से क्या अभिप्राय है – मंड एक तरह का प्राकृतिक श्रोत है यह पेड़-पौधों में मौजूद होता है मंड आलू आदि फलों में होता है मंड का दूसरा नाम स्टार्च होता है। मंड या स्टार्च एक प्रकार का पॉलीसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट है, जिसका निर्माण ग्लूकोज मोनोसैकेराइड की इकाइयों के आपस में ग्लाइकोसिडिक बंधों द्वारा जुड़ने से होता है। यह मुख्य रूप से पादपों में पाया जाता है।
मंड में आमतौर पर 20 से 25 प्रतिशत अमाइलोज और 75 से 80 प्रतिशत अमाइलोपेप्सिन होता है। इसे आम भाषा में मांड भी कहा जाता है, जैसे चावल का मांड। जब इसका उपयोग कपड़ों पर किया जाता है तो यह कलफ कहलाता है। खाना पकाने में मंड का उपयोग शोरबे को गाढ़ा करने में किया जाता है और यह एक बेस्वाद और गंध रहित सफेद पाउडर के रूप में उपलब्ध होता है।
विटामिन क्या होता है – विटामिन रोगों से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं विटामिन हमारी आँख, अस्थियों, दांत और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में भी सहायता करते हैं विटामिन कई प्रकार के होते हैं जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है इनमें से कुछ विटामिन A, विटामिन B, विटामिन C, विटामिन D, विटामिन E, तथा विटामिन K, के नाम से जाना जाता है विटामिन वे जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं जो हमारे शरीर के उचित कामकाज के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं, चाहे वे कम मात्रा में ही क्यों न हों।
ये विटामिन हमें भोजन से मिलते हैं क्योंकि हमारा शरीर इन्हें खुद से नहीं बना पाता या बहुत ही कम मात्रा में बनाता है। विटामिन्स या तो फैट-सॉल्युबल होते हैं या फिर वाटर-सॉल्युबल होते हैं। फैट-सॉल्युबल विटामिन्स हमारे शरीर में आसानी से संग्रहीत किए जा सकते हैं और फैटी ऊतकों में संग्रहित होते हैं, जबकि वाटर-सॉल्युबल विटामिन्स संग्रहित नहीं किए जा सकते और हमारे शरीर में ज्यादा देर तक नहीं रहते।
विटामिन की कमी से अनेक रोग हो सकते हैं, जैसे कि विटामिन A की कमी से रतौंधी, विटामिन B की कमी से बेरीबेरी, विटामिन C की कमी से स्कर्वी, विटामिन D की कमी से रिकेट्स, विटामिन E की कमी से बांझपन, और विटामिन K की कमी से हेमोरेजिक रोग हो सकते हैं। इसलिए, विटामिन का सेवन संतुलित आहार के माध्यम से या आवश्यकता पड़ने पर सप्लीमेंट्स के रूप में करना चाहिए।
अभावजन्य रोग से आप क्या समझते है – वे रोग जो लंबी अवधि से पोषक-पदार्थ के अभाव के कारण होते हैं, उन्हें अभावजन्य रोग (Deficiency Diseases) कहते हैं। अभावजन्य रोग वे रोग होते हैं जो किसी विशेष पोषक तत्व की लंबी अवधि तक चली आ रही कमी के कारण होते हैं।
यदि किसी व्यक्ति के भोजन में किसी एक या अधिक पोषक तत्वों की कमी रहती है, तो उससे शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग या विकृतियां उत्पन्न हो सकती हैं। इन रोगों में रतौंधी, बेरीबेरी, स्कर्वी, रिकेट्स, और अन्य जैसे रोग शामिल हैं, जो विटामिन और खनिजों की कमी से होते हैं। इन रोगों का निवारण संतुलित आहार और आवश्यक पोषक तत्वों के सेवन से किया जा सकता है।
पोषक हमारे शरीर के लिए क्या करता हैं – भोजन के माध्यम से जीव जंतु के शरीर में कई तरह की जरुरत को पूरा किया जाता है भोजन के घटक में कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से हमें ऊर्जा प्राप्त होता है प्रोटीन की आवश्यकता शरीर की वृद्धि तथा स्वस्थ रहने के लिए होती है। प्रोटीन युक्त भोजन को प्रायः शरीर वर्धक भोजन’ भी कहा जाता है। पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
