NCERT Solutions Class 11th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 1 परिचय : मानव पारिस्थितिकी और परिवार विज्ञान (Introduction: Human Ecology and Family Science)
Textbook | NCERT |
class | Class – 11th |
Subject | Physical Education |
Chapter | Chapter – 1 |
Chapter Name | शारीरिक शिक्षा में बदलती प्रवृत्तियाँ और कैरियर |
Category | Class 11th Physical Education Notes in hindi |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 11th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 1 परिचय : मानव पारिस्थितिकी और परिवार विज्ञान (Introduction: Human Ecology and Family Science) Notes in Hindi इस अध्याय को पढ़ने के बाद आप निम्न को समझ पाएँगे:- गृह विज्ञान का अर्थ, परिभाषा तथा महत्व, गृह विज्ञान के क्षेत्र, गृह विज्ञान लड़के एवं लड़कियों, दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है, गृह विज्ञान से संबंधित कॅरिअर विकल्प।
NCERT Solutions Class 11th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 1 परिचय : मानव पारिस्थितिकी और परिवार विज्ञान (Introduction: Human Ecology and Family Science)
Chapter – 1
परिचय : मानव पारिस्थितिकी और परिवार विज्ञान
Notes
भूमिका ( Introduction) – इससे पहले कि हम विषय को पढ़ने की शुरुआत करें आइए पहले विषय के शीर्षक ‘मानव पारिस्थितिकी और परिवार विज्ञान’ (Human Ecology and Family Sciences) को समझ लें। |
‘पारिस्थितिकी’ (Ecology) शब्द को दो प्रकार से समझा जा सकता है- 1. यह जीव-विज्ञान की वह शाखा है जिसमें जीवधारियों और पर्यावरण के साथ उनके आपसी संबंधों का अध्ययन किया जाता है। उपरोक्त संदर्भ में जीव/जीवधारियों का आशय ‘मानव’ से है, इसी कारण से मानव शब्द को पारिस्थितिकी शब्द के साथ जोड़ दिया गया है। |
परिवार विज्ञान – अब हम दूसरे महत्वपूर्ण शब्द ‘परिवार विज्ञान’ को समझने का प्रयास करेंगे। हम सब जानते है कि परिवार लगभग हर व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण केन्द्र होता है। परिवार में ही बच्चों का पालन-पोषण किया जाता है, ताकि वह भविष्य में एक वयस्क के रूप में अपनी स्वयं की पहचान बनाकर उसे और अधिक विकसित कर सके। |
मानव परिस्थितिकी और परिवार विज्ञान (i) मानव परिस्थितिकी विज्ञान, मानव जीवन की पारस्परिक अन्तःक्रियाओं का विज्ञान है, अर्थात् एक व्यक्ति का स्वयं एवं उसके वातावरण के साथ संबंध का विज्ञान। मानव का जन्म के बाद सीधा व पहला संबंध उसके अपने परिवार से होता है। (ii) व्यक्ति के जीवन पर उसके परिवार व सामाजिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव होता है तथा उन्हीं से उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी होता है। पारिवारिक विज्ञान व्यक्तिके परिवार व उसके सामाजिक सम्बन्धों का विज्ञान है। (iii) मानव जीवन के साथ सम्बन्ध अत्यन्त गहनता से जुड़े है। प्रत्येक सम्बन्ध का प्रथम आधार व्यक्ति का परिवार एवं घर ही होता है, अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि मानव परिस्थितिकी विज्ञान वास्तव में गृह विज्ञान का ही अध्ययन है। |
‘मानव पारिस्थितिकी और परिवार विज्ञान’ विषय के अंतर्गत विद्यार्थी निम्न का अध्ययन करेंगे- (a) मनुष्य का उसके पर्यावरण के साथ संबंध। |
