NCERT Solutions Class 11th Political Science (भारत का संविधान : सिद्धांत और व्यवहार) Chapter – 2 भारतीय संविधान में अधिकार (Right in the Indian Constitution) Notes In Hindi

NCERT Solution Class 11th Political Science (भारत का संविधान : सिद्धांत और व्यवहार) Chapter – 2 भारतीय संविधान में अधिकार (Right in the Indian Constitution)

TextbookNCERT
Class 11th
Subject Political Science (भारत का संविधान : सिद्धांत और व्यवहार)
Chapter2nd
Chapter Nameभारतीय संविधान में अधिकार (Right in the Indian Constitution)
CategoryClass 11th Political Science
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 11th Political Science (भारत का संविधान : सिद्धांत और व्यवहार) Chapter – 2 भारतीय संविधान में अधिकार (Right in the Indian Constitution) Notes in Hindi हम इस अध्याय के प्रमुख बिंदुओं के बारे में समझ कर पढ़ेंगे जैसे:- अधिकार, अधिकार का अर्थ, अधिकारों का घोषणा पत्र, भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार, सामान्य अधिकार, मौलिक अधिकार आदि सभी के बारे में पढ़ेंगे।  साथ हमारे मन में उठाने वाले प्रश्नो के उत्तर भी समझ में आयेंगे।

NCERT Solution Class 11th Political Science (भारत का संविधान : सिद्धांत और व्यवहार) Chapter – 2 भारतीय संविधान में अधिकार (Right in the Indian Constitution)

Chapter – 2

भारतीय संविधान में अधिकार

Notes

भारतीय संविधान में अधिकार के मुख्य बिन्दु

1. अधिकार का अर्थ
2. अधिकारों का घोषणा पत्र
3. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार
4. सामान्य अधिकार
5. मौलिक अधिकार

अधिकार – अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिनके बिना कोई भी मनुष्य अपना विकास नहीं कर सकता है। अधिकार वह ‘हक’ है जो एक आम आदमी को जीवन जीने के लिए होना चाहिए, जिसकी वो मांग करता है। कानून द्वारा प्राप्त सुविधाएं अधिकारो की रक्षा करती है।

अधिकारों का घोषणा पत्र – अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों के अधिकारों को संविधान में सूचीबद्ध कर दिया जाता हैं ऐसी सूची को ‘अधिकारों का घोषणा पत्र’ कहते है। जिसकी मांग 1928 में मोतीलाल नेहरू जी ने उठाई थी।

सामान्य अधिकार – सामान्य अधिकार वे अधिकार जो साधारण कानूनों की सहायता से लागू किया जाता हैं तथा इन अधिकारों में संसद कानून बना कर के परिवर्तन कर सकती है।

मौलिक अधिकार – मौलिक अधिकार ऐसे अधिकार है जो व्यक्ति के विकास की आधारशिला होते हैं, जो संविधान में सूचीबद्ध किए गए हैं तथा जिनको लागू करने के लिए विशेष प्रावधान किए गये है। इनकी गांरटी एवं सुरक्षा स्वंय संविधान करता है। इन अधिकारों में परिवर्तन करने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ता है। सरकार का कोई भी अंग मौलिक अधिकारों के विरूद्ध कोई कार्य नहीं कर सकता।

भारतीय संविधान के भाग तीन में वर्णित छः मौलिक अधिकार निम्न प्रकार है

(1) समानता का अधिकार – (14 से 18 अनुच्छेद)
(2) स्वतंत्रता का अधिकार – (19 से 22 अनुच्छेद)
(3) शोषण के विरूद्ध अधिकार – (23 से 24 अनुच्छेद)
(4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार – (25 से 28 अनुच्छेद)
(5) संस्कृति एवं शिक्षा संबधि – (29 से 30 अनुच्छेद)
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकर – (अनुच्छेद 32)

1. विशेषः 1978 में, संविधान के 44 वें संशोधन समता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)

(i) विशेष – 1978 में, संविधान के 44 वें संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची से संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 31) को हटा दिया गया है। इसे अनुच्छेद 300 के तहत एक साधारण कानूनी अधिकार बना दिया गया है।

(ii) अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता तथा बिना भेदभाव के समान कानूनी सुरक्षा प्राप्त करना।

