NCERT Solution Class 11th History Chapter – 9 औद्योगिक क्रांति ( The Industrial Revolution ) Notes In Hindi

Class 11th History Chapter - 9 औद्योगिक क्रांति ( The Industrial Revolution ) Notes In Hindi
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NCERT Solution Class 11th History Chapter – 9 औद्योगिक क्रांति ( The Industrial Revolution )

Text BookNCERT
Class  11th
Subject History
ChapterChapter – 9
Chapter Name औद्योगिक क्रांति
CategoryClass 11th History Notes In Hindi
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solution Class 11th History Chapter – 9 औद्योगिक क्रांति ( The Industrial Revolution )

?Chapter – 9?

✍ औद्योगिक क्रांति✍

?Notes?

औद्योगिक क्रांति – ब्रिटेन में 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपांतरण हुआ उसे प्रथम औद्योगिक क्रान्ति कहा जाता है ।

दूसरी औद्योगिक क्रान्ति 1850 के दशक के बाद आई और उसमें रसायन और बिजली जैसे नये औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार ।

औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग –

इस शब्द का प्रयोग यूरोपीय विद्वानों जैसे जार्जिश मिशले ( फ्रांस ) और फ्राइड्रिक एंजेल्स ( जर्मनी ) द्वारा किया गया । अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शिनिक एवं अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी द्वारा उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया , जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए ।

ब्रिटेन पहला देश था जिसने सर्वप्रथम औद्योगीकरण का अनुभव किया । इसके कारण ब्रिटेन की राजनैतिक व्यवस्था , कानून व्यवस्था , मुद्रा प्रणाली , बाजार व्यवस्था , एक ही प्रकार की मुद्रा का प्रयोग ।

औद्योगिक क्रान्ति के सकारात्मक प्रभाव – औद्योगिक क्रान्ति से नई नई मशीनों का आविष्कार हुआ । उत्पादन में मशीनों का प्रयोग होने से मानव को भारी कामों से छुटकारा मिला ।

औद्योगिक क्रान्ति से यातायात व संचार के साधनों के नए – नए आविष्कार हुए । परिवहन के तीव्रगामी साधनों से समय और दूरी पर मनुष्य ने विजय हासिल की ।

औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप मनुष्य के आराम व सुख की वस्तुएँ सस्ती कीमतों पर आम व्यक्ति को मिलने लगी ।

कच्चे माल की मांग बढ़ने के कारण कृषि क्षेत्र में क्रान्तिकारी सुधार ।

बैंकिंग प्रणाली का विकास ।

औद्योगिक क्रान्ति के नकारात्मक प्रभाव –

ग्रामीण लोगों का रोजगार की तलाश में शहरों में आगमन ।

शहरों में अत्यधिक जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य , शिक्षा , पेयजल और आवास की समस्या ।

स्त्रियों व बच्चों का शोषण होने के कारण स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव ।

घरेलू व कुटीर उद्योग धन्धो का समाप्त होना ।

समाज दो वर्ग में विभक्त – ( 1 ) उद्योगपति ( ii ) सर्वहारा वर्ग

कृषि क्रान्ति यह क्रान्ति एक ऐसी प्रक्रिया थी जिसके द्वारा बड़े जमींदारों ने अपनी सम्पत्तियों के पास छोटे खेत खरीद लिए और गाँव की सार्वजनिक भूमि को कब्जा लिया और बड़ी – बड़ी भू – सम्पदाए बना ली जिससे खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई ।

कृषि – क्रांति के प्रमुख कारण –

ब्रिटेन में आये औद्योगिक क्रांति के कारण नए कल पुर्जो का बाढ़ सी आ गई जिसका फायदा कृषि क्षेत्र को भी मिला |

लोगों के नए विकल्प मिले और वस्तुओं के बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हुआ।

बड़े जमींदारों ने अपनी ही सम्पतियों के आस – पास छोटे – छोटे खेत खरीद लिए और गाँव के सार्वजानिक जमीनों को घेर लिया।