निर्णायक मोड़ – कक्षा ग्यारहवीं के विद्यार्थियों के लिए इस विषय के पाठ्यक्रम में किशोरावस्था पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि किशोरावस्था को हर व्यक्ति के जीवन का ‘निर्णायक मोड़’ माना जाता है। ऐसा निम्न कारणों से होता है- 1. किशोरावस्था ऐसी अवस्था है जिसमें किशोर पूरी तरह से परिपक्व नहीं होते जिसके कारण वह किसी भी स्थिति से जल्दी प्रभावित हो जाते है। |
गृह विज्ञान विषय के मिथक – वर्तमान समय में गृह विज्ञान विषय के रूप में देश भर के बहुत से विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। बदलते समय के अनुरूप तथा गृह-विज्ञान विषय का अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि के कारण इस विषय को विद्यालय स्तर पर थोड़ा सा आधुनिक रूप देने की आवश्यकता महसूस की ताकि इस विषय से जुड़े मिथकों (myths) को खत्म किया जा सकें। जैसे कि बहुत से लोगों का मानना है कि गृह विज्ञान विषय केवल घर तथा उसके जुड़े ऐसे गृह कार्यों को सिखाए जाने वाला विषय है जिसे मुख्य रूप से घर की महिलाओं तथा लड़कियों के द्वारा किया जाता है। |
गृह विज्ञान का इतिहास (History of Home Science) 1. भारत के कुछ विद्यालयों एवं कॉलेजों में बीसवीं सदी के दौरान गृह विज्ञान विषय की शुरूआत की गई। उस समय इस विषय को ‘डोमेस्टिक साईस’ (domestic science) के नाम से जाना जाता था। उन दिनों बहुत अधिक संख्या में लड़कियाँ विद्यालय नहीं जाती थी और यहाँ तक कि उनकी उच्च शिक्षा के लिए कोई भी कन्या महाविद्यालय नहीं था। 2. बीसवीं शताब्दी के आरंभ तक भारत में विभिन्न संस्थाओं में आहार एवं पोषण विज्ञान, वस्त्र विज्ञान, गृह प्रबंध, बाल विकास विषय अलग-अलग पढ़ाए जाते थे। सन् 1932 में इन सभी विषयों को सम्मिलित करके एक नए विषय ‘गृह विज्ञान’ की शुरुआत की गई। 3. माध्यमिक विद्यालय स्तर पर गृह विज्ञान विषय की शुरूआत बड़ोदा राज्य से हुई। 4. वर्ष 1932 में सरोजिनी नायडू, कमला देवी चटोपाध्याय तथा राजकुमारी अमृताकौर जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं द्वारा गृह विज्ञान विषय की उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली में लेडी इरविन कॉलेज (Lady Irwin College) की स्थापना की गई। 5. उस कॉलेज का नाम उस समय भारत के वाइसराय की पत्नी डोरोयी इरविन के नाम पर रखा गया था। इस संस्थान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लड़कियों के बीच उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना था, ताकि सामाजिक तथा शैक्षिक असमानता को खत्म किया जा सकें। 6. आज गृह विज्ञान विषय हमारे देश के विभिन्न स्कूलों एवं कॉलेजों में पढ़ाया जाता है। स्कूलों में यह विषय माध्यमिक एवं उच्चतर स्तर पर ग्यारहवीं व बारहवीं कक्षाओं में ऐच्छिक (elective) विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। |
गृह विज्ञान क्या है? (What is Home Science?) गृह विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Home Science) गृह विज्ञान का शाब्दिक अर्थ है “घर से संबंधित विज्ञान”। गृह विज्ञान शब्द ‘गृह’ और ‘विज्ञान’ शब्दों के मेल से बना है। ‘गृह’ शब्द का तात्पर्य उस स्थान से जहाँ हम परिवार सहित रहते है और ‘विज्ञान’ शब्द का तात्पर्य उस ज्ञान से है जो वास्तविकता के सिद्धांतों व नियमों पर अतः हम कह सकते हैं कि – गृह विज्ञान, कला तथा विज्ञान का समावेश लिए हुए एक ऐसा विषय है जो व्यक्ति को परिवार, देश व विश्व की बदलती परिस्थितियों के अनुरूप योजनाबद्ध व व्यवस्थित जीवन जीने की पद्धति का अध्ययन करवाता है। |