(iii) अनुच्छेद 15 – धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध।

(iv) अनुच्छेद 16 – सार्वजनिक पदों पर नियुक्तियों में अवसर की समानता। (परंतु – अनुच्छेद 16 (4) राज्य को नागरिकों के किसी पिछड़े वर्ग के पक्ष में आरक्षण देने का अधिकार भी देता है।

(v) अनुच्छेद 17 – समाज से अस्पृश्यता (छुआछूत) की समाप्ति।

(vi) अनुच्छेद 18 – सैनिक एवं शैक्षिक उपाधियों के अलावा अन्य उपाधियों पर रोक।

2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)

(i) अनुच्छेद 19 – स्वतंत्रता – ‘भाषण एवं अभिव्यक्ति, संघ बनाने, सभा करने भारत भर में भ्रमण करने, भारत के किसी भाग में बसने और स्वतंत्रता पूर्वक कोई भी व्यवसाय करने की।

(ii) अनुच्छेद 20 – अपराध में अभियुक्त या दंडित व्यक्ति को सरंक्षण प्रदान करना।

(iii) अनुच्छेद 21 – कानूनी प्रक्रिया के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति को जीने की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। अनुच्छेद 21 (क) – RTE, 2002, 86 वां संविधान संशोधन शिक्षा मौलिक अधिकार, वर्ष 6 से 14 आयु के बच्चो को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा।

(iv) अनुच्छेद 22 – किसी भी नागरिक की विशेष मामलों में गिरफ्तारी एवं हिरासत से सुरक्षा प्रदान करना। ध्यान दे: 86 वें संशोधन (2002) द्वारा शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद – 21 (A) के द्वारा मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है।

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)

(i) अनुच्छेद 23 – मानव व्यापार (तस्करी) और बल प्रयोग द्वारा बेगारी, बंधुआ मजदूरी पर प्रतिबंध – जब भारत आजाद हुआ, तब भारत के कई भागों में दासता और बेगार प्रथा प्रचलित थी। जमींदार किसानों से काम करवाते थे, परन्तु मजदूरी नहीं देते थे, विशेषकर स्त्रियों को पशुओं की तरह खरीदा और बेचा जाता था।

(ii) अनुच्छेद 24 – अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी, जोखिम वाले काम पर मनाही की जायेगी, जैसे- खदानों में और कारखानों में इत्यादि।

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)

(i) अनुच्छेद 25 – अपने-अपने धर्म को मानने, पालन करने एवं प्रचार-प्रसार करने का अधिकार।

(ii) अनुच्छेद 26 – संगठित इकाई के रूप में धार्मिक तथा परोपकारी कार्य करने वाले संस्थानों को स्थापित करने का अधिकार।

(iii) अनुच्छेद 27 – धर्म प्रचार एवं धार्मिक सम्प्रदाय की देख-रेख के लिए ‘कर’ देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

(iv) अनुच्छेद 28 – किसी भी सरकारी ‘शिक्षण संस्था मे कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी।

5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)

(i) अनुच्छेद 29 – भारत के किसी भी राज्य के नागरिकों को अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति को बनाए रखने को अधिकार देता है।

(ii) अनुच्छेद 30 – इसके अन्तर्गत भाषा तथा धार्मिक अप्लसंख्यकों को शिक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा उनके प्रशासन को चलाने का अधिकार प्रदान करता है।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

(i) संविधान के जनक, डॉ. भीम रॉव अम्बेडकर ने इस अधिकार को “संविधान का हृदय और आत्मा” की संज्ञा दी है। इसके अंतर्गत न्यायलय कई विशेष आदेश करते है जिन्हें रिट (writ) कहते हैं।

जो निम्न प्रकार हैं

(1) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas corpus)
(2) परमादेश (Mandamus)
(3) प्रतिषेध (Prohibition)
(4) अधिकार पृच्छा (Quo-warranto)
(5) उत्प्रेषण (Certiorari)
(6) रिट संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to constitutional Remedies)

(ii) दक्षिण अफ्रीका का संविधान दिसम्बर 1996 में लागू हुआ, जब रंगभेद वाली सरकार हटने के बाद देश गृहयुद्ध के खतरे से जूझ रहा था, दक्षिण अफ्रीका में अधिकारों को घोषणा पत्र प्रजातंत्र की आधारशिला है।

दक्षिण अफ्रीका का संविधान – दक्षिण अफ्रीका का संविधान दिसम्बर 1996 में लागू हुआ, जब रंगभेद वाली सरकार हटने के बाद देश गृहयुद्ध के खतरे से जूझ रहा था, दक्षिण अफ्रीका में अधिकारों को घोषणा पत्र प्रजातंत्र की आधारशिला है।