भू – सम्पदाएँ बढ़ने से खाध्य उत्पादन में भारी वृद्धि हुई।

ब्रिटेन के तीन हिस्से और उसकी विशेषताएँ –  इंग्लैंड , वेल्स और स्कॉटलैंड ये ब्रिटेन के तीन हिस्से थे जिस पर एक ही राजतन्त्र अर्थात सम्राट का शासन था।

विशेषताएँ –

सम्पूर्ण राज्य में एक ही कानून व्यवस्था थी।

एक ही सिक्का अर्थात मुद्रा प्रणाली थी।

इन तीनों राज्यों के लिए एक बाजार व्यवस्था थी जिससे व्यापार करने वालों को एक राज्य से दुसरे राज्य में व्यापार करने पर अलग से कर नहीं चुकाना पड़ता था।

पिटवा लोहे का विकास – द्वितीय डर्बी ( 1711 – 68 ) द्वारा ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास तृतीय डर्बी ने 1779 में विश्व में पहला लोहे का पुल बनाया।

औद्योगिक क्रान्ति का औरतों और बच्चों के जीवन पर प्रभाव –

उच्च वर्ग की महिलाओं का जीवन अधिक सुविधापूर्ण तथा आनन्द दायक इसके विपरीत निम्नवर्ग की महिलाओं का जीवन संघर्ष पूर्ण ।

पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की मजदूरी में कमी।

महिलाओं को काम निम्नतर परिस्थितियों में करना पड़ता था।

महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था।

महिलाओं को वित्तीय स्वतन्त्रता मिली – आत्म सम्मान में वृद्धि।

काम की घटिया परिस्थितियों के बारे में कम आन्दोलित।

बच्चों के बाल मशीनों में फंस जाना उनके हाथ कुचल जाते थे।

मशीनों में गिरकर बच्चे मौत के मुँह तक में चले जाते थे।

कोयला खानों में रास्ता संकरा होने के कारण बच्चों को भेजते थे जिससे दुर्घटना का भय बना रहता था।

औद्योगिक श्रमिकों की स्थिति में कानून के जरिये सुधार –

सरकार ने सन् 1819 में श्रमिकों की स्थिति में सुधार के लिए कानून बनायें ।

नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों से फैक्ट्री में काम करवाने पर पाबंदी ।

नौ से सोलह वर्ष की आयु वाले बच्चों से काम कराने की सीमा 12 घण्टे तक सीमित कर दी गई ।

1833 के एक अधिनियम द्वारा नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को केवल रेशम की फैक्ट्रियों में काम पर लगाने की अनुमति ।

बड़े बच्चों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिये गये ।

फैक्ट्री निरीक्षकों की नियुक्ति करना ।

1842 के खान और कोयला अधिनियम ने 10 वर्ष से कम बच्चों व स्त्रियों से खानों में नीचे काम लेने पर पाबन्दी लगाना ।

1847 में यह कानून बना 18 साल से कम उम्र के बच्चों और स्त्रियों से 10 घण्टे से अधिक काम न लिया जाय ।

औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में दो वर्गों का उदय –

( i ) मालिक
( ii ) मजदूर वर्ग ।
कुटीर व लघु उद्योग धन्धों का विनाश होने से बेरोजगारी बढ़ी । केवल पूँजीपति वर्ग को लाभ हुआ ।

औद्योगीकरण से नुकसान  – परिवारों में बिखराव , रोजगार के तलाश में गाँवों से शहरों में लोगों का पलायन , शहरों का रूप विकृत होना । ब्रिटेन को औद्योगीकरण की कितनी मानवीय और भौतिक कीमत चुकानी पड़ी।

गरीब मजदूर खासकर बच्चों की दुर्दशा , पर्यावरण का क्षय और हैजा तथा तपेदिक की बीमारियाँ ।

समाजवाद – उत्पादन का एक विशिष्ट सिद्धान्त जिसके अन्तर्गत उत्पादन के साधनों पर सम्पूर्ण समाज का स्वामित्व कायम रहता है ।

पूँजीवाद – इस व्यवस्था के अन्तर्गत उत्पादन के साधनों पर केवल व्यक्ति का स्वामित्व कायम रहता है ।

धमनभट्टी का अविष्कार – 1709 में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार ।