उपरोक्त परिभाषा में कला तथा विज्ञान जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है ऐसा इसलिए क्योंकि गृह विज्ञान विषय में ‘कला’ तथा ‘विज्ञान’ का समावेश है। उदाहरण के लिए, 1. गृह विज्ञान विषय की उप-शाखा ‘आहार एवं पोषण’ (food and nutrition) के अंतर्गत आहार के विभिन्न पोषण तत्त्वों की संरचना, उनकी दैनिक आवश्यकता, उनकी कमी से होने वाले रोगों का अध्ययन कराया जाता है जिसे विज्ञान कह सकते है। जबकि भोजन को कैसे आकर्षक ढंग से पकाया व परोसा जाए, उसका अध्ययन कला के अंतर्गत आता है। 2. उसी प्रकार गृह विज्ञान विषय की उप-शाखा ‘वस्त्र विज्ञान और परिधान’ (fabric and apparel science) के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के तंतुओं से बुने हुए अलग-अलग किस्म के वस्त्रों की विशेषताओं (गुणों) का अध्ययन विज्ञान के अंतर्गत आता है, जबकि आकर्षक दिखने के लिए उचित प्रकार के वस्त्र, रंगों तथा डिजाइन इत्यादि का चुनाव कला के अंतर्गत आता है। 3. घर की देख-रेख, सजावट कला का विषय है परन्तु गृह निर्माण में प्रयुक्त कला व डिजाइन के सिद्धांत विज्ञान है। विज्ञान तथा कला का यह मिश्रण जीवन के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे कि- |
गृह विज्ञान का महत्व (Importance of Home Science) एक सफल कारअर बनाने में सहायक होती है तथा गृह विज्ञान घर से तथा घर से बाहर जुड़े किसी भी व्यक्ति, संस्था, वस्तु के प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष संबंधों का ऐसा व्यवस्थित अध्ययन है जिसके द्वारा पारिवारिक जीवन को अधिक समृद्ध एवं सुखी बनाया जा सकता है। गृह विज्ञान का अध्ययन व्यक्ति के संपूर्ण विकास में निम्न रूप से सहायता प्रदान करता है- 1. व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास में सहायक : गृह विज्ञान के अध्ययन द्वारा अर्जित ज्ञान व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास (शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक) में सहायक होता है। पूर्ण रूप से विकसित व्यक्ति ही परिवार, समाज एवं देश की प्रगति एवं उन्नति में अपना उचित योगदान दे सकता है। 2. स्वस्थ एवं रोग मुक्त रहने में सहायक : गृह विज्ञान के अध्ययन द्वारा अर्जित शरीर एवं स्वास्थ्य रक्षा संबंधी ज्ञान व्यक्ति को स्वस्थ एवं निरोगी जीवन व्यतीत करने में सहायता करता है। व्यक्तिगत स्वच्छता, व्यायाम, विश्राम आदि के नियमों को अपने जीवन का अंग बनाना केवल इसी शिक्षा द्वारा संभव है। 3. साधनों का उचित उपयोग : गृह विज्ञान के अध्ययन द्वारा व्यक्ति को विभिन्न साधनों की सीमितता तथा उनके उचित उपयोग की आवश्यकता का बोध होता है। साधनों का समय तथा श्रम बचाऊ यंत्रों के प्रयोग द्वारा विकास करना भी इसी विषय के अध्ययन द्वारा संभव है। 4. पोषण संबंधी ज्ञान : अक्सर देखा गया है कि गरीबी से ज्यादा पोषण संबंधी अज्ञानता कुपोषण संबंधी रोगों का मुख्य कारण होती है। गृह विज्ञान के अध्ययन द्वारा पोषण संबंधी अज्ञानता को दूर किया जा सकता है। 5. अच्छे अभिभावक बनने में सहायक : गृह विज्ञान के अध्ययन द्वारा छात्र एवं छात्राएँ अच्छे भावी माता-पिता बनने से संबंधित व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस ज्ञान की सहायता से व्यक्ति अपने गृहस्थ जीवन की समस्याओं का विवेकपूर्ण ढंग से सामना कर सकता हैं। 