ये तत्व शरीर की चयापचय (मेटाबॉलिज्म) प्रक्रिया को सही रखते हैं, ऊतकों का निर्माण और मरम्मत करते हैं, और शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस ऊर्जा का उपयोग शरीर अपने विभिन्न कार्यों के लिए करता है। पोषक तत्वों की कमी होने पर व्यक्ति कई रोगों की चपेट में आ सकता है, इसलिए इनका सेवन संतुलित आहार के माध्यम से जरूरी होता है। पोषक तत्वों को दो प्रकार में विभाजित किया जाता है:
मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (बड़े पोषक तत्व) जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, और वसा, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म पोषक तत्व) जैसे विटामिन और खनिज, जो छोटे होते हैं लेकिन शरीर के लिए उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। इन पोषक तत्वों का सही मात्रा में सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है और विभिन्न रोगों से बचाव होता है।
आहारीय रेशा क्या होता है – आहार में फाइबर का उपयोग हमारे मल के वजन और आकार को बढ़ाता है और इसे मुलायम करता है। भारी मल आसानी से निकल जाता है, जिससे कब्ज की संभावना कम हो जाती है। आहारीय रेशा, जिसे डाइटरी फाइबर भी कहा जाता है, वह पौधों से प्राप्त ऐसे तत्व हैं जो हमारे शरीर द्वारा पचाए नहीं जाते हैं। ये रेशे हमारे पाचन तंत्र को सहायता प्रदान करते हैं और पाचन क्रिया को सुचारू बनाने में मदद करते हैं। आहारीय रेशे दो प्रकार के होते हैं घुलनशील और अघुलनशील।
घुलनशील रेशे पानी में घुलकर एक प्रकार का जेल बनाते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते हैं। अघुलनशील रेशे पाचन तंत्र में बल्क बढ़ाते हैं और मल को नरम बनाकर कब्ज की समस्या को कम करते हैं।
आहारीय रेशे वाले खाद्य पदार्थों में फलियां, साबुत अनाज, फल, सब्जियां, नट्स और बीज शामिल हैं। इनका नियमित सेवन करने से पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है, वजन प्रबंधन में मदद मिलती है, और हृदय रोग, स्ट्रोक, और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
प्रश्न 1. खाद्य सामग्री क्या हैं ?
प्रश्न 2. खाद्य घटकों का महत्व क्या है ?
प्रश्न 3. भोजन जीव जंतुओं के लिए क्या कार्य करता है?
प्रश्न 4. भोजन के गुणों को प्रभावित करने वाले घटक कौन से हैं ?
प्रश्न 5. संतुलित आहार और संतुलित आहार के घटक क्या है ?
प्रश्न 6. संतुलित आहार के घटक क्या होता है ?
कार्बोहाइड्रेट – चावल, रोटी, अनाज, आटा, दलिया, सेवई आदि।
विटामिन – फल, सब्जियां, अंडे, दूध, दही, अमेरिकन सैलमन, मछली आदि।
मिनरल – सब्जियां, अंडे, मछली, दूध, दही, पनीर, सोयाबीन, दाल आदि।
फाइबर – फल, सब्जियां, अनाज, दलिया, सेवई आदि।
प्रश्न 7. मुख्य पोषक तत्व कितने प्रकार के होते हैं ?
प्रश्न 8. भोजन का मूल तत्व क्या है ?
प्रश्न 9. भोजन के तीन प्रकार क्या हैं ?
मध्यम भोजन – इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं, लेकिन वे उत्तम भोजन से कम होते हैं। यह भोजन न तो बिल्कुल सही होता है और न ही बुरा।
अधम भोजन – इसमें अनेक पोषक तत्व नहीं होते हैं या फिर उनकी मात्रा बहुत कम होती है। यह भोजन सेहत के लिए बुरा होता है और इसे खाने से बचना चाहिए। इसमें तला हुआ खाना, तला हुआ चावल और अत्यधिक मसालेदार भोजन शामिल होते हैं।
प्रश्न 10. भोजन किसे कहते हैं ?