दक्षिण अफ्रीका के संविधान में सूचीबद्ध प्रमुख अधिकार

(i) गरिमा का अधिकार।
(ii) निजता का अधिकार।
(iii) श्रम-संबंधी समुचित व्यवहार का अधिकार।
(iv) स्वास्थ्य पर्यावरण और पर्यावरण सरंक्षण का अधिकार।
(v) समुचित आवास का अधिकार।
(vi) स्वास्थ्य सुविधाएं, भोजन, पानी और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार।
(vii) बाल अधिकार।
(viii) बुनियादी और उच्च शिक्षा का अधिकार।
(ix) सूचना प्राप्त करने का अधिकार।
(x) सांस्कृतिक, धार्मिक ओर भाषाई समुदायों का अधिकार।

राज्य के नीति-निर्देशक तत्व क्या है

(क) स्वतंत्र भारत में सभी नागरिकों में समानता लाने और सबका कल्याण करने के लिए मौलिक अधिकारों के अलावा बहुत से नियमों की जरूरत थी। राज्य की नीति निर्देशक तत्वों के तहत ऐसे ही नीतिगत निर्देश सरकारों को दिए गए है, जिनको न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकती है परन्तु इन्हें लागू करने के लिए सरकार से आग्रह किया जा सकता है। सरकार का दायित्व है कि जिस सीमा तक इन्हें लागू कर सकती है, करें।

(ख) प्रमुख नीति निर्देशक तत्वों की सूची में तीन प्रमुख बातें हैं।

(i) वे लक्ष्य और उद्देश्य है, जो एक समाज के रूप मे हमें स्वीकार करने चाहिए।
(ii) वे अधिकार जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के अलावा मिलने चाहिए।
(iii) वे नीतियाँ जिन्हें सरकार को स्वीकार करना चाहिए।

नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्य – नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्य जो 1976 में, 42वें संविधान संशोधन द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों की सूची (अनुच्छेद – 51 (क)) का समावेश किया गया है।

इसके अन्तर्गत नागरिकों के ग्यारह मौलिक कर्त्तव्य निम्न हैं।

(i) संविधान का पालन करना, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।

(ii) राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखना और उनका पालन करना।

(iii) भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना। उसे ‘अक्षुण्ण रखे।

(iv) राष्ट्र रक्षा एवं सेवा के लिए तत्पर रहना।

(v) नागरिकों मे भाईचारे का निर्माण करना।

(vi) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली पंरपरा के महत्व को समझे और उसको बनाए रखें।

(vii) प्राकृतिक पर्यावरण का सरंक्षण करें। उसकी रक्षा करें।

(viii) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद ओर ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।

(ix) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाएं और हिंसा से दूर रहें।

(xi) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें।

(xii) माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना (86वाँ संशोधन)।

नीति-निर्देशक तत्वों और मौलिक अधिकारों में संबंध

(i) दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। जहां मौलिक अधिकार सरकार के कुछ कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं, वहीं नीति निर्देशक तत्व उसे कुछ कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं।

(ii) मौलिक अधिकार खास तौर पर व्यक्ति के अधिकारों को सरंक्षित करते हैं, वहीं पर नीति निर्देशक तत्व पूरे समाज के हित की बात करते है।

नीति-निर्देशक तत्वों एवं मौलिक अधिकारों में अन्तर

(i) मौलिक अधिकारों को कानूनी सहयोग प्राप्त है परन्तु नीति निर्देशक तत्वों को कानूनी सहयोग प्राप्त नहीं है। अर्थात् मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर आप न्यायलय में जा सकते हैं परन्तु नीति निर्देशक तत्वों के उल्लंघन पर न्यायलय नहीं जा सकते।

(ii) मौलिक अधिकारों का सम्बन्ध व्यक्तियों और निर्देशक सिद्धान्तों का समबन्ध समाज से है।

(iii) मौलिक अधिकार प्राप्त किये जा चुके हैं जबकि निर्देशक सिद्धान्तों को अभी लागू नहीं किया गया।

(iv) मौलिक अधिकारों का उददेश्य देश मे राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना करना है निर्देशक सिद्धान्तों का उददेश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।

(v) मौलिक अधिकार व्यक्ति के कल्याण को बढावा देते हैं निर्देशक सिद्धान्त समुदाय के कल्याण को बढावा देते हैं।

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