6. धन व्यवस्था का ज्ञान : आर्थिक रूप से सुनियोजित परिवार सदैव सुखी एवं समृद्ध रहते है। गृह विज्ञान विषय के अंतर्गत धन-व्यवस्था के ज्ञान द्वारा परिवार आर्थिक नियोजन (बजट बनाकर) द्वारा आय और व्यय में संतुलन बनाकर आर्थिक संकटों से बच सकता है। 7. उपभोक्ता अधिकारों का ज्ञान : गृह विज्ञान के अध्ययन से व्यक्ति एक जागरुक उपभोक्ता बनकर अपने हितों की रक्षा कर सकता है। 8. वस्त्रों की सिलाई तथा उनका उचित रख-रखाव संबंधी ज्ञान : गृह विज्ञान के अध्ययन के दौरान वस्त्रों की सिलाई कटाई एवं रख-रखाव आदि का प्रयोगात्मक ज्ञान प्राप्त करने के उपरान्त व्यक्ति घर पर भी कई प्रकार के वस्त्र तैयार कर सकता हैं। 9. प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान : गृह विज्ञान के अध्ययन के दौरान प्राप्त प्राथमिक चिकित्सा के व्यावहारिक (practical) ज्ञान के कारण व्यक्ति किसी भी आकस्मिक दुर्घटना के समय घायल अथवा रोगी व्यक्ति की सहायता कर सकता है। |
गृह विज्ञान शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Home Science Education) 1. विद्यार्थियों को वृद्धि एवं विकास संबधी ज्ञान अर्जित कराना। |
गृह विज्ञान के क्षेत्र (Areas of Home Science) गृह विज्ञान शिक्षा का वह क्षेत्र है जो व्यक्ति के जीवन को मूल्यवान बनाता है। इस विषय द्वारा प्राप्त ज्ञान को व्यक्ति की सुविधा, उन्नति तथा जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस अध्ययन से परिवार के सभी सदस्यों का विकास एवं उनकी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति भली-भांति करना संभव हो जाता है। गृह विज्ञान विषय मानव जीवन के उपयोग में आने वाली सभी बातों से संबंधित होता है इसलिए इसमें कला, विज्ञान, समाजशास्त्र, प्राकृतिक विज्ञान, व्यावहारिक विज्ञान, मनोविज्ञान तथा वाणिज्य आदि विषयों का समावेश होता है। |
इन सभी विषयों को घर में प्रयोग योग्य रूप में एकत्रित कर गृह विज्ञान विषय की संरचना की गई है। गृह विज्ञान विषय को मूलरूप से निम्नलिखित पाँच विषयों में विभाजित किया जा सकता है- गृह विज्ञान (Home Science) के क्षेत्र 1. आहार एवं पोषण |
1. आहार एवं पोषण (Food and Nutrition) : व्यक्ति का स्वास्थ्य ग्रहण किए गए भोजन पर निर्भर करता है। इस विषय के अध्ययन में आहार, पोषण, पोषण की कमी या अधिकता से होने वाले रोग, पोषक तत्वों के कार्य तथा स्त्रोत, आहार आयोजन, आहार संरक्षण, पाक कला, उपचारात्मक आहार आदि की जानकारी दी जाती है। इसके अतिरिक्त इसके अंतर्गत संस्थागत खाद्य सेवा एवं खाद्य गुणवत्ता तथा खाद्य सुरक्षा जैसे विशिष्ट विषय भी पढ़े जाते है। |
2. मानव विकास (Human Development) : इस विषय में सामान्य तथा विशिष्ट बालकों के शारीरिक, मानसिक, भावात्मक तथा सामाजिक विकास को समझा जाता है। विभिन्न आयु वर्गों के बालकों की पारिवारिक संरचना, उनकी आवश्यकताओं और समस्याओं का भी विस्तार से अध्ययन किया जाता है जिसके फलस्वरूप सामाजिक संबंधों में सुधार लाया जा सके। |
3. संसाधन व्यवस्था (Resource Management) : इस विषय में हम घर में प्रयुक्त होने वाले साधनों का सही उपयोग तथा व्यवस्था, घर की देखरेख एवं साज-सज्जा, निर्णय और व्यवस्था की प्रक्रिया, बजट, समय और उर्जा की व्यवस्था, उपभोक्ता शिक्षण एवं आतिथ्य प्रबन्धन आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं। |
4. वस्त्र एवं परिधान (Clothing and Apparel Management) : आधुनिक युग में वस्त्र व्यक्ति के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग हैं। वस्त्रों से व्यक्ति की योग्यता और आंतरिक गुणों का परिचय प्राप्त होता है। इस विषय के अंतर्गत विभिन्न तंतु, वस्त्र निर्माण प्रक्रिया, परिसज्जा, खरीददारी, रख-रखाव तथा संग्रह के संदर्भ में उचित जानकारी दी जाती है। |
5. संचार एवं तथा विस्तार (Communication and Extension) : इस विषय में गृह विज्ञान की सभी शाखाओं द्वारा प्राप्त ज्ञान को किस प्रकार सभी तक पहुँचाया जाए तथा इसका प्रयोग समाज कल्याण के कार्यों में कैसे किया जा सकता है, यह शिक्षा दी जाती है। जिसके लिए सम्प्रेषण, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण पर विशेष बल दिया जाता है। |
गृह विज्ञान लड़को एवं लड़कियों, दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है। (Home Science is Important for Both Boys and Girls) परम्परागत रूप से गृह विज्ञान विषय को केवल खाना पकाना, सिलाई-कढ़ाई करने जैसे घरेलू क्रियाकलापों से सम्बन्धित विषय समझकर केवल लड़कियों के लिए ही उपयुक्त माना जाता है जबकि वास्तविकता यह है कि यह विषय लड़कियों के साथ-साथ लड़कों के लिए भी केवल उपयोगी नहीं बल्कि अनिवार्य भी है, क्योंकि- (i) गृह विज्ञान विषय का पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों के बहुआयामी विकास तथा व्यक्तित्व को निखारने पर विशेष ध्यान दिया जाता (ii) इस विषय के अध्ययन द्वारा ग्रहण किए गए ज्ञान का जीवनभर उपयोग किया जा सकता है। (iii) इस विषय द्वारा उपार्जित (acquired) वैज्ञानिक ज्ञान व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा सामाजिक रूप से बेहतर बनाने के योग्य बनाता है। (iv) यह विषय विद्यार्थियों के अंर्तवैयक्तित्व कौशलों (interpersonal skills) को और अधिक निखारता है वह अपने निजी तथा व्यावसायिक जीवन में और अधिक सफलता प्राप्त कर पाते है। |
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि- गृह विज्ञान एक ऐसा विषय है जो लड़को और लड़कियों के जीवन के सभी क्षेत्रों में समान रूप से उपयोगी है, क्योंकि- (i) आज महिला तथा पुरुष दोनों ही अपने घर तथा परिवार की जिम्मेदारी समान रूप से निभाते है तथा अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग की तैयारी में भी बराबर की सहभागिता निभाते है। (ii) यह विषय दोनों के भावी जीवन की नींव रखता है। (iii) इस अध्ययन द्वारा दोनों को समाज में समायोजित होने की दिशा मिलती है तथा अपने भावी जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का अवसर प्राप्त होता है। संभवतः इस विषय से संबंधित व्यापक रूप से फैली भ्रान्तियों को दूर करने के लिए भी इस विषय का नाम गृह विज्ञान से बदलकर मानव पारिस्थितिकी और परिवार विज्ञान कर दिया गया है। |
गृह विज्ञान शिक्षा के उपरान्त कॅरिअर विकल्प (Career Options After Home Science Education) गृह विज्ञान विषय का विभिन्न स्तरों पर अध्ययन जीविकोपार्जन की असीम संभावनाएँ प्रदान करता है। इस विषय के अध्ययन के उपरान्त व्यक्ति बहुत-सी सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं में विभिन्न पदो पर नौकरी कर सकता है या वह स्वयं का व्यवसाय भी शुरू कर सकता है। |
निम्न तालिका गृह विज्ञान शिक्षा के पश्चात् विभिन्न व्यवसायों पर प्रकाश डालती है- 1. आहार एवं पोषण विज्ञान (Food and Nutrition Science) : इस विषय के अध्ययन के उपरान्त निम्न कॅरिअर विकल्प उपलब्ध होते है.
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2. मानव विकास (Human Development) : इस विषय के अध्ययन के उपरान्त निम्न कॅरिअर विकल्प उपलब्ध होते है-
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3. संसाधन व्यवस्था (Resource Management) : इस विषय के अध्ययन के उपरान्त निम्न कॅरिअर विकल्प उपलब्ध होते है-
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4. वस्त्र एवं परिधान विज्ञान (Clothing and Apparel Science) : इस विषय के अध्ययन के उपरान्त निम्न कॅरिअर विकल्प उपलब्ध होते है-
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5. संचार एवं तथा विस्तार (Communication and Extension) : इस विषय के अध्ययन के उपरान्त निम्न करिअर विकल्प उपलब्ध होते है-
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इन व्यावसायिक क्षेत्रों को देखने के पश्चात् यह समझ जाना चाहिए कि गृह विज्ञान विषय सभी विद्यार्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें प्रवीणता न केवल व्यक्ति की जीवन शैली में आवश्यक सुधार लाती है अपितु रोजगार की भी अनेक संभावनाएँ प्रदान करती है। गृह विज्ञान की उचित जानकारी हर व्यक्ति को होनी चाहिए जिससे हर व्यक्ति, परिवार, समुदाय व राष्ट्र समृद्ध बन सके। |
महाविद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले गृह विज्ञान संबंधित विभिन्न कोर्स (Home Science Courses Offered in Various Universities) 1. स्नात्तक कोर्स (Undergraduate Courses) : 2. स्नातकोत्तर कोर्स (Postgraduate Courses) : निम्न पाँच में से किसी एक विषय में एम.एस.सी. गृह विज्ञान दो वर्षीय डिग्री कोर्स। (a) आहार एवं पोषण विज्ञान (Food and Nutrition) 3. बी.एड (B.Ed.) : दो वर्षीय कार्यक्रम तथा बी.एड विशेष शिक्षा एम. आर.। 4. डाईटिक्स तथा पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन का एक वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स। [Post Graduate Diploma in Dietetics and Public Health Nutrition-one year course] 5. गृह विज्ञान के पाँचों उप विषयों में पी.एच.डी.। [Ph.D. in all five specializations of Home Science] |
NCERT Question & Answer
1. ‘मानव पारिस्थितिकी’ और ‘परिवार विज्ञान’ को समझाएँ। उत्तर – मानव परिस्थितिकी विज्ञान, मानव जीवन की पारस्परिक अन्तःक्रियाओं का विज्ञान है, अर्थात् एक व्यक्ति का स्वयं एवं उसके वातावरण के साथ संबंध का विज्ञान। मानव का जन्म के बाद सीधा व पहला संबंध उसके अपने परिवार से होता है। व्यक्ति के जीवन पर उसके परिवार व सामाजिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव होता है तथा उन्हीं से उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी होता है। पारिवारिक विज्ञान व्यक्ति के परिवार व उसके सामाजिक सम्बन्धों का विज्ञान है। मानव जीवन के साथ सम्बन्ध अत्यन्त गहनता से जुड़े है। प्रत्येक सम्बन्ध के आधार पर व्यक्ति के परिवार एवं घर से जुड़ा होता है, अतः मानव परिस्थिति विज्ञान दरअसल गृह विज्ञान का ही अध्ययन है। |
2. क्या आप सहमत हैं कि किशोरावस्था एक व्यक्ति के जीवन का “निर्णायक मोड़” है। उत्तर – जी हाँ मैं कथन से पूरी तरह सहमत हूँ कि किशोरावस्था एक व्यक्ति के जीवन का “निर्णायक मोड़” है। किशोरावस्था जीवन का सबसे कठिन और नाजुक काल है, क्योंकि (i) किशोरावस्था ऐसी अवस्था है जिसमें किशोर पूरी तरह से परिपक्व नहीं होते जिसके कारण वह किसी भी स्थिति से जल्दी प्रभावित हो जाते है। (ii) ऐसा माना जाता है कि 10 से 20 वर्षों की आयु के दौरान जो भी आदतें एक बार विकसित हो जाए वह जीवनभर बनी रहती है। (iii) किशोर जिस परिवेश में बड़े होते है वह उनके भावी जीवन की दिशा एवं रूप रेखा को काफी हद तक प्रभावित करता है। (iv) किशोरों में सीखने-समझने की काफी अच्छी क्षमता होती है, इस अवस्था के दौरान वह जो कुछ भी देखते, समझते और सीखते है वह उनके मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। |
3. उन जानी-मानी महिलाओं के नाम बताएँ, जिन्होंने भारत में सर्वप्रथम गृह विज्ञान विषय को महाविद्यालयों में आरंभ करने की संकल्पना की। (a) ———— उत्तर – निम्नलिखित महिलाओं ने भारत में सर्वप्रथम गृह विज्ञान विषय को महाविद्यालयों में आरंभ करने की संकल्पना की। (a) सरोजिनी नायडू |
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