प्रश्न 11. कौन-सा फल तुरंत ऊर्जा देता है ?
प्रश्न 12. कौन-सा रोग विटामिन D के अभाव से होता है ?
प्रश्न 13. कौन-सा विटामिन की कमी से बेरी-बेरी नामक रोग होता है ?
प्रश्न 14. विटामिन C के अभाव से कौन सा रोग होता है ?
प्रश्न 15. किस विटामिन के अभाव से रतौंधी रोग होता है ?
प्रश्न 16. हमारे शरीर को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता क्यों है ?
प्रश्न 17. कौन-कौन से भोजन के विभिन्न समूहों है ?
प्रश्न 18. रक्षात्मक भोजन क्या होते हैं ?
प्रश्न 19. संतुलित आहार से क्या समझते है ?
प्रश्न 20. रूक्षांश किसे कहते है ?
प्रश्न 21. रूक्षांश शरीर के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
प्रश्न 22. रूक्षांश के महत्वपूर्ण कार्यो के बारे में बताये ?
(ii) यह आहार नली को साफ रखता है तथा कब्ज़ के रोग को रोकता है।
(iii) यह मल गति क्रम को सही रूप से बनाए रखने में सहायता करता है।
प्रश्न 23. हमारे आहार में हरी सब्ज़ियां होना क्यों आवश्यक है ?
प्रश्न 24. कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ?
प्रश्न 25. कार्बोहाइड्रेट कितनी प्रकार के होते हैं ?
(a) मोनोसैकेराइडस (Monosaccharides)
(b) डाइसैकेराइड (Disaccharides)
(c) पॉलीसैकेराइड्स (Polysaccharides)
प्रश्न 26. किसी खाद्य पदार्थ में मंड की उपस्थिति का परीक्षण कैसे किया जाता है ?
प्रश्न 27. किसी खाद्य पदार्थ में प्रोटीन का परीक्षण कैसे किया जाता है ?
प्रश्न 28. आप खाद्य पदार्थ में वसा का परीक्षण कैसे करोगे ?
प्रश्न 29. कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य क्या है ?
प्रश्न 30. कार्बोहाइड्रेट के स्रोतों के नाम बताये ?
प्रश्न 31. वसा के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ?
प्रश्न 32. वसा का मुख्य काम क्या है ?
प्रश्न 33. ऊर्जा देने वाला भोजन किसे कहते है ?
प्रश्न 34. शरीरवर्धक भोजन किसे कहते हैं ?
प्रश्न 35. प्रोटीन का क्या कार्य है ?
प्रश्न 36. प्रोटीन के स्रोतों के नाम लिखिए ?
जंतु स्रोत के नाम मांस, मछली, दूध, पनीर और अंडे है।
प्रश्न 37. विटामिन क्या होते हैं ?
प्रश्न 38. विटामिन कितने प्रकार के होते हैं ?
प्रश्न 39. विटामिन A, C और D का कार्य क्या है ?
विटामिन C – रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है।
विटामिन D – हमारी अस्थियों और दांतों को मजबूत करता है।
प्रश्न 40. विटामिन A और B के स्रोत लिखिए ?
विटामिन B के सबसे अच्छे स्रोत अंकुरित मूंग है
प्रश्न 41. विटामिन C और D के स्रोत लिखिए ?
विटामिन D के स्रोत के नाम दूध, मक्खन, मछली, अंडा आदि है।
प्रश्न 42. खनिज लवणों का क्या महत्त्व है ?
प्रश्न 43. आयोडीन के कौन-से स्रोत हैं ?
प्रश्न 44. आयोडीन की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
प्रश्न 45. फॉस्फोरस के कौन-से स्रोत हैं ?
प्रश्न 46. लोहा के कौन-से स्रोत हैं ?
प्रश्न 47. लोहा की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
प्रश्न 48. कैल्सियम (Calcium) के क्या स्रोत है ?
प्रश्न 49. Calcium (कैल्सियम) की कमी से कौन-सा रोग होता है ?
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