धमनभट्टी के अविष्कार के लाभ –

इसमें सर्वप्रथम ‘ कोक ‘ का इस्तेमाल किया गया । कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी । और यह पत्थर कोयले से गंधक तथा अपद्रव्य निकलकर तैयार किया जाता था ।

भट्ठियों को काठकोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा ।

इससे निकला हुआ लोहा से पहले की अपेक्षा अधिक बढ़िया और लंबी ढलाई की जा सकती थी ।

ब्लचर – 1814 में एक रेलवे इंजीनियर जार्ज स्टीफेन सन द्वारा बनाया गया एक रेल इंजन है ।

भाप की शक्ति का प्रयोग – ब्रिटेन के उद्योग में शक्ति के एक नए स्रोत के रूप में भाप का व्यापक रूप से प्रयोग से जहाजो और रेलगाड़ियों द्वारा परिवहन की गति काफी तेज हो गई । भाप की शक्ति का प्रयोग सबसे पहले खनन उद्योग में किया गया ।

भाप शक्ति की विशेषताएँ –

भाप की शक्ति उच्च तापमानों पर दबाव पैदा करती जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती थीं ।

भाप की शक्ति ऊर्जा का अकेला ऐसा स्रोत था जो मशीनरी बनाने के लिए भी भरोसेमंद और कम खर्चीला था ।

भाप की शक्ति का इस्तेमाल – भाप की शक्ति का इस्तेमाल सर्वप्रथम खनन उद्योग में किया गया ।

थॉमस सेवरी के भाप इंजन की कमियाँ – ये इंजन छिछली गहराइयों में धीरे – धीरे काम करते थे , और अधिक दबाव हो जाने पर उनका वाष्पित्र ( बॉयलर ) फट जाता था ।

थॉमस न्यूकोमेंन के भाप इंजन की कमियाँ – इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन ( कंडेंसिंग सिलिंडर ) लगातार ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा खत्म होती रहती थी।

जेम्स वाट के भाप इंजन की विशेषताएँ –

यह केवल एक साधारण पम्प की बजाय एक प्राइम मूवर ( चालक ) के रूप में काम करता था ।

इससे कारखानों में शक्तिचालित मशीनों को उर्जा मिलने लगी ।

यह अन्य इंजनों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली था , जिससे इसका अधिक इस्तेमाल होने लगा ।

जेम्स ब्रिडली द्वारा इंग्लैण्ड में पहली नहर – 1761 ई . में जेम्स ब्रिडली द्वारा इंग्लैण्ड में पहली नहर ‘ वर्सली कैनाल ‘ बनाई गई । इस नहर का प्रयोग कोयला भंडारों से शहर तक कोयला ले जाने के लिए किया जाता था । 1788 – 1796 ई . तक आठ वर्ष की अवधि को ‘ नहरोन्माद ‘ के नाम से पुकारा जाता है । 46 नहरों के निर्माण की नई परियोजना हाथ में ली गई ।

इन वर्षों के दौरान प्रतिभाशाली व्यक्तियों द्वारा क्रान्तिकारी परिवर्तन 

धन , माल , आय , सेवाओं , ज्ञान और उत्पादकता कुशलता के रूप में अचानक वृद्धि होना ।

1795 में ब्रिटेन की संसद ने जुड़वा अधिनियम पारित किये । कार्न लॉज ( अनाज के कानून ) का समर्थन । चकबन्दी ने मजदूरों को बेरोजगार बनाया । उन्होंने अपना गुस्सा मशीनों पर निकाला । बहुत बड़े पैमाने पर मशीनों में तोड़फोड़ करना ।

लुडिज्म आन्दोलन – जनरल नेड लुड के नेतृत्व में लुडिज्म आन्दोलन चलाया गया । ये मशीनों की तोड़फोड़ में विश्वास नहीं करते थे बल्कि इसके अनुनायियों ने न्यूनतम मजदूरी , औरतों तथा बाल मजदूरी पर नियन्त्रण , बेरोजगारों के लिए काम तथा कानूनी तौर पर मजदूर संघ ( ट्रेड यूनियन ) बनाने के अधिकार की माँग की